विज्ञान-कथा नए दौर में..... अभिषेक मिश्र, रत्‍ना रॉय

SHARE:

विज्ञान-कथा नए दौर में..... अभिषेक मिश्र, रत्‍ना रॉय तीसरी सहस्राब्‍दी का सोरोना मंडल- वह दौर जब पृथ्‍वी के विभिन्‍न भागों में माइग्रेशन...

image

विज्ञान-कथा

नए दौर में.....

अभिषेक मिश्र, रत्‍ना रॉय

तीसरी सहस्राब्‍दी का सोरोना मंडल- वह दौर जब पृथ्‍वी के विभिन्‍न भागों में माइग्रेशन कर रहे लोगों ने सौर मंडल के अलग-अलग ग्रहों-उपग्रहों में पृथक छोटी-बड़ी मानव बस्‍तियाँ बसा ली थीं। विज्ञान के अभूतपूर्व विकास के बावजूद मानव अपनी विशिष्‍ट पहचान और वजूद कायम रखने के बुनियादी स्‍वभाव को मिटा न सका था। विज्ञान पर आधारित यह समाज अब धर्म, जाति जैसी विभाजक पहचान से मुक्‍त था और अलग-अलग ग्रहों में बसी ये विभिन्‍न सभ्‍यताएँ विभिन्‍न तनावों और गंभीर बहसों आदि के नतीजे के रूप में पहली बार एक साझी व्‍यवस्‍था के अंतर्गत एक संघ के रूप में एक साथ आने पर सहमत हुइर्ं; किन्‍तु अपनी व्‍यक्‍ति पहचान और श्रेष्‍ठता सिद्ध करने की भावना उनमें कहीं न कहीं छुपी ही थीं। इस पूरे मंडल के विभिन्‍न क्रियाकलापों के सुचारू संचालन हेतु सभी सदस्‍य इकाईयों के प्रतिनिधि सदस्‍योें की एक कार्यपरिषद गठित की गई थी। इस परिषद में अलग-अलग क्षेत्रों में विशिष्‍ट मुकाम हासिल कर चुकी हस्‍तियों को चयनित किया गया था जिसमें 16 वर्ष से लेकर 60 वर्ष तक के स्‍त्री-पुरुष शामिल थे। सोरोना संघ के गठन के बाद यह पहला आयोजन है जिसमें सभी ग्रहों के प्रतिनिधि एक उन्‍मुक्‍त और खुशनुमा माहौल में भाग लेंगे। इस आयोजन का उद्देश्‍य है इस मंडल के एक आदर्श को चुनना। एक आदर्श चरित्र की उपयोगिता सभ्‍यता के प्रारम्‍भिक काल से ही रही है। समाज और आने वाली पीढ़ियों को एक प्रतीकात्‍मक संदेश देने के लिए इनकी जरूरत सदा से रही है। यही कारण है कि किसी समाज के मौलिक ढांचे को चोट पहुँचाने वाली शक्‍तियाँ सबसे पहले उनके आदर्शों को ही अपना निशाना बनती रही हैं। यही पृष्‍ठभूमि थी इस आयोजन की कि नए सिद्धांतों पर आधारित इस नई दुनिया के लिए भी एक ऐसा चरित्र ढूँढा जाए जो इसकी विशेषताओं का प्रतिनिधित्‍व करता हो। जाहिर है इस आयोजन के प्रति उत्‍सुकता के साथ इस नवीन संघ में अपनी पहचान पाने की प्रेरणा भी अंतस में कार्य कर रही थी। चर्चा का विषय सिर्फ

 

प्रतियोगिता ही नहीं बल्‍कि इसमें प्रतिभागिता और चयन प्रक्रिया भी थी। प्रतियोगिता में न तो किसी प्रकार के नोमिनेशन का प्रावधान था न ही कोई आयु सीमा। आयोजन समिति के अध्‍यक्ष मिखाईल ने समिति के अन्‍य सदस्‍यों के लंबी बहस के बाद कुछ नियम तय किए थे, जिनका अब अनुपालन सुनिश्‍चित होना था। सुपर कम्‍प्‍यूटर में संरक्षित डेटाबेस से ही नोमिनेशन चुने जाने थे। और चयन समिति खुद ही विजेता का चयन करने वाली थी। बिना नोमिनेशन और वोटिंग के ऐसी प्रतियोगिता के स्‍वरूप को लेकर सभी में स्‍वाभाविक उलझन और अनिश्‍चितता भी थी। आखिर प्रतियोगिता का वो दिन भी आ ही पहुँचा जिसकी सभी को बेसब्री से प्रतीक्षा थी। पृथ्‍वी की प्राचीनतम सभ्‍यताओं में एक भारतीय ग्रंथों में देवगुरु के रूप में प्रतिष्‍ठापित बृहस्‍पति ग्रह ही मेजबान था इन अनूठे आयोजन का। प्रतियोगिता के विजेता को दी जाने वाली उपाधिका नाम भी गुरु ही था। आयोजन स्‍थल पर उपस्‍थित दर्शकों के अलावा सोरीना मंडल के सभी निवासी टेलीपैथिक तरंगों के माध्‍यम से इस आयोजन को देख पा रहे थे। इस प्रक्रिया में आयेाजन स्‍थल में कुछ विशेष तरंगें प्रक्षेपित की जा रही थीं, जिसे इस आयोजन को देखने में इच्‍छुक कोई भी व्‍यक्‍ति अपने मानस पटल पर केन्‍द्रित कर कर एक छवि की रचना कर सकता था। यहीं से वो अपने विचारों को इन्‍हीं तरंगों के माध्‍यम से आयोजन से जुड़े अधिकारियों तक पहुँचा भी सकता था।

तय समय पर कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। प्रतियोगिता समिति के अध्‍यक्ष मिखाईल के सधे हुए स्‍वरों में कार्यक्रम की रूपरेखा रखनी शुरू की- ‘‘मित्रों, जैसा कि आप सब जानते हैं हम यहाँ इस मंडल के एक आदर्श व्‍यक्‍तित्‍व के चयन के लिए एकत्र हुये हैं। अपनी प्राचीन मानव सभ्‍यता की कुछ प्राचीन परंपराओं के अनुक्रम में हम एक सौंदर्य प्रतियोगिता सदृश्‍य कोई आयोजन भी कर सकते थे। मगर आज के इस विकसित दौर में हमारी राय में प्रतियोगिता जैसी अवधारणा का कोई स्‍थान नहीं होना चाहिए। यह नया मंडल जो जाति, धर्म असमानता आदि

 

अवधारणाओं से मुक्‍त समाज का उदाहरण है- हर व्‍यक्‍ति अपने-आप में विशिष्‍ट है। इसलिए यह एक प्रतियोगिता नहीं अपितु चयन है ऐसे व्‍यक्‍तित्‍व का जो आदर्श और प्रेरणा बन सके समाज का भी। स्‍त्री हो अथवा पुरुष- उसके व्‍यक्‍तित्‍व के निर्माण में निश्‍चित रूप से प्रकृति प्रदत्त गुणों के अलावा उसकी खुद की विकसित क्षमताओं, आत्‍मविश्‍वासों आदि की भी महत्‍वपूर्ण भूमिका होती है। हम आज इन्‍हीं गुणों के आधार पर प्रतिभागी का समग्र मूल्‍यांकन करेंगे और इसी आधार पर आदर्श का चयन करेंगे।

दर्शकों में से एक प्रश्‍न उभरा- मगर आपने प्रतियोगिता के नोमिनेशन में किन्‍हें और किस आधार पर शामिल किया है? तनिक हमें भान तो हो कि हमारे प्रतिनिधि कौन हैं और क्‍यों?’’ मिखाईल ने शांति से प्रत्‍युत्तर दिया- ‘‘आपका प्रश्‍न बिल्‍कुल उचित है। जैसा कि आप जानते हैं इस मंडल के लाखों सदस्‍य हैं। इनमें से हमने 21 वर्ष से कम आयु के सदस्‍यों को नोमिनेशन में भी शामिल नहीं किया है।’’ यह सुनते ही सभा स्‍थल में खुसर-फुसर की आवाजें तेज हो गइर्ं। हों भी क्‍यों न! यही तो वो उम्र होती है जब सौंदर्य के साथ कई अन्‍य विशेषताएँ अपने तमाम मापदंडों के साथ अपनी ओर एक आकर्षण रच रही होती हैं। मगर इसी आयु वर्ग के सदस्‍यों को ही नोमिनेशन में शामिल नहीं किया जाएगा। मिखाईल ने शायद उनके मन में उभर रहे विचारेां को उनके चेहरे के भावों में पढ़ लिया और पुनः कहना आरंभ किया- ‘‘जूरी की राय में यह आयु अभी उनके स्‍वयं को समझने, सीखने और एक जिम्‍मेदार नागरिक के रूप में खुद को ढालने की है। एक जागरूक और जिम्‍मेदार नागरिक ही किसी राष्‍टं-राज्‍य के अलंकार हो सकते है।’’ दर्शकों का एक बड़ा वर्ग निराश तो था, मगर वो जूरी इस राय से असहमत भी नहीं था। आयोजन का उनका मुख्‍य आकर्षण तो अब कम ही हो गया था, किन्‍तु उनकी उत्‍सुकता अब इस मायने में बढ़ गई थी अब इसके आगे किन आधारों पर और किसे विजेता चुना जाएगा।

मिखाईल ने आगे कहा- मैं जानता हूँ कि अब आपकी उत्‍सुकता शेष प्रतिभागियों में से विजेता को चुनने की प्रक्रिया को जानने में होगी। जूरी ने इस विषय पर काफी विचार-विमर्श किया कि क्‍या रूप, युवावस्‍था, रंग-रूप ही सुंदरता अथवा किसी व्‍यक्‍ति के आदर्श होने के प्रतिमान हैं या व्‍यक्‍तिगत गुण, भावनाएँ, अनुभव, चारित्रिक दृढ़ता और आत्‍मविश्‍वास के साथ आगे बढ़ते हुये दुनिया को बेहतर बनाने के उद्देश्‍य में अपने योगदान का भी कुछ महत्‍व है? त्‍वचा का रंग मात्र एक भौतिक पक्ष है जो भोगौलिक, जेनेटिक आदि कारणों पर निर्भर है। मात्र रंग-रूप और शारीरिक बनावट ही सौंदर्य और श्रेष्‍ठता का एकमात्र पैमाना कदापि नहीं हो सकता। व्‍यक्‍ति और उसके व्‍यक्‍तित्‍व का समग्र सौंदर्य उसकी मानवीय विशेषताओं में निहित होता है। दुनिया को आज के इस स्‍वरूप में पहुँचाने वालों में सिर्फ गोरे और सुंदर लोग ही नहीं थे। भाँति-भाँति के रंग-रूप, शारीरिक बनावट आदि के लोगों के योगदान ने हमें आज यहाँ तक पहुँचाया है। हमारा आज का यह आयोजन समर्पित है ऐसे व्‍यक्‍त्‍विों को, और हमारे विजेता प्रतिनिधित्‍व करेंगे मनुष्‍य की विकासयात्रा में अपना अमूल्‍य योगदान देने वाले ऐसे ही जाने-अनजाने व्‍यक्‍तियों का।’’ नई दुनिया की इस नई पहल को सभी कहीं-न-कहीं स्‍वीकार भी कर रहे थे और उनके अंदर अब इस नई व्‍यवस्‍था के पहले और नए प्रतिनिधि को देखने की उत्‍सुकता चरम पर थी।

मिखाईल भी अब इस विषय को औ लंबा न खींचते हुए मुख्‍य बिन्‍दु पर आ रहे थे- ‘‘अब मैं आपको ये बता ही दूँ कि हमारे इस आयोजन का प्रथम सम्‍मान एक स्‍त्री को प्राप्‍त हुआ है। क्‍या आपने ये सोचा कि इस परिषद के पहले आयोजन में एक स्‍त्री ही क्‍येां और किस प्रकार चयनित हुई? हमारी राय में स्‍त्री को ईश्‍वर ने विशेष गुण और क्षमताएँ दी हैं, जो पुरुषों को भी नहीं दीं। शायद तभी एक वक्‍त हमारी सभ्‍यता भी मातृसत्तात्‍मक थी। लगभग प्रत्‍येक प्राचीन सभ्‍यता में स्‍त्री को महत्‍वपूर्ण स्‍थान दिया गया है। स्‍त्री की प्रजनन शक्‍ति जो इस दृष्‍टि के चक्र की धुरी है को स्‍वीकारने और सम्‍मान देने की अनेकानेक परम्‍पराएँ हमारी वैश्‍विक संस्‍कृति में रही हैं इस मुख्‍य दायित्‍व को निभाने के साथ-साथ भी स्‍त्री ने अपनी कई अन्‍य भूमिकाओं में बखूबी निभाया है। अपने परिवार, अपने बच्‍चों को उचित संस्‍कार देने, उन्‍हें भविष्‍य को बेहतर नागरिक बनाने, विश्‍व की बेहतरी में अपने योगदान हेतु तैयार और प्रेरित करवाने के अलावा इस दिशा में अपने व्‍यक्‍तिगत प्रयासों भी महिलाएं करती आई हैं जिसके लिए मानव सभ्‍यता उनकी ऋणी है। आज हमारे इस मुकाम तक पहुँचने में युद्ध आदि विभीषिकाओं से उबरने और समग्र विकास के लक्ष्‍य के साथ यहाँ तक पहुँचने में भी स्‍त्रियों का अकथनीय योगदान रहा है। इस पूरी विकास यात्रा के दौरान नारी कभी स्‍वतंत्रत अस्‍तित्‍व में हो या माँ, बहन, पत्‍नी, प्रेयसी अथवा बेटी के रूप में- हमारी मार्गदर्शक और प्रेरणा बनती आई हैं एक गुरु- एक नेतृत्‍वकर्ता के रूप में भी उसने समय-समय पर अपनी भूमिका निभाई है। नारी के इस समग्र रूप और उसके योगदान को स्‍वीकार करते हैं और पूर्ण सम्‍मान देते हुए इस अंतरग्रहीय परिषद के प्रथम आदर्श का सम्‍मान और इसके प्रतीक के रूप में ‘गुरु’ सम्‍मान से अरुंधति जी को सम्‍मानित करेंगे। अरुंधति जी न सिर्फ एक कुशल गायिका और वीणा वादिका हैं, अपितु एक गूढ़ दार्शनिक भी है। अंतरग्रहीय परिषद में सिद्धान्‍त को व्‍यावहारिक रूप देने में इनकी महती भूमिका रही हैं इन्‍होंने अपने जीवन में स्‍वतंत्र रहने का निर्णय लिया, किन्‍तु अपनी जिम्‍मेदारियों से नहीं। इनसे प्रेरणा पाते हुए कई युवक आदि कला, विज्ञान, अंतरिक्ष आदि कई क्षेत्रों में अपना योगदान दे रहे हैं। इन्‍हें इस परिषद का प्रथम ‘गुरु’ सम्‍मान प्रदान करते हुए हम स्‍वयं भी सम्‍मानित महसूस कर रहे हैं।

मिखाईल के संबोधन के बाद देर तक होती हर्षध्‍वनि इस निर्णय की सर्वस्‍वीकृति की परिचायक थी। विभिन्‍न ग्रहों-उपग्रहों से चयनसमिति और अरुंधति जी के लिए बधाई और इस चयन प्रक्रिया से सहमति के संदेश आ रहे थे। अरुंधति जी भी चयनसमिति के इस निर्णय को पूर्ण गरिमा से स्‍वीकार करने के साथ आने वाली जिम्‍मेदारियों के प्रति खुद को तैयार कर रही थीं। एक नई व्‍यवस्‍था में एक नई पहल मानवीय सभ्‍यता के एक नए मोड़ की ओर बढ़ने का ईशारा कर रही थी, जिसे सभी निवासियों का एकमत से संपूर्ण समर्थन प्राप्‍त था।

image

संपर्क_

abhi.dhr@gmail.com

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: विज्ञान-कथा नए दौर में..... अभिषेक मिश्र, रत्‍ना रॉय
विज्ञान-कथा नए दौर में..... अभिषेक मिश्र, रत्‍ना रॉय
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg1prZqc-0YcI05d0pEQeUsxbQS2dNgizKnN0IbB2AIBJfZROss-22Qks-pfyaDhe08VDMk2Kz0MB2PMVa6q798Tj0_XkaAVl4A00f8PNqw0K_yh8ZZfmP5ZvWBg0QIW4J9nz0r/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg1prZqc-0YcI05d0pEQeUsxbQS2dNgizKnN0IbB2AIBJfZROss-22Qks-pfyaDhe08VDMk2Kz0MB2PMVa6q798Tj0_XkaAVl4A00f8PNqw0K_yh8ZZfmP5ZvWBg0QIW4J9nz0r/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/11/blog-post_89.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/11/blog-post_89.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content