व्यंग्य - संबंधसुधारक और उसकी कोटियाँ - कुबेर

SHARE:

2 : संबंधसुधारक और उसकी कोटियाँ संबंध जोड़ने के काम की तरह ही संबंध सुधारना भी यहाँ पवित्र कार्य माना जाता है। यहाँ बिगड़े हुए संबंधों को सु...

image

2 : संबंधसुधारक और उसकी कोटियाँ

संबंध जोड़ने के काम की तरह ही संबंध सुधारना भी यहाँ पवित्र कार्य माना जाता है। यहाँ बिगड़े हुए संबंधों को सुधारने की बात नहीं कह रहा हूँ, भूले-बिसरे संबंधों अथवा संबंधों की 'अतिसांकरी प्रेम गली' से चलकर नये संबंध जोड़़नेवालों की बात कह रहा हूँ। अपना लोक और परलोक सुधारने की चाह में अनेक लोग संबंधों के उलझे हुए सूत्रों को सुधारने में लगे रहते हैं। ऐसे दिव्य व्यक्तित्वों को संबंधसुधारक कहा जाना चाहिए। संबंध सुधारने का अंतिम लक्ष्य संबंध जोड़ना ही होता है।

यहाँ जब भी दो व्यक्ति मिलते हैं, अपने बीच किसी तरह के संबंधों की तलाश में जुट जाते हैं। तलाश का यह क्रम क्षेत्र, भाषा, जाति से शुरू होती है और अंत में रिश्तेदारी में आकर समाप्त होती है। इस काम के लिए आजकल राजनीति अधिक उपजाऊ जमीनें मुहैया करा रही है। यहाँ इसे फैशन का दर्जा मिला हुआ है। यात्रा आदि के समय ऐसा बहुतायत में होता है। संबंधसुधारकों का आदर्शवाक्य होता है - झुकती है दुनिया, झुकानेवाला चाहिए। प्रयास करने पर सूत्रों की उलझने अक्सर सुधर ही जाती है; कोई न कोई सूत्र हाथ लग ही जाता है। फिर भी, दुर्योग से कोई सूत्र न जुड़ पाये तो ऐसी स्थिति में मिताई बदने की रामायणकालीन परंपरा तो है ही।

संबंधों की अनन्यता इस देश के लोगों की खास सामाजिक विशेषता है। इसी विशेषता के गिट्टी, सिमेंट के रेतीले गारे के रसीलेपन से यहाँ के लोगों के सरस चरित्रों का निर्माण होता है। आपस के संबंधसूत्रों को खोजने, उसके उलझावों को सुलझाने और उसके किसी अनपेक्षित सिरे में खुद को टांक लेने में यहाँ के लोग माहिर होते हैं। संबंधसुधार का यह कार्य समाजसुधार की तरह ही एक महान मानवीय कार्य है। यह एक महत्वपूर्ण शोधकार्य भी है। इस तरह के शोधकार्यों का सहारा अवतारों को भी लेना पड़ा है। सुग्रीव, विभीषण और हनुमानजी के साथ मधुर संबंध बनाये बिना रावण की ऐसीतैसी करना मर्यादा पुरुषोत्तम के लिए संभव नहीं था।

एक दिन जब मैं चौंक में पान का रसास्वादन करते हुए एक मित्र की प्रतिक्षा कर रहा था, मेरे पास भला-सा दिखनेवाला एक संबंधसुधारक आया। आते ही वह मेरा चरणस्पर्श करने लगा। यहाँ की चरणस्पर्श करनेवाली पवित्र परंपरा मुझे असहज कर देती है। पर मेरे प्रति उसके द्वारा व्यक्त की जा रही अनन्यश्रद्धा ने मुझे अपनी असहजता पर पर्दा डालने के लिए विवश कर दिया। चरण स्पर्श के रूप में श्रद्धा अर्पण के बाद कुछ देर तक वह अपनी मोहनी मूरत की नुमाईश करता हुआ मेरे सामने गद्गद् भाव से खड़ा रहा। पर्दे से आवृत्त मेरी असहजता को उसने बहुत जल्दी भांप लिया। तुरंत उसे नोचते हुए उसने कहा - ''लगता है, आपने मुझे पहचाना नहीं।''

उसकी इस पर्दानुचाई ने मुझे और भी असहज कर दिया। अपनी असहजताजनित दुनियाभर के दीनभावों से निर्मित महासागर में डूबते-अकबकाते हुए मैंने कहा - ''माफ करना! इस मामले में मैं निहायत ही अयोग्य व्यक्ति हूँ।''

मेरे चेहरे पर पड़ी असहजता के पर्दे को तो वह पहले ही तार-तार कर चुका था, अब मेरी दीनता पर व्यंग्य प्रहार करते हुए उसने कहा - ''स्वाभाविक है, दिन में आपको कितने ही महत्वपूर्ण व्यक्तियों से मिलना पड़ता होगा, कितनों को याद रख पायेंगे आप।''

'नाविक के तीर' की कोटि के उसके इस कथन ने मुझे बुरी तरह घायल कर दिया। उसके 'महत्वपूर्ण व्यक्तियों' वाली उक्ति का इस संदर्भ में मैं क्या अर्थ निकालता; यह कि - 'सामने खड़े इस महत्वपूर्ण व्यक्ति को विस्मृत करने के अपराध में मुझे जहर खा लेना चाहिए या कि महत्वपूर्णों को याद रखने और इस जैसे साधारणों को विस्मृत कर जाने की घोर अनैतिक आचरण का प्रायश्चित करने के लिए मुझे फंदे पर झूल जाना चाहिए।' सच्चाई यह है कि जिन गिने-चुने व्यक्तियों को मैं महत्वपूर्ण मानता हूँ वे मुझसे मिलने भला क्यों आने लगे; और दूसरी ओर, स्वयं को महत्वपूर्ण माननेवाले महामानवों-महामनाओें से मिलने की मुझे कभी जरूरत ही नहीं पड़ी। मिलने-मिलाने वाले मित्रों का मेरा दायरा बहुत छोटा है। उन्हें विस्मृत कर पाना संभव नहीं है।

मुझे व्यावहारिक रूप से पराजितकर विजयगर्व से वह झूमने लगा। बात आगे बढाते हुए उसने कहा - ''माफ कीजिएगा, भोलापुर में आपका कोई रिश्तेदार रहता है?''

इस चौक में चाय, जलपान और पान की असमाप्त स्थितिवाली सुविधाएँ एकमुश्त उपलब्ध हैं। अब तक वह इन सारी सुविधाओं का आनंद ले चुका था। उसके अपनत्वपूर्ण, सभ्य, सुसंस्कृत और नैतिक व्यवहार के प्रति समझदारी जताते हुए मेरी जेब निरंतर आत्मसमर्पित हुई जा रही थी। जेब की इस दुष्टता के कारण मुझे उस पर और उस व्यक्ति पर रह-रहकर क्रोध आ रहा था। परन्तु किसी भले व्यक्ति पर, और वह भी सार्वजनिक जगह पर क्रोध प्रदर्शित करना सर्वथा गर्हित कार्य होता। मुझे इस क्रोध का शमन करना पड़ा। इस कोशिश में मेरा विवेक जाता रहा। मैंने कहा - ''भोलापुर में तो नहीं पर भलापुर में जरूर रहता हैं। भलापुर, वहीं पर ही है। भोलापुर-भलापुर। 'क' उसका नाम है। रिश्ते में भतीजा लगता है। पिछली गर्मी में वह मुझसे मिलने मेरे घर आया था। शायद आप उन्हीं के साथ थे।''

इस मामले में वह शातिर निकला और एक बार फिर मुझे परास्त कर गया। उन्होंने मेरे झूठ को तुरंत पकड़ लिया। बगलें झांककर मुझे चिढ़ाते हुए उसने कहा - ''झमा कीजियेगा, पहचानने में मुझसे शायद भूल हुई है। भोलापुर वाले 'क' भाई साहब के, सूरजपुरवाले साले 'ख' के, चन्द्रपुरवाले मामा 'ग' के, बड़े लड़के 'घ' का मैं दोस्त हूँ। भोलापुर में एक शादी में 'क' भाई साहब ने आपकी तरह ही दिखनेवाले किसी सज्ज्न से परिचय कराया था। भाई साहब ने उनका नाम शायद कुबेर बताया था। मैंने आपको वही कुबेर अंकल समझ लिया था। वे लेखक है। बड़े भले और सज्जन आदमी हैं। आपका समय बर्बाद किया इसका मुझे खेद है।''

इस बार 'भले और सज्जन कुबेर अंकल' का हवाला देकर उसने मेरे अंदर छिपे हुए बुरे और दुर्जन कुबेर को नंगा कर दिया था। अपनी बुरई और दुर्जनता को स्वीकार कर लेने में ही मुझे अपनी भलाई दिखी। मैंने कहा - ''आपने मुझे अधूरा पहचाना। पहचानने में आपसे गलती तो हुई है, पर यह कोई गंभीर और बड़ी गलती नहीं है। इसे गलती नहीं, यहाँ के लोगों का आम चरित्र माना जाना चाहिए। ऐसा हम सबसे होता है। यहाँ के लोग न तो स्वयं को पूरी तरह अनावृत्त ही करते हैं और न ही हम किसी को पूरी तरह पहचान ही पाते हैं। आपके भले और सज्जन कुबेर अंकल की तरह दिखनेवाला मैं भी कुबेर नाम ही धारण करता हूँ। लेखन-रोग भी है मुझे। परंतु आप देख ही रहे हैं, आपके उस कुबेर अंकल की भलाई और सज्जनता ने आपको धोखा दिया है।''

अब की बार उन्होंने हें..हें...हें.... का मधुर स्वर निकाला। दोनों हाथ जोड़कर नमस्कार की मुद्रा बनाया, नमस्कार किया और चला गया।

एसे लोगों को सामाजिक संबंधसुधारक कहा जाना चाहिए। परन्तु संबंधसुधार का यह काम इनके लिए समाजसुधार का काम नहीं, व्यवसाय-विस्तार का काम होता है। आँखों से काजल चुरा लेना अर्थात् जेबें समर्पित करवा लेना इनके लिए बाएँ हाथ का खेल होता है। भाई का दोस्त बनकर बहिन को, बाप का दोस्त बनकर बेटी को और पति का दोस्त बनकर पत्नी को उड़ा ले जाने में ये बड़े माहिर होते हैं।

0

बाजारों से गुजरते समय अक्सर आइए भाई साहब, आइए सर की मनुहारें हमें उलझा देती हैं। एक बार इसी तरह की एक अत्यंत आत्मिक मनुहार ने मुझे लुट जाने पर विवश कर दिया। यद्यपि रुकते ही मैंने उस युवा दुकानदार से साफ-साफ कह दिया था कि मुझे इस समय कुछ भी खरीदना नहीं है। मुझसे कुछ काम हो तो कहिए।

उन्होंने पूछा - ''कोई बात नहीं सर! आइए। बैठिए। आप साहू जी हैं न?''

इस शहर में दस आम लोगों के प्रत्येक समूह में छः-सात लोग साहू ही होते हैं। उनकी इस चालाकी को मैं समझता था परंतु मामला जाति से संबंधित था, इसलिए झूठ बोलने का न तो वहाँ कोई अवसर था और न ही कोई नैतिक औचित्य। उसके अनुमान पर मैंने स्वीकृति की मुहर लगा दी।

संबंधों के उलझे सूत्रों को सुलझाते हुए उन्होने पूछा - ''आप भोलापुर रहते हैं न?''

''हाँ।''

वहाँ लंबा-लंबा सा, गोरा-नारा सा, एक आदमी रहता था, अच्छा सा उनका नाम था। क्या था ... ।

''क प्रसाद।''

''हाँ, हाँ। क प्रसाद। आप उन्हें जानते थे?''

''हाँ।''

''बड़े भले, सच्चे और सज्जन आदमी थे। हमारे परमानेंट ग्राहक थे। उनके साथ उनका पंद्रह-सत्रह साल का बेटा भी आया करता था।''

मैंने उनके आशय को समझते हुए कहा - ''पंद्रह-सत्रह साल का वह लड़का मैं ही हुआ करता था।''

''देखा, मेरा अनुमान कितना सही निकला। आपका नाम क्या हैं?

''झ प्रसाद।''

''आप क्या करते हैं, शिक्षक हैं?''

''हाँ।''

वह तीर में तुक्का आजमाये जा रहा था। मैं भी लगातार साफ झूठ बोले जा रहा था। पर दुकानदारी सजानेवालों को जैसा होना चाहिए, वह उससे भी अधिक, सवा सेर निकला। उनकी आँखें कह रही थी - बेटा! आपके झूठ-सच से मुझे क्या लेना-देना; मुझे तो दुकानदारी करना है। और उसने अपनी दुकानदारी कर भी ली।

(आप सोचते होंगे, यह कैसा लेखक है, जो झूठ बोलता है। लेखकों को तो कम से कम ईमानदार होना चाहिए। आपकी यह सोच आम सोच के दायरे में है इसलिए इसे गलत नहीं कहा जा सकता। इस शहर में एक तथाकथित बड़े साहित्यकार रहते हैं - विभूति प्रसाद 'भसेड़ू' जी; बहुत शातिराना अंदाज में झूठ बोलते है और बात-बात में कहते हैं - 'झूठ और झूठ बोलनेवालों से मुझे सख्त नफरत होती है'। पर मुझे न तो झूठ से घृणा होती है और न हीं झूठ बोलनेवालों से नफरत। यहाँ तो अवतारों को भी झूठ बोलना पड़ा है। झूठ बोलना आदमी का स्वभाव है। झूठ न बोलनेवाला या तो पशु होता है, या महामानव। परंतु झूठ न बोलने का दावा करनेवाला आदमी न तो पशु होता है, और न ही महामानव। वह इन सभी से परे होता है।)

ऐसा उन सभी जगहों पर होता है जहाँ विक्रेता-क्रेता की संभावना हो। कार्यालय भी इसमें शामिल हैं; जहाँ कानून-कायदों और ईमानों की खरीद-फरोख्त होती है।

इन्हें व्यावसायिक संबंधसुधाराकों की श्रेणी में रखा जाना चहिए।

0

राजनीति में मंत्रियों की सरकारी विदेश यात्राओं के समय दोनों देशों के बीच संबंधशोध और संबंधसुधार का काम यात्रा के एजेंडे में सबसे ऊपर होता है। रवाना होने के महीनों पहले माननीय मंत्री सहित उनका पूरा मंत्रालय संबंधित देश के साथ सदियों पुराने एतिहासिक तथ्यों पर शोधकार्य में जुट जाता होगा। तब न तो पूर्व-पश्चिम का भेद आड़े आता है और न ही वाम-दक्षिण का वाद-विचार। तब माहौल में सर्वत्र केवल अवसरवाद की ही गंध आती रहती है। आज बच्चन साहब होते तो उनकी मधुशाला में एक सूफियाना रुबाई और जुड़ जाती - 'वाम-दक्षिण भेद कराती, संबंध जोड़ती मधुशाला।' इन्हें राजनीतिक संबंधसुधारक कहा जाना उचित होगा।

संबंधसूत्र हाथ लगने की कोई संभावना न हो तो नये सिरे से संबंधों की शुरुआत करने की कोशिशें होने लगती है। तलवे चाँटना, शहद से भी मीठी आवाज में कूँ .. कुँ .. करना, आज्ञापालन, जलपान, बार-रेस्टोरेंट की यात्राएँ, तोहफे, छोटे-मोटे पराक्रमों का भी बढ़-चढ़कर वर्णन आदि का प्रयोग होने लगे तो आप फौरन समझ जाते हैं कि ऐसा करनेवाला आपसे मधुर संबंध जोड़ने की व्यग्र अभिलाषा में उग्र हुआ जा रहा है। यह दुम हिलानेवाले कुत्ते की तरह का आचरण आजकल सर्वाधिक चलन में है। यह एक विलक्षण कला है और राजनीति तथा कला के सभी क्षेत्रों में इसे बेशर्मीपूर्वक और बेधड़क आजमाया जा रहा है।

इस तरह के संबंधसुधारकों को कलावादी संबंधसुधारक कहा जाना चाहिए।

0

संबंधसुधारकों की मुझे और भी अनेक कोटियाँ नजर आती हैं। इन्हें मैं आपके अभ्यासार्थ छोड़ देना चाहता हूँ। अपर्युक्त चारों प्रकारों को समझ लेने के बाद बाकी का अनुमान लगना आपके लिए जरा भी कठिन नहीं होगा।

000

कुबेर

जन्मतिथि - 16 जून 1956

प्रकाशित कृतियाँ

1 - भूखमापी यंत्र (कविता संग्रह) 2003

2 - उजाले की नीयत (कहानी संग्रह) 2009

3 - भोलापुर के कहानी (छत्तीसगढ़ी कहानी संग्रह) 2010

4 - कहा नहीं (छत्तीसगढ़ी कहानी संग्रह) 2011

5 - छत्तीसगढ़ी कथा-कंथली (छत्तीसगढ़ी लोककथात्मक प्रलंब कहानी संग्रह) 2013

6 - माइक्रोकविता और दसवाँ रस (व्यंग्य संग्रह) 2015

7 - ढाई आखर प्रेम के (अंग्रेजी कहानियों का छत्तीसगढ़ी में अनुवाद) 2015

प्रकाशन की प्रतिक्षा में

1 - और कितने सबूत चाहिये (कविता संग्रह)

2 - ये भी कहानियाँ हैं (कहानी संग्रह)

3 - कुत्तों के भूत (व्यंग्य संग्रह)

सम्मान

गजानन माधव मुक्तिबोध साहित्य सम्मान 2012, जिला प्रशासन राजनांदगाँव

(मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा)

पता

ग्राम - भोड़िया, पो. - सिंघोला, जिला - राजनांदगाँव (छ.ग.),

पिन - 491441

संप्रति

व्याख्याता,

शास. उच्च. माध्य. शाला कन्हारपुरी, वार्ड 28, राजनांदगाँव (छ.ग.)

पिन - 491441

मो. - 9407685557

E mail : kubersinghsahu@gmail.com

Blog : storybykuber.blogspot.com

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: व्यंग्य - संबंधसुधारक और उसकी कोटियाँ - कुबेर
व्यंग्य - संबंधसुधारक और उसकी कोटियाँ - कुबेर
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg_1xGn_YSN7_x0902nJHmT3Cxbr4TyoS-xBV6luOPjdEryVBocmpu-7XjEbGLVWTMcxgxupixBm__g8g2t1jns0oWffuJlSBZBweRlm1xEdDCikLBsU8ngh6gRmw2pbY1k859D/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg_1xGn_YSN7_x0902nJHmT3Cxbr4TyoS-xBV6luOPjdEryVBocmpu-7XjEbGLVWTMcxgxupixBm__g8g2t1jns0oWffuJlSBZBweRlm1xEdDCikLBsU8ngh6gRmw2pbY1k859D/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/10/blog-post_47.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/10/blog-post_47.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content