बाल कविताएँ 1-निंदिया . नींद से अच्छा नहीं लगे कुछ, सबसे प्यारी निंदिया रे। सपने नए अनोखी लाती, जादू वाली पुड़िया रे।। . थपकी दे माँ हमे...
बाल कविताएँ
1-निंदिया
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नींद से अच्छा नहीं लगे कुछ,
सबसे प्यारी निंदिया रे।
सपने नए अनोखी लाती,
जादू वाली पुड़िया रे।।
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थपकी दे माँ हमें सुलाती,
लोरी गा-गा कर बहलाती।
धीरे से है तब आ जाती,
मीठी-मीठी निंदिया रे।।
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उड़न खटोले पर बैठाती,
दूर देा की सैर कराती।
परियों वाले लाल महल में,
लेकर जाती निंदिया रे।।
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चन्दा मामा से मिलवाती,
तारों से बातें करवाती।
सात समुन्दर पार घुमा कर,
वापस लाती निंदिया रे।।
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चाँद निकलते हल्ला-गुल्ला,
वाह-वाह क्या बात।
लाई फिर से ईद मुबारक,
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पकवानों के थाल सजे हैं,
खोए वाली खीर।
खुशबू से भरपूर सिवंइयाँ,
कैसे रखूँ धीर।।
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कपड़े नए-निराले पहने,
मस्ती में सब चूर।
दौड़-दौड़ कर घर-घर जाएँ,
ईद मिलें भरपूर।।
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अपने संगी-साथी के हम
संग मचाएँ धूम।।
नाचें-गाएँ, खुशी मनाएँ,
तन-मन जाए झूम।।
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चुन्नू-मुन्नू बड़े गुनी।
बातें करते नहीं सुनी।।
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सुनते बागों में हैं भूत,
यमराजों के हैं ये दूत,
जो भी इनके पकड़ में आए,
नहीं कभी फिर पाए छूट,
दादा से ये कथा सुनी।
चुन्नू-मुन्नू बड़े गुनी।।
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पर ये सारी बातें झूठ,
जो भी माने वो है मूर्ख,
चुन्नू बोला सच्ची बात,
कभी नहीं होते हैं भूत,
अफवाहें हैं कही-सुनी।
चुन्नू-मुन्नू बड़े गुनी।।
4-बन्द पढ़ाई
छुट्टी के दिन हैं जोशीले।
लटके देखो आम रसीले।।
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बागों की है छटा निराली।
मस्त पवन से झूमें डाली।।
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जब चलती ठण्डी पुरवाई।
लगती सबको ये सुखदाई।।
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बच्चों के मन ऐसे भाई।
खुशी भरी ज्यों थैली लाई।।
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डाँट-डपट न मार-पिटार्ई।
फुरसत के दिन बन्द पढ़ाई।।
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कुल्फी सबको है बहलाती।
गरमी में राहत पहुँचाती।।
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5-मैंने ढूँढी है भाहजादी
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मम्मी कर दो मेरी शादी,
मैंने ढूँढी है शाहजादी।
काम करेगी घर का सारा,
तुमको देगी वह छुटकारा।।
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प्यार करेगी सबसे बढ़कर,
तुम भी चाहोगी जी भरकर।
रूठोगी जब गाल फुला कर,
खुश कर देगी पाँव दबा कर।।
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पापा से भी बात करो ना,
धीमे से शुरूआत करो ना।
दीदी से तो मैं कह दूँगा,
चुटकी में राजी कर लूँगा।।
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कहो तो सेहरा भी मँगवा लूँ,
लोगों को न्योता बँटवा दूँ।
सजकर आएगी शाहजादी,
हो जाएगी मेरी शादी।।
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बादल आए, बादल आए,
झूम-झूम कर पानी लाए।
मोर मगन हो लगे नाचने,
कोयल कुहू-कुहू कर गाए।।
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आँगन तक पानी भर आया,
मेंढक ने अब शोर मचाया।
सभी जगह चिड़ियों की चैं-चैं,
झींगुर ने संगीत सुनाया।।
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जंगल में फैली हरियाली,
बरखा का है मौसम आया।
सूख रहे थे पेड़ जहाँ के,
पत्ता-पत्ता फिर लहराया।।
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झोकम्-झोंक चले पुरवाई,
खेतों में हो रही जुताई।
निखर गए सब-बगीचे,
हरी-भरी धरती मुस्काई।।
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7-उड़ता गुलाल
होली के रंग।
मित्रों के संग।।
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उड़ता गुलाल।
चेहरा है लाल।।
पकड़ लो इन्हें।
रंग दो उन्हें।।
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पप्पू के गाल।
करो लाल-लाल।।
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दो हों या तीन।
कर दो रंगीन।।
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होली के गीत।
गाएँगें मीत।।
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नाचे मन-मोर।
खूब करे शोर।।
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8-पथ पर बढ़ते जाना
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कभी न रोना, हँसना-गाना।
जीवन का हो नया तराना।।
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बुरा-भला जो बीत गया है,
मत उस पर आँसू बरसाना।
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कटुता मन में कुछ भर जाए,
नेह से उसको सदा मिटाना।
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चलते-चलते यदि थक जाना,
ठहर छाँव में कुछ सुस्ताना।
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गिरना, उठना और सँभलनाा,
लेकिन पथ पर बढ़ते जाना।
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9-बात निराली
कल-कल-कल-कल बहती जाती,
सबको भाती है।
निर्मल-निर्मल धारा का,
संगीत सुनाती है।।
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हरदम ही यह चलती जाती,
आगे बढ़ती है।
कभी न रूकती,कभी न थकती,
बढ़ती जाती है।।
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जीवन भर कुछ करते रहना,
हमें सिखाती है।
अपनी धुन में, अपनी गुन में,
गाती जाती है।।
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गंगा-जमुना के पानी की
बात निराली है।
अपने जल से आस-पास,
करती हरियाली है।।
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10-शायद मैं भी हीरो बनकर
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गोविन्दा का नाच देखकर,
मैंने सोचा नाचूँ।
शायद मैं भी हीरों बनकर,
हीरोइन को फासूँ।।
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यही सोच मैं गया किचन में,
कुण्डी जल्द लगाई।
हाथ-पैर फिर लगा पटकने,
खूब बजी शहनाई।।
शहनाई की आवाजों ने,
मन में उमंग जगाई।
एक पैर पर लगा नाचने,
सूरत गजब बनाई।।
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उसी समय मम्मी ने आकर,
कुण्डी ज्यों खड़काई।
घबरा कर मैं गिरा फर्श पर,
मुँह से निकला आई।।
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11-तोते का बच्चा
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मुझे मिला तोते का बच्चा।
भोला-भाला लगता अच्छा।।
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घायल देख उठा मैं लाया।
मरहम-पट्टी कर सहलाया।।
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घाव कुछ दिन में भर आया।
स्वस्थ हुआ तो मैं मुस्काया।।
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बिल्ली से भी उसे बचाया।
पिंजड़े में भोजन करवाया।।
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अब तक उसके 'पर' जम आए।
मुझे देख कर पंख हिलाए।।
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मैंने सोचा दिल बहलाऊँ।
फुदक-फुदक कर इसे नचाऊँ।।
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लेकिन वह तो गजब कर गया।
पिंजड़ा खुलते फुर्र उड़ गया।।
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12-नए सिरे से जोड़ो कड़ियाँ
खुशी मनाओ, गाओ गीत।।
नए वर्ष का नया विचार।
गलत काम में करो सुधार।।
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भूलो अपनी मुश्किल घड़ियाँ।
नए सिरे से जोड़ो कड़ियाँ।।
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लालच त्यागो बदलो रीत।
सच्चाई की होती जीत।।
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खुद पर रखो दृढ़ विश्वास।
पूरी होगी मन की आशा।।
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13-सबको बाटूँगा मैं पैसा
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पेड़ लगाऊँगा एक ऐसा।
जिसमें खूब लगेगा पैसा।।
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दस्सी-पंजी और अठन्नी,
एक-दूजे पे लदी चवन्नी,
नोटों के पत्ते लहराएँ,
दूर-दूर तक उड़के जाएँ,
सबको बाटूँगा मैं पैसा।
पेड़ लगाऊँगा एक ऐसा।।
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पैसे से अपना घर भर दूँ ,
सारी ख्वाहिश पूरी कर लूँ ,
गरम जलेबी, बर्फी खाऊँ,
सभी जगह मैं धूम मचाऊँ,
ठाट-बाट राजाओं जैसा।
पेड़ लगाऊँगा एक ऐसा।।
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सभी जगह मेला लगवा दूँ ,
सारी दुनिया को चमका दूँ ,
रोज सिनेमा, सरकस जाऊँ,
शीशमहल-सा घर बनवाऊँ,
चम-चम चमके चाँदी जैसा।
पेड़ लगाऊँगा एक ऐसा।।
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14-एक दोस्त
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एक दोस्त है मेरा मोटा,
जिसको कहते बाथम।
उससे जब भी मिलने जाता,
खाता रहता हरदम।।
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गैण्डे जैसी चाल है उसकी ,
झूमें हाथी जैसा।
काम करे तो गिर-गिर जाए,
लुढ़के मटके जैसा।।
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पैर हैं उसके भारी-भरकम,
धरती भी घबराए।
रिक्शे वाला देख के भागे,
दूर खड़ा हो जाए।।
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इतना मोटा होने पर भी,
कहता-'मै हूँ दुबला।
काँटे जैसा सूख गया हूँ ,
टहनी जैसा पतला।।'
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15-नन्हें-नन्हें तारे
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नन्हें-नन्हें तारे।
लगते सबसे प्यारे।।
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नील-गगन में चमकें,
भोले-भाले सारे।
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अपने पास बुलाएँ,
लुक-छिप करें इशारे।
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मोती-माला जैसे,
लटके हुए सितारे।
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लगें सभी को प्यारे,
नन्हें-नन्हें तारे।
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जीवन-वृत्त
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नाम : राम नरेश 'उज्ज्वल'
पिता का नाम : श्री राम नरायन
विधा : कहानी, कविता, व्यंग्य, लेख, समीक्षा आदि
अनुभव : विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लगभग पाँच सौ
रचनाओं का प्रकाशन
प्रकाशित पुस्तकें : 1-'चोट्टा'(राज्य संसाधन केन्द्र,उ0प्र0
द्वारा पुरस्कृत)
2-'अपाहिज़'(भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से पुरस्कृत)
3-'घुँघरू बोला'(राज्य संसाधन केन्द्र,उ0प्र0 द्वारा पुरस्कृत)
4-'लम्बरदार'
5-'ठिगनू की मूँछ'
6- 'बिरजू की मुस्कान'
7-'बिश्वास के बंधन'
8- 'जनसंख्या एवं पर्यावरण'
सम्प्रति : 'पैदावार' मासिक में उप सम्पादक के पद पर कार्यरत
सम्पर्क : उज्ज्वल सदन, मुंशी खेड़ा, पो0- अमौसी हवाई अड्डा, लखनऊ-226009
मोबाइल : 09616586495
ई-मेल : ujjwal226009@gmail.com
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Beutiful
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