मिलकर दीप जलाएँ आओ मिलकर दीप जलाएँ, ऐसा दीप कि जिसमें डूबे अंधकार मानव के मन का। अपनी सुकर रश्मियों से जो स्नात करे संपूर्ण विश्व को आलोकि...
मिलकर दीप जलाएँ
आओ मिलकर
दीप जलाएँ,
ऐसा दीप कि जिसमें डूबे
अंधकार मानव के मन का।
अपनी सुकर रश्मियों से जो
स्नात करे संपूर्ण विश्व को
आलोकित जग के आँगन में
शापग्रस्त पीढ़ी मुस्काए,
मनु की यह संतान मनों से
भेद-भाव का पाप मिटाए।
द्वेष-दंभ-पाखंड
दिशाओं में ऐसा विष घोल रहे हैं,
अपने फूल चमन, तरु अपने,
अपना उपवन अपने सपने,
अंतर में अंतर पैदा कर
संघर्षों की भाषा के स्वर
ऐसे मिलकर बोल रहे हैं,
जैसे हों संघर्ष सत्य
शाश्वत अविनाशी
और इन्हीं को अपनाकर सब
जीवन को जी लेंगे सुख से
मुक्ति प्राप्त कर लेंगे दुख से,
बारूदी नगरी के वासी
बुद्धिविलासी
मानव को फिर से समझाएँ,
आओ मिलकर दीप जलाएँ।
कर्मशक्ति का तरुवर
आलस की धरती पर
सूख गया है,
वैभव की हरियाली
कैसे मिल सकती है
चमन छोडक़र भाग गए तो
फिर बतलाओ
ख़ुशहाली की यह फुलवारी
खिल सकती है?
कर्मठता अभिशप्त भाग्य का
मैल काटकर
मेल कराती सुख-निधियों से,
और तप्त जीवन की
रेतीली राहों को
रसभीने झरनों से भरती,
थके हुए पाँवों की पीड़ा
हरती अपने ही हाथों से,
याद करें अपने गौरव को
कर्म-धर्म का चक्र चलाएँ,
आओ मिलकर दीप जलाएँ।
एटम-जैट-सुपरसॉनिक के
इस कलियुग में
दूरी का परिमाप सिमटकर
पास आ गया,
तन की पहुँच क़रीब हुई जब
मन की दूरी बढ़ती जाती
प्यार-स्नेह-अपनत्व मनुजता
प्रेम-सरलता श्रद्धा-ममता,
घटती जाती हृदय-कोष से,
मिटती जाती चंदन की पावन सुगंध,
मादकता गुलाब की,
सरसों का उल्लास
सुकोमलता जूही की,
खेत उगे कीकर के
सरकंडे भनियाते,
आओ फिर से वासंती खेती उपजाएँ
आओ फिर से दीप जलाएँ।
डा. गिरिराजशरण अग्रवाल
बी 203 पार्क व्यू सिटी-2
सोहना रोड, गुडगाँव
07838090732
---.
दीपावली की शुभकामनायें
धन की देवि !
महालक्ष्मी का पर्व
दीपों का साथ
इस बार शौर्य का हाथ
सीमाओं पर सजगता
और निरन्तर
सुरक्षा का आभास
पाक की नापाकियत
से हरपल सावधान करता
देश सबसे पहले
का सन्देश देता
आगया
नन्हा सा दीप
बने सभी के पथ का प्रदीप
हर तरह के तमस को हरने को
जल उठें सुदीप
दिल का दिल से
हो सच्चा नाता
हर सांस से निकले
जय भारत माता
जय भारत शत्रु त्राता
इसी भाव से
दिल के हर भाग से
आप सभी को
अनन्त शुभकामनायें
कोटिशः मंगल कामनायें !!
शशांक मिश्र भारती
– संपादक देवसुधा, हिंदी सदन बड़ागांव शाहजहाँपुर उप्र
-------.
दीवाली गीत
वैभव का श्रृंगार कर
माँ लक्ष्मी चली पग-पग
दीप जले जगमग-जगमग --------
अन्न धन सम्पन्नता
साथ चली अपार
थोड़ा सा कृपा से
चल पड़े व्यापार
खुशियों की माला पिरो
जगजननी हुई दग-दग
दीप जले जगमग-जगमग ----------
दुर्जन का दुर्ग तोड़
माँ भक्तो का पुकार सुन
निशाचर दरिद्र भाग खड़े
माँ का हुंकार सुन
गणपति गणनायक चले
आज संग-संग
दीप जले जगमग-जगमग -----------
अक्षय चन्द्र ललाट शोभित
ग्रह नक्षत्र चहुंओर
राकेश रौशन हो जाए
जपत भए माँ भोर
कृपा से हो गर्भित
चाहे ले कोई ठग
दीप जले जगमग-जगमग -------------
------ राकेश रौशन
मनेर (बलवन टोला ) पोस्ट आॅफिस मनेर
पटना - 801108
मो:9504094811
--------------.
*ज्योतिर्मय हो दीवाली*
हम सब की पावन ज्योतिर्मय हो दीवाली।
सब कड़वाहट पी लें हम हो मन खाली।
जो भी कष्ट दिए तुमने मैंने सब माफ़ किये।
जो भी बातें बुरी लगी हों कर देना दिल से ख़ाली।
देश और विश्व कल्याण की बातें हम सब करते हैं।
आस पड़ोस के रिश्तों में क्यों खींचा करते हम पाली।
इस दीवाली पर हम सब मिल कर प्रण करते।
तेरे घर मेरा दीपक हो मेरे घर तेरी हो थाली।
प्रेम के दीपक जलें ख़ुशियों के बंदनवार सजें।
विश्वासों की उज्ज्वल ज्योति हम सब ने मन में पाली।
*(सभी प्रिय जनों को दीपावली की मंगल कामनाएं)*
सुशील शर्मा
----------.
दीपावली शुभकामनाएँ
पर्व है पुरुषार्थ का
दीप के दिव्यार्थ का
देहरी पर दीप एक जलता रहे
अंधकार से युद्ध यह चलता रहे
हारेगी हर बार अंधियारे की घोर-कालिमा
जीतेगी जगमग उजियारे की स्वर्ण-लालिमा
झिलमिल रोशनी में निवेदित अविरल शुभकामना
आस्था के आलोक में आदरयुक्त मंगल भावना!!!
आपके परिवार को दीपावली की शुभकामनाएं !
May your life be full of lights of all shades !
--
फूलदीप कुमार
संपादक डी आर डी ओ समाचार तथा प्रोद्योगिकी विशेष
रक्षा वैज्ञानिक सूचना तथा प्रलेखन केंद्र (डेसीडॉक) ,
रक्षा अनुसन्धान तथा विकास संगठन (डी आर डी ओ ) ,
दिल्ली-110054
--------------.
चलो, दिवाली आज मनायें
हर आँगन में उजियारा हो, तिमिर मिटे संसार का।
चलो, दिवाली आज मनायें, दीया जलाकर प्यार का।
सपने हो मन में अनंत के, हो अनंत की अभिलाषा।
मन अनंत का ही भूखा हो, मन अनंत का हो प्यासा।
कोई भी उपयोग नहीं, सूने वीणा के तार का ।
चलो, दिवाली आज मनायें, दीया जलाकर प्यार का।
इन दीयों से दूर न होगा, अन्तर्मन का अंधियारा।
इनसे प्रकट न हो पायेगी, मन में ज्योतिर्मय धारा।
प्रादुर्भूत न हो पायेगा, शाश्वत स्वर ओमकार का।
चलो, दिवाली आज मनायें, दीया जलाकर प्यार का।
अपने लिए जीयें लेकिन औरों का भी कुछ ध्यान धरें।
दीन-हीन, असहाय, उपेक्षित, लोगों की कुछ मदद करें।
यदि मन से मन मिला नहीं, फिर क्या मतलब त्योहार का ?
चलो, दिवाली आज मनायें, दीया जलाकर प्यार का।
आचार्य बलवन्त,
विभागाध्यक्ष हिंदी
कमला कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट स्टडीस
450,ओ.टी.सी.रोड,कॉटनपेट,बेंगलूर-560053
मो. 91-9844558064
Email- balwant.acharya@gmail.com
----------------.
दोहे रमेश के दिवाली पर
------------------------------------
संग शारदा मातु के, लक्ष्मी और गणेश !
दीवाली को पूजते, इनको सभी 'रमेश !!
सर पर है दीपावली, सजे हुवे बाज़ार !
मांगे बच्चो की कई ,मगर जेब लाचार !!
बच्चों की फरमाइशें, लगे टूटने ख्वाब !
फुलझडियों के दाम भी,वाजिब नहीं जनाब !!
दिल जल रहा गरीब का, काँप रहे हैं हाथ !
कैसे दीपक अब जले , बिना तेल के साथ !!
बढ़ती नहीं पगार है, बढ़ जाते है भाव !
दिल के दिल में रह गये , बच्चों के सब चाव!!
कैसे अब अपने जलें, दीवाली के दीप !
काहे की दीपावली , तुम जो नहीं समीप !!
दुनिया में सब से बड़ा, मै ही लगूँ गरीब !
दीवाली पे इस दफा, तुम जो नहीं करीब !!
दीवाली में कौन अब , बाँटेगा उपहार !
तुम जब नहीं समीप तो, काहे का त्यौहार !!
आतिशबाजी का नहीं, करो दिखावा यार !
दीपों का त्यौहार है,….. सबको दें उपहार !
पैसा भी पूरा लगे ,........ गंदा हो परिवेश !
आतिशबाजी से हुआ,किसका भला "रमेश" !!
आपा बुरी बलाय है, करो न इसका गर्व !
सभी मनाओ साथ में , दीवाली का पर्व !
हाथ हवाओं सहज ,.. मैंने आज मिलाय !
सबसे बड़ी मुंडेर पर, दीपक दिया जलाय !!
रमेश शर्मा
९७०२९४४७४४
rameshsharma_१२३@yahoo.com.
-----------------.
दीपावली
2 बाल गीत
(1)
दीपों का त्योहार है आया
------------------------------
जगमग ज्योति चमके,
अंदर बाहर गलियों में।
ढोल ढमाके-ढमके
गली गांव हर कोने में।।
कोई फोड़े एटम बम,
कोई अनार चलाए।
फूटे फटाके फटफट,
दूर हटे सब झटपट।।
(2)
खुशियों का संसार सजाया,
घर आँगन रंगों से रंगाया।
बच्चों के मन को हरसाया,
दीपों का त्योहार है आया।।
ढेरों खुशियाँ लाई दीपवाली,
खिल बतासे लाई दीपावाली।
जगमग करती आई दीपावाली,
सबके मन को भाई दीपावाली।।
कैलाश मंडलोंई
पता : मु. पो.-रायबिड़पुरा तहसील व जिला- खरगोन (म.प्र.)
पिनकोड न.451439
मोबाईल नम्बर-9575419049
ईमेल ID-kelashmandloi@gmail.com
कैलाश मंडलोंई
-----------------.
COMMENTS