व्यंग्य की जुगलबंदी-18 - दलबदल या दिलबदल / अनूप शुक्ल

SHARE:

अनूप शुक्ल व्यंग्य की जुगलबंदी-18 ------------------------- व्यंग्य की जुगलबंदी-18 का विषय़ रखा गया था दलबदल या दिलबदल। इस पर अभी तक 13 स...

clip_image001

अनूप शुक्ल

clip_image002

व्यंग्य की जुगलबंदी-18
-------------------------

व्यंग्य की जुगलबंदी-18 का विषय़ रखा गया था दलबदल या दिलबदल। इस पर अभी तक 13 साथियों ने लेख लिखे। बिना किसी क्रम के इन लेखों का संक्षेप में विवरण यहां पेेशे है।

1. Devendra Kumar Pandey

ने सबसे पहले लिखा । दलबदल को डकैतों द्वारा गिरोह बदलने के समान बताते हुये अपनी बात शुरु की। खात्मा बुद्धत्व और दलबदलू पर किया यह कहते हुये :

“सिद्धार्थ ने आम आदमी के दुःख दूर करने के लिए सत्ता सुख का त्याग किया और नेता जी आम आदमी का दुःख दूर करने के लिये सत्ता पाना चाहते हैं! दोनों में सही कौन? वो जो बुद्ध बन गये या वो जो राजा बनना चाहते हैं?”
पूरा लेख पढने के लिये इधर आइये https://www.facebook.com/devendra.pandey.188/posts/1173585592770026

जब तक आप लेख पढें तब तक हम आपको इसके कुछ अंश पढवाये देते हैं:

(अ) दलबदलू कोई साधारण तो होता नहीं। वही हो सकता है जिसके पास जन बल और धन बल दोनों हो।

(ब) ये (कार्यकर्ता) उस मजनू की तरह मायूस होते हैं जो लड़की पटाये और उसका टिकट छीन कर फिलिम दिखाने कोई और ले कर चला जाया!

(स) किसी सिद्धांत की दुहाई देने वाले का दिल, किसी दूसरे उस सिद्धान्त की दुहाई देने वाले दल पर आ जाय जिसकी जीवन भर बुराई करके नेता बना है तो दोनों दलों के अलावा जन सामान्य का भी दिल टूटना स्वाभाविक है।

2. Sanjay Jha Mastan

ने दलबदल की बात अपनी जानू से साझा की । पत्र लिखा। दलबदल के बारे में विचार करते हुये अपना मत रखा:

“आखिर सभी दलों को दल-बदलू क्यों पसंद आते हैं ? क्या राजनीति में निष्ठा, नीति और नीयत की बातें बेमानी हो गयी हैं ? क्या आज सियासत भी कॉरपोरेट घराने की तरह हो गई है जहां लोग पैसा, पावर और पद के लिए सारे रिश्ते नाते भूल जाते हैं ?”

भारतीय मतदाता इस इंतजार में रहता है कि कोई आयेगा और सब कुछ सुधार कर रख देगा। यही आशा संजय झा इस लेख में सन्नी लियोन से करते हैं।

इस बेहतरीन लेख को आप इधर पहुंचकर बांचिये। लेख का लिंक यह रहा।https://www.facebook.com/permalink.php?story_fbid=10154974569567658&id=640082657 लेख के कुछ अंश यहां पेश हैं:

(अ) मैं अब 'खपा' में नहीं हूँ, आज से मैं 'नपा' में हूँ ! खुश हूँ आज से मेरा फ़ोन नंबर, ई मेल आईडी, बैंक अकॉउंट नंबर और घर का पता सब बदल जायेगा ! फिर भी भारी मन से कहना पड़ रहा है और ये बहुत दुःख की बात है कि पर्सनल दिल - बदल या पोलिटिकल दल - बदल की खबरें अब किसी को भी चौंकाती या हैरान नहीं करती हैं !

(ब) आज कई नेता अपनी पार्टी में धोबी के कुत्ते वाली हालत में हैं, ना घर के ना घाट के ! तुम्हारा दलबदलू अपना घर और घाट समय पर चुन लेता है !

(स) राजनीति, नौकरशाही और मीडिया में मेरे मित्रों को भी तुम्हारे दिल - बदलु टैलेंट पर बहुत भरोसा है ! तुमने नाम बदला ! पेशा बदला ! देश बदला ! अब तुम मेरी तरह भारतीय राजनीती भी बदल डालो ।

3. DrAtul Chaturvedi

ने अपने लेख में दलबदल का गूढ ज्ञान दिया। बताया कि जहां फ़ायदा दिख रहा हो उसके लिये लपकने में देरी नहीं करनी चाहिये। वे लिखते हैं:

“ जहां कंद मूल फल दिख रहे हों छलांग लगा दो । वस्तुतः छलांग ही युग की मांग है । भरपूर छलांग लगाइए । ऊंची कूद हो या लंबी कूद । आपकी कूद आपकी सामर्थ्य पर निर्भर करती है । “

इस लेख को पूरा पढने के लिये इधर आइये https://www.facebook.com/atul.chaturved…/…/10208661519399646

लेख के कुछ अंश मने छंटे हुये पंच देखिये:

(अ) दलबदल करने के लिए हौसला चाहिये, जज्बा चाहिये । दूसरे को स्वीकार और उसमें ढल जाने की सुनम्यता चाहिए । दलबदल समय की मांग है और जो समय का सम्मान नहीं करता समय उसको हाशिए पर डाल देता है ।

(ब) दलबदल हमारी शानदार राजनीतिक परपंरा का हिस्सा है इससे परहेज कैसा । यह तो विचारों के तालमेल का मामला है बस । वैसे कहना तो यह चाह रहे थे कि सीटों या टिकटों के तालमेल का मामला है । लेकिन आप जानते हैं कि इतना शब्दों का घालमेल तो चलता ही है

(स) जनसेवा के कांसेप्ट का तल्ला घिस चुका है । उसमें से लगातार उदर सेवा और परिवार सेवा की आवाज टक टक आ रही है । इसलिए दौड़ जाइए जिधर लोग आपको गलबहियां करने को तत्पर हों । सब जरूरतों का खेल है । किस्मत की बलिहारी है । जरूरत बने रहेंगे तो पुजते रहेंगे । अप्रासंगिक हुए तो ठुकते रहेंगे ।
इस लेख का अंश दैनिक ट्रिब्यून में छपा ।

4. Anshu Mali Rastogi

ने तो शीर्षक के बहाने ही सीधे सलाह ही दे दी कि ’ दल और दिल बदलते रहना चाहिय’। दलबदल करने वालों के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुये अपनी बात शुरु की उन्होंने। अंशुमाली की नजर में नेता के लिये टिकट मिलने के मायने देखिये :

“नेता के लिए टिकट मिलना, उत्ता ही ‘रोमांचक’ है, जित्ता ‘डर्टी पिक्चर’ में विद्घा बालन का पल्लू सरकना। “

लेख पूरा बांचने के लिये इधर आइये https://www.facebook.com/anshurstg/posts/182030645610631

लेख के कुछ अंश देखिये:

(अ) नेता इत्ता संघर्ष करने के बाद राजनीति में कोई घास काटने के लिए थोड़े न आता है। उसकी ‘प्राथमिकता’ में पहले टिकट, फिर पार्टी, बाद में जनता होती है।
(ब) टिकट की पीठ पर ही नेता की सेवाएं टिकी होती हैं। चुनाव के दौरान नेता के टिकट का काटा जाना, उसके लाइफ की सबसे बड़ी ‘तौहीन’ समझी जाती है।

(स) आजकल तो बुद्धिजीवि लोग भी अपनी विचारधारा के साथ कहां प्रतिबद्ध रह पाते हैं फिर नेता तो नेता ठहरे। भाग-दौड़ भरी जिंदगी ने सबको तेज भागना सीखा दिया है। अब किसी के पास इत्ता समय नहीं कि ठहर कर सोचे सके; क्या सही है, क्या गलत। जहां मौका देखा, चौक्का जमा दिया। बाद में जो होगा देखा जाएगा।

5. Udan Tashtari

ने लेख का शीर्षक रखा - ’बदलाव की बयार।’ पूरी बयार देखने के लिये इधर आइये https://www.facebook.com/udantashtari/posts/10154683605081928

लेख के कुछ अंश दिखाते हैं आपको:

(अ) उस दल वाले इस दल में चले आये तो इस दल के कुछ बदल कर उस दल में चले गये कुछ तो दल बदलने के बजाये दल के दलदल में पूरा दल ही धँसाये चले जा रहे हैं.

(ब) जो अपने दल को कभी दल नहीं जीवन शैली कहते थे वो वोंटों की थैली का वजन तौल रहे हैं और जो इसे विचार धारा मान कर चलते थे, उनके विचार कहीं ताक पर धरे रह गये हैं. सबका उद्देश्य मात्र इतना ही कि सत्ता कबजिया लें किसी भी तरह से. दलबदली, दिलबदली सब जायज है सत्ता के सियासी खेल में.

(स) दलबदल और दिलबदल की राजनितिक प्रक्रिया यूँ तो नित खुदरा तौर पर चलती रहती है मगर चुनाव के उत्सव के दौरान होल सेल में यही खेला देखना नित नये अनुमानों को जन्म देता है.

6. Nirmal Gupta

ने अपने लेख का नाम दिया- “ दलबदल,दिलबदल और तुला में फुदकता मतवाद “। लेख की शुरुआत दार्शनिक अंदाज में करते हुये लिखा :

“ जब हम खुद को समझने में निर्णायक रूप से पराजित हो जाते हैं तब दूसरों की जिन्दगी का अतापता पूछना शुरू करते हैं।यह पूछताछ ऐसी ही है जैसे कोई नकटा दूसरों की नाक की कुशलक्षेम जानने के बहाने कुतरी हुई नाक के विषय में जानकर तसल्ली पाए।जैसे ट्रम्प के आने के बाद लोग गहरी सांस लें कि मान्यवरजी जैसे लोग दुनिया में और भी हैं।बात –बेबात खिल्ली उड़ाने के लिए तमाम विकल्प मौजूद हैं। “

इस लेख का यह अंश काफ़ी पसंद किया गया:

“ एक दिन अन्ना का आदमकद चित्र ढूंढते हुए आये थे जब वह उन्हें नहीं मिला तो बन्दर नचाते मदारी का फोटो यह कह कर ले गये कि यह भी ठीक है।इससे भी काम चल जायेगा।बोसीदा दीवार को ढांपना ही तो है। “

लेख बांचने के लिये लिंक यह रहा https://www.facebook.com/gupt.nirmal/posts/10211052761170592 लेख के कुछ अंश :

(अ) दलबदल नहीं करते।सिर्फ अपनी धारणाओं में विकास करते हैं।कारोबारी शब्दावली में कहें तो अपने मतवाद में वैल्यू एडिशन करते जाते हैं।दरअसल यह मूल्य सम्वर्धन बड़े कमाल की चीज है।

(ब) ये लगभग भारहीन होते हैं।किसी भी तरह का आकर्षण इनके लिए अपकर्षण होता है।गुरुत्वाकर्षण को धता बताना इन्हें आता है।

(स) ये न कभी दल बदलते हैं और न ऐसी किसी बात को दिल पर लेने की नादानी करते हैं।दिल को धड़कने के लिए सदा खुला रखते हैं।गाहे बगाहे दल जरूर बदल लेते हैं लेकिन दिल से इस मामले को अपने आसपास भी नहीं फटकने देते।

7. ALok Khare

ने दल बदलने से ज्यादा अहमियत दिल बदलने के मामले को। शुरुआत में ही प्रेमिका को याद किया फ़िर वाइफ़ को। लेख के बहाने अपने मन की कर डाली। आलोक खरे ने तो साफ़ कह दिया:

“जब जब दल बदले जाते हैं तो ये दलदल के सरीखे मामलात हो जाते हैं! जो जितना दल बदलेगा वो उतने ही बड़े दलदल का स्वामी बनेगा! अगर एक तरह से देखे तो दिल बदलना और दल बदलना में समरूपता होती है! “

उनका लेख इधर पहुंचकर देखिये। https://www.facebook.com/alok.khare3/posts/10209652225997400

लेख के कुछ अंश देखिये:
(अ) आजकल दिल और दल बस एक क्लिक के मोहताज होते हैं, की कब गलत क्लिक हुआ बोले तो लाइक हुआ और कब सामने वाले का दिल बदलकर दूसरे दल से जुड़ गया यानि इसमें एक लाइक से दो क्रियाएं सम्पन्न हुई की दिल भी बदला और दल इस क्रिया से उत्पन्न प्रोडक्ट!

(ब) दिल भी वही लगता है जहाँ दाल गलती है!

(स) दिल न होता तो आदमी कैसे व्यव्हार करता! क्या वो सभी से प्यार करता या सभी से व्यापर करता! लेकिन फिर ये सोचता हूँ की ये तो दिल होने के बाबजूद भी ऐसा ही तो हो रहा है! सब और व्यापार ही तो हो रहा है, चाहे कोई दिल बदल रहा है या दल बदल रहा है!

8. विनय कुमार तिवारी

ने लेख के बहाने 56 इंच के सीने पर हाथ धर दिया। लेख का अंत करते-करते यह ज्ञान मिल गया :

“नेताओं का दिल-विल कुछ भी नहीं बदलता, नहीं तो दलबदल-विरोध कानून की तरह अब तक दिलबदल-विरोधी कानून भी बन गया होता। राजनीतिकों का एक अलग ही किस्म का दिल होता है यह आलरेडी बदला हुआ होता है। “
लेख बांचने के लिये इधर आइये:

https://www.facebook.com/vinaykumartiwari31/posts/1172604756190815

(अ) राजनीति में तो सारे विकल्प खुले रखने चाहिए.. आखिर, कब किस विकल्प की जरूरत पड़ जाए..!

(ब) लोकतंत्र में चुनाव के मौसम को राजनीतिक बसंत के रूप में देखा जाना चाहिए, वैसे भी हमारा देश विविधताओं भरा देश है। इन्हीं विविधताओं के कारण यहाँ का राजनीतिक बसंत खूब खिला-खिला दिखाई देता है।

(स) आज नेता किसी को दिल नहीं देते। बल्कि अपने छप्पन इंची सीने में ही अपना विशाल विकल्पों भरा दिल लिए घूमते हैं। शायद आज "दलादली" के जमाने में इसी चौड़े सीने की वजह से इनका काम चल निकलता है।

9. Yamini Chaturvedi

ने लेख की शुरुआत यह जानकारी देते हुये की:

“ हमारे हुक्मरान और कुछ करें या न करें, जनता का दिल बहलाने का भरपूर इंतजाम करते हैं | एक आम आदमी रोटी पानी की जद्दोजहद में घर से दफ्तर और दफ्तर से घर जाते बोर न हो जाए, इसके लिए ये क्या कुछ नहीं करते | “

चुनाव को परिभाषित करते हुये यामिनी ने लिखा:
“सत्ता अगर सुंदरी है तो उसके योग्य वर ढूँढने के लिए किया गया स्वयंवर ही चुनाव है | “
लेख बांचने के लिये इधर आइये: https://www.facebook.com/yamini.chaturvedi.92/posts/1346914181996761

यामिनी के लेख के कुछ अंश देखिये:
(अ) चुनाव जनता द्वारा बड़े ही मनोरंजक ढंग से सरकार चुने जाने का तरीका होता है, तो मनोरंजन के इस महाएपिसोड के आरम्भ होते ही नेताओं में सरगर्मी बढ़ गयी| सभी नेता जनता की सेवा करने के लिए लालायित फिरने लगे | इस हद तक कि जनता बेचारी परेशान हो गयी कि किस किस से सेवा करवाएं |

(ब) उसकी (जनता की ) हालत कुछ ऐसे बुजुर्ग जैसी हो गयी, जिनके नाम की कोई पुरानी पालिसी मेच्योर हुई हो और उसका भुगतान पाने के लिए बड़े मियाँ का खुश होना जरुरी हो और नालायक बेटे उसकी सेवा में लगे हों |

(स) चुनाव में एक बार इन्वेस्ट कर दो फिर पांच साल जम के सेवा करो, साथ में अपने भाई-भतीजे, नातेदार-रिश्तेदार, यहाँ तक कि ड्राईवर-माली तक का उद्धार करो | यही सच्ची सेवा है |”

10. रवि रतलामी

ने कीर्तिश भट्ट का कार्टून लगाया जिसमें जनसेवक कहता है:

“मैं दलगत राजनीति में विश्वास नहीं रखता। जिस पार्टी में टिकट की संभावना होती है उसमें चला जाता हूं।”

लेख को पूरा बांचने के लिये इस लिंक पर पहुंचिये: http://raviratlami.blogspot.in/2017/01/blog-post_22.html

लेख के कुछ अंश हम दिखाते हैं आपको:

(अ) भारतीय न्यायालयों के लिए असंभव कुछ भी नहीं. न्यायालयों के मार्फत यह सिद्ध हो जाता है कि मृतक की हत्या हुई ही नहीं – या शायद वो मरा ही नहीं. ....भारतीय अदालतें अमीर, पहुँच वाले और रसूखदारों को निराश करने का जोखिम नहीं ले सकतीं.

(ब) एक नेता का दिल कैसा होता है. उसका दिल तो बस कुर्सी के लिए ही समर्पित होता है. उसका दिल वहीं लगा होता है. जहाँ कुर्सी वहाँ नेता. नेता दल बदलता है, परंतु अपना दिल नहीं.

(स) जो नेता दल विशेष के प्रति समर्पण और निष्ठा की बात करता है, वो दरअसल नेता ही नहीं होता. वो तो दोगला होता है. उसका कहना कुछ और करना कुछ और, और चाहना कुछ और होता है. नेता वही है जो कुर्सी के प्रति समर्पण रखे. दल तो आते जाते रहते हैं, बनते बिगड़ते रहते हैं, टूटते फूटते रहते हैं.

11. Alok Puranik

हालिया समय के सीन देखते हुये ’ भारतीय कांग्रेस जनता पार्टी ’ लेख लिखकर दलबदल के मायने बताते हैं। लेख बांचने के लिये इधर आइये https://www.facebook.com/puranika/posts/10154396632548667
इधर के आलोक पुराणिक के लेख देखकर साफ़ लगता है कि अब वे व्यंग्य के पक्के आलराउंडर हो गये हैं। राजनीति की फ़ील्ड में भी धुंआधार व्यंग्य बैटिंग करने लगे हैं।

लेख के कुछ अंश देखिये:
(अ) उत्तराखंड में विकट कनफ्यूजनात्मक सीन हैं। चार कांग्रेसजन आटो में बैठकर कहीं निकलते हैं, तो पत्रकार खबर चला देते हैं भाजपा में आठ कांग्रेसजन शामिल, चार ये और चार इनके बेटों को मिलाकर कुल आठ।

(ब) किसी कांग्रेसी परिवार की शादी में बीस-पच्चीस कांग्रेसी आ जायें, तो भाजपावाले प्रचार उड़ा देते हैं कि यहां शादी के फेरे से पहले ही कांग्रेसजन फेरा मार देंगे भाजपा में।

(स) उत्तराखंड में शोधार्थी, पत्रकार कांग्रेस का इतिहास पढ़ने भाजपा के दफ्तर में जा रहे हैं। कांग्रेसी होते अपने घर में हैं, पर तलाश भाजपा दफ्तर में होती है। एकदम मेले का खोया-पाया तंबू हो लिया है उत्तराखंड भाजपा दफ्तर।

12. Arvind Tiwari

जी ने लेख के शीर्षक से ही अपने इरादे साफ़ कर दिये। लिखा -’दिल नहीं दल बदला है ’ लेकिन कारण का खुलासा लेख के अंत में किया जब बताया:
“दल बदले एक नेता से हमने पूछा क्या आपने दल के साथ दिल भी बदल लिया।वह बोला हरगिज़ नहीं।दिल बदल जायेगा तो मैं भी आपकी तरह कवि लेखक हो जाऊंगा। “

लेख बांचने के लिये इधर पहुंचिये:https://www.facebook.com/permalink.php…
लेख के कुछ अंश देखिये:

(अ) चुनाव के मौसम में दल बदल एक प्राकृतिक बदलाव माना जाता है।चुनाव में दलबदल होली में फ़ाग गायन की तरह होता है।अगर फ़ाग गायन के बिना होली आ गयी तो समझो वह होली नहीं ,कोई और त्यौहार होगा।

(ब) पब्लिक नेता जी से शिकायत करती है म्युनिस्पेल्टी वाले अलाव नहीं जलवा रहे।कड़कड़ाती ठण्ड में शहरवासियों का जीवन अस्त व्यस्त है।निगम का अध्यक्ष और कमिश्नर अलाव की लकड़ी खाये जा रहे हैं।नेताजी कहते हैं अभी कुछ न कुछ करूँगा।घण्टे भर बाद नेताजी दल बदल लेते हैं।शहर का तापमान यकायक बढ़ जाता है।इस घटना ने सिध्द क्र दिया नेता लोग पब्लिक का ध्यान रखते हैं।

(स) नेता जी दल बदल रहे हैं दिल नहीं।आपके पास जो चीज है उसे ही आप बदल सकते हैं।जिसके पास दिल होता है उसके पास दल नहीं होता।दिल वाले दुल्हनिया ले जाते हैं,दल वाले आज का एम् एल ए बनाते है।

13. अनूप शुक्ल

का लेख बांचने के लिये इधर पहुंचिये: https://www.facebook.com/anup.shukla.14/posts/10210349228500538
लेख के कुछ अंश देखिये:

(अ) जनसेवक की सार्थकता जनता की सेवा में है। जनसेवा मतलब टिकट मिलना, चुनाव लड़ना, विजयी होना और सरकार में कोई सेवादार पद प्राप्त करना। पद न मिला तो सेवा कार्य में अड़चन होती है।

(ब) एक ही दल में रहते हुये जननेता की इज्जत कम होती जाती है। बेटा बाप को अध्यक्षी से बेदखल कर देता है। चेले गुरु को मार्गदर्शक मंडल के किले में कैद कर देते हैं। सलाह तक लेना बन्द कर देते हैं। उसको आशीर्वादी रोबोट में बदल देते हैं।

(स) हर जनसेवक चाहता है कि जाहे जान भले ही चली जाये लेकिन जनसेवा का अवसर हाथ से न जाये। एक बार जनसेवा से बेदखल हुये तो गये काम से। जनसेवा का अवसर मिलना जनसेवक के लिये जरूरी होता है। चुनाव में टिकट मिलना जनसेवक के लिये उतना ही जरूरी होता है जितना जरूरी आईसीयू में आक्सीजन। टिकट न मिला तो गया जनसेवक।

तो यह रही व्यंग्य की जुगलबंदी -18 की रपट। जिन साथियों के लेख और मिलेंगे उनको शामिल किया जायेगा इसमें। कैसी लगी व्यंग्य की जुगलबंदी अपनी राय बताइयेगा।

#व्यंग्यकीजुगलबंदी, #व्यंग्य, #vyangy

clip_image004

 

टिप्पणियाँ

clip_image005

Sanjay Jha Mastan आप ने लेख की प्रशंशा की, बहुत ख़ुशी हुई ! पढ़ने और सराहने के लिए शुक्रिया अनूप भाई clip_image006:) clip_image006[1]:)

clip_image007

अनूप शुक्ल धन्यवाद ! लेख हम बहुत पहले पढ चुके थे। कल फ़िर पढा ! लेख पर टिप्पणी अभी तक न हो पायी ! clip_image006[2]:)

clip_image008

Sanjay Jha Mastan कोई बात नहीं अनूप भाई साहेब जब समय मिले पढ़ें और लाइक / टिप्पणी न भी करें तो भी कोई बात नहीं / व्यंग्य परिवार में मैं सबसे नया और लेखन में सबसे जूनियर हूँ, मुझे आप ने जोड़ा और स्थान दिया यही मेरे लिए बहुत बड़ी बात है / लगातार लिखने के अनुशाशन के साथ आप सबके साथ सीखने का अवसर ही मेरे लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है / आप के दिए हुए पांच विषय पर मैंने अब तक छः आर्टिकल लिखा है और हर लेख में मुझे कुछ न कुछ जादुई सीखने को मिला है / आप सबसे जो स्नेह मिला हैं उसके लिए पुरे व्यंग्य परिवार का आभारी हूँ clip_image009<3 clip_image006[3]:)

clip_image010

Mazhar Masood भाई इनका उद्देश्य तो अपनी सेवा करना है और इस यात्रा के लिए टिकट आवश्यक है जहां से मिले जितने में मिले नेता टिकेट खरीद ही लेता है

clip_image007[1]

अनूप शुक्ल सही बात !

clip_image011

Dulal Krishna Chatterjee दर असल दिलबदल और दलबदल में कुछ खास फर्क है ही नहीं। हाँ, "दलबदल" शब्द से राजनीतिबाज लोगों की घिनौनी बदबू आती है।

clip_image007[2]

अनूप शुक्ल मौके का फ़ायदा उठाना है !

clip_image012

Pradeep Singh रघुराज प्रताप सिंह( उर्फ राजा भैया) भी कुंडा (प्रतापगढ़) से 24 साल की उम्र से ही लगातार निर्दलीय विधानसभा चुनाव जीत रहे है

clip_image007[3]

अनूप शुक्ल राजा भैया की क्या कहें ? वे निर्दलीय लड़ते हैं इससे जीतकर किसी भी दल से मंत्रिमंडल में शामिल होने की सुविधा रहती है।

clip_image013

Suresh Yadav इसे Universal Leader के एक नये परिभाषा के रूप में लेना चाहिए जो वर्तमान भारतीय राजनीति की देन कही जाएगी।

clip_image007[4]

अनूप शुक्ल जैसे आयुध निर्माणियों में मल्टीस्किल्ड वर्कर clip_image006[4]:)

clip_image014

DrAtul Chaturvedi बहुत बढ़िया सार संक्षेप । सबको उल्लेखनीय तरीके से प्रस्तुत किया है

clip_image007[5]

अनूप शुक्ल धन्यवाद !

clip_image015

Udan Tashtari वाह जी...बहुत उम्दा विश्लेषण!!

clip_image007[6]

अनूप शुक्ल बहुत उम्दा टिप्पणी ! clip_image006[5]:)

clip_image016

Devendra Kumar Pandey मजा आ रहा है।

clip_image007[7]

अनूप शुक्ल लिखते रहो, मजा आता रहेगा। clip_image006[6]:)

clip_image017

Arvind Tiwari बेहतरीन

clip_image007[8]

अनूप शुक्ल धन्यवाद। clip_image018

clip_image013[1]

Suresh Yadav क्या बात कही है।

clip_image007[9]

अनूप शुक्ल आभार सर जी। clip_image018[1]

clip_image019

Mohammad Khaliq रूख हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं।

clip_image007[10]

अनूप शुक्ल क्या बात !

COMMENTS

BLOGGER: 1
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: व्यंग्य की जुगलबंदी-18 - दलबदल या दिलबदल / अनूप शुक्ल
व्यंग्य की जुगलबंदी-18 - दलबदल या दिलबदल / अनूप शुक्ल
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhmCvOps9R0jJd9B0J-E5UeWMQnQk5YCB8dP3srLllAA6gLVMVkHJKPmp8F2rHY1FX6nTQa5mkCv4pV5ufWpZf94j5QvBQ6Vyyick5lnUaxSLLRu3a7TPAV0djVjVhhPiGHnlhh/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhmCvOps9R0jJd9B0J-E5UeWMQnQk5YCB8dP3srLllAA6gLVMVkHJKPmp8F2rHY1FX6nTQa5mkCv4pV5ufWpZf94j5QvBQ6Vyyick5lnUaxSLLRu3a7TPAV0djVjVhhPiGHnlhh/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2017/01/18.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2017/01/18.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content