रविवार का दिन था. मैगी अपने नये घर के पास वाली पहाड़ी के बाग पर घूमने जा रही थी. उसके साथ उसकी छोटी बहिन नैना और उसकी प्यारी कैट कैटी भी...
रविवार का दिन था. मैगी अपने नये घर के पास वाली पहाड़ी के बाग पर घूमने जा रही थी. उसके साथ उसकी छोटी बहिन नैना और उसकी प्यारी कैट कैटी भी थी.
मैगी ने अपनी पीठ पर एक बैग लटका रखा था,जिसमें ड्रॉइंग का सामान था.
‘‘देखना नैना,आज मैं कैटी की इतनी सुंदर तस्वीर बनाउंगी कि जो भी देखेगा,वह देखता ही रह जायेगा’’,मैगी ने नैना से कहा.
‘‘और मैं तरह-तरह के फूल और पत्तियों को इकट्ठा करूंगी,कितना मजा आयेगा!’’ नैना ने चहकते हुए कहा.
‘‘लेकिन पहले तुम्हें कैटी को गोद में ले कर बैठना होगा,ताकि वह हिले-डोले नहीं. तब जा कर उसकी शानदार पेंटिग हो पायेगी’’,मैगी ने नैना से कहा.
दोनों बहिनों की बातें सुन कर कैटी मन ही मन फूली नहीं समा रही थी. वैसे भी वह अपने सफेद रंग और गुलाबी पूंछ की तारीफें सुन-सुन कर बहुत घमंडी हो गयी थी.
जल्दी ही एक बहुत ऊंचे और पुराने पुल को पार कर के मैगी और नैना बाग में पहुंच गयी. बाग की सुंदरता देख कर दोनों बहिनें खुशी से उछल पड़ी. पुराने बाग की ऊंची-नीची जमीन पर कई सुदंर फूलों वाली झाड़ियां थी तो यहां-वहां कई रसीले फलों वाले पेड़ लगे थे।
मैगी के कहने पर आम के एक बड़े पेड़ के नीचे नैना कैटी को गोद में ले कर बैठ गयी. मैगी ने बैग से ड्रॉइंग का सामान निकाला और कैटी की पेंटिग बनाने में जुट गयी.
तभी वहां पर घूमते हुए सूजन आ गयी. सूजन एक भूरे रंग की जंगली बिल्ली थी. वह पास ही के जंगल में अपने मम्मी-पापा के साथ रहती थी.
‘‘हाय सिस्टर!‘‘ सूजन ने अपनी पूंछ हिलाते हुए कैटी की तरफ मुस्कुराते हुए देखते हुए कहा.
‘‘मैं तुम्हारी कोई सिस्टर-विस्टर नहीं हूं,तुमने मुझसे बतलाने की हिम्मत कैसे की?’’ कैटी ने सूजन पर गुस्सा होते हुए कहा.
‘‘अरे! तुम तो बहुत घमंडी हो! तुम्हें इतना भी तमीज नहीं कि एक कैट जब दूसरी कैट से जब प्यार से बात करें तो उसे भी प्यार से बात करनी चाहिये!’’सूजन ने कैटी को समझाते हुए कहा.
‘‘मैं यह सब नहीं जानती. जरा मेरा सफेद चांदनी सा रंग और अपनी जंगली सूरत तो देखो! कहां मैं और कहां तुम!’’ कैटी ने इतराते हुए सूजन से कहा और अपनी जीभ को दिखाते हुए चिढ़ाया भी.
‘‘सिर्फ रंग-रूप से क्या होता है मैडम,हो तो तुम इन इंसानों की पालतू ही न! क्या मेरी तरह तुम जंगल में आजादी से घूम-फिर सकती हो? मेरी तरह क्या तुम घात लगा कर अपनी मनपसंद चिड़ियों का शिकार कर सकती हो? क्या मेरी तरह तुम किसी झाङी की घनी छांव में बेफिक्र हो कर सो सकती हो?’’ सूजन ने कैटी को फटकारते हुए कहा.
सूजन की बात सुन कैटी की जुबान से दो पल को तो शब्द ही नहीं निकले,फिर उसने अपने आपकेा संभालते हुए कहा,‘‘मेरी तो स्पेशल परवाह होती है. गुदगुदे बिस्तर पर सोती हूं और मेरे लिये बाजार से स्पेशल खाना मंगाया जाता है,फिर मुझे जंगल में भटकने की क्या जरूरत! मैगी और नैना तो मुझ पर जान छिड़कती हैं....खैर,छोड़ो! तुम जंगली के भाग्य में यह सुख कहां!’’
‘‘भले ही मैं जंगली सही,लेकिन तुम्हारी तरह मैं घमंडी और बदतमीज बिल्कुल नहीं हूं’’,कहते हुए सूजन वहां से चली गयी.
आधे घंटे में मैगी ने कैटी की एक शानदार पेंटिग बना दी. नैना के साथ कैटी उसे देखती ही रह गयी.
‘‘वाओ दीदी! आपके हाथ में तो मैजिक है! कैटी की कितनी शानदार पेंटिग बनी है!’’ नैना ने खुश होते हुए कहा.
’’चलो,इस खुशी में हम पेन कैक खा कर खुशी मनाते हैं!’’ मैगी ने साथ लाये लंच बॉक्स खोलते हुए नैना से कहा.
इसी बीच मैगी ने कैटी को खाने के लिये उसे उसकी मनचाही फिश भी लंच बॉक्स से निकाल कर खाने को दी. दावत उड़ाने के बाद मैगी और नैनी बाग में घूमने लगी तो कैटी को भी यहां-वहां घूमने का मौका मिल गया.
बाग के एक कोने में पुल की दीवार के पास घनी हरीभरी झाड़ियां थी. एक झाड़ी पर कुछ चिडियां चहचहा रही थी. चिड़ियों को देखते ही कैटी के मुंह में पानी आ गया.
‘‘उस जंगली ने सही कहा था कि आजादी से चिड़ियों का शिकार करने में बड़ा मजा है, आज किसी चिड़िया का शिकार कर के देखती हूं’’,मन ही मन सोचते हुए कैटी पुल की दीवार की तरफ घात लगा कर बढ़ने लगी.
जैसे ही कैटी ने छलांग लगा कर एक चिड़िया को पकड़ना चाहा कि अचानक कहीं से सूजन ने आ कर उसे धक्का दे कर एक तरफ उछाल दिया.
‘‘बदतमीज जंगली बिल्ली!....तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे इस तरह से गिराने की!...जंगल में रहने से जंगल सिर्फ तुम्हारा नहीं हो जाता!....कहो,अब कहां गयी तुम्हारी शराफत!’’ कैटी ने तमतमाते हुए सूजन से कहा.
‘‘यह सब बाद में कहना,पहले पुल की दीवार पर चढ़ कर देखों कि मैंने तुम्हें क्यों रोका था’’,सूजन ने शांत मन से कैटी से कहा.
कैटी ने पुल की दीवार पर चढ़ कर जो देखा तो उसका दिल धक्क से रह गया. पुल के उस पार जिसे वह एक छोटी झाड़ी समझ रही थी,दरअसल वह एक बहुत लंबे पेड़ का ऊपरी हिस्सा था. पुल के उस पार तो एक गहरी खाई थी. यदि कैटी ने छलांग लगा दी होती तो अबतक उसका इतनी ऊंचाई से गिरने से कचूमर निकल गया होता.
‘‘मुझे माफ कर दो! मैंने तुम्हारे साथ इतना बूरा सलूक किया फिर भी तुमने मेरी जान बचाई’’,कहते हुए कैटी की आंखों में आंसू आ गये.
‘‘चलो,तुम्हें अपने किये का पछतावा तो हुआ! मैं तो बस तुम्हें इतना ही समझाना चाहती थी कि किसी के रंग-रूप से उसके दिल की अच्छाइयों और बुराइयों का पता नहीं चलता और सुंदरता हमारे व्यवहार में होनी चाहिये!’’सूजन ने कैटी को माफ करते हुए कहा.
‘‘तो क्या अब मैं तुम्हारी दोस्त बन सकती हूं?’’ कैटी ने मुस्कुराते हुए सूजन से कहा.
‘‘हां,क्यों नहीं!’’ सूजन ने कैटी को गले से लगाते हुए कहा.
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शैलेन्द्र सरस्वती,
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