14 नवंबर बाल दिवस पर विशेष - बच्‍चों को दें खुशनुमा बचपन - डा. कलाम के संदेश बच्‍चों के लिए प्रासंगिक : डॉ. सूर्यकांत मिश्रा

SHARE:

14 नवंबर बाल दिवस पर विशेष बच्‍चों को दें खुशनुमा बचपन ॰ डा. कलाम के संदेश बच्‍चों के लिए प्रासंगिक हमारे भारत वर्ष में यूं तो दिवसों की...

14 नवंबर बाल दिवस पर विशेष

बच्‍चों को दें खुशनुमा बचपन

image

॰ डा. कलाम के संदेश बच्‍चों के लिए प्रासंगिक

हमारे भारत वर्ष में यूं तो दिवसों की कोई कमी नहीं, किंतु बाल दिवस का एक अलग ही महत्‍व है। घर परिवार में पल बढ़ रहे 18 वर्ष तक की उम्र के बच्‍चे इस दिवस का हिस्‍सा माने जा सकते है। अपने अधिकारों के लिए लड़ मरने वाले हमारे मानवीय समाज के पढ़े लिखे और सभ्‍य लोगों में ऐसे लोगों की कमी नहीं, जो बच्‍चों को किसी प्रकार का अधिकार नहीं देना चाहते है। मैं कहना चाहता हूं कि जब हमारे संविधान ने बच्‍चों को हमारी तरह अधिकार प्रदान किये है, तब हम उन्‍हें इससे वंचित करने वाले कौन होते है? दुनिया को बहुत गहराई से देखने और समझने वाले समाज के बड़े लोगों को इस बात का भी ध्‍यान रखना चाहिए कि हम बड़ों के अधिकारों के अलावा हमारे संविधान ने बच्‍चों को कुछ विशेष अधिकार प्रदान किये है। ऐसे ही अधिकारों में बच्‍चों का सर्वांगीण विकास तथा उनकी समुचित देख-रेख का दायित्‍व जहां पालकों पर डाला गया है, वहीं यह हमारी आने वाली पीढ़ी का अधिकार भी बना हुआ है। इसी कड़ी में बाल अधिकारों को तवज्‍जो देना और उनका संरक्षण करना प्रत्‍येक व्‍यक्ति और समाज का मुख्‍य दायित्‍व भी है। बच्‍चों का संतुलित और समग्र विकास ही एक सशक्त राष्‍ट्र की नींव रख सकता है। बच्‍चे बड़े ही मासूम, कोमल, उम्‍मीदों से भरे हुए और विश्वास की सहज प्रतिमूर्ति होते है। समाज को इस बात की चिंता करना चाहिए कि बच्‍चों का बचपन खुशनुमा और प्रेम की बेल से आच्‍छादित हो।

नौकर, आया या क्रेच के भरोसे न हों बच्‍चे

परिवार की वह संस्‍था है, जो बच्‍चों को सांस्‍कृतिक मान्‍यताओं की शिक्षा दे सकती है। समाज में नियंत्रण लाने का आधार भी पारिवारिक संस्‍था को ही माना जा सकता है। वर्तमान परिस्‍थितियों में संयुक्त परिवार तो टूट ही रहे है, एकल परिवार भी बच्‍चों की वह देखभाल नहीं कर पा रहे है, जो जरूरी है। पति-पत्‍नी दोनों नौकरीपेशा होने के कारण बच्‍चों को नौकर या आया अथवा फिर क्रेच के भरोसे छोड़ रहे है। बच्‍चे इन हालातों में उपेक्षित हो रहे है और अनेक प्रकार की संवेगात्‍मक गंभीर समस्‍याओं का शिकार हो रहे है। यह बड़े चिंता का विषय माना जाना चाहिए। सांस्‍कृतिक परिवर्तन इलेक्‍ट्रानिक मीडिया जिस तरह परोस रहा है, वह बच्‍चों के मन मस्‍तिक को प्रदूषित कर रहा है। समाज में उठ रहे सवालों में मुख्‍य रूप से बच्‍चों का सर्वांगीण विकास कैसे हो? माता-पिता, शिक्षक इसमें किस प्रकार सहयोग कर सकते है? तेजी से विकसित होती संचार क्रांति के प्रभाव से बच्‍चों को बचा पाना क्‍या संभव हो पाएगा? विचारवान लोगों को लगातार चिंतन करने विवश कर रहे है। जरूरत इस बात की है कि आज के बालक जो कल के नागरिक होंगे, उनकी क्षमताओं, योग्‍यताओं का पता लगाते हुए प्रशिक्षण की व्‍यवस्‍था की जाए, ताकि राष्‍ट्र की समृद्धि में उनके उचित योगदान को चिह्नांकित करने में हमें सफलता प्राप्‍त हो सके।

सांस्‍कृतिक मान्‍यताओं की शिक्षा जरूरी

एक परिवार ही वह कड़ी है, जो बच्‍चों के सांस्‍कृतिक विकास में बड़ी भूमिका निभा सकता है। परिवार ही बच्‍चों को सफल सामाजिक जीवन के लिए तैयार कर सकता है। बच्‍चों के व्‍यक्तित्‍व पर सबसे पहला प्रभाव माता-पिता का ही पड़ता है। परिवार वह आधारभूत संस्‍था है, जो समाज में नियंत्रण लाने का कार्य कर सकता है। ज्‍यों-ज्‍यों एक बालक विकास की सीढ़ी चढ़ता जाता है, वह समाज व समुदाय की शैली को आत्‍मसात करता जाता है। आज समाज में मिल रहा वातावरण बच्‍चों को नैतिक मूल्‍यों के स्‍थान पर भौतिक मूल्‍यों का अधिक दर्शन करा रहा है। एक अच्‍छा इंसान बनने की जगह वह धनवान, सत्तावान, समृद्धिवान बनने की कला सीख रहा है। इसके पीछे जो कारण है, वह स्‍टेटस सिंबल के रूप में सामने आ रहा है। भौतिक सुख-सुविधाओं का अधिक से अधिक अर्जन ही व्‍यक्तित्‍व विकास का मापदंड बन गया है। अब युवाओं का आदर्श आत्‍म संयम, सेवा-भावना, कर्तव्‍यबोध, श्रम, त्‍याग तथा समर्पण आदि नहीं रहा। आज जरूरत इस बात की है कि बच्‍चों को सही प्रेरणा, सही मार्गदर्शन तथा सही परामर्श पारिवारिक वातावरण में प्रदान किया जाए। प्रत्‍येक बालक एक अनगढ़ पत्‍थर की तरह होता है, जिसमें सुंदर मूर्ति छिपी होती है। एक शिल्‍पी ही उसे बेहतर देख पाता है, और फिर उस पत्‍थर को तराशकर सुंदर मूर्ति में बदल देता है। माता-पिता और शिक्षक समाज शिल्‍पी की भूमिका अदा कर बच्‍चों को सांस्‍कृतिक मान्‍यताओं की शिक्षा प्रदान कर खुबसूरत व्‍यक्तित्‍व के शिल्‍पकार बन सकते है।

नेहरू के बाद डा. कलाम बने बच्‍चों के प्रिय

पं. जवाहर लाल नेहरू ने जहां अपना जन्‍मदिन बच्‍चों के नाम कर उसे बाल दिवस बना दिया, वहीं लंबे अंतराल के बाद भारत वर्ष के महान वैज्ञानिक, मिसाईल मेन और पूर्व राष्‍ट्रपति डा. एपीजे अब्‍दुल कलाम ने बच्‍चों को जो स्‍नेह एवं प्‍यार दिया, वह चाचा नेहरू के बाद किसी राष्‍ट्र के प्रतिनिधि का बड़ा तोहफा कहा जा सकता है। श्री कलाम के संस्‍मरणों का लेखा-जोखा टटोला जाए तो हमें जानकारी मिलती है कि प्रतिदिन उन्‍हें सैकड़ों बच्‍चे पत्र लिखा करते थे। सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के राष्‍ट्रपति होने के बावजूद डा. कलाम की कोशिश होती थी कि वे प्रत्‍येक बच्‍चे के पत्र का जवाब देकर उसकी उत्‍कंठा को शांत कर सकें। डा. कलाम द्वारा बच्‍चों के पत्रों के उत्तर का संकल्‍प में से चयन कर एक पुस्‍तक का प्रकाशन भी कराया गया है। ऐसे ही प्रश्‍नों में एक बच्‍चे का एक प्रश्‍न कि भाग्‍य की कृपा कितनी आवश्‍यक है? श्री कलाम ने बड़ा ही अच्‍छा उत्तर देते हुए कहा कि भाग्‍य से पहले कठिन परिश्रम आता है, भाग्‍य तुम्‍हारा साथ तब देगा, जब तुम कठिन तपस्‍या करोगे। इसी तरह एक बच्‍चे का एक प्रश्‍न कि दुनिया का पहला वैज्ञानिक कौन है? इस पर डा. कलाम कहते है कि विज्ञान जन्‍म लेता है और जीता है केवल प्रश्‍नों द्वारा। विज्ञान का पूरा दारोमदार प्रश्‍न करना है। माता-पिता और अध्‍यापकगण इस बात को अच्‍छी तरह जानते है कि बच्‍चे कभी भी न समाप्‍त होने वाले प्रश्‍नों के स्‍त्रोत होते है। अतरू बच्‍चा ही पहला वैज्ञानिक है। आपके जीवन का सबसे अधिक खुशी का दिन कौन सा था? इस प्रश्‍न के जवाब में सिद्ध कर दिया कि वास्‍तव में डा. कलाम के अंदर एक खुशी खोजने वाला इंसान जीता था। डा. कलाम का उत्तर था कि एक बार वे पोलियोग्रस्‍त बच्‍चों के कार्यक्रम में गये थे। जब कार्यक्रम के बीच में बच्‍चों ने दौड़ना, चलना, पैडल मारकर सायकिल चलाना शुरू किया तो उनकी आंखे भर आयी। वह दिन उनके जीवन का सबसे बड़ी खुशी वाला दिन था।

बच्‍चों के लिए डा. कलाम का संदेश

बच्‍चों और डा. कलाम के बीच पत्रों के माध्‍यम से चलने वाले संवाद का एक महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा अहमदाबाद एवं कैम्‍ब्रिज अंधेरी मुंबई के बच्‍चे राहुल मेहता एवं तेजश द्वारा पूछे गये सवाल को माना जा सकता है। बच्‍चों का यह प्रश्‍न की भारत के नागरिकों को आप क्‍या संदेश देना चाहते है? डा. कलाम ने बड़ी ही सहेजता से कहा कि वे युवाओं और बच्‍चों को दस बिंदुओं की शपथ दिलाना चाहते है, जिन्‍हें अब बच्‍चों को अपनाना ही होगा।

1. मैं अपनी शिक्षा पूरी करूंगा और श्रेष्‍ठ बनूंगा।

2. मैं कम से कम दस लोगों को पढ़ना सिखाऊंगा, जो अक्षर ज्ञान से अनभिज्ञ है।

3. मैं कम से कम दस पौधे लगाऊंगा, और उनकी देखभाल करूंगा।

4. मैं मुसीबत में पड़े साथियों के दुख दूर करूंगा।

5. मैं ग्रामीण क्षेत्रों की यात्रा कर कम से कम पांच लोगों को नशा तथा जुंए से निजात दिलाने का प्रयास करूंगा।

6. मैं खुद ईमानदारी बरतते हुए भ्रष्‍ट्राचार मुक्त समाज बनाने में सहयोग करूंगा।

7. मैं एक सजग नागरिक बनकर परिवार को कर्मठता प्रदान करूंगा।

8. मैं किसी धर्म, जाति या भाषा में अंतर नहीं करूंगा।

9. मैं हमेशा मानसिक और शारीरिक चुनौती प्राप्‍त विकलांगों से मित्रवत व्‍यवहार करूंगा।

10. मैं अपने देश तथा देश के लोगों की सफलता पर गर्व करते हुए उत्‍सव मनाऊंगा।

आज भले ही पूर्व राष्‍ट्रपति डा. एपीजे अब्‍दुल कलाम हमारे बीच नहीं है, किंतु उनका आदर्श सदैव हमारे साथ रहेगा। डा. कलाम जैसे देशभक्त व्‍यक्तियों का जन्‍म सहस्‍त्र वर्षों में एक बार ही होता है। आज बाल दिवस पर बच्‍चे यदि उनके दस संदेशों को आत्‍मसात करने का वचन देते है, तो मैं समझता हूं यह डा. कलाम के लिए सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी।

(डॉ. सूर्यकांत मिश्रा)

जूनी हटरी, राजनांदगांव (छत्तीसगढ़)

मो. नंबर 94255-59291

dr.skmishra_rjn@rediffmail.com

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: 14 नवंबर बाल दिवस पर विशेष - बच्‍चों को दें खुशनुमा बचपन - डा. कलाम के संदेश बच्‍चों के लिए प्रासंगिक : डॉ. सूर्यकांत मिश्रा
14 नवंबर बाल दिवस पर विशेष - बच्‍चों को दें खुशनुमा बचपन - डा. कलाम के संदेश बच्‍चों के लिए प्रासंगिक : डॉ. सूर्यकांत मिश्रा
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgbK_cRnSJH3BV-IVbr3Y_P_rbo_eXNpdIq_dxFuHgeWSqZlqAi69AFVXfnoYnuu14uW2eC4x_dqp5qHK-vYynpMI4BUuGaSu0ZMLz2Psa8l0Akmcix8blB2bW9DIK32skSbzcA/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgbK_cRnSJH3BV-IVbr3Y_P_rbo_eXNpdIq_dxFuHgeWSqZlqAi69AFVXfnoYnuu14uW2eC4x_dqp5qHK-vYynpMI4BUuGaSu0ZMLz2Psa8l0Akmcix8blB2bW9DIK32skSbzcA/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/11/14.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/11/14.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content