हाइकू -24 गौरैया सुशील शर्मा चोंच में दाना उठा उड़ी गोरैया चुगाती चूजे। कब आओगी गौरैया मेरे द्वार दाना चुगने। पेड़ पर है तिनकों का घोंसला ...
हाइकू -24
गौरैया
सुशील शर्मा
चोंच में दाना
उठा उड़ी गोरैया
चुगाती चूजे।
कब आओगी
गौरैया मेरे द्वार
दाना चुगने।
पेड़ पर है
तिनकों का घोंसला
गौरैया नहीं।
नन्ही गौरैया
फुदक फुदक कर
दाना चुगती।
मुन्ने के सिर
फुदक रहा चूजा
प्रेम बंधन।
अंजुरी भर
प्रेममयी गोरैया
स्नेहिल स्पर्श।
----
हाइकू -16
विविध
सुशील कुमार शर्मा
1. नीली सी आँखे
कौन कहेगा इन्हें
कत्लोगारत।
2. तुझ से इश्क
नहीं था शौक मेरा
मज़बूरी थी।
3. यादों के बक्से
सहेजे चंद पल
मुलाकातों के।
4. तुमसे कभी
मुलाकात न हुई
ख्वाब था टूटा।
5. तुम दूर थे
लेकिन जुदा न थे
अब फासले।
6. खूबसूरत
तेरा चेहरा न था
तेरी सादगी।
7. सोता शहर
अंदाज है गजब
गूंगे बहरे।
8.उरी घटना
ख़ौलता मेरा खून
जबाब मौन।
9.नापाकी नक्शा
मिटा दो जमीन से
जुमले छोड़ो।
11.सैनिक लाशें
मांग रहीं इंसाफ
बोलो तो साब।
हाइकू -17
कवि और कविता
सुशील कुमार शर्मा
1. कवि सपेरा
भावों की पिटारी
शब्दों के सांप।
2. कवि ह्रदय
जैसे जल कमल
शुद्ध निर्लेप।
3. कवि का कर्म
नव जीवन संचार
उच्च विचार।
4. कवि का मन
प्रेम से परिपूर्ण
शाश्वत दृष्टी।
5. पहुंचे कवि
जहाँ न जाये रवि
अतुलनीय।
6. कवि का काम
सत्य परिभाषित
मन झंकृत।
7.महान कवि
अहंकार से परे
शिशु सदृश्य।
8 .कवि की कृति
सौंदर्य अनुभूति
आनंद सुधा।
9. कवि के शब्द
अन्धकार में दीप
शीतल जल।
10. कविता कला
भावना से रंजित
सत्य समृद्ध।
11.कवि निर्जीव
दुःख दर्द से दूर
खोखलापन।
12.खुद को चीर
शब्द भाव गंभीर
बुनी कविता।
13.शोषित वर्ग
कविता का आधार
बिफरे शब्द।
14. कविता मौन
कोलाहल से परे
एक बीज है।
15. झंकृत शब्द
ह्रदय उदगार
झूमी कविता।
हाइकू -18
दुःख और कर्म
सुशील कुमार शर्मा
1.मन के कष्ट
जीवन की कसौटी
सभी के पास।
2. दुखी ह्रदय
मन की संवेदना
गिरते अश्रु।
3. कर्म का फल
हमेशा रहे साथ
न हो निष्फल।
4. धरा पर कर्म
धनुष छूटा तीर
चूके न शर।
5. कर्म फल है
शब्द बने पत्तियां
तना शरीर।
6. कर्म आकृति
तप मेरा ह्रदय
क्रिया शरीर।
7.सूर्य में तेज
कर्म से प्रकाशित
मनुज देह।
8 .कर्म का लक्ष्य
गुणोत्तर आनंद
बंधन मुक्त।
9. निष्काम कर्म
अनासक्त मनुष्य
साधना पथ।
10. कर्म कुसुम
ईश्वर को अर्पित
अहं से मुक्त।
11.सुन्दर कर्म
स्वर्ग में अभिसार
प्रभु के संग।
हाइकू-19
उरी कांड
उरी घटना
ख़ौलता मेरा खून
जबाब मौन
नापाकी नक्शा
मिटा दो जमीन से
जुमले छोड़ो।
सैनिक लाशें
मांग रहीं इंसाफ
बोलो तो साब।
फिर से चला
पाक का षडयंत्र
शेर शहीद
कहाँ खो गया
छप्पन इंच सीना
चीखा शहीद।
पाक की हस्ती
पैर से कुचल दो
नरेंद्र मोदी।
सुन बे पाक
हरकतें नापाक
मर जायेगा।
1947 से
नस्तर सा चुभता
ये पाकिस्तान।
हिन्द अखंड
ह्रदय धधकता
ज्वाला प्रचंड।
सवा अरब
भारतीयों की आन
पैर के नीचे।
वीरों के सिर
सिंहासन निष्ठुर
कौन दे न्याय।
चार कुत्तों में
खोये सत्रह शेर
बदला लेना।
हाइकू-20
चाँद
सुशील शर्मा
चाँद सी गोल
गरीब की रोटियाँ
थाली में तारे।
चाँद किनारे
सुनहरे सपने
बुनने तो दो।
चाँद चकोरी
कह कर बतियाँ
बहलाओ ना।
चाँद छत पे
पर तुम न मिले
कल का वादा।
छुपता चाँद
घूँघट में चेहरा
दीदार तेरा।
ईद का चाँद
चिलमन से झाँका
प्यारा चेहरा।
मन का चाँद
अनंत आसमान
उड़ता पंक्षी।
शुभ्र धवल
उज्जवल प्रांजल
शशि नवल।
चाँद सी बिंदी
सुहागन के माथे
पिया का संग।
चाँद निकला
पर तुम न आये
उदास रात।
चाँद का दाग
मुख पर ढिटोना
कित्ता सलोना।
नीरज निशा
पिया गए विदेश
बैरी निंदिया।
चाँद सी तुम
बिखेरती चांदनी
महकी रात।
तुम्हे क्या कहूँ
चौदहवीं का चाँद
या आफताब।
चंदा रे चंदा
संदेशा उन्हें देना
पिया बावरी।
ओ चंदा मामा
मुनिया के खिलौने
साथ में लाना।
हाइकू -21
सुशील शर्मा
क्रोध
मन का क्रोध
अच्छी स्मृतियाँ लोप
स्वयं का दुःख।
क्रोध का बैरी
विनय निरुत्तर
पिघले क्रोध।
क्रोध की काट
कोई अस्त्र न शस्त्र
मौन का मन्त्र।
क्रोध उपजे
बुद्धि विवेक भ्रांत
मस्तिष्क बंद।
कम विवेक
मानव बना दैत्य
क्रोध है पाप
क्रोध है अग्नि
अच्छाई का हवन
भस्म जीवन।
क्षमा
ह्रदय धर्म
क्षमा करना सबको
परम तप
क्षमा की आभा
पुरुषों का भूषण
स्त्रियों की शोभा।
क्षमा ही धर्म
मान को दे समृद्धि
क्षमा सत्य है।
विश्व सम्मान
क्षमाशील मानव
उत्तम गति।
क्षमा में शांति
दंड में उल्लास
क्षमा पवित्र।
मुस्कराहट
मुस्कुरा कर
मत देख जालिम
तेरे हैं हम।
मुस्कराहट
बहती ताज़ी हवा
सरसराई।
धर्म
शरीर धर्म
दीन दुखी की सेवा
सबका सुख।
मानव धर्म
अहं रहित सेवा
जीवन मूल।
धर्म का मूल
करुणा और दया
कर्म प्रेरणा।
धर्म की व्याख्या
मानवीय गौरव
सदाचरण।
धर्म का तत्व
ह्रदय ग्राह्य ज्ञान
बुद्धि से परे।
धर्म का आकार
सामाजिक समता
यश सम्मान।
धर्म से प्रेम
राष्ट्रीयता के भाव
स्व का अर्पण।
धर्म की बात
न हो प्रवचन
सत आचार।
चिंता
मन की चिंता
शरीर की दुश्मन
चिता सामान
चिंता ही चिता
चिता दहे निर्जीव
चिंता सजीव।
हाइकू -22
जीवन
सुशील शर्मा
जीवन पथ
कठिन संघर्ष रत
नित नूतन।
जीवन गीत
बहता निर्मल जल
शस्य कमल।
जीवन धन
पुरुषोचित कर्म
आत्म सम्मान।
जीवन पथ
नित नव संघर्ष
प्रगति रथ।
जीवन लक्ष्य
अभिनव भविष्य
वासना मुक्त।
जीवन यात्रा
प्रवाह चरामेति
सिंधु की ओर।
जीवन पुष्प
जगत उपवन
रजनीगंधा।
जीवन मृत्यु
शरीर अवसान
नवीन यात्रा।
जीवन संध्या
उजास और तम
लक्ष्मण रेखा।
जीवन गति
अभिलाषा के पंख
सार्थक लक्ष्य।
जीवन सत्य
परमात्मा का ध्यान
अंतरतम।
दिव्य जीवन
पारमार्थिक भाव
बुद्धि साधना।
हाइकू -23
गाँव
सुशील शर्मा
गोरी का गांव
लहराता दुपट्टा
भरी गगरी।
आम की छाँव
नमक संग रोटी
खेत में हल।
गांव की गैया
दुलारती बछड़ा
दुहती मैया।
दद्दा का मुन्ना
कांधे लटका बस्ता
बहती नाक।
गांव का स्कूल
घंटी बजाते बच्चे
गुरु की छड़ी।
गांव की नदी
लहराती चुनरी
सरसराई।
साँझ की बेला
धूल उड़ाते ढोर
जलते दीये।
सुन्दर खेत
हरयाती फसल
चुगते पंछी।
पेड़ पर चढ़ी
मोहन की मुनिया
झूलती झूला।
मन को भाये
गांव का मधुवन
सुख सदन
----
हाइकू -20
सुशील शर्मा
क्रोध
मन का क्रोध
अच्छी स्मृतियाँ लोप
स्वयं का दुःख।
क्रोध का बैरी
विनय निरुत्तर
पिघले क्रोध।
क्रोध की काट
कोई अस्त्र न शस्त्र
मौन का मन्त्र।
क्रोध उपजे
बुद्धि विवेक भ्रांत
मस्तिष्क बंद।
कम विवेक
मानव बना दैत्य
क्रोध है पाप
क्रोध है अग्नि
अच्छाई का हवन
भस्म जीवन।
क्षमा
ह्रदय धर्म
क्षमा करना सबको
परम तप
क्षमा की आभा
पुरुषों का भूषण
स्त्रियों की शोभा।
क्षमा ही धर्म
मान को दे समृद्धि
क्षमा सत्य है।
विश्व सम्मान
क्षमाशील मानव
उत्तम गति।
क्षमा में शांति
दंड में उल्लास
क्षमा पवित्र।
मुस्कराहट
मुस्कुरा कर
मत देख जालिम
तेरे हैं हम।
मुस्कराहट
बहती ताज़ी हवा
सरसराई।
धर्म
शरीर धर्म
दीन दुखी की सेवा
सबका सुख।
मानव धर्म
अहं रहित सेवा
जीवन मूल।
धर्म का मूल
करुणा और दया
कर्म प्रेरणा।
धर्म की व्याख्या
मानवीय गौरव
सदाचरण।
धर्म का तत्व
ह्रदय ग्राह्य ज्ञान
बुद्धि से परे।
धर्म का आकार
सामाजिक समता
यश सम्मान।
धर्म से प्रेम
राष्ट्रीयता के भाव
स्व का अर्पण।
धर्म की बात
न हो प्रवचन
सत आचार।
चिंता
मन की चिंता
शरीर की दुश्मन
चिता सामान
चिंता ही चिता
चिता दहे निर्जीव
चिंता सजीव।
हाइकू-19
उरी कांड
उरी घटना
ख़ौलता मेरा खून
जबाब मौन
नापाकी नक्शा
मिटा दो जमीन से
जुमले छोड़ो।
सैनिक लाशें
मांग रहीं इंसाफ
बोलो तो साब।
फिर से चला
पाक का षडयंत्र
शेर शहीद
कहाँ खो गया
छप्पन इंच सीना
चीखा शहीद।
पाक की हस्ती
पैर से कुचल दो
नरेंद्र मोदी।
सुन बे पाक
हरकतें नापाक
मर जायेगा।
1947 से
नस्तर सा चुभता
ये पाकिस्तान।
हिन्द अखंड
ह्रदय धधकता
ज्वाला प्रचंड।
सवा अरब
भारतीयों की आन
पैर के नीचे।
वीरों के सिर
सिंहासन निष्ठुर
कौन दे न्याय।
चार कुत्तों में
खोये सत्रह शेर
बदला लेना।
हाइकू -18
दुःख और कर्म
सुशील कुमार शर्मा
1.मन के कष्ट
जीवन की कसौटी
सभी के पास।
2. दुखी ह्रदय
मन की संवेदना
गिरते अश्रु।
3. कर्म का फल
हमेशा रहे साथ
न हो निष्फल।
4. धरा पर कर्म
धनुष छूटा तीर
चूके न शर।
5. कर्म फल है
शब्द बने पत्तियां
तना शरीर।
6. कर्म आकृति
तप मेरा ह्रदय
क्रिया शरीर।
7.सूर्य में तेज
कर्म से प्रकाशित
मनुज देह।
8 .कर्म का लक्ष्य
गुणोत्तर आनंद
बंधन मुक्त।
9. निष्काम कर्म
अनासक्त मनुष्य
साधना पथ।
10. कर्म कुसुम
ईश्वर को अर्पित
अहं से मुक्त।
11.सुन्दर कर्म
स्वर्ग में अभिसार
प्रभु के संग।
हाइकू -17
कवि और कविता
सुशील कुमार शर्मा
1. कवि सपेरा
भावों की पिटारी
शब्दों के सांप।
2. कवि ह्रदय
जैसे जल कमल
शुद्ध निर्लेप।
3. कवि का कर्म
नव जीवन संचार
उच्च विचार।
4. कवि का मन
प्रेम से परिपूर्ण
शाश्वत दृष्टी।
5. पहुंचे कवि
जहाँ न जाये रवि
अतुलनीय।
6. कवि का काम
सत्य परिभाषित
मन झंकृत।
7.महान कवि
अहंकार से परे
शिशु सदृश्य।
8 .कवि की कृति
सौंदर्य अनुभूति
आनंद सुधा।
9. कवि के शब्द
अन्धकार में दीप
शीतल जल।
10. कविता कला
भावना से रंजित
सत्य समृद्ध।
11.कवि निर्जीव
दुःख दर्द से दूर
खोखलापन।
12.खुद को चीर
शब्द भाव गंभीर
बुनी कविता।
13.शोषित वर्ग
कविता का आधार
बिफरे शब्द।
14. कविता मौन
कोलाहल से परे
एक बीज है।
15. झंकृत शब्द
ह्रदय उदगार
झूमी कविता।
हाइकू -16
विविध
सुशील कुमार शर्मा
1. नीली सी आँखे
कौन कहेगा इन्हें
कत्लोगारत।
2. तुझ से इश्क
नहीं था शौक मेरा
मज़बूरी थी।
3. यादों के बक्से
सहेजे चंद पल
मुलाकातों के।
4. तुमसे कभी
मुलाकात न हुई
ख्वाब था टूटा।
5. तुम दूर थे
लेकिन जुदा न थे
अब फासले।
6. खूबसूरत
तेरा चेहरा न था
तेरी सादगी।
7. सोता शहर
अंदाज है गजब
गूंगे बहरे।
8.उरी घटना
ख़ौलता मेरा खून
जबाब मौन।
9.नापाकी नक्शा
मिटा दो जमीन से
जुमले छोड़ो।
11.सैनिक लाशें
मांग रहीं इंसाफ
बोलो तो साब।
------
हाइकू -14
सुशील कुमार शर्मा
---------------------
ईर्षा
---------------
काली नागिन
विष फुफकारती
मन की ईर्ष्या।
------------------------
मन में ईर्षा
स्वाभाविक पृवत्ति
अवहेलनीय।
---------------------
हीनता बोध
पनपती है ईर्ष्या
दे संकीर्णता।
-----------------
उन्नति
--------------------
स्वयं सुधार
उन्नति का आधार
सबका सुख।
-----------------------
भावों की शुद्धि
जीवन में उन्नति
पवित्र मन।
----------------------
अकर्मण्यता
उन्नति में बाधक
मन निराश।
--------------------------
स्त्री की उन्नति
भारत की प्रगति
बढ़ता देश।
-------------------
करुणा
-------------------
मानव सृष्टि
करुणा पर टिकी
अनुगृहीत।
---------------------
अंतःकरण में
सात्विकता की ज्योति
जगे करुणा।
------------------
करुणा बीज
प्रेम का आलंबन
कृतज्ञ जन।
---------------
ॠण
--------------
ॠणी मानव
बदतर जीवन
नीची नजरें।
-------------------
ॠण का जाल
जीवन का जंजाल
भीख मांगना।
-------------
ॐ
------------------
समग्र विश्व
ॐ में व्याप्त प्रकाश
इत्येकाक्षरं।
-------------------
ओम की ध्वनि
प्रचंड अंतर्नाद
परम सिद्धि।
------------
नारी
--------------
नारी की बुद्धि
सीधी सच्ची सिद्धि
गुनती कम।
---------------------
स्त्री का ह्रदय
बेइंतहा स्नेह या
अनंत घृणा।
----------------------
सोना और स्त्री
सौ गुनी मादकता
कोई न बचा।
हाइकू -13
वियोग
सुशील शर्मा
-----------------
खामोश बूंदें
खूबसूरत उदासी
तुम्हारी यादें।
-----------------------
गम हमारे
तुम्हे लगते प्यारे
टूटे किनारे।
----------------------
मेरे कातिल
सीने में तेरा चाकू
होंठों पे तुम।
-----------------------
नजर उठी
वो नजर में चढ़े
नजर लगी।
---------------------
ये महफ़िल
तेरी ऐसी तो न थी
नागवार सी।
------------------
जेहनसीब
जो होते तुम करीब
बदनसीब।
-----------------
शामे ए हिज़्र
तेरा रूठ के जाना
पत्थर दिल।
-----------------
आजमाइशें
तोड़ देती हैं दिल
समझा करो।
---------------
इश्क़ मेरा
कतरे से दरिया
तुझ से बना।
---------------
लहर आई
मिटा रेत से नाम
दिल से नहीं।
----------------
नए हैं जख्म
तेरी वेबफाई के
मुझे मंजूर।
हाइकू -12
विविध
सुशील शर्मा
कुछ गुजारी
कुछ गुजरने दी
बीती जिंदगी।
--------------
कुछ वक्त दे
जिंदगी मिली मुझे
फुर्सत नहीं।
---------------
वक्त तू सता
तेरे मन की बता
हारूँगा नहीं।
------------------
हम अकेले
सफर पर निकले
बना कारवां।
-----------------
राह मुश्किल
संभल कर चलिए
आगे मंजिल।
-----------------
हाथ की रेखा
ज्योतिष की दुकान
फरेबी भाग्य।
हाइकू 10
ईश्वर
सुशील शर्मा
1. ईश आभाष
व्यापक है सर्वत्र
ह्रदय वास।
2. ईमानदारी
सर्वोत्तम भावना
ईश्वर रूप।
3. ईश्वर वृत्त
प्रकाशित सर्वत्र
प्रसन्न चित्त।
4. समस्त विश्व
परिपूर्ण ईशत्व
प्रकाश तत्व।
5. बुद्धि से परे
आत्मा का अनुभव
अपरिभाषित।
6. कुरान सार
अल्लाह की प्रार्थना
आखरी सच।
7. ईश है सत्य
जड़चेतन व्याप्त
एकोविश्वस्य।
8. विष्णु पालक
ब्रम्हा रूप सर्जक
शिव न्यायिक।
9. अटल सत्य
नास्तिक भी उसका
आराधक भी।
-
हाइकु -4
सुशील कुमार शर्मा
श्राद्ध पक्ष
1. हे पितृपक्ष
भोगवादी समाज
पितर कौन।
2. श्राद्ध का पाख
याद करो पूर्वज
श्रद्धा है मूल।
3. ब्राहम्ण भोज
स्वाद मय भोजन
पंडित तुष्ट।
4. सन्तुष्ट पितृ
श्राद्ध श्रद्धा पूर्वक
मिले सौभाग्य।
5. मरों का दान
पहुंचा उन तक
श्रद्धा पहुंची।
6. श्राद्ध किसका
अंदर रक्त जिसका
ऋण उसका।
7. दें जलांजलि
कृतज्ञ भावनाएँ
पायें आशीष।
8. जरुरी नहीं
सबको भोजन दें
पौधा रोप दें।
9. बगैर स्वार्थ
नहीं दक्षिणा दान
गिरते हम।
10. तर्पण मूल
चरित्रों से प्रेरणा
आत्म कृतज्ञ।
11. श्राद्ध उचित
श्रद्धा भाव से दान
शास्त्र सम्मत।
हाइकू -6
चुप से
सुशील शर्मा
1.चुप से क्यों हो
मन को सारी बातें
कहने तो दो।
2.सुनो तो आओ
बैठें एक किनारे
कांधे पे सिर।
3.आंसू क्यों गिरे
दर्द का समंदर
पीना है तुझे।
4. खामोशियाँ ही
अच्छी है बोलने से
रूठते लोग।
5. तेरा हँसना
लगा चाँद उतरा
मुस्कुरा कर।
6.मन तुम्हारा
व्यथित बहुत है
चाँद सरीखा।
7.क्यों चुप सी हो
मन के दरवाजे से
बाहर झांको।
8. प्यार में आओ
मिल कर हमसे
गम भुलाओ।
9.ये जीवन है
अश्रु की जलधारा
अटूट रिश्ते।
10.भेज रहा हूँ
सुन्दर से हाइकू
बोलो है कैसे
हाइकू-7
तुम
सुशील शर्मा
प्यारी सूरत
चांदनी सा चेहरा
किस के लिए।
एक चाहत
चाँद लेकर आना
सरगोशियां।
तुम न मिले
तुम्हारी तमन्ना थी
यादें ही सही।
प्रेम की पाती
किताबों के पन्ने
सूखते गुलाब।
उदास आँखे
कुछ कहती मुझे
बंद पलकें।
तुम न आओ
लौट जाओगे कल
यादें साथ हैं।
सुशील शर्मा
हाइकू -9
शिक्षा
सुशील कुमार शर्मा
1.आर टी ई क्या
शिक्षा का अधिकार
गरीब बच्चे।
2.मध्यान्ह भोज
रोइ बनाता गुरु
दाल में कीड़े।
3.5 सितंबर
शिक्षक का सम्मान
सिर्फ दिखावा।
4.शिक्षा का दर्द
महंगी होती शिक्षा
सूना भविष्य।
5.बिकती शिक्षा
घूमते सौदागर
सीटों की बोली।
6.कोचिंग अड्डे
लुटते माता पिता
बुने सपने।
7.रीते संस्कार
मौन है सरोकार
कौन है दोषी।
8.नैतिक शिक्षा
पाठ्यक्रम का आभाव
बुरा प्रभाव।
9.शिक्षक कहाँ
दारू का अड्डा जहाँ
नीचे गरिमा।
10.सोता शासन
शिक्षा पर सेमिनार
सब बेकार।
11.दो मुहीं शिक्षा
एक है आसमान
एक पाताल।
--
हाइकू -11
गणेश वंदना
सुशील कुमार शर्मा
1. वक्रतुण्डाय
धीमहि तन्नो दन्ति
प्रचोदयात।
2. विश्वरूपेण
हे गणपति देव
तुम्हे प्रणाम।
3. हे धूम्रवर्ण
जीवन के आधार
तेरी जय हो।
4. हे भालचंद्र
विघ्न के विनाशक
मोदक भोग।
5. हे गौरी सुत
रिद्धि सिद्धि के भर्ता
नमस्करोमि।
6.कृष्णपिंगाक्ष
सुरः प्रियायः नमः
लम्बोदराय।
7. हे महाकाय
सर्व विघ्न शामक
रक्षा कवच।
8. एक दन्ताय
सर्व शांति कारक
शुभं करोति।
9. गणाधिपति
आत्मा के मूर्तिमान
स्वरुप तुम।
10. गजमस्तक
बुद्धि बल के स्वामी
विस्तीर्ण कर्ण।
11. हे विनायक
ज्ञान विवेक शील
साक्षात ब्रम्ह।
12. विघ्नराजेन्द्रं
मस्तक है विशाल
कुशाग्र बुद्धि।
-
हाइकु-3
सुशील कुमार शर्मा
1. रोटी की सत्ता
जलती है जिंदगी
साब का कुत्ता।
2. स्याह जवानी
सहमा सा विश्वास
बढ़ती बेटी।
3. विलोपित स्त्री
मनुष्य की जनक
क्या अधिकार ?
4. स्त्री के बंधन
पति का बलात्कार
भाई की मार।
5. दलित बेटी
नवरात्र पूजन
कन्या भोजन।
6. पुत्र का जन्म
जगमग है घर
छांई खुशियां।
7. बेटी का जन्म
घर भर कराहे
छाया मातम।
8. नैतिक खूंटे
बंधी हुई नारियाँ
खोलो बंधन।
9. शब्द कोशों में
जब्त परिभाषाएं
सुनो सिसकी।
10. सशंकित माँ
सामाजिक मर्यादाएँ
कैद लड़की
11. पुत्र दुत्कारे
पति का बहिष्कार
समाज मौन
12. बेटी की विदा
अजनबी का घर
सब स्वीकार।
COMMENTS