प्रेम कहानी - मेरी रॉयल एनफ़ील्ड स्क्वाड्रन ब्लू / पूजा उपाध्याय

SHARE:

मेरी रॉयल एनफ़ील्ड स्क्वाड्रन ब्लू आज मैं अपनी दो मुहब्बतों के बारे में लिख रही हूँ। मेरी आदत है जिससे इश्क़ होता है उसके प्रति बहुत ज़्या...

मेरी रॉयल एनफ़ील्ड स्क्वाड्रन ब्लू

आज मैं अपनी दो मुहब्बतों के बारे में लिख रही हूँ। मेरी आदत है जिससे इश्क़ होता है उसके प्रति बहुत ज़्यादा पजेसिव हो जाती हूँ। कुछ इस क़दर कि कभी अपनी आँखों में भी इश्क़ लरजे तो पलकें बंद कर लेती हूँ कि ख़ुद की ही नज़र लग जाएगी। मेरी रॉयल एनफ़ील्ड स्क्वाड्रन ब्लू, और मेरा हमसफ़र।

बचपन से बॉलीवुड फ़िल्में देख कर लगता था कि बस प्यार एक ही बार होता है। उसमें भी दिल तो पागल है टाइप फ़िल्में देख कर तो सोलमेट वग़ैरह जैसे चीज़ें देखीं और लगा कि ऐसा कुछ होता होगा। लड़कपन की पहली आहट के साथ ज़िंदगी में प्यार भी दबे पाँव दाख़िल हुआ। मगर ये वो उम्र थी जहाँ प्यार आपसे ज़्यादा आपकी सहेलियों को पता होता है। उसकी हर बात पसंद होती है। उसके डिम्पल, उसकी हैंडराइटिंग, उसका डान्स, सब कुछ। उस उम्र ये भी लगता है कि उसे कभी भूल नहीं पायेंगे और कि प्यार दोबारा कभी नहीं होगा। मगर पहली बार दिल टूटता है तो लगता है कि इस प्यार से तो बिना प्यार के भले। मगर इसके बाद कई कई बार प्यार होता है और हर बार ये विश्वास ज़रा सा टूटता है कि उम्र भर का प्यार होता है। 

इसी दिल टूटने, जुड़ने, टूटने के दर्मयान लड़कपन गुज़र जाता है, घर पीछे छूट जाता है और दिल्ली को आँखों में बसाए हुए IIMC आ जाती हूँ। नौकरी। आत्मनिर्भरता। और एक नया आत्मविश्वास आता है। पुराने स्कूल के दोस्तों से बात होनी शुरू होती है। इश्क़ की पेचीदगी थोड़ी बहुत समझ आती है। चीज़ें उतनी सिम्पल नहीं लगती हैं जितनी बचपन की गुलाबी दुनिया में दिखती थीं। ऑफ़िस। लेट नाइट। नए प्राजेक्ट्स। ख़ुद की पहचान तलाशने का दौर था वो। जब मुझे पहली बार मिला तो जो पहली चीज़ महसूस की थी वो थी आश्वस्ति। कि मैं उसपर भरोसा कर सकती हूँ। इसमें बचपन का रोल था कि हमारे स्कूल का हेड प्रीफ़ेक्ट था वो। उसके साथ होते हुए कभी किसी चीज़ से डर नहीं लगता था। उसके साथ ज़िंदगी एक थ्रिल लगती थी। उन्हीं दिनों पहली बार ये भी महसूस किया था कि वो मेरा हमेशा के लिए है। बिना कहे भी। हमारे बीच हर चीज़ से गहरी जो चीज़ थी वो थी दोस्ती। 

शादी के ९ साल हो गए हैं अब साथ। हमारे बहुत झगड़े होते हैं। इतने कि लगता है कि आज तो बस जान दे ही दें। कूद वूद जाएँ छत पे चढ़ कर। लेकिन वो जानता है मुझे। वो जानता है मुझे हैंडिल करना। डेटिंग के शुरू में जो बातें हम करते थे, तुम मेरी पूरी दुनिया हो टाइप। वो अब भी सच हैं। मैं इस पूरी दुनिया में सिर्फ़ एक उसको ही प्यार करती हूँ। एक सिर्फ़ उसको। किसी रोज़ कुछ अच्छा पहन लिया, चाहे एक झुमका ही क्यूँ ना हो, पहली तारीफ़ उससे ही चाहिए होती है। मेरे यायावर मन को उसके होने से ठहार मिलता है। घर मिलता है। 

उसे मोटरसाइकिल का शौक़ कभी नहीं रहा। इन फ़ैक्ट उसके दोस्तों में भी किसी को नहीं। कॉलेज में फिर भी कभी चलाया होगा लेकिन नौकरी पकड़ते ही उसने कार ख़रीदी। अभी भी उसे नयी कार, उसके माडल्ज़, इंटिरीअर्ज़ वग़ैरह सब बहुत मालूम रहती हैं। उसके क़रीबी दोस्त कि जो सारे IIT बॉम्बे से ही हैं, उनमें भी किसी के पास बाइक नहीं है। सब कार वाले लोग हैं। हाँ, उसके ऑफ़िस में, उसकी पूरी टीम में सबके पास रॉयल एनफ़ील्ड है। सबके ही पास। पहले साक़िब ने थंडरबर्ड ख़रीदी तो उसने एक आधी बार चलायी। लेकिन ज़्यादा नहीं।  लेकिन जब रमन ने डेज़र्ट स्टॉर्म ख़रीदी तो उसको पहली बार थोड़ा रॉयल एनफ़ील्ड का शौक़ लगा। उन्ही दिनों कुणाल के एक दोस्त से बात होते हुए उसने कहा कि उसका एक दोस्त है जो रॉयल एनफ़ील्ड कस्टमाइज करता है। हमने बात की इस बारे में कि वो हाइट में कम लोगों के लिए बाइक छोटी कर देता है। हम दोनों बहुत दिन तक इसपर हँसते रहे कि बाइक का jpeg ड्रैग करके छोटा कर देता है। मगर बहुत दिन बाद आँखों में चमक आयी थी। कोई सोया सपना जागा था। कि शायद मैं सच में कभी ज़िंदगी में एनफ़ील्ड चला पाऊँगी। मगर ये सब मज़ाक़ लगता था। 

मेरा बर्थ्डे पास आ रहा था और मैं हमेशा की तरह उसको चिढ़ा रही थी कि क्या दोगे हमको। ऐसी ही नोर्मल सी शाम हम वॉक पर निकले थे तो कुणाल हमको एनफ़ील्ड के शोरूम ले गया और बोला, आज तुमको एनफ़ील्ड बुक कर देते हैं। हमको यक़ीन नहीं हो रहा था। लगा मज़ाक़ कर रहा है। लेकिन वो बोला कि सीरियस है। उसने पूरा पूछ वूछ लिया है। मेरे हिसाब से ऐडजस्ट हो जाएगी। 'एक ही ज़िंदगी है है हमारे पास। एनफ़ील्ड चलाना तुम्हारा सपना था ना? मेरे रहते तुम्हारा कोई सपना अधूरा रह जाए, ये मैं होने दूँगा? बताओ?'। हम सोच के गए थे कि डेज़र्ट स्टॉर्म ख़रीदेंगे लेकिन शोरूम गए तो क्लासिक ५०० का नया रंग देखा। स्क्वाड्रन ब्लू। हम दोनों उसपर फ़िदा हो गए। उसी को बुक कर दिया। 

अब मैंने सोचा कि मोटरसाइकल और रॉयल एनफ़ील्ड में अंतर होता है। तो एक बार चलाना सीख लेते हैं। अपनी नयी बाइक पर हाथ साफ़ तो नहीं करूँगी। गूगल किया तो एक ग्रूप पाया, हॉप ऑन गर्ल्स का, यहाँ लड़कियाँ ही लड़कियों को बुलेट सिखाती थीं। ये बात थोड़ी आश्वस्त करने वाली थी। मेरी ट्रेनर बिंदु थी। कोई पाँच फ़ुट पाँच इंच की छोटी सी दुबली पतली सी लड़की। मगर उसे रॉयल एनफ़ील्ड चलाते हुए देख कर कॉन्फ़िडेन्स आया कि हो जाएगा। दो दिन की चार चार घंटे की ट्रेनिंग। पहले दिन जो लौटी तो क़सम से लगा हथेलियाँ टूट जाएँगी। इतना दर्द था। लेकिन ज़िद्दी तो ज़िद्दी हूँ मैं। गयी अगले दिन भी। खुली सड़क पर पहली बार जब एनफ़ील्ड को रेज किया और वो हवा से बातें करने लगी तो लगा कि नशा इसे कहते हैं। 

अगस्त, फ़्रेंडशिप डे के अगले दिन बाइक की डिलेवरी थी। ऑफ़िस में इतना काम था कि कुणाल नहीं जा सका। उसके सिवा ऑफ़िस के अधिकतर लोग गए। मैं कार चलाते हुए सोच रही थी। मुहब्बत सिर्फ़ हमेशा साथ रहना ही नहीं होता है। जो दिन मेरे लिए बहुत ज़रूरी था, वहाँ कुणाल को ऑफ़िस में रहना था क्यूँकि एक ज़रूरी कॉल थी। उसका काम ज़रूरी है ताकि मैं अपने ऐसे शौक़ पूरे कर सकूँ। बाद में मैंने सोचा कि मैं अगले दिन तक इंतज़ार भी कर सकती थी। ये मेरी ग़लती थी। बाइक आने पर मैं इतनी ख़ुशी से पागल हो गयी थी कि इंतज़ार नहीं कर पायी। एक दिन रूकती तो हम दोनों साथ जा कर ले आते। 

ख़ैर। एनफ़ील्ड आयी तो घर आयी ही नहीं। आकाश ने वहीं से टपा ली। मेरे पैर नहीं पहुँचते थे ज़मीन तक। उसपर आकाश मेरा लाड़ला देवर है। तो बोला कुछ दिन हम चला लेते हैं भाभी। तो रहने दिए। इधर कुणाल बोल दिया था लेकिन उसको डर लगता था कि हमसे वाक़ई चलेगी या नहीं। आकाश को तो और भी डर लगता था। पहली बार कुणाल जब बैठा बाइक पर पीछे तो महसूस हुआ कि बाइक थोड़ा सा दबी और मेरे पैर थोड़े से पहुँचे। मगर बहुत कम चलाने को मिला। फिर सच ये है कि एनफ़ील्ड का वज़न २०० किलो है। इस भार को सम्हालने के लिए थोड़ी आदत लगनी ज़रूरी है। यहाँ गाड़ी हमको मिले ही ना। दोनों भाई लोग लेके फ़रार। इन फ़ैक्ट इसका नीला रंग एकदम नया आया था तो ऑफ़िस में भी सबको बहुत पसंद थी। नतीजा ये कि दोपहर की वॉक पर सब लोग एनफ़ील्ड से निकलने लगे। कुणाल ने भी महसूस किया कि अपनी एनफ़ील्ड की बात और होती है। मैं देख रही थी कि उसको भी पहली बार ज़रा ज़रा मोटरसाइकल का चस्का लग रहा था। बेसिकली रॉयल एनफ़ील्ड और बाक़ी मोटरसैक़िलस में बहुत अंतर होता है। पहली तो चीज़ होती है इसकी आवाज़। इसका वायब्रेशन। फिर डिज़ाइन भी क्लासिक है। और अगर इतने में भी दिल ना फिसला, तो फिर है इसकी पावर। ५०० सीसी की बाइक है। एक बार रेज दो तो ऐसे उड़ती है कि बस। 

एनफ़ील्ड का नाम रखना था अब। लड़के अपने एनफ़ील्ड का नाम अक्सर किसी लड़की के नाम पर रखते हैं। उसे अपनी गर्लफ़्रेंड या बीवी की तरह ट्रीट करते हैं। मगर यहाँ ये मेरी एनफ़ील्ड थी। तो इसका नाम कुछ ऐसा होना था कि जिससे मेरी धड़कनों को रफ़्तार मिले। फिर इन्हीं दिनों जब इतरां की कहानी लिखनी शुरू की थी तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन मेरे पास मेरी अपनी रॉयल एनफ़ील्ड होगी। इसका नीला रंग। तो बस। नाम एक ही होना था। रूद्र। 

किसी भी तरह का टू वहीलर चलाना एक तरह का नशा होता है। चेहरे पर जब हवा लगती है तो वाक़ई ऐसा लगता है कि उड़ रहे हैं। बाइकिंग एक तरह की कंडिशनिंग होती है। मैंने अपने पापा से सीखी। बाइक के प्रति प्यार भी उनमें ही देखा। हमारी राजदूत मेरे जन्म के साल ख़रीदी थी पापा ने। हम ख़ुद को 'born biker' कहते हैं। मेरे परिवार में सबके पास टू वहीलर है। भाइयों के पास, कजिंस के पास। पापा, नानाजी, मामा, उधर चाचा के बच्चों के पास। मगर कुणाल के घर में सबको टू वहीलर से डर लगता है। घर में किसी भाई को परमिशन नहीं मिली। सबको ऐक्सिडेंट होने का डर भी लगता है। हालाँकि पहले घर में यामाहा rx १०० थी और सब लोग उसपर बहुत हाथ साफ़ किया है। आजकल भी एक मोटरसाइकल है। मगर वहाँ मोटरसाइकल को लेकर कोई जुनून नहीं है। फिर कुणाल के दोस्तों को भी शौक़ नहीं है। कुणाल के लिए मेरे बाइक चलाने से ज़्यादा डरावनी बात नहीं हो सकती। उसको हज़ार चीज़ों से डर लगता है। एनफ़ील्ड से गिरी तो कुछ ना कुछ टूटेगा ही। किसी को ठोक दिया तो उसको भी भारी नुक़सान होगा। उसपर मैं इत्ति सी जान और २०० किलो की मशीन। उसपे ५०० सीसी का इंजन। उसपर मेरा पागल दिमाग़ कि जो स्कूटी को ९० किमी प्रति घंटा पर उड़ाने को थ्रिल समझता था। ये सब जानते हुए। डरते हुए। फिर भी वो समझता है कि मेरे लिए एनफ़ील्ड क्यूँ ज़रूरी है। या मेरा सपना क्यूँ है। और इस सपने को उसने हक़ीक़त किया। मेरे लिए यही प्यार है। यही हमारी गहरी दोस्ती है। जहाँ आप दूसरे की कमज़ोरी नहीं, ताक़त बनते हैं। 

 

उसने जब पहली बार मुझे एनफ़ील्ड पर देखा तब भी उसे यक़ीन नहीं हो रहा था कि मैं सच में चला लूँगी। उसे लगता था कि मैं ऐसे ही हवा में बात करती हूँ जब कहती हूँ की पापा ने मुझे राजदूत सिखायी थी। मगर धीरे धीरे मेरा भी कॉन्फ़िडेन्स बढ़ा और कुणाल का भी। 

हर बार जब पार्किंग से निकालती हूँ तो एनफ़ील्ड में पेट्रोल दौड़ता है और मेरी रगों में इश्क़। हर बार मुझे लगता है कि सपने देखने चाहिए। हर बार थोड़ा सा और प्यार हो जाता है उस लड़के से जिसके साथ २४ की उम्र में फेरे लिए थे मैंने। सात जनम तक, ५०० सीसी तक और जाने कितने किलोमीटर तक। जब तक मेरा दिल धड़के इसमें बस एक उसी का नाम है। 

उसके लिए लिखी मेरी सबसे पसंदीदा लाइन। 'Of all the things I am, my love, what I love most, I am yours'.

चश्मेबद्दूर।

(पूजा उपाध्याय के ब्लॉग - लहरें http://laharein.blogspot.in/2016/11/blog-post_17.html से साभार )

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: प्रेम कहानी - मेरी रॉयल एनफ़ील्ड स्क्वाड्रन ब्लू / पूजा उपाध्याय
प्रेम कहानी - मेरी रॉयल एनफ़ील्ड स्क्वाड्रन ब्लू / पूजा उपाध्याय
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiD8WOklSW00hqjp0YKX933vLOzSHtrZDX2nwgRuAMh9shmxTT30ffSIZqn5myFeKFnzBg_I83HAoKUAYmZiQK7yBPTx6Z9u4NkXSnGofn_HQ0eWtzOenMtiBUxtlQhWoqRIko8Fg/s320/IMG_1309.JPG
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiD8WOklSW00hqjp0YKX933vLOzSHtrZDX2nwgRuAMh9shmxTT30ffSIZqn5myFeKFnzBg_I83HAoKUAYmZiQK7yBPTx6Z9u4NkXSnGofn_HQ0eWtzOenMtiBUxtlQhWoqRIko8Fg/s72-c/IMG_1309.JPG
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/11/blog-post_90.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/11/blog-post_90.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content