कॉमिक्स यानी चित्रकथा की कहानी / सपना महेश

SHARE:

लकीरें जो कहानी कहती हैं बोलकर कॉमिक्स या चित्रकथा का इतिहास जानने बैठें, तो कई-कई सूरज उगेंगे और चांद ढल जाएंगे। और आज तो इस विधा का संसा...

image

लकीरें जो कहानी कहती हैं बोलकर

कॉमिक्स या चित्रकथा का इतिहास जानने बैठें, तो कई-कई सूरज उगेंगे और चांद ढल जाएंगे। और आज तो इस विधा का संसार इतना बढ गया है कि एक आर्मी चाहिए - बांचने और समझने के लिए।

अमेरिकी कार्टूनिस्ट 'स्कॉट मेकलाउड' ने कॉमिक्स के इतिहास की रोचक ग्राफिक बुक 'अंडरस्टैंडिंग

कॉमिक्स' लिखी। सारा कंटेंट चित्रकथा के रूप में लिखा गया है। यह एक अद्भुत प्रयोग है। उनके अनुसार 'बहुत सारी परिभाषाओं का एक सार है कि क्रमबद्ध चित्रों की सारणी ही कॉमिक्स है।' मजाक ही सही, मगर ज्यादातर प्रचलित परिभाषा है जो स्कॉट ने अपनी पुस्तक में भी लिखा है, 'कॉमिक्स वे रंग-बिरंगी पत्रिकाएं हैं, जिनमें कामचलाऊ चित्र, फ्रालतू कहानियां और चुस्त पतलूनों वाले लड्के हों।'

ऐसा क्यों हुआ... कहां हुआ और कब हुआ

अगर संदर्भ उठाकर देखें, तो रोम में 113 ई.पू. में पहली _ बार ट्रोजन के स्तंभ पर चित्रों के माध्यम से किसी बात या घटना को कहा गया। जहां ट्राजन की गौरवगाथा को पत्थर के एक खंभे पर ऊपर से लेकर नीचे तक उकेरा गया। 98 फ्रीट लंबे खंभे पर बहुत बारीकी से बनीं मूर्तियां। ऐसा लगता है जैसे किसी घटना को फ्रीज कर दिया हो और उसके जडवत मिनिएचर को खंभे पर चिपका दिया। वीरता के किस्से खंभे के चारों तरफ बनाए गए और खंडों में बंटा पिलर नीचे से ऊपर गाथा को सिलसिलेवार बढाते हुए प्रस्तुत हुआ। यह बात प्रिंटिंग के दौर से पहले की है, बल्कि बहुत पहले की है। भारत मैं चित्रकथाएं देवी-देवताओं के आख्यानों से सामने आईं। भगवान को सजाकर, वर्क लगाकर उससे सुंदर चित्र बनता, कमोबेश पृथ्वी की सारी सभ्यताएं ऐसा ही करती रही हैं और लोककलाओं में अपनी अंत:प्रेरणा से लोककथाएं रचते, गढते, जीते, और चित्रकथाएं सुनाते, संवारते और सजाते थे।

[ads-post]

जाना होगा बहुत पहले...

image

स्कॉट और अन्य संदर्भों के अनुसार 1519 में कोरटेस का 'डिसकवर्ड', उसके सौ साल पहले फ्रांस में 'बॉयक्स टेपस्टरी', यह कहीं इंग्लैंड में दो सौ फीट लंबी पट्टी पर बनी। फिर कॉमिक्स तो नहीं कहेंगे, मगर मिस्र के चित्रलिपि दृश्य। कहने को तो शब्द थे, मगर थे चित्रों में... एक नजर में तो मिस्र की चित्रलिपि दिखने में कॉमिक की परिभाषा पर खरी उतर रही है, सिलसिलेवार चित्रों से, जो कुछ कह सके, मगर यह चित्र भाषा है। सुना तो यह है कि जब लिखित भाषा नहीं थी, तब बस भाव थे और यही 'चित्र संवाद' इस आर्ट की भूमिका बनी। गुफाओं की दीवारों पर कहने और सुनने की आडी-तिरछी लकीरें... कभी प्रेम प्रदर्शन करतीं, तो कभी विरह के चित्र बनातीं, तो कभी दंड के दृश्य दिखातीं... कोई संवाद नहीं, बस चित्र।

नाट्यशास्त्र में कहा गया कि भाषा के अभाव में लोग अपनी बात इशारों में करते थे और वहीं से अभिनय की नींव पडी। अगर ऐसा था, तो अपने विचार तो वह लोग इशारों में प्रकट कर ही सकते थे, फिर यह चित्रों का क्या माजरा है?

अगर संदर्भों को टटोलें तो सारा डेटा यही कहता है कि, 'भाई, लिखित भाषा नहीं थी, इसीलिए चित्र थे', मगर मुझे लगता है संवाद के रूप में इशारे थे और गहरे विचारों व भावुक घटनाओं के लिए चित्र। अपने बहुत गंभीर भावों को बताने के लिए वे चित्र बनाते होंगे। :

स्कॉट अपनी किताब में लिखते हैं, 'मुझे कोई आइडिया नहीं है कि कॉमिक का जन्म कब, कहां और कैसे हुआ? लोगों को इसकी कसरत करने दो' और आधुनिक कॉमिक के पितामह स्विस कार्टूनिस्ट रुडोल्फ टफर कहते हैं, 'चित्रकथा जिसकी आलोचक उपेक्षा करते हैं और विद्वान शायद ही नोटिस करते हैं, जिसका सदैव प्रभाव रहे मुमकिन है, लिखे हुए साहित्य से भी अधिक।' वह फिर कहते हैं, 'और आगे कहूं तो चित्रकथाएं बच्चों और निम्न वर्ग को अधिक अपील करते हैं।'

कब हुआ? यह तो यक्ष प्रश्न है... शायद पहली बार प्रेम का इजहार किया होगा तब, और उस आनंद को चित्रों में उकेर दिया होगा। या पहली बार दिल टूटा होगा, तब बना होगा चित्र...

या किसी के भय की प्रस्तुति रहा होगा कोई चित्र। मिस्र के पिरामिडों में जब शासक के साथ उसके आराम की चीजें और सेवक भी दफन किए जाते रहे, तब वहां चित्रों से उस शाही परंपरा को दीवारों पर उकेरा जाता रहा। हम तक फेरोओं के भित्ति-चित्रों और बुतों से यह बातें पहुंचीं।

मिस्र की चित्रात्मक लिपि और चीन की चित्रलिपि उनकी भाषा का उद्गम है।

पत्थर को जब खुदा बनाया होगा और एक छोटी-सी बिंदी लगाकर आदिमानव ने सबसे पहला चित्र बनाया होगा।

चित्र परमानेंट हो गए

यह तब हुआ, जब प्रिंटिंग का आविष्कार हुआ। दीवारों और गुफाओं से चित्र कागजों पर आए और विशेष वर्ग से आम लोगों तक पहुंच गए। विषय नहीं बदले थे। अब भी प्रभु और नायकों से जुडे विषयों पर चित्र बनते थे।

भारत और विकासशील देशों में अभी तक यह आविष्कार नहीं पहुंचा था। हां, उससे बहुत पहले भारत में भोजपत्रों पर रंगों से लिखा जाने लगा था, जो ईश्वरीय दर्शन और भाव से जुडा था। चित्रकथाएं थीं, जो फडों यानी कपडों पर बनती विशेषकर राजस्थान के मेवाड अंचल में। कई मीटर लंबे कपडे को पाबू जी लोकनायक की विजयगाथा को प्राकृतिक रंगों से बनाया जाता और भोपा-भोपी उसे पढते, अर्थात यह लोक-परंपरा थी। कथा, पर कोई डायलॉग नहीं लिखे थे, बस चित्र थे और वाचक थे या फिर महाराष्ट्र के वरली अंचल के वरली 'चित्र' और इसी तरह अन्य हिस्सों में भी।

यह बहुत लंबी और बडी चर्चा है कि चित्रकथाएं या कॉमिक्स और कार्टून अलग-अलग हैं क्या?

फिर चित्रों में व्यंग्य आ गया, कहलाने लगा 'कॉमिक

'स्पीच बलून' ...एक छोटा-सा गुब्बारा, चित्रकथाओं में पात्रों के संवाद का टूल। संवादों से पता चलता है कि जैसे ही विचारों का रचनात्मक होना शुरू किया, बस यह विधा सुंदर, रंगों भरी और बहुत क्रिएटिव होने लगी। राजनीतिक और सामाजिक स्थितियों पर व्यंग्य, चूंकि व्यंग्य था, इसीलिए कॉमिक और अचानक सभी चित्रकथाएं कॉमिक कहलाने लगीं।

18वीं सदी में सबसे पहले अमेरिका की कॉमिक पट्टी, जो अखबारों में छपती थी, खूब पढी और पसंद की जाने लगी बड फिशर की 'मट एंड जेफ' रोज अखबार में छपती थी और उसी क्रम में आई रिचर्ड एफ. ऑटकॉल्ट की 'द येलो किड:' दोनों कथाएं व्यंग्य थीं और सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक कठिनाइयों का समाधान हंसी-मजाक से देते थे। अठारहवीं सदी के आरंभ में, हॉ कुसाई का 'मंगा' छोटी स्टिप के रूप में 'कार्टून' या चित्रकथा कहीं जापान में छपी।

दुनिया में कहा जाने लगा कॉमिक, जो आपको आनंद दे। जैसे जापानी दूसरे विश्वयुद्ध तक व्यंग्य के चित्रपट पेश करते थे। लगा 'कॉमिक' उपयुक्त शब्द है चित्रों से कही जाने वाली एक कथा, एक कथाकार, एक चित्रकार। सहज चित्र जिनके भाव बहुत अतिरंजित हैं कार्टून कहलाए।

भारतीय कॉमिक्स की दुनिया

भारत में कॉमिक्स की एक समृद्ध दुनिया 1970 और 1980 के दशक के बीच रही। राज कॉमिक्स के किरदार नागराज, सुपर कमांडो ध्रुव, डोगा, परमाणु, भेडिया और तिरंगा बच्चों के सपने में आकर जीवंत हो जाया करते थे। डायमंड कॉमिक्स के जरिए बचपन चाचा चौधरी, साबू और मोटू-पतलू जैसे किरदारों के बीच मनोरंजन और सीख की बातें बडी सहजता के साथ अपनाता था। बाद के दिनों में कॉमिक्स को टेलीविजन ने कॉर्टून की दुनिया में रिप्लेस कर दिया।

चित्र जो बात को जेहन में बसा दें

यह तो सनातन सत्य है कि विजुअल कम्युनिकेशन सबसे प्रभावशाली और स्थाई याद है। प्रिंटिंग और ढेर सारे कॉमिक पात्रों, कथाओं के आने के बाद भी भारत में भी मध्य उन्नीसवीं सदी में एक उच्च तबके तक जिनके पास विदेशी पत्र-पत्रिकाएं आती थीं। फिर अखबारों में अंग्रेजी कॉमिक कथाएं आने लगीं। उसके बाद इंद्रजाल कॉमिक्स ले आया फेंटम और मेंड्रेक...

और यह कथाएं हिंदी में आने लगीं ...जैसे कथा कहने की दुनिया ही बदल गई। बेताल उनकी प्रेमिका डायना और गुर्रन हमारे खेलों का हिस्सा बन गए। हम मेंड्रक की जादुई दुनिया के दीवाने हो गए। और फिर भारतीय कार्टूनिस्ट की पत्रिकाओं में कॉमिक पट्टियां, जिनमें विशेषकर आबिद सुरती जो लंबे समय तक अंतिम पृष्ठ पर छपते रहे, कार्टून कोना 'ढब्बू जी' में। आर.के. लक्ष्मण का कॉमन मैन और अमर चित्रकथा ने भारतीय कथाओं को चित्रों में जीवित कर देश को भारतीयता का उपहार दिया। कॉमिक्स का रचना संसार आज भी जारी है।

हमारे साथ जीने लगे

अचानक जैसे एक प्यारा-सा विस्फोट हुआ। वॉल्ट डिज्नी ने उन चित्र पात्रों की दुनिया ही बसा दी। सभी जानते हैं, एक नई विधा का आविष्कार कर दिया। वह चित्र कथाएं जिन्हें इंटेलेक्चुअल श्रेणी में नहीं रखा गया था आज स्थाई संवाद का माध्यम बन गई।

विकासशील देशों के कलाकार बहुत जल्दी शाही और देवी-देवताओं के कथानक से बाहर आ गए। उन्होंने रहस्य, जादू, जानवरों का मानवीयकरण और साहसिक कथाओं को आधार बनाकर चित्रों को कहा। आज ग्राफिक उपन्यास और दर्शन भी ग्राफ्रिकली लिखे जा रहे हैं। सहज चित्र हमें जीवन की सीख दे रहे हैं विलियम और जॉसेफ के टॉम और जेरी कहते हैं, 'मुसीबतें दिमाग से जीती जाती है', तो रेने गास्कीनी के ऐस्टरीक और ओबलिक्स कहते हैं, "बल और भोलापन साथ-साथ काम करता है', तो ली फाक का फेंटम और मेंड्रेक एडवेंचर कथाएं गढते हैं। अब तो इस विधा को बार-बार खंगाला जा रहा है। नई संभावनाएं बुनी जा रही हैं। ...एकदम गोल चांद ने आंखें घुमाकर इधर-उधर देखा और टप्प से दूधिया नदी के पानी में डुबकी लगा दी, पानी के छपाक-छपाक में पूरा भीग गया चांद, सफेद लकीरों की लहरें दूर और पास आने लगीं, मेंढक की टर्र-टर्र की आवाज, एक झींगुर पानी की मुस्कुराती बूंद के धवके से दूर जा गिरा। चांद ने आंखों की पुतली ऊपर चढाकर आसमान को देखा और मधुर संगीत के साथ धुला-धुलाया चांद फिर जा बैठा अपने ठिकाने ...ऐसा अद्भुत दृश्य तो कॉमिक्स में ही गढा जा सकता है। और अंत में आर्ट स्पिगलमैन के अनुसार, 'कॉमिक्स साक्षरता के प्रवेश द्वार की दवा है।'

--

साभार - अहा! जिंदगी, दिसंबर 2015

-

-------------------------------------------

अपने मनपसंद विषय की और भी ढेरों रचनाएँ पढ़ें -
आलेख / ई-बुक / उपन्यास / कला जगत / कविता  / कहानी / ग़ज़लें / चुटकुले-हास-परिहास / जीवंत प्रसारण / तकनीक / नाटक / पाक कला / पाठकीय / बाल कथा / बाल कलम / लघुकथा  / ललित निबंध / व्यंग्य / संस्मरण / समीक्षा  / साहित्यिक गतिविधियाँ

--

हिंदी में ऑनलाइन वर्ग पहेली यहाँ (लिंक) हल करें. हिंदी में ताज़ा समाचारों के लिए यहाँ (लिंक) जाएँ. हिंदी में तकनीकी जानकारी के लिए यह कड़ी (लिंक) देखें.

-------------------------------------------

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: कॉमिक्स यानी चित्रकथा की कहानी / सपना महेश
कॉमिक्स यानी चित्रकथा की कहानी / सपना महेश
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgyNjRyL4s6s3ljqe-XKwtQJ1myQxoVItez8bHWVGMuZZZIUe3jJBXDmIdg8efk4skPwsUBguyRNXg__JLePX7QNgQbIy_J0xtF26uZe85pMoJFmR62fpJPlNUstmoITDVjfRbW/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgyNjRyL4s6s3ljqe-XKwtQJ1myQxoVItez8bHWVGMuZZZIUe3jJBXDmIdg8efk4skPwsUBguyRNXg__JLePX7QNgQbIy_J0xtF26uZe85pMoJFmR62fpJPlNUstmoITDVjfRbW/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2017/01/blog-post_14.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2017/01/blog-post_14.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content