जवाबी कीर्तन –लोक संगीत / मनीष कुमार सिंह

SHARE:

जवाबी - कीर्तन – लोक संगीत “ वो गीत जो तुमने सुना ही नहीं , मेरी उम्र भर का रियाज था ! मेरे दर्द की थी वो दांस्ता , जिसे तुम हंसी मे...

मनीष कुमार सिंह
जवाबी-कीर्तन – लोक संगीत
वो गीत जो तुमने सुना ही नहीं , मेरी उम्र भर का रियाज था !

मेरे दर्द की थी वो दांस्ता , जिसे तुम हंसी में उड़ा गए !! शायर अहमद फ़राज ‘अहमद ’ का यह शेर , ‘उत्तर-प्रदेश’  की एक अनूठी , बेमिशाल परन्तु गुमनाम लोक-साहित्य की विधा “जवाबी –कीर्तन “ की दशा पर सटीक बैठता है !

जवाबी कीर्तन यानी विशुद्ध-साहित्यिक-मनोरंजन-प्रतियोगिता ! कथाए बताती है की – इस लोक-गायन की विधा का जन्म हुआ जब एक बार हनुमान जी राम-कथा और बाबा सूरदास जी कृष्ण–कथा , कई दिनों तक अनवरत गाते रहे ! वही से ऋषियों – मुनियों ने इस परम्परा की शुरुवात मानी !
वर्तमान में उत्तर – प्रदेश के बहराइच , बलरामपुर , लखीमपुर ,सीतापुर , हरदोई , सुल्तानपुर ,लखनऊ और कानपुर तथा मध्य-प्रदेश के कई जिलो – छतरपुर ,सतना आदि में आज भी यह विधा गायी जाती है ! दार्शनिक विषयों , पारंपरिक कथाओं , सामाजिक –कुरीतियों को गीतों में पिरोकर गानें वाले इसके कलाकार त्वरित ही मंच पर अपना गीत गाते है ! और विपक्षी – पार्टी के गीत का जबाव भी तुरंत लिख कर देते है !
आप कल्पना भी नहीं कर सकते है कि अगर किसी कलाकार (जवाबी की भाषा में –पार्टी )ने अगर दूसरी पार्टी के गए गीत का जबाव अच्छा नहीं दिया ! तो सामने बैठी 2-3 हजार जनता और दूसरी पार्टी क्या जबरदस्त हूटिंग करती है ! और लगभग 10 घंटे तक चलने वाली इस प्रतियोगिता में एक पार्टी विजयी घोषित होती है ! यानी मै दावे से कह सकता हूँ कि लोक-साहित्य की सबसे कठिन विधाओं में यह एक है !
[ads-post]
जवाबी के बेहद – खूबसूरत गीत , जिनमें शब्द-चयन , काव्य –सौंदर्य द्रष्टव्य है ! फिर चाहे दार्शनिक अंदाज में लिखा लखनऊ के शोला ‘शबनम’ का गीत –
अरे ! बोल मछरिया बोल मछरिया कित्ता पानी है !
कितने जाल मछेरे डाले , कितने मिले पराये अपने !

तुझे पता घाट-घाट में एक वित्ता पानी है ! ” जिसमे संसार को तालाब और जीव को मछली से संबोधित किया गया है ! सच में कितने अपने–पराये निकले , और पराये-अपने मिले !
या जिन प्रभु श्री राम पर लोग महिला –विरोधी होने का तमगा लगा देते है ! वे राम जब हनुमान जी द्वारा लंका से लायी माँ सीता की ‘चूड़ामडी’ को देखते है तो विलख –विलख कर रोते है ! संडीला , हरदोई के कीर्तनकार रतिराम ज्ञानी इस मनोभाव को कुछ यूँ लिखते है –
दुसह दुःख दारुण , कहे का हिया का !
विजय भानु भूषण ,विभूषण सिया का !
लखन लख के पायल , लगे प्रभु को लखनै !
लखन को लखा तो लगे प्रभु विलखनै  !
हनुमान की मूक बानी पे रोये ....!
रमापति रमा की निशानी पे रोये ...!

और यही राम जब मरणासन्न “जटायु ” को गोद में लिए बैठे है तब –
विहग वेदना ना छिपी विकल रघुवीर से !
उसको नहलाते नवल नयनो के नीर से !
धीरज बढ़ने वाले दिखतें अधीर से !
सारा जग चकित है इस पक्षी की तकदीर से !

ऐसे है राम ! यकीन मानिये अमरनायक – महानायक श्री राम ने अपना सारा जीवन ही दूसरों की ख़ुशी के लिए न्योछावर कर दिया ! कम से कम उनकी आलोचना करने से पहले उनके जीवन का मर्म समझिये तो एक बार !
इसके अलावा वर्तमान सामाजिक कुरीतियों और भ्रष्टाचार में भी अपना संयम बनाये रखने की हिम्मत देने वाला प्रयाग के जवाहर जिद्दी का यह गीत अपने आप में एक लैंडमार्क है –
स्वारथ में रत हो गोदी के बेच ललन तक लेते है !
ऐसे है कुछ मुर्दों तक के बेच कफ़न तक लेते है !
सुनी होगी बिकने की तुमने कहानी , काशी में बिक गए हरिश्चंद्र दानी !
बिके ये दुनिया पर मान न बिकेगा , कट जाये बोटी बोटी सत्य ईमान न बिकेगा !
पुतले बिकते होंगे पर वो भगवान न बिकेगा ,बिके ये दुनिया ........!

जवाहर ‘जिद्दी’ अपने साज और शब्द चयन के लिए बहुत प्रसिद्ध थे ! इन्होने एक बाप जब अपनी बेटी को विदा करता है तो उसे बिटिया कैसी लगती है ! कुछ यूँ लिखा  –
ममता सी , रमता सी , समता सी , देवताओं की असीसी !
सत्यता सी , भव्यता सी , दिव्यता सी , सभ्यता सी !
खिली रहे पूर्णमासी सी , सुखी रहे सुखरासी सी !!

यह एक पिता का नजरिया था ! पर वही बेटी जब ससुराल जाती है तो पति का नजरिया देखे –
कमला सी , नवला सी , चपला सी , विमला सी !
और मुख पर है चन्द्र हंसी सी !
रूप भरी है शीशी , यानि रम्भा , सिया उर्वशी सी 

कुछेक और गीतों में जैसे गोडा के नादान किंकर का गीत - जब गोपियाँ कृष्ण को माखन चरते हुए पकड़ने के लिए घंटियाँ लगा देती है जहा माखन रखा ! पर कृष्ण ऐसी माया रचते है की गोपियों को लगता है की हवा से घंटी बज रही है ! और वह माखन ले कर के चले जाते है ! इस गीत में कई ऐतिहासिक जगहों के नाम ऐसे प्रयोग हुए है –
जंतर मंतर पल में , लाल के लाल के छल में !
यदुकुल ताज महलमें , कि बंद बुलंद दरवाजा!
घंटा घर घर बजा , पकड़ ना आया रे ...!

अरे भूलभुलैया बनवारी की माया रे .......! इस गीत को आप ‘लाल चुनरिया वाली पर दिल आया रे’ की तर्ज पर गुनगुना कर देखे फिर आपको इसके सौन्दर्य का अंदाजा होगा !
इसी क्रम में अगर मै लखनऊ के दादा स्व . अमर लखनवी ‘ का जिक्र न करूं तो जवाबी -कीर्तन पर की गयी कोई भी बात अधूरी है ! इनको जबावी का ‘भीष्म-पितामह’ माना जाता है ! आपने सुनने में सरस , पर दुसरें कीर्तनकार को जबाव लिखने में छठी का चावल याद दिला देने वाले गीत लिखते थे ! क्योकि भैया ! जबावी , तो जबाव की होती है ! इनके गीतों के कुछ नमूने पेश है –
पत्थर के भगवान, कलयुग के दरम्यान , कहलाये पत्थर के सनम !
पत्थर के शिव महान , शिव सर्वशक्तिमान , सत्यम शिवम् सुन्दरम !
कि पारस पत्थर से लोहा भी सोना हो गया , पत्थर से प्रभावित कोना कोना हो गया !
पत्थर भी पानी पर तैरने लगे , श्री राम नाम का असर करने लगे !
पत्थर के सालिग्राम , शिवलिंग भी तमाम , पत्थर के रामेश्वरम !
पत्थर के राधा-कृष्ण है लक्ष्मी गणेश है ! पत्थर में देवी देवता करते प्रवेश है !
पत्थर की पिंडियाँ तीन महादेवियाँ(माँ वैष्णो देवी) , अमर सदा बन्दे मातरम
रामेश्वरम हो या मन कामेश्वरम .... पत्थर के भगवान................................! 

यह इनके एक बड़े गीत का छोटा सा अंश है ! आप सोचिये इस गीत का कोई कलाकार क्या जवाब लिखेगा ! आपके गीतों में अलंकार , रस , और प्रायः एक ही शब्द हरेक पंक्ति में आता है ! यह आपकी विशेषता है ! आपकी लिखी गणेश-वंदना अवध में घरों में गयी जाती है –
अग्र आराधना आपकी है ! सिद्धि ये साधना आपकी है !
शिवललाय नमः , गजमुखाय नमः , श्री गणेशाय नमः !
भाव में भावना आपकी है ! पूज्य प्रस्तावना आपकी है !
शिवललाय नमः , गजमुखाय नमः , श्री गणेशाय नमः !
हे गणपति हे गजानन !! हे गजतन- हे गिरिजानंदन !
हे आशुतोष के ललन ! है आपका अभिनन्दन !
आइये अर्चना आपकी है ! सर्व प्रथम-प्रार्थना आपकी है !
शिवललाय नमः , गजमुखाय नमः , श्री गणेशाय नमः

ऐसे ही न जाने कितने जवाब कीर्तन में गाये गए अनमोल लोकगीत/गीत , और इसके कीर्तनकार जैसे – मातादीन विश्वकर्मा ‘सरस’(छतरपुर , म०प्र० ) , बाबूलाल राजपूत (म०प्र० ) , कल्पना दुबे (म०प्र०) , राखी आजाद (जालौन , उ०प्र० ) , अजय ‘विजय ‘(जालौन , उ०प्र० ) , गुडिया भारती (कानपुर ,उ०प्र०) , लालमन चंचल (कानपुर उ०प्र०) , शंभू ‘हलचल ‘(कानपुर उ०प्र०) , रोशनी अन्जान (लखनऊ , उ०प्र०) , पागल सुल्तानपुरी (सुल्तानपुर ,उ०प्र०) , शशि राजकमल (रायबरेली , उ०प्र० ) , राजकमल ‘खुरपेंची’(बाराबंकी , उ०प्र०) , हरीश ‘मधुकर’ (बहराइच , उ०प्र०) , कुंवर ‘झनकार’(बहराइच , उ०प्र०) ,रामकरण मिश्र ‘सैलानी ‘(बहराइच , उ०प्र०), और न जाने कितने , जिनके नाम मुझे नहीं पता है , इस दम तोड़ रही परम्परा को जीवित रखने में लगे हुए है !

खैर , सिर्फ जवाबी -कीर्तन  ही क्यों ? उत्तर प्रदेश में तो नौटंकी , आल्हा , कजरी और रास जैसी लोक-साहित्य की परम्पराएँ भी तो गुम होती जा रही है ! वैसे भी हमारी तो जैसे फितरत सी हो गयी है ! भूल जाने की , भूला देने की ! अपना पहला प्यार- जरा सा कष्ट आने पर , माँ-बाप का संघर्ष – जरा सा बड़े हो जाने पर , प्राइमरी के मास्टर जी जिनसे  “अ” लिखना सिखा- जरा सा पढ़ जाने पर , पत्नी के सक्रिफ़िएस – जरा सा गुस्सा होने पर , भाई का दुलार- जरा सी ज़मीन के लिए , बहन का प्यार – जब वह अपने मन से जीना चाहती थी , वह रिक्शावाले अंकल – जो तुम्हे रोज स्कूल ले जाते थे ! और वह दोस्त – जिसे तुम कभी समझ ही न पाए !
सबको भुला दिया हमने ! तो लोग जब इतना सब-कुछ अपनी एक छोटी सी कभी भी ख़त्म हो जाने वाली जिन्दगी में ही भूल जाते है ! तो यह लोक-परम्पराए क्यों याद रखंगे जिसे तो पीढ़ी दर पीढ़ी सहेजना  पड़ता है ! बच्चों को सिखाना पड़ता है ! पर इस युग में जहाँ आगे जाने की अंधी दौड़ हो , जब रिश्तें-मर्यादाएं तार-तार हो रही हो , कौन सहेजेगा इन गुम हो रही लोक-परम्पराओं को ...........???
आखिर में –
हाँ , अगर हो सके तो बगल से गुजरते हुए आदमी से कहो
लो, यह रहा तुम्हारा चेहरा,
यह जुलूस के पीछे गिर पड़ा था !
इस वक़्त इतना ही काफी है !!-(धूमिल)

---
लेख़क परिचय
जन्मस्थली बहराइच,उत्तर-प्रदेश ! वर्तमान में कंप्यूटर साइंस परास्नातक में अध्यनरत ! शिक्षा,साहित्य,दर्शन और तकनीकी में रूचि !  संपर्क-सूत्र -8115343011


































































COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: जवाबी कीर्तन –लोक संगीत / मनीष कुमार सिंह
जवाबी कीर्तन –लोक संगीत / मनीष कुमार सिंह
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhR2oG2qGxOlEecRbRn3xO40V18CBW9kGVYU1Ap4tqmZKgthJu_X5IGdF2qNDawBns319zBi460xKvQ2lqmM1M80w2fvbtIPhKPyK_ju0j6yKZMVIb-VMyCF6nW3DE_I1aJ4o8M/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhR2oG2qGxOlEecRbRn3xO40V18CBW9kGVYU1Ap4tqmZKgthJu_X5IGdF2qNDawBns319zBi460xKvQ2lqmM1M80w2fvbtIPhKPyK_ju0j6yKZMVIb-VMyCF6nW3DE_I1aJ4o8M/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/11/blog-post_24.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/11/blog-post_24.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content