स्टेटस सिम्बल चमचमाती हुयी लाल कार आकर पार्क के गेट पर रुकती है। कार का दरवाजा खुलता है, एक तगड़ा तंदरुस्त, हट्टा-कट्टा दुम कटा कु...
स्टेटस सिम्बल
चमचमाती हुयी लाल कार आकर पार्क के गेट पर रुकती है। कार का दरवाजा खुलता है, एक तगड़ा तंदरुस्त, हट्टा-कट्टा दुम कटा कुत्ता कार से उतरता है। इधर-उधर देखता है फिर अपने बदन को जोर से झटका देकर अपनी सुस्ती दूर करता है और अपने नौकर के साथ शाही अंदाज में पार्क में टहलने लगता है। वह जिधर जाता है, नौकर भी उसके पीछे-पीछे जाता है। ठीक वैसे ही, जैसे आर्मी का कोई बड़ा आफीसर अपनी ड्यूटी पर आता है, तो उसके जवान सिपाही उसके आगे-पीछे घूमकर उसकी जी-हुजूरी में लग जाते हैं।
उस दुम कटे कुत्ते के ठाट-वाट और उसकी शान-ओ-शौकत को देखकर वहां मौजूद कुछ आवारा कुत्तों की सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाती है। वो आपस में एक-दूसरे से काना-फूसी करते हैं और अपनी दुम दबाकर वहां से रफू चक्कर हो जाते हैं। लेकिन एक मरियल और गन्दा, मटमैला-सा कुत्ता वहीं रह जाता है। वह ध्यान से उस कुत्ते के ठाट-वाट को देखता है और अपने मन में कहता है, ‘‘यार, इसने क्या किस्मत पायी है। है तो यह मेरी तरह कुत्ता, पर ठाठ राजा-महाराजाओं जैसे हैं। मैंने कभी कार को छू कर भी नहीं देखा, और यह रोज कार में घूमने आता है, वो भी अपने नौकर के साथ।’’
‘‘यह सचमुच कुत्ता ही है...या...? कहीं कुत्ते के भेस में कोई बहरूपिया तो नहीं है...?’’
क्योंकि आजकल इंसान और कुत्ते में कोई ज्यादा फर्क नहीं रह गया है, कुत्ता अपने मालिक के प्रति वफादार होता है, लेकिन इंसान अपने मालिक के प्रति वफादार नहीं होता है। वह अपनी अमानवीय हरकतों से उसको कब काट खाये कुछ पता नहीं।’’
‘‘कुछ भी कह लो पर, कुत्ते में दम है, तभी तो कार में घूम रहा है, मक्खन लगी ब्रेड और बिस्कुट उड़ा रहा है। और एक मैं हूँ जिसे एक वक्त की रोटी के लिए भी जुगाड़बाजी करनी पड़ती है। लोगों की लात और दुत्कार खानी पड़ती है।’’
काफी देर पार्क में घूमने के बाद दुम कटा कुत्ता कार में बैठकर अपने घर चला गया। मरियल कुत्ता वहीं बैठा उसके बारे में सोचता रहा।
अगले दिन निश्चित समय पर दुम कटा कुत्ता पार्क में घूमने के लिए आया, तो मरियल कुत्ता हिम्मत जुटा कर दुम कटे कुत्ते के पास पहुँच गया और उसे एक बड़ा-सा सलाम ठोंक कर बोला, ‘‘सर, मैं आपसे आपके बारे में कुछ जानना चाहता हूं।’’
दुम कटे कुत्ते ने मरियल कुत्ते को हिकारत भरी नजरों से देखा और अजीब मुंह बनाकर बोला, ‘‘हां बोल, क्या जानना चाहता है?’’
‘‘सर, मैं आपकी खुशहाल जिन्दगी का राज जानना चाहता हूं...?’’
दुम कटे कुत्ते ने उस मरियल कुत्ते को ऊपर-से-नीचे तक देखा, फिर जोर से हंसा और फिल्मी स्टाइल में बोला, ‘‘मेरी खुशहाली का राज जानकर क्या करोगे बच्चू ?’’
‘‘सर, मेरी तमन्ना है कि मैं भी आपकी तरह खूब मोटा-तगड़ा हो जाऊं। आपकी तरह मेरे भी आगे-पीछे नौकर घूमें और इस शहर में जितने भी आवारा कुत्ते हैं वो सब मुझे निकलते-बैठते सलाम ठोंके।’’
‘‘तो तुम मेरी तरह बनना चाहते हो?’’
‘‘जी सर।’’
‘‘तो दोस्त, मेरी तरह बनने के लिए पहले तो तुम्हें अपनी दुम कटवानी होगी।’’
‘‘दुम कटवानी होगी मतलब ?’’
‘‘मतलब, ‘‘मेरी दुम देख रहे हो...बड़खुरदार! ....तुम्हें भी मेरी तरह अपनी दुम की कुर्बानी देनी होगी।’’
‘‘कुर्बानी ? माफ करना सर, कुत्ते की दुम ही तो उसका स्टेटस सिम्बल होती है ?
‘‘होती है, लेकिन कटी हुई दुम से उसका स्टेटस और अधिक बढ़ जाता है।’’
तो क्या आपने अपनी दुम खुद कटवायी है...?’’मरियल कुत्ते ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा।
‘‘और नहीं तो क्या, ऊपर वाले ने काटी है..? डियर, अपनी दुम मैंने खुद कटवायी है।’’
‘‘क्यों, आपने, आपनी दुम क्यों कटवायी...? क्या फायदा हुआ आपको दुम कटवाने से...?’’
‘‘बेटा, इस देश में अपनी पहचान बनाने के लिए कुछ अलग करना पड़ता है। जब तुम कुछ अलग करते हो तो, लोगों की नजर तुम पर पड़ती है, लोग भी तुम्हारे आगे-पीछे घूमते हैं, तुम्हारी जी-हुजूरी करते हैं, झुक कर सलाम ठोकते हैं, जैसे तुमने मुझे ठोंका था। क्योंकि आज का इंसान दूसरों को नीचा दिखाने और उनसे अलग बनने के लिए अपने घर में कुछ अलग रखने में अपनी शान समझता है। वो चाहे घर की सजावट का सामान हो, या फिर कोई पशु-पक्षी हो। जंगली फूलों को भी अपने बगीचे में लगाकर लोगों को बताता है कि ये विदेशी फूल हैं, इन्हें कैलीफोर्निया से मंगवाया है।
....बेटा, आज के हाईटेक जमाने में पहली चीज, डिपेंड करता है तुम्हारे गुर्राने और भौंकने पर....तुमने कभी किसी पुलिस वाले को गौर से देखा है, जिसके देखने और बोलने का स्टाइल आम इन्सान से बिल्कुल अलग होता है, वह जिसे भी देख ले, वही कांप जाये। बेटा यहां उसी का सिक्का चलता है, जिसके भौंकने और गुर्राने का अन्दाज सबसे जुदा होता है।’
‘‘मतलब...? मरियल कुत्ते ने कहां।
‘‘मतलब, तुम दूसरों पर कितना और कैसे रौब झाड़ सकते हो। सबके सामने खुद को सबसे अलग साबित कैसे कर सकते हो ? फिर तुम्हारे अन्दर ऐसा कुछ करने का जज्बा होना चाहिए, जिसे देखकर लोग तुम्हारी ही चर्चा करें।’’
‘‘आपकी बात सही है, लेकिन सर, मेरे अन्दर तो एक लात खाने की भी हिम्मत नहीं है, फिर मैं अपनी दुम कैसे कटवा सकता हूँ ? सर मैं आपको आज से अपना गुरू बना रहा हूँ, प्लीज आप मेरी दुम कटवाकर मुझे अपने जैसा बना दीजिए ?’’
मरियम कुत्ते की बात पर दुम कटा कुत्ता मन-ही-मन कहने लगा, ‘‘अगर मैं इसको अपनी असलियत बता दूंगा कि पहले मैं भी इसी की तरह एक साधारण और मामूली कुत्ता था...... एक-एक रोटी के लिए मुझे भी लोगों की जूती-चप्पल, लात और डण्डे खाने पड़ते थे, जिधर जाता था, उधर ही लोग मुझे दुत्कारते थे। कभी किसी ने जूठन खिला भी दी, तो समझो उसका मेरे ऊपर बहुत बड़ा एहसान हो गया। रात भर उसके घर की चौकीदारी करनी होती थी, न भी भौंकने का मन हो, तो भी भौंकना पड़ता था और जिस दिन नहीं भौंकता था, उसी दिन सुबह को गालियां खाने को मिलती थी, लोग कहते थे एहसान फरामोश, जब पेट खाली होता है, तो दुम हिलाता हुआ यहां आ जाता है और जब भौंकने का वक्त होता है, तो न जाने कहां गायब हो जाता है। बस इसी तरह मायूसी में अपनी जिन्दगी कट रही थी। फिर एक दिन मैं एक घर में खाने की जुगाड़ से
घुस गया। घर के सभी लोग टीवी पर अनुपम खेर का शो ’’कुछ भी हो सकता है’’ देख रहे थे। मैं भी खड़े होकर उस शो को देखने लगा। अनुपम बार-बार, बात-बात पर एक ही शब्द दोहरा रहे थे कि कभी भी किसी की भी जिन्दगी में कुछ भी हो सकता है। मैंने मन में कहा, फेंक रहे हैं। ऐसा कैसे हो सकता है। मैं कुत्ता हूं तो कुत्ता ही रहूंगा, शेर थोड़े ही बन जाऊंगा।’’
यही सब सोचता हुआ मैं घर से निकल कर खाने की तलाश में रेलवे लाइन क्रॉस कर रहा था कि अचानक पीछे से धड़धड़ाती हुयी टे्रन आ गयी, मैंजब तक कुछ समझ पाता और पटरी से उतर पाता मेरी पूछ टे्रन के नीचे आकर कट गयी। मैं दर्द से बिलबिलाने लगा और मोहल्ले की तरफ भागा पर लोगों ने मुझे रुकने नहीं दिया और वहां से भगा दिया, जिससे मैं अपनी जान बचाकर जंगल में चला गया। वहां मेरे जख्म को मक्खियां कुरेदने लगीं। मक्खियों से बचने के लिए मैं घनी जंगली झाड़ियों में घुसकर बैठ गया । मुझे आराम मिल गया और मैं गहरी नींद में सो गया। वहां मुझे कैसी भी कोई तकलीफ नहीं हो रही थी इसलिए मैं वहीं रहने लगा।
एक-डेढ़ महीने में जब मेरा घाव भर गया तो मैं जंगल से निकल कर शहर की तरफ चला गया। वहां कुछ कोठी वाले लोग मुझे देखकर आपस में बातें बनाने लगे, ‘‘कोई कह रहा था कि कितना तगड़ा-तंदरुस्त है। कोई कह रहा था कि किसी बड़े घर का लगता है। ‘’...कोई कह रहा था ये यहां का लगता ही नहीं है। अच्छी नस्ल का है, पूछ कटी हुई है, कहीं बाहर का लगता है, तो कोई कह रहा था, यह अपने घर का रास्ता भटक गया है।’’
उन सबकी बातें सुनकर मुझे खुशी हुई और मैं मन में सोचने लगा कि मेरी दुम कट जाने से मेरी काया बदल गयी है। मैं तगड़ा-तंदरुस्त भी हो गया हूं। इसीलिए यह लोग मुझे यहां का नहीं किसी दूसरे देश का समझ रहे हैं। मुझे देखकर, वहां के सड़क छाप कुत्ते भी के डर के मारे मुझसे दूर भाग रहे थे। सचमुच किसी का वक्त बदलते देर नहीं लगती है ।
मैं रुक कर उनकी बातें सुनने लगा। मिस्टर सक्सेना अपने पड़ोसी से बोले,‘‘मिस्टर कपूर, क्या ऐसा नहीं हो सकता कि जब तक इसका मालिक इसे ढूंढने यहां आए, तब तक इसे मैं अपने घर में रख लूं ?’’
‘‘अगर आपके यहां रह जाए तो रख लीजिए, वैसे भी आपको तो कुत्तों से बहुत लगाव है।’’
मैं तो चाहता भी यही था कि मुझे किसी के घर में शरण मिल जाए। सक्सेना जी ने मुझे पुचकारा तो मैं अपनी कटी दुम हिलाता हुआ उनके पास पहुंच गया। उन्होंने प्यार से मुझे सहलाया तो मेरे बदन में गुदगुदी होने लगी, जिससे मैं कुनमुनाने लगा। मुझे ऐसा करते देख सक्सेना जी बहुत खुश हुए और अपने घर में लेजाकर मुझे दूध में ब्रेड मिलाकर खाने को दिया, जिसे खाकर मेरी तबियत खुश हो गयी, क्योंकि जिन्दगी में पहली बार मुझे ऐसा खाना खाने को नसीब हुआ था।
बस फिर क्या था उस दिन से अपनी खूब आव-भगत होने लगी। सुबह-शाम कीमती पट्ठे में बांधकर मिसेस सक्सेना मुझे पार्क में घुमाने ले जातीं। मुझे देखकर लोग बातें बनाते तो मिसेस सक्सेना खुद में गर्व महसूस करतीं। पार्क से आने के बाद अपनी मालिश होती, शैम्पू से नहाना-धोना होता और आराम से दूध-ब्रेड खाने को मिलती। जैसे-जैसे मिस्टर सक्सेना के रिश्तेदारों, परिचितों और दोस्तों को मेरे बारे में पता चलता गया, वो लोग मुझे देखने के लिए वहां आने लगे और मिस्टर सक्सेना की किस्मत को सराहने लगे। जब सक्सेना फैमिली पूरी तरह से निश्चिंत हो गई कि अब मुझे कोई लेने आने वाला नहीं है तो उन्होंने पूरी तरह मुझ पर अपना हक जमाने के लिए मेरा नामकरण भी कर दिया। मेरे लिए एक अलग से कमरा बना दिया गया, जिसमें बिस्तर से लेकर सारे ऐश-ओ-आराम थे। अब मैं जहां भी जाता हूँ तो पट्ठे में बंधकर या पैदल न जाकर सक्सेना फैमिली की चमचमाती कार में जाता हूँ।
एक दिन मिसेस और मिस्टर सक्सेना मुझे शहर की जानी-मानी पैट क्लीनिक ले गए और डॉक्टर से मेरा चेक-अप करबाने के साथ-साथ इस आश्य से मेरे इंजक्शन ठुकवा दिया ताकि आस-पास में मेरी जनरेशन न होने पाए, क्योंकि अब मैं उनका स्टेटस सिम्बल जो बन गया था। हाईटेक सुविधाओं में रहते हुए मेरी काया बदल गई। मेरे भौंकने और चलने-फिरने का स्टाइल भी चेंज हो गया। पहले मैं अनाथ मरियल कुत्तों की तरह भौंकता था अब अमीरों जैसा दमदार भौंकता हूँ और सोफे पर बैठकर अनुपम खेर का शो ’’कुछ भी हो सकता है, देखता हूं। क्योंकि अब मुझे पक्का यकीन हो गया था कि किसी की भी जिन्दगी में, कभी भी कुछ भी हो सकता है।‘‘
‘‘क्या हुआ सर! आप क्या सोचने लगे?’’
मरियल कुत्ते ने दुम कटे कुत्ते को खामोश देखकर कहा, तो दुम कटे कुत्ते की विचार श्ाृंखला भंग हो गयी। वह एकदम ऐसे चौंक गया, जैसे किसी ने उसे गहरी नींद से जगा दिया हो। उसने सोचा, अगर मैंने अपने मोटे-तगड़े और ऐशो-आराम की जिन्दगी गुजारने का राज इस मरियल कुत्ते को बता दिया, तो मेरी पोल खुल जायेगी और इसकी नजरों में मेरी जो इज्जत है, वो खत्म हो जायेगी ? ...नहीं, मैं इसे अपनी असलियत नहीं बताऊंगा।’’
दुम कटा कुत्ता एकदम सामान्य होकर उस मरियल कुत्ते से बोला, ‘‘कुछ नहीं बस ऐसे ही। अच्छा दोस्त, मेरा योगा क्लास जाने का समय हो गया है। ऐसा करते हैं हम इस विषय पर फिर कभी बात करेंगे।’’
‘‘तो क्या आप योगा क्लास भी लेते हैं ?’’
‘‘हाँ, मेरी इच्छा तो नहीं होती है, पर क्या करूं, यह सब बड़े लोगों के चोचले हैं, करने तो पड़ते ही हैं। आजकल इन्हीं सब चोचलों से इंसान बड़ा आदमी कहलाता है।.....अच्छा दोस्त, अब मैं चलता हूँ।’’
‘‘ठीक है सर! मैं आपका इन्तजार करूंगा।’’
‘‘आज तो बच गया, लेकिन आगे कैसे बचूंगा ? मुझे इसे गोली पिलानी ही पड़ेगी। जाते-जाते अचानक रुक गया और मरियल कुत्ते से बोला, ‘‘यार, माफ करना मैं कल नहीं आ पाऊंगा, कल क्या अब बहुत दिनों तक नहीं आ पाऊंगा, क्योंकि आज शाम को मेरी मुम्बई की फ्लाइट है।’’
‘‘मुम्बई की फ्लाइट ? आप मुम्बई क्यों जा रहे हैं ?
‘‘वहां मुझे एक फिल्म में कुछ स्टन्ट करने हैं इसलिए।’’
‘‘तो क्या आप फिल्मों में भी काम करते हैं ?’’ मरियल कुत्ते ने उत्सुकता से पूछा।
‘‘हां, अपने मालिक को खुशी देने के लिए सब कुछ करना पड़ता है।.....अच्छा दोस्त चलता हूं, वापस आने के बाद तुमसे मिलता हूं।’’
‘‘ठीक है, मैं आपका इन्तजार करूंगा।’’
मरियल कुत्ता उस दिन से सपने देखने लगा, चमचमाती कार, योगा, फिल्मों में स्टन्ट....वाह, इसका मतलब मेरी भी किस्मत चमकने वाली है? मैं भी आम कुत्ते से खास कुत्ता हो जाऊंगा। इसी तरह के सपने देखते-देखते मरियल कुत्ता बद-से-बदतर हो गया मगर दुम कटा कुत्ता उस पार्क में फिर कभी नहीं आया।
गुडविन मसीह
चर्च के सामने, वीर भट्टी,
सुभाषनगर,
बरेली (यूपी) 243001
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