डॉ. नन्द लाल भारती MA(Socialogy)LLB(Hons) PGD in Human Resource Development विद्यावाचस्पति एंव विद्यासागर सम्मानोपाधि ।। कौशल विकास आत्मनि...
डॉ. नन्द लाल भारती
MA(Socialogy)LLB(Hons)
PGD in Human Resource Development
विद्यावाचस्पति एंव विद्यासागर सम्मानोपाधि
।। कौशल विकास आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम।।
शिक्षा एंव उचित प्रशिक्षण से कौशल विकास संभव है। कौशल विकास से ही आत्मनिर्भरता संभव है। वर्तमान युग की जरूरतों को देखते हुये शिक्षा पध्दति मे रोजगारोंमुखी बदलाव की जरूरत है, जिससे पढ़ाई के दौरान ही विद्यार्थी इतना कुशल एंव कौशल प्राप्त कर ले कि वह आत्मनिर्भर बन सके। उसे रोजगार की तलाश मे दर-दर भटकना ना पड़े। देखा जाए तो कौशल विकास हमारे देश के लिए नया नहीं है परंतु हमारे देश के कौशल पर ग्रहण लग चुका है। देश में कौशल पूर्णतः विकसित था उदाहरण के लिए मिट्टी के बर्तन,काष्ठ कारीगरी, हथकरघा, चर्मकला,दोने पत्तलों क निर्माण,ग्रामीण स्तर पर खेल खिलौनो का निर्माण,कृषि एंव कृषि उपज,पशु पालन आधारित ग्रामीण रोजगार आदि ये कौशल वंशागत हुआ करते थे,समाय के बदलाव के साथ इन्हे हेय दृष्टि से देखा जाने लगा, जो धीरे-धीरे खत्म हो गए या खत्म होने की कगार पर है। अब इन कुटीर उद्योगो से युवा जुड़ना नहीं चाहते यदि चाहे भी तो उन्हें उचित प्रशिक्षण देने वाले नहीं मिलेंगे क्योंकि ग्रामीण कला/तकनीकी ज्ञान तो किताबों में मिलने से रहा। ग्रामीण स्तर गेहूं के डंठल एवं धन के पुआल से ऐसे उपयोगी सामान बनाए जाते थे जो काला के उत्कृष्ट नमूने तो थे ही जीवन मे उपयोगी भी थे परंतु आज खोजने पर नहीं मिलेंगे, उनकी बाजारी कीमत तब से अब बहुत अधिक होगी पर कला निपुण लोग नहीं मिल सकते। इन हुनरों के संरक्षण की जरूरत थी पर नहीं हुआ,जो बहुत बड़ी क्षति है।
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वर्तमान तो विज्ञान का युग है,दूरसंचार क्रांति का युग है। वर्तमान युग और जरूरतों को देखते हुए कौशल विकसित करने की जरुरत है। इस कौशल विकास के लिए उचित प्रशिक्षण कि जरूरत है। प्रशिक्षण देने के लिए प्रशिक्षित प्रशिक्षको कि जरूरत है,साथ ही मानव संसाधन विकास केन्द्रो कि जरूरत होगी,जहां युवाओ को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रशिक्षित किया जा सके। वर्तमान तकनीकी युग मे युवाओं को तकनीकी ज्ञान प्रदान कर कौशल विकसित कर आत्मनिर्भरता बनाया जा है। पढ़ाई का अर्थ सिर्फ शिक्षित भर होना नहीं है,शिक्षित होने का सीधा सा अर्थ है आत्म निर्भरता परंतु दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं है। बेरोजगारी कि पड़ताल कि जाए तो सर्वाधिक शिक्षित एंव उच्च शिक्षित बेरोजगार मिलेंगे ये कैसी शिक्षा है जो बेरोजगारो कि संख्या बढ़ा रही है,शिक्षा का अर्थ तो आत्म निर्भरता से होता है। आज कि शिक्षा से आत्म निर्भरता नहीं आ रही है,शिक्षा तो ऐसी होनी चाहिए कि वह शिक्षार्थी को खुद के पाँव पर खड़ा होने लायक बना सके। शिक्षा का लक्ष्य कौशल विकास नहीं रह गया है बस प्रमाणपत्र जारी कर कर्तव्य कि इतिश्री भर कर लेना रह गया है।
भारत देश बड़ा है, चुनौतिया बड़ी है,जनसंख्या अत्यधिक है ,इस विशाल जनसंख्या का उपयोग कौशल विकास के माध्यम से राष्ट्रनिर्माण एंव राष्ट्र विकास मे किया जा सकता है। इसके लिए जरूरी होगा कि समान शिक्षा पध्दति हो और युवाओं को कौशल विकास आधारित रोजगारोन्मुखी शिक्षा दी जाए। इस कौशल आधारित शिक्षा से बेरोजगारो की संख्या पर काफी हद तक विराम लग सकता है। दुर्भाग्य की बात है कि देश मे साल डर साल असमान शिक्षा महंगी होती जा रही है इसके बाद भी कौशल विकास की दृष्टि से अनुपयोगी साबित हो रही है,बेरोजगारो की संख्या बढ़ रही है। जरूरत है ऐसी कौशल आधारित शिक्षा की जिससे युवा रोजगार की लाईन से हटकर रोजगार देने के लाईन बनाए।
कौशल विकास से यह तात्पर्य नहीं होना चाहिए कि कौशल विकास के नाम पर प्रमाण पत्र थमा दिया जाए, यह काफी नहीं है कौशल विकास का अर्थ बेरोजगारी उन्मूलन होना चाहिए। सरकारी नीति एवं शिक्षा नीति में भी उपयुक्त प्रावधान किए जाने चाहिए, जिससे युवा सहजता से कौशल विकास संबन्धित शिक्षा प्राप्त कर पाँव जमा सके, इतना ही नहीं औरों को भी रोजगार प्रदान करने मे सक्षम हो सके, सही मायने मे कौशल विकास आधारित शिक्षा का यही अर्थ है। ऐसा नहीं होना चाहिए कि कौशल विकास के नाम पर प्रमाण पत्र बाँट दिये जाए,इससे तो नई समस्या खड़ी हो जाएगी।
भूत की बात हो या वर्तमान की देश में रोजगार की समस्या रही है। रोजगार की समस्या को देखते हुये कौशल विकास कार्यक्रमों को रोजगारोंमुखी बनाने की जरूरत है। ग्रामीण स्तर पर भी इन कार्यक्रमों का प्रचार-प्रसार होना चाहिए,जिससे ग्रामीण युवा भी जुड़े और कौशल विकास के माध्यम से ग्रामीण स्तर पर ही उन्हे विकास के कार्यक्रमों से जोड़कर स्व-रोजगार हेतु प्रोत्साहित किया जा सके। ग्रामीण युवाओं का कौशल विकास एंव रोजगार से जुड़ जाने की वजह से गाँव से शहर की हो रहे पलायन पर अंकुश लगेगा। ग्रामीण युवाओं की बेरोजगारी के मुद्दे नजर कौशल विकास संबन्धित कार्यक्रम ग्रामीण स्तर पर भी नीतिगत फैसले लेकर ग्रामीण युवाओं को पैर पर खड़ा करने का बीड़ा सरकार और सामाजिक उत्थान मे संलग्न संस्थाओ को उठाना होगा,तभी सम्पन्न राष्ट्र के सपने पूरे हो सकते है ,जब तक ग्रामीण भारत सम्पन्न नही होगा देश कैसे सम्पन्न हो सकता है ,इसलिए ग्रामीण युवाओ का कौशल विकास युद्धस्तर पर किया जाना चाहिए।
कौशल विकास के लिए उपयुक्त प्रशिक्षण आवश्यक है परंतु इतना ही काफी नहीं है,प्रशिक्षण प्राप्त युवाओ के रोजगरा स्थापित करने के लिए आर्थिक मदद भी जरूरी है ,उत्पादन इकाई के प्रारम्भ करने के बाद, विपणन व्यवस्था को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए सरकारी सहयोग जरूरी होगा,जिससे ग्रामीण स्तर पर शुरू हुआ उत्पादन देश के अन्य भागों सहित विदेशो तक पहुँच सके ,ऐसी सुदृढ़ नीति भी जरूरी होगी।
कौशल विकास के नाम पर शिक्षित युवाओ को आधा अधूरा ज्ञान देकर ज़िम्मेदारी मुक्त होंना,युवाओ के भविष्य से खिलवाड़ के साथ ही नए तरह के बेरोजगारों की संख्या में वृद्धि होने लगेगी। ऐसा नहीं कि उच्च शिक्षा कि जरूरत नहीं है ,उच्च शिक्षा भी बहुत जरूरी है परंतु रोजगार की दृष्टि से कौशल विकास अधिक जरूरी है। कौशल विकास से रोजगार की समस्या पर काबू पाया जा सकता है परंतु युवाओ को इतना निपुण होना होगा कि मशीन के काम की तुलना मे हाथ का काम और अधिक साफ और सुंदर दिखे, तभी कौशल विकास के अंतर्गत प्रशिक्षित युवा मशीनीकरण के युग में टिक पाएंगे। कौशल विकास के महत्व को देखते हुये कार्य योजनाओ का निर्माण और कार्यान्वयन ईमानदारी से राष्ट्रहित में हो। कौशल विकास में गाँव के प्रधान से लेकर दिल्ली तक की सरकार के नुमाइन्दो को वफादारी के साथ भूमिका निभानी होगी तभी कौशल विकास क सपना पूरा हो सकता है।
कौशल विकास के क्षेत्र मे सरकार को सामाजिक संस्थाओ को खासतौर पर जो शिक्षा से जुड़ी हुई है उन्हे भी जोड़कर कौशल विकास को सुदृढ़ बनाया जा सकता है। कौशल विकास के प्रति विश्वास और प्रतिबध्द्ता भी जरूरी है , जिससे कौशल विकास की नींव मजबूती से खड़ी हो सके। कौशल ज्ञान प्राप्त युवा स्व- रोजगार मे सफल होकर राष्ट्र के विकास मे सहभागी बन सके तभी कौशल विकास का महत्व है। कौशल विकास के अनुकूल वातावरण की जरूरत है ,दूरदृष्टि,पक्के इरादे ,कड़ी मेहनत और अनुशासन की जरूरत होगी ताकि योग्यतानुसार कौशल विकास के अंतर्गत दक्ष युवा स्व- रोजगार स्थापित कर तरक्की और राष्ट्र के विकास में सहयोगी बन सके। कौशल विकास की देश के युवाओ को अत्यंत आवश्यकता है,इससे बेरोजगारी की समस्या से निपटा तो जा ही सकता है और हर पढ़ा लिखा युवा स्वयं का विकास कर राष्ट्र के विकास को गति प्रदान कर सकता है। कौशल विकास से देश की अनेक समस्याओं क समाधान संभव है परंतु इस कौशल विकास को सही मायने मे विकास से जोड़ना होगा, खानापूर्ति से समस्या घटाने की बजाय बढ़ सकती है, इस बात का ध्यान नीति निर्धारकों को रखना होगा।
कौशल विकास को पूरी ईमानदारी, सत्यनिष्ठा, कर्तव्यनिष्ठा और वचनबद्धता के साथ युवाओ के विकास के साथ राष्ट्र के विकास से जोड़कर कार्यान्वित किया गया तो यकीनन कौशल विकास वरदान साबित सकता है । इससे युवा शक्ति का सही दिशा मे उपयोग भी होगा और युवा आत्मनिर्भर भी होगा। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का सपना भी कौशल विकास के माध्यम से युवाओं का विकास राष्ट्र का विकास भी है, तो विश्वास किया जाना चाहिए कि यदि देश की युवा शक्ति कौशल विकास मे निपुणता प्राप्त कर आत्म-निर्भर हो गयी तो सचमुच सपना साकार हो जाएगा। देश सर्वसंपन्न होगा और से सोने की चिड़िया कहलाने का हकदार भी, इस कौशल विकास से दुनिया मे देश के युवाओ की साख मे अभिवृद्धि होगी और राष्ट्र का गौरव भी बढ़ेगा। देश का कौशल विकास के माध्यम से आत्म निर्भरता की ओर बढ़ता यह कदम दुनिया के लिए अनुकरणीय होगा।
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डॉ नन्द लाल भारती
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