योजनाबद्ध तैयारी से दूर होगा परीक्षा का भय ० नकारात्मक विचार रखने वाले मित्रों से दूर रहें सर्दियों की शुरूआत और परीक्षा का भय दोनों का चो...
योजनाबद्ध तैयारी से दूर होगा परीक्षा का भय
० नकारात्मक विचार रखने वाले मित्रों से दूर रहें
सर्दियों की शुरूआत और परीक्षा का भय दोनों का चोली दामन का साथ रहा है। दीपावली पर्व की बिदाई के साथ जहां ठंड अपना असर दिखाने लगती है, वहीं इस पर्व के बाद बच्चों की छमाही परीक्षा का दौर और कहीं-कहीं प्री-बोर्ड परीक्षा का भूत बच्चों को सताने लगता है। यही वह समय है जब नींद का अपना मजा भी अलग ही होता है। कड़कड़ाती ठंड में न तो रात में किताबें थामने मन करता है और न ही सुबह गर्म रजाई से बाहर आने का मन करता है। ऐसी स्थिति में विद्यार्थी वर्ग को पढ़ाई कैसे करें? इस बात की चिंता होना स्वाभाविक है, जिस तरह बंदर का मन चंचल होता है, और वह पेड़ों की डालों पर यहां-वहां उछले बिना नहीं रह सकता, ठीक उसी तरह बच्चों की हरकतें भी उन्हें चैन नहीं लेने देती है। किताबें हाथ में आते ही लंबी-लंबी जम्हाई उन्हें सर्द रातों में गर्म रजाई की ओर बढ़ने विवश करने लगती है। विद्यार्थी जीवन एक ही पल में दुनिया के किसी भी कोने में चला जाता है। किसी व्यक्ति के विषय में सोचने लगता है। सपने और कल्पनाओं में खो जाता है। ये सारी चीजें पढ़ाई के वक्त कुछ ज्यादा ही परेशान करती है। हाथ में किताबें तो होती है किंतु बाहर की दुनिया के विचार किताबों से जुड़ने नहीं देते।
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रूचि के अनुसार हो समय का चुनाव
विद्यार्थियों को अच्छी परीक्षा तैयारी के लिए मैं जो पहला सुझाव देना चाहता हूं, वह है अपनी रूचि के अनुसार अध्ययन के समय का चुनाव। प्रायः प्रत्येक माता-पिता बच्चों को सुबह जल्दी उठकर पढ़ने की सलाह देते है। कुछ का यह तर्क भी होता है, कि शाम के वक्त अच्छी पढ़ाई होती है। रात में अधिक देर तक पढ़ना भी किसी-किसी को बड़ा अच्छा लगता है। मैं तो यही कहना चाहता हूं कि जिस वक्त भी आप अपने मन पर नियंत्रण रख सके अर्थात वह पढ़ाई के अलावा यहां वहां न भटके उसे ही अपने अध्ययन कर समय बना लेना चाहिए। यदि आप यह समझते है कि सुबह का 5 या 4 बजे का समय आपकी नींद का समय हो तो, इसे दबाव में अपने पढ़ने का समय कतई न बनाये। सुबह 6 बजे उठने के साथ चाय और नाश्ते के बाद यदि आप अच्छे ढंग से पढ़ सकते है, तो इसे भी गलत नहीं कहा जा सकता है। कुछ ऐसा ही शाम के वक्त का समय भी निर्धारित किया जा सकता है। दोपहर में हल्की नींद के बाद शाम 5 बजे से 7 बजे तक का समय पढ़ाई के लिए उचित हो सकता है। एक बात विद्यार्थियों को अवश्य ध्यान में रखना चाहिए कि पढ़ाई के बीच बीच में विश्राम जरूर लें। लगातार पढ़ने से मन बोझिल हो जाता है और उचित रूप में पढ़ी गई सामग्री स्थायी नहीं हो पाती है। अधिक से अधिक 50 मिनट के समय के बाद 10 से 15 मिनट का विश्राम लेना बेहतर माना जा सकता है।
पूरी नींद के साथ उत्तम भोजन भी जरूरी
प्रायः यह देखने में आ रहा है कि परीक्षा के समय देर रात तक या फिर पूरी-पूरी रात जागकर बच्चे पढ़ाई करते है, जो शरीर के अन्य अंगों की मांग के विपरीत है। एक समय ऐसा भी आता है जब हमारा दिमाग थक जाता है और फिर वह आराम चाहता है। दिनभर स्कूल और ट्यूशन की भाग दौड़ में हमारी आंखें भी थकान महसूस करती है। लगातार पुस्तकों में उलझे रहना और अन्य गतिविधियों की ओर ध्यान न देने से भी हमारा शरीर शिथिल होने लगता है। शिक्षाविदों और वैज्ञानिकों के साथ ही मनोवैज्ञानिकों की माने तो हमें पर्याप्त नींद हर स्थिति में लेना ही चाहिए। नींद पूरी न होने से विद्यार्थी तो क्या किसी भी कर्मचारी या अधिकारी का मन काम में नहीं लग पाता है। कम से कम परीक्षा के दिनों में 7 से 8 घंटे की नींद जरूरी मानी गयी है। पर्याप्त नींद के बाद आप एक नई स्फूर्ति से अपनी अध्ययन सामग्री पर एकाग्रचित्त हो सकते है। केवल नींद ही नहीं वरन परीक्षा के दिनों में पढ़ाई के भय को मन से निकालकर उत्तम और पर्याप्त भोजन लेना भी जरूर समझा जाना चाहिए। भोजन की पौष्टिकता हमारे दिमाग के तंतुओं को जागृत रखने का काम बेहतर ढंग से कर दिखाता है।
सकारात्मक सोच रखें, धैर्य न खोयें
सकारात्मक सोच ही किसी भी व्यक्ति की सफलता का राज होती है, धैर्य कभी न खोये। आपके विचारों की सकारात्मकता ही आपको तनाव और घबराहट से बचा सकती है। पढ़ाई का तनाव आपके मन पर कभी न बैठने दें। पढ़ते समय यह सोचे की आप जो भी पढ़ रहे है कि वह आसान है और यदि वह आसान की श्रेणी में न होकर कुछ जटिल है, तो भी मन में प्रतिज्ञा लें कि उसे बार-बार दोहरा कर आप सरलता की श्रेणी में ला ही लेंगे। यदि पाठ्य सामग्री बहुत बड़ी और मन को बोझिल करने वाली हो, तो उसे छोटे-छोटे पैराग्राफ और बिंदुओं में बांटकर पढ़ने का प्रयास करें। पढ़ाई करते समय इस प्रकार की नकारात्मक सोच को न पनपने दे कि यह अंश मुझे याद नहीं रह पायेगा? बल्कि यह सोचे कि इसे मैं आसानी से अपने शब्दों में लिख सकता हूं। हमेशा पढ़ाई करते समय सकारात्मक सोच और स्वच्छ मन की कल्पना करना चाहिए, जो भी विषय तथा उसका अंश पढ़ा जा रहा हो, उसे परीक्षा में पूछे जाने पर पूरे विश्वास के साथ लिखे जाने की संकल्प शक्ति भी अपने दिल और दिमाग में संजो कर रखनी चाहिए।
कक्षाएं शुरू होते ही थोड़ा-थोड़ा पढ़ने की आदत डाले
पढ़ाई का सत्र शुरू होते ही जिन विषयों की पढ़ाई कक्षाओं में कराई जा चुकी है, उन्हें थोड़ा-थोड़ा पढ़ना जारी रखे। अगले अध्याय को भी एक बार घर से पढ़कर ही कक्षाओं में पहुंचे, ऐसा करने से विषय सरलता की मापदंडों से गुजरता हुआ बड़ी आसानी से चेतन मन में स्थायी रूप ले सकेगा। यह सोचकर पढ़ाई से कभी न भागे कि अभी तो सत्र शुरू हुआ, बाद में पढ़ लेंगे। परीक्षा के समय अचानक सारे विषयों का बोझ एक साथ पढ़ने और याद करने की भूल ही परीक्षा का भय जैसे विषयों का परिणाम होती है। कभी भी अपने पाठ्यक्रम में आये प्रश्नों के उत्तरों को रटने का प्रयास न करें, बल्कि उन्हें बार-बार कई बार पढ़ें और फिर अपने शब्दों में लिख-लिखकर अभ्यास करें। ऐसा करने से उत्तरों का लिखने का आत्मविश्वास पैदा होगा और किसी प्रकार का भय भी नहीं रहेगा। इस बात का भी ध्यान रखा जाना जरूरी है कि जहां आप पढ़ाई कर रहे हो वहां का वातावरण ऐसा हो, जो ताजी हवा से शुद्धता प्रदान कर रहा हो। साथ ही पढ़ाई की सारी आवश्यक सामग्री अपने पास लेकर बैठे, ताकि बार-बार उठने से एकाग्रता न टूटे।
विषय पर पकड़ बनाने सिलसिलेवार पढ़ाई जरूरी
प्रायः देखा गया है कि विद्यार्थी गणित विषय को बहुत कठिन मानते है। एक प्रकार से किसी भी विषय को कठिन मान लेना मनोवैज्ञानिक दबाव से कम नहीं कहा जा सकता है। इसी तरह भौतिक शास्त्र, रसायन और एकाऊंटेंसी जैसे विषय भी आसान नहीं माने जाते है। देखा जाये तो किसी भी विषय से भागना ही उसकी कठिनाई का कारण होता है। किसी भी विषय को रोचक बनाते हुए पढ़ना अच्छी पहले हो सकती है। जैसे गणित को हल करते समय यह सवाल खुद से करना कि ऐसा क्यों? कैसे और कब-कब यह होता है? जब हम ऐसा करने लगेंगे, तब एक-एक सवाल का जवाब बिंदूवार नोट करना भी सीख लेंगे और यहीं से हमारा विषयों के प्रति भय खाना खत्म हो जाएगा। किसी भी ऐसे विषय की पढ़ाई जो कठिन लगती हो, उसके सामान्य से लेकर मुख्य अध्याय को एक बार सरसरी निगाह से अवश्य पढ़ लें। पहले की पढ़ाई और अब की पढ़ाई में बड़ा अंतर हो चुका है। पहले विज्ञान जैसे विषयों को टेक्निकल माना जाता था। इतिहास, भूगोल और हिंदी जैसे विषयों को बड़े आसानी में लिया जाता था किंतु अब ऐसा नहीं है। पढ़ने के तौर तरीके बदले है और अब इतिहास और भूगोल के विद्यार्थी भी अपने विषयों को विज्ञान या गणित की तरह मनाने लगे है।
इन बिंदुओं पर रखे विशेष ध्यान
परीक्षा के समय अधिक सामग्री को याद रखने और सरलता से तैयारी करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान रखा जाना चाहिएः-
1. अपनी सुविधानुसार सुबह या शाम का वक्त पढ़ाई के लिए तय कर ले।
2. टेक्निकल एप्रोच के साथ पढ़ने के लिए जरूरी है कि विषय से संबंधित चार्ट और सारणी का सहारा लिया जाए।
3. विषयों के नोट अपने किताबों से पढ़े अंश के आधार पर तैयार करें, इसके लिए याद रखने के संक्षिप्त रूपों का प्रयोग भी किया जा सकता है।
4. अपनी क्षमताओं का उचित मूल्यांकन करते हुए आप जहां है, वहां से आगे बढ़ने की योजना तैयार करें।
5. कुल पाठ्यक्रम और कुल परीक्षा के बचे दिनों के बीच उचित ताल-मेल बैठाते हुए समय-सारणी तैयार करें।
6. पढ़ाई के बीच में ब्रेक ले और अपनी आंखों को आराम देने के लिए कुछ देर आंखें बंद करें।
7. सर्वश्रेष्ठ करने का प्रयास करें, बाकी सब भूल जाये।
8. ऐसे मित्रों से मेल मुलाकात बंद कर दें जो हतोत्साहित करने का ही काम करते हो।
9. अपनी कठिनाई को घर पर माता-पिता या फिर सीधे शिक्षक से मिलकर दूर करें।
10. प्रतियोगी विचार रखें, अन्य मित्रों से आगे निकलने के उद्देश्य से तैयारी को अंजाम दें।
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(डॉ. सूर्यकांत मिश्रा)
जूनी हटरी, राजनांदगांव (छत्तीसगढ़)
मो. नंबर 94255-59291
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