क्या है ' नव कुंडलिया ' राज ' छंद ' ? ----------------------------------------- मित्रो ! ' नव कुंडलिया ' रा...
क्या है 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ?
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मित्रो !
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' , छंद शास्त्र और साहित्य-क्षेत्र में मेरा एक अभिनव प्रयोग है | इस छंद की रचना करते हुए मैंने इसे १६-१६ मात्राओं के ६ चरणों में बाँधा है, जिसके हर चरण में ८ मात्राओं के उपरांत सामान्यतः (कुछ अपवादों को छोडकर ) आयी 'यति' इसे गति प्रदान करती है | पूरे छंद के ६ चरणों में ९६ मात्राओं का समावेश किया गया है |
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' की एक विशेषता यह भी है कि इसके प्रथम चरण के प्रारम्भिक 'कुछ शब्द' इसी छंद के अंतिम चरण के अंत में पुनः प्रकट होते हैं | या इसका प्रथम चरण पलटी खाकर छंद का अंतिम चरण भी बन सकता है |
छंद की दूसरी विशेषता यह है कि इस छंद के प्रत्येक चरण के 'कुछ अंतिम शब्द ' उससे आगे आने वाले चरण के प्रारम्भ में शोभायमान होकर चरण के कथ्य को ओजस बनाते हैं | शब्दों के इस प्रकार के दुहराव का यह क्रम सम्पूर्ण छंद के हर चरण में परिलक्षित होता है | इस प्रकार यह छंद 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' बन जाता है |
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में मेरा उपनाम 'राज ' हो सकता है बहुत से पाठकों के लिये एतराज का विषय बन जाए या किसी को इसमें मेरा अहंकार नज़र आये | इसके लिये विचार-विमर्श के सारे रास्ते खुले हैं |
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' पर आपकी प्रतिक्रियाओं का मकरंद इसे ओजस बनाने में सहायक सिद्ध होगा | ------रमेशराज
रमेशराज के 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में 5 बालगीत
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में बालगीत-1
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" जल-संकट हो, अगर कटे वन
अगर कटे वन, सूखे सावन
सूखे सावन, सूखे भादों
सूखे भादों, खिले न सरसों
खिले न सरसों, रेत प्रकट हो
रेत प्रकट हो, जल-संकट हो | "
(रमेशराज )
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में बालगीत-2
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मत मरुथल को और बढ़ा तू
और बढ़ा तू मत गर्मी-लू,
मत गर्मी-लू, पेड़ बचा रे
पेड़ बचा रे, वृक्ष लगा रे,
वृक्ष लगा रे, तब ही जन्नत
तब ही जन्नत, तरु काटे मत |
(रमेशराज )
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में बालगीत-3
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नटखट बन्दर छत के ऊपर
छत के ऊपर , झांके घर - घर
झांके घर - घर , कहाँ माल है ?
कहाँ माल है ? कहाँ दाल है ?
कहाँ दाल है ? मैं खाऊँ झट
मैं खाऊँ झट , सोचे नटखट | "
(रमेशराज )
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में बालगीत-4
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" बबलू जी जब कुछ तुतलाकर
तुतलाकर बल खा इठलाकर ,
इठलाकर थोड़ा मुस्काते
मुस्काते या बात बनाते ,
बात बनाते तो हंसते सब
सब संग होते बबलू जी जब |
(रमेशराज )
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में बालगीत-5
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" फूल - फूल पर तितली रानी
तितली रानी लगे सुहानी ,
लगे सुहानी इसे न पकड़ो
इसे न पकड़ो, ये जाती रो ,
ये जाती रो खेत - कूल पर
खेत - कूल पर फूल - फूल पर |
(रमेशराज )
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में बालगीत-6
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" बढ़ा प्रदूषण , खूब कटें वन
खूब कटें वन , धुंआ - धुँआ घन
धुंआ - धुँआ घन , जाल सड़क के
जाल सड़क के , मरुथल पसरे
मरुथल पसरे , तपता कण - कण
तपता कण - कण , बढ़ा प्रदूषण | "
(रमेशराज )
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में बालगीत-7
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" बस्ता भारी लेकर बच्चा
लेकर बच्चा , सन्ग नाश्ता
सन्ग नाश्ता , पढ़ने जाये
पढ़ने जाये , पढ़ ना पाये
पढ़ ना पाये पुस्तक सारी
पुस्तक सारी , बस्ता भारी | "
(रमेशराज )
रमेशराज के 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में प्रणय गीत
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'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में प्रणय गीत-1
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जब वो बोले मिसरी घोले
मिसरी घोले हौले-हौले
हौले-हौले प्रिय मुसकाये
प्रिय मुसकाये मन को भाये
मन को भाये, मादक चितवन
मादक चितवन, अति चंचल मन
अति चंचल मन प्यार टटोले
प्यार टटोले जब वो बोले |
+रमेशराज
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में प्रणय गीत -2
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वे मुसकाते तम में आये
तम में आये, भाव जगाये
भाव जगाये मिलन-प्रीति का
मिलन-प्रीति का, रति-सुनीति का
रति-सुनीति का, दीप जलाये
दीप जलाये हम मुसकाये |
+रमेशराज
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में प्रणय गीत -3
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" पल-पल उसकी चंचल आँखें
चंचल आँखें, बादल आँखें
आँखें हरिणी जैसी सुंदर
सुंदर-सुंदर संकेतों पर
संकेतों पर मन हो चंचल
मन हो चंचल, यारो पल-पल | "
(रमेशराज )
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में प्रणय गीत-4
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" पल-पल उससे मिलने को मन
मिलने को मन, पागल-सा बन
पागल-सा बन, उसे पुकारे
उसे पुकारे, प्रियतम आ रे !
प्रियतम आ रे, तब आये कल
तब आये कल, जब हों रति-पल | "
(रमेशराज )
'नव कुंडलिया 'राज' छंद'-3
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मैना बेटी , बेटी कोयल
बेटी कोयल , बेटी सत्फल ,
बेटी सत्फल , क्रोध न जाने
क्रोध न जाने , बातें माने ,
बातें माने मात-पिता की
मात-पिता की मैना बेटी |
+रमेशराज
'नव कुंडलिया 'राज' छंद'-4
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दिन अच्छे सुन बच्चे आये
आये लेकर बढ़े किराये ,
बढ़े किराए , डीजल मंहगा
डीजल मंहगा , हर फल मंहगा ,
हर फल मंहगा समझे बच्चे
बच्चे मान इन्हें दिन अच्छे |
--रमेशराज --
'नव कुंडलिया 'राज' छंद'-5
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दिन अच्छे आये हैं कैसे
कैसे जियें बताओ ऐसे ,
ऐसे ही यदि बढ़ीं कीमतें
बढ़ीं कीमतें , बढ़ीं आफ़तें,
बढ़ीं आफ़तें , बनकर डाइन
आये हैं कैसे अच्छे दिन !!
--रमेशराज --
'नव कुंडलिया 'राज' छंद'-6
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खेले नेता कैसी होली
कैसी होली , दाग़े गोली
दाग़े गोली वोटों वाली
वोटों वाली , नोटों वाली
नोटों वाली रँग की वर्षा
कैसी होली खेले नेता ?
--रमेशराज --
'नव कुंडलिया 'राज' छंद'-7
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कवि की कविता में खल बोले
खल बोले , विष जैसा घोले
घोले सहमति में कड़वाहट
कड़वाहट से आये संकट
संकट में साँसें जन-जन की
जन की पीड़ा रही न कवि की |
+रमेशराज
'नव कुंडलिया 'राज' छंद'-8
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आम आदमी जाग रहा है
जाग रहा है , भाग रहा है
भाग रहा है खल के पीछे
खल के पीछे , मुट्ठी भींचे
मुट्ठी भींचे, बन चिगारी
बन चिंगारी , आम आदमी |
--रमेशराज --
'नव कुंडलिया 'राज' छंद'-9
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नेता के हाथों में कट्टा
कट्टा , घर डालर का चट्टा
चट्टा लगा बने जनसेवक
जनसेवक पर चील बाज वक
चील बाज वक सा ही कुनबा
कुनबा के संग हंसता नेता |
--रमेशराज --
'नव कुंडलिया 'राज' छंद'-10
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गन्ना खट्टा राजनीति का
राजनीति का , छद्म प्रीति का
छद्म प्रीति का खेल-तमाशा
खेल-तमाशा करता नेता
नेता धमकाता ले कट्टा
राजनीति का गन्ना खट्टा |
--रमेशराज --
'नव कुंडलिया 'राज' छंद'-11
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आँखें पुरनम, बहुत दुखी हम
बहुत दुखी हम , कहीं खड़े यम
कहीं खड़े यम , कहीं फटें बम
कहीं फटें बम , चीखें-मातम
चीखें-मातम , अब ग़म ही ग़म
अब ग़म ही ग़म , चीखें-मातम |
--रमेशराज --
'नव कुंडलिया 'राज' छंद'-12
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हम रावण-से , कौरव-दल से
कौरव-दल से , दिखते खल से
दिखते खल से , लूटें सीता
लूटें सीता , लिये पलीता
लिये पलीता , फूंकें हर दम
हर दम दुश्मन नारी के हम |
--रमेशराज --
'नव कुंडलिया 'राज' छंद'-13
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खल ललकारे , पल-पल मारे
पल-पल मारे , जो हत्यारे
जो हत्यारे , चुन-चुन बीने
चुन-चुन बीने, जो दुःख दीने
जो दुःख दीने, उन्हें सँहारे
वीर वही जो खल ललकारे |
--रमेशराज --
'नव कुंडलिया 'राज' छंद'-14
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कवि की कविता में खल बोले
खल बोले, विष जैसा घोले
घोले सहमति में कड़वाहट
कड़वाहट से आये संकट
संकट में साँसें जन-जन की
जन की पीड़ा रही न कवि की |
--रमेशराज --
'नव कुंडलिया 'राज' छंद'-15
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" पीड़ा भारी, जन-जन के मन
मन के भीतर, सिसकन-सुबकन
सिसकन-सुबकन, दे ये सिस्टम
सिस्टम के यम, लूटें हरदम
हरदम खल दें, मात करारी
मात करारी, पीड़ा भारी || "
(रमेशराज )
'नव कुंडलिया 'राज' छंद'-16
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" बस्ती-बस्ती, अब दबंग रे
अब दबंग रे, करें तंग रे
करें तंग रे, तानें चाकू
तानें चाकू, दिखें हलाकू
दिखें हलाकू, जानें सस्ती
जानें सस्ती, बस्ती-बस्ती | "
(रमेशराज )
'नव कुंडलिया 'राज' छंद'-17
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" शासन का ये कैसा बादल ?
बादल बढ़ा रहा है मरुथल,
मरुथल निगल गया खुशहाली
खुशहाली से जन-जन खाली,
खाली झोली मिले न राशन
राशन लूट ले गया शासन | "
(रमेशराज )
'नव कुंडलिया 'राज' छंद'-18
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" अजब व्यवस्था, हालत खस्ता
हालत खस्ता, दिखे न रस्ता,
दिखे न रस्ता, लुटता जन-जन
जन-जन का दुःख लखे शासन,
शासन मूक-वधिर हलमस्ता
हलमस्ता की अजब व्यवस्था ! "
(रमेशराज )
'नव कुंडलिया 'राज' छंद'-19
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" नेता बोले, वोट हमें दो
वोट हमें दो, नोट हमें दो
नोट हमें दो, तर जाओगे
तर जाओगे, सब पाओगे
सब पाओगे, रम-रसगोले
रम-रसगोले, नेता बोले | "
(रमेशराज )
'नव कुंडलिया 'राज' छंद'-22
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" लूटें जन की खुशियाँ सब दल
दल-दल में हैं, अब खल ही खल,
अब खल ही खल, अति उत्पाती
अति उत्पाती, अति आघाती,
अति आघाती जन को कूटें
जन को कूटें, खुशियाँ लूटें | "
(रमेशराज )
'नव कुंडलिया 'राज' छंद'-23
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"छल के माला, सच को ठोकर
ठोकर मारे पल-पल जोकर,
जोकर जिसकी कायम सत्ता
सत्ता जो शकुनी का पत्ता,
पत्ता चल करता सब काला
काला डाले छल के माला | "
(रमेशराज )
'नव कुंडलिया 'राज' छंद'-24
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"आँखें पुरनम, बहुत दुखी हम
बहुत दुखी हम, कहीं खड़े यम,
कहीं खड़े यम, कहीं फटें बम
कहीं फटें बम, चीखें-मातम,
चीखें-मातम, अब ग़म ही ग़म
अब ग़म ही ग़म, आँखें पुरनम | "
(रमेशराज )
'नव कुंडलिया 'राज' छंद'-25
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"हरजाई था नारी का प्रिय
प्रिय ने बना लिया उसको तिय
तिय के संग पिय ने धोखा कर
धोखा कर लाया कोठे पर
कोठे पर इज्जत लुटवाई
लुटवाई इज्जत हरजाई | "
(रमेशराज )
'नव कुंडलिया 'राज' छंद'-26
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"लाठी गोली कर्फ्यू दंगा
कर्फ्यू दंगा, जले तिरंगा
जले तिरंगा, काश्मीर में
काश्मीर में, नैन नीर में
नैन नीर में, पाक ठिठोली
पाक ठिठोली, लाठी गोली | "
(रमेशराज )
'नव कुंडलिया 'राज' छंद'-27
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" स्वच्छ न पानी, बिजली संकट
बिजली संकट, राम-राम रट
राम-राम रट, जीवन बीते
जीवन बीते, बड़े फजीते
बड़े फजीते, दुखद कहानी
दुखद कहानी, स्वच्छ न पानी | "
(रमेशराज )
'नव कुंडलिया 'राज' छंद'-28
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चाकू तनते, अब क्या हो हल
अब क्या हो हल, मानव पागल
मानव पागल, जाति-धर्म में
जाति-धर्म में, घृणा-कर्म में
घृणा-कर्म में, हैवाँ बनते
हैवाँ बनते, चाकू तनते | "
(रमेशराज )
'नव कुंडलिया 'राज' छंद'-34
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" आज़ादी के सपने खोये
सपने खोये , जन - जन रोये ,
जन - जन रोये , अब क्या होगा ?
अब क्या होगा , क्रूर दरोगा !
क्रूर दरोगा संग खादी के
सपने खोये आज़ादी के |
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" बादल सुख के , कहीं न बरसें
कहीं न बरसें, क्या जन हर्षें ?
क्या जन हर्षें, बस दुःख ही दुःख
बस दुःख ही दुःख, अति मलीन मुख,
अति मलीन मुख, उलझन पल-पल
उलझन पल-पल, दुःख दें बादल |
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" सत्ता का मद आज बोलता
आज बोलता , जहर घोलता
जहर घोलता , जन जीवन में
जन जीवन में , जल में वन में
जल में वन में , नेता के पद
नेता के पद, सत्ता का मद | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" माँगे रिश्वत बाबू - अफसर
बाबू - अफसर , भारी जन पर ,
भारी जन पर , नित गुर्राए
नित गुर्राए , काम न आये
काम न आये , देखो जुर्रत
देखो जुर्रत , माँगे रिश्वत | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
-------------------------------------
" सत्ता का मद आज बोलता
आज बोलता , जहर घोलता
जहर घोलता , जन जीवन में
जन जीवन में , जल में वन में
जल में वन में , नेता के पद
नेता के पद, सत्ता का मद | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
--------------------------------------
" सत्ता का मद आज बोलता
आज बोलता , जहर घोलता
जहर घोलता , जन जीवन में
जन जीवन में , जल में वन में
जल में वन में , नेता के पद
नेता के पद, सत्ता का मद | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" तोड़े छत्ता, शहद निचोड़े
शहद निचोड़े , कम्बल ओढ़े
कम्बल ओढ़े , धुंआ करे नित
धुंआ करे नित , हो आनन्दित
हो आनन्दित , जिसकी सत्ता
जिसकी सत्ता , तोड़े छत्ता | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" नेताजी के रूप निराले
रूप निराले , मद को पाले
मद को पाले , तनिक न डरते
तनिक न डरते , फायर करते
फायर करते , काम न नीके
काम न नीके , नेताजी के | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" ब्रह्मराक्षस कैंची छोड़ें
कैंची छोड़ें , चाकू छोड़ें ,
चाकू छोड़ें , सिलें पेट जब
सिलें पेट जब , होता यह तब -
होता यह तब , झट पड़ता पस
बने डॉक्टर , ब्रह्मराक्षस | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" जन को खाएं , मौज उड़ायें
मौज उड़ायें , ईद मनाएं
ईद मनाएं नेता - अफसर
नेता - अफसर , धन - परमेश्वर
धन - परमेश्वर अति मुस्काएं
अति मुस्काएं , जन को खाएं | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" रात घनी है , दीप जला तू
दीप जला तू , क्या समझा तू ?
क्या समझा तू ? साजिश गहरी
साजिश गहरी , सोये प्रहरी
सोये प्रहरी , रति लुटनी है
रति लुटनी है , रात घनी है | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" मत जा प्यारे , अफवाहों पर
अफवाहों पर , इन राहों पर
इन राहों पर , वोट - सियासत
वोट - सियासत , छल का अमृत
छल का अमृत जन - संहारे
जन - संहारे , मत जा प्यारे | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" जिसको हम सब , मानें सूरज
मानें सूरज , तेज रहा तज
तेज रहा तज , इसे भाय तम
इसे भाय तम , अब तो हर दम
हर दम इसके तम में सिसको
सिसको , सूरज मानो जिसको | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" जेठ मास को , बोल न सावन
बोल न सावन , बता कहाँ घन ?
बता कहाँ घन ? बस लू ही लू
बस लू ही लू , कोयल - सा तू
कोयल - सा तू अधर रास को
अधर रास को , जेठ मास को | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
---------------------------------------
" तेज गया अब तेजपाल का
तेजपाल का , धर्म - डाल का
धर्म - डाल का फूल सुगन्धित
फूल सुगन्धित बदबू में नित
बदबू में नित बापू का सब
बापू का सब तेज गया अब | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" आग सरीखे हर विचार को
हर विचार को , हर अँगार को
हर अँगार को और हवा दो
और हवा दो , क्रान्ति बना दो
क्रान्ति बना दो , बन लो तीखे
बन लो तीखे , आग सरीखे | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" आज क्रान्ति का राग जरूरी
राग जरूरी , आग जरूरी ,
आग जरूरी , गमगीं मत हो
गमगीं मत हो , भर हिम्मत को ,
भर हिम्मत को , खल से टकरा
राग जरूरी आज क्रान्ति का | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" नयी सभ्यता आयी ऐसी
आयी ऐसी , कैसी - कैसी ?
कैसी - कैसी चमक सुहानी !
जेठ संग भागे द्वौरानी
द्वौरानी ने त्यागी लज्जा
लज्जाहीना नयी सभ्यता | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
-----------------------------------
" हरदम अब तो सत्ता के यम
यम गम देते चीखें मातम ,
मातम से हम उबरें कैसे
कैसे हल निकलेंगे ऐसे ?
ऐसे में बदलो ये सिस्टम
सिस्टम लूट रहा है हरदम | "
(रमेश राज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" धन पशुओं को पुष्ट करें सब
पुष्ट करें सब ये नेता अब
ये नेता अब , जन को लूटें
जन को लूटें , मारें - कूटें
मारें - कूटें अति निर्बल जो
पुष्ट करें सब धन पशुओं को | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" घर के ऊपर छान न छप्पर
छान न छप्पर , वर्षा का डर
वर्षा का डर , धूप जलाए
धूप जलाए , ' होरी ' अक्सर
' होरी ' अक्सर , ताने चादर
ताने चादर , घर के ऊपर | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" कैसा योगी , नारी रोगी !
नारी रोगी , मिलन - वियोगी !
मिलन - वियोगी , धन को साधे !
धन को साधे , राधे - राधे !
राधे - राधे रटता भोगी
रटता भोगी , कैसा योगी ? "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" इतना वर दो मात शारदे !
मात शारदे , हाथ न फैले
हाथ न फैले , कभी भीख को
कभी भीख को , अब इतना दो
अब इतना दो , दूं जग - भर को
दूं जग - भर को , इतना वर दो | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" हत्यारा अब मुस्काता है
मुस्काता है , तम लाता है
तम लाता है , देता मातम
देता मातम , जब हँसता यम
यम फूलों - सम लगता प्यारा
प्यारा - प्यारा अब हत्यारा | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" आओ प्यारो ग़म को मारो
ग़म को मारो , तम को मारो
तम को मारो , चलो नूर तक
चलो नूर तक , दूर - दूर तक
दूर - दूर तक , रश्मि उभारो
रश्मि उभारो , आओ प्यारो | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
--------------------------------------
" कबिरा - सूर संत ज्यों नरसी
नरसी , मीरा , दादू , तुलसी
तुलसी जैसे अब बगुला - सम
अब बगुला - सम , मीन तकें यम
यम का धर्म सिर्फ अब ' धन ला '
' धन ला ' बोले मीरा - कबिरा | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
--------------------------------------
" जनता चुनती जाति - रंग को
जाति - रंग को , अति दबंग को
अति दबंग को जीत मिले जब
जीत मिले जब , मद में हो तब
मद में हो तब , नादिर बनता
नादिर बनता , कटती जनता | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
----------------------------------------
" सदविचार सदनीति यही अब
अब बन डाकू हम सबके सब
हम सबके सब कुण्डल छीनें
कुण्डल छीनें , मारें मीनें
मारें मीनें कर ऊंचा कद
कद को भोग - विचार बना सद | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
--------------------------------------
" कर परिवर्तन , बहुत जरूरी
बहुत जरूरी , दुःख से दूरी
दुःख से दूरी तब होगी हल
तब होगी हल , चुनें वही दल
चुनें वही दल, खुश हो जन - जन
खुश हो जन - जन , कर परिवर्तन | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" तम का घेरा , नहीं सवेरा
नहीं सवेरा , सिर्फ अँधेरा
सिर्फ अँधेरा , चहुँ दिश दंगे
चहुँ दिश दंगे , भूखे - नंगे
भूखे - नंगे , यम का डेरा
यम का डेरा , तम का घेरा | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" खूनी पंजे , फंद - शिकंजे
फंद - शिकंजे , छुरी - तमंचे
छुरी - तमंचे , लेकर कट्टा
लेकर कट्टा , दीखें नेता
दीखें नेता मति के अन्धे
अन्धे के हैं खूनी पंजे | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" जन के बदले नेता को ले
नेता को ले , कवि अब बोले
कवि अब बोले , खल की भाषा
खल की भाषा में है कविता
कविता में विष ही विष अर्जन
विष अर्जन को आतुर कवि - मन | "
[रमेशराज ]
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
-------------------------------------
" जन के बदले नेता को ले
नेता को ले , कवि अब बोले
कवि अब बोले , खल की भाषा
खल की भाषा में है कविता
कविता में विष ही विष अर्जन
विष अर्जन को आतुर कवि - मन | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" सब कुछ मंहगा बोले नथुआ
बोले नथुआ , ये लो बथुआ
बथुआ भी अब भाव पिचासी
भाव पिचासी , चाल सियासी
चाल सियासी , चुन्नी - लहंगा
चुन्नी - लहंगा , सब कुछ मंहगा | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" ओ री मैना ओ री मैना
मेरी बेटी ! मेरी बहना !
मेरी बहना ! जाल बिछाये
जाल बिछाये, खल मुस्काये
खल मुस्काये , बच के रहना
बच के रहना , ओ री मैना ! "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" देशभक्त की लीला न्यारी
लीला न्यारी , कर तैयारी
कर तैयारी , लूट मचाये
लूट मचाये , जन को खाये
जन को खाये , प्यास रक्त की
प्यास रक्त की , देशभक्त की | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" सद विरोध पर पल - पल हमले
हमले किये असुर ने - खल ने
खल ने चाही वही व्यवस्था
वही व्यवस्था , दीन अवस्था
दीन अवस्था में हो हर स्वर
स्वर पर चोटें सद विरोध पर | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" इस सिस्टम पर चोट किये जा
चोट किये जा , वीर बढ़े जा
वीर बढ़े जा , ला परिवर्तन
ला परिवर्तन , दुखी बहुत जन
दुखी बहुत जन , मातम घर - घर
चोट किये जा इस सिस्टम पर | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
" वीर वही है लड़े दीन-हित
लड़े दीन-हित , तुरत करे चित ,
तुरत करे चित , उस दुश्मन को
उस दुश्मन को , दुःख दे जन को ,
जन को सुख हो , नीति यही है
लड़े दीन-हित , वीर वही है | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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"सौदागर हैं ये इज्जत के
ये इज्जत के , धन-दौलत के
धन-दौलत के , नत नारी के
नत नारी के , औ ' कुर्सी के
कुर्सी पर ये ज्यों अजगर हैं
ज्यों अजगर हैं , सौदागर हैं | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" सपने खोये आज़ादी के
आज़ादी के , उस खादी के
उस खादी के , जंग लड़ी जो
जंग लड़ी जो , सत्य - जड़ी जो
जो थी ओजस , तम को ढोए
आज़ादी के सपने खोये | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" जाति-धरम के लेकर नारे
लेकर नारे , अब हत्यारे
अब हत्यारे , जन को बाँटें
जन को बाँटें , मारें-काटें
काटें जन को वंशज यम के
लेकर नारे जाति-धरम के | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" घर लूटा घर के चोरों ने
चोरों ने, आदमखोरों ने
आदमखोरों ने सज खादी
खादी सँग पायी आज़ादी
आज़ादी में गुंडे बनकर
करते ताण्डव आकर घर-घर | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" अजब रंग है आज सियासी
आज सियासी , बारहमासी
बारहमासी व्यभिचारों की
व्यभिचारों की , व्यापारों की
व्यापारों की , सेक्स सन्ग है !
सेक्स सन्ग है !, अजब रन्ग है | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" नेता चाहे , चकलाघर हों
चकलाघर हों , सब लोफर हों
सब लोफर हों , लोकतंत्र में
लोकतंत्र में , इसी मन्त्र में
इसी मन्त्र में , चले व्यवस्था
चले व्यवस्था , चाहे नेता | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" पांच साल के बाद मदारी
बाद मदारी, कर तैयारी
कर तैयारी , करे तमाशा
करे तमाशा , बन्दर नाचे
बन्दर नाचे , कर-कर वादे
कर-कर वादे , पांच साल के | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" राजा ने की यही व्यवस्था
यही व्यवस्था, यौवन सस्ता
सस्ता ब्लू फिल्मों का सौदा
सौदा ऐसा जिसमें नेता
नेता चाहे नव शहजादी
यही व्यवस्था राजा ने की | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" बनता ज्ञानी , अति अज्ञानी
अज्ञानी की यही कहानी
यही कहानी, है बड़बोला
है बड़बोला, केवल तोला
केवल तोला, टन-सा तनता
टन-सा तनता , ज्ञानी बनता | "
(रमेशराज )
|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" कवि की कविता में खल बोले
खल बोले विष जैसा घोले
घोले सहमति में कड़वाहट
कड़वाहट से आये संकट
संकट में साँसें जन-जन की
जन की पीड़ा रही न कवि की | "
(रमेशराज )
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रमेशराज, 15/109, ईसानगर, अलीगढ-२०२००१
मो.-९६३४५५१६३०
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