शबनम शर्मा की कविताएँ

SHARE:

          आस ज़िन्दगी की आस में तुम्हारा पास होना कितना रोमांचित करता मुझे।         रंगीन हिलोरे खाता मेरा मन         इंद्रधनुषी आसमान की त...

insane gray 

        आस


ज़िन्दगी की आस में तुम्हारा
पास होना कितना रोमांचित
करता मुझे।
        रंगीन हिलोरे खाता मेरा मन
        इंद्रधनुषी आसमान की तरह,
        पहचान लेते लोग मेरा ये
        बरसाती मौसम।
कितना कटु व भयानक
यथार्थ दिया तुमने,
सदैव नमक ही छिड़का
मेरे दहकते जख्मों पर।
        रिसते
        सदैव रूलाया मेरी हँसती
        आँखों को,
        सिसके हैं मेरे अरमान
        झोली पसारकर। पर तुम
        न पिघले। खड़ी है मेरी
        ज़िन्दगी आखिरी कगार पर
        यही सोचती कि आस किसी
        यथार्थ से कितनी भली।

    सामना


आज बरसों बाद उनसे
सामना हो ही गया।
पहचानने में तनिक देर न लगी
वही प्यासी आँखें, थरथराते लब
जो कभी कुछ भी बयान न कर पाये।
ले गये घसीट कर मुझे
अतीत के उस आँगन में
जहाँ पहली बार शादी के
जमघट में आँखें चार हुई थी उनसे।
वो चुपचाप लम्बे-लम्बे खत देना
व लिखना, खुद ही बतियाना और हँसना
सामने आने पर मूक हो जाना, अचानक
रूला गया मुझे।
बरस बीत गये वक्त का पहिया न रुका,
सुना जिद्द की उसने मुझ संग ब्याह
रचाने की, हार गया गोटी माँ-बाप,
रिश्तेदारों की कसमों के सामने।
वो ब्राह्मण लड़की से ब्याह नहीं कर सकता
ब्याह हो गया उसका,
पर आज भी हमारी वही आस,
वही प्यास, वही स्पर्श झुंझलाता है हमें,
कि काश खड़ा हो जाता दोनों के दरमियाँ।

        आँगन


ब्याह होते ही क्यूँ
पराया हो गया आँगन।
        ताकती नहीं वो तुलसी भी मुझे
        बुलाता नहीं दादा का हुक्का भी,
        दादी भी अपनी संदूकड़ी भैया
        के बच्चों को बाँटती,
पड़ोसी भी पूछते ‘रानी आई है’
पीहर, कब तक रहेगी?
बात-बात में भईया-भाभी भी
हँसकर पूछ लेते मेरा ‘प्रोग्राम’
        चाची हाल पूछती व बोल ही
        देती ‘जमाई’ कब आ रहे
        तुम्हें लिवाने?
पिता नहीं दिखाते वो चिड़िया
का सामने वाले पेड़ पर घोंसला
न ही गाते वह गीत।
सिर्फ माँ दिखती बटोरते छोटा-छोटा
सामान।
        क्यूँकि उसे भी इन्तज़ार है
        चिड़िया के उड़ जाने का
        फिर भी, चुन्नी के आँचल से
        आँखें पोंछती कई बार रो देती
        और कहती, ‘‘बेटी वो घर ही
        अब तेरा घर है।’’
सोचती बेटी, शायद इन सबका
निर्णय उसे भेजना है उसके घर
जहाँ अब आँगन, पिता, माँ,
भाई-बहनों को अपना बनाने
में उमर गुज़र जायेगी और
ग़र रोयेगा तो सिर्फ उस और
इस घर का आँगन जब वो
इन्हें छोड़कर जायेगी।


    स्पर्श


कितने सुहाने ये स्पर्श,
छूते जब नन्हें के हाथ
गले लगाते हम उसे,
इक अनूठा सा अहसास
        लगाते दोस्त को गले,
        लगता सब समस्याओं
        का हल दे गया कोई,
दिनों बाद गली में
टकराव, उस पुराने इन्सान से,
जिसने देना है मेरा कुछ पैसा
हाथ मिलाना उसका,
और कह देना सब कुछ
        घर से निकलते ही
        पति का वो अनछुआ
        अनकहा छूने का अन्दाज़
        कुछ शरारती, कुछ मज़ाकिया,
कोई भी गलती होने पर
पिता का वो सख्त हाथ
कंपकंपा देता रूह
अनजाने में ही
        पर, हर जगह, हर पल,
        हर साँस में, माँ के प्यार
        का स्पर्श, सदैव देता
        दुआएँ, रखता सुरक्षित,
        सब बलाओं से, महसूस
        होता मुझे, मेरे रोम-रोम में।


    डोर


नहीं दिखाई देती,
वो डोर,
जो चढ़ाती हमारी ज़िन्दगी
कभी ऊपर, कभी खींचती
धरातल पर।
सिर्फ महसूस होती
ये चढ़ती पतंग
और ढीली डोर,
थक गई मैं आसमान
में लेती अनगिनत हिलोरे,
हर किसी की नज़र,
मेरी चढ़ती पतंग पर,
कोई न देख पाता,
मेरे उतार-चढ़ाव का सिलसिला।
कट गई इक दिन वो
ऊँची पतंग
आ गई मैं ज़मीन पर
लपेटी नहीं थी मेरे पतंग की डोर,
उलझ गई, और उलझ गई।
बैठी थी उसे सुलझाने
कि, जितना सुलझाती
वो और उलझती ही जाती,
एक गिरह खोलती तो
दूसरी पड़ जाती।
गुस्से में मैंने और उलझा दी
समेट कर तोड़ दी पतंग भी
और फेंक दिया उसे बारिश
के पानी में।

वो वतन का लाल
हर बरस छुट्टी आता,
कुछ न कुछ घर में करा ही जाता
देखता जाते हुए दुल्हन को
कनखियों से,
उठाता नन्हें को, रो देता
उसका मन, लगा गले
देकर दिलासा, उतार देता गोद से,
जाता माँ के कमरे में
भीगे दुपट्टे से आँखें पोंछती,
तिलक लगाती, दही खिलाती,
पाँव छूता, तो घुट कर रो देती
बाबा न रोने का इशारा करते।
लेकर मन पर कोसों बोझ
चल देता, वो भारत माँ
की रक्षा करने।
पर हाय, आज ये क्या
कहर बरपा है इस मिट्टी पर
आया है घर वो लिपटा
तिरंगे में,
रो रहा आँगन, रो रही धरती,
सिसक रहा समस्त परिवार,
पर इक झंडा भारत माँ का
फहरा रहा चहुँ ओर
देख रहा आज भी वो आँगन
जहाँ बड़ा होकर गया था वह
भारत माँ की रक्षा करने
रो रहा उसका भी दिल
लिपटे कफ़न के अन्दर
देख इन सबका रुदन,
पर दे रहा संदेश
‘‘जय माँ, जय भारत माँ
तेरा लाल आज दुनिया से
जा रहा, तेरे दिल से नहीं
जय माँ।’’


        वह


जाते हुए निहारा था आँगन,
जहाँ पैदा होकर खेला था वह,
निगाह डाली थी कोने-कोने पर
जहाँ कभी छिपा था वह
        लौटकर स्कूल से छिपाता था
        बंटे, तो कभी गिल्ली-डंडा,
        भाग जाता था भरी दोपहर में
        चकमा देकर नींद का सबको,
देखता था आँगन के उस कोने का,
पेड़ उसे हर काम करते हुए
चुराता था वो हर पल इस
छोटी सी ज़िन्दगी में से,
        बड़ा हुआ, चल दिया वो
        भारत माँ की सेवा हेतू
        वर्दी पहनकर, बंदूक थामकर,
        देखता रहा गर्व से उसे ये
        गाँव, ये आँगन, ये घर
लाया दुल्हन, नाच उठा सारा घर
नाचे थे बाबा, दादी, मामा सब
हुआ था नन्हा, बजे थे ढ़ोलक
यहाँ, आज चला है माँ की रक्षा हेतू।


    सन्नाटा


इक अजीब सा सन्नाटा है
मेरी इस ज़िन्दगी में,
कोई आवाज़ आती भी नहीं,
कोई धुन जाती भी नहीं,
इक कदम उठते ही, लम्बी
काली गलियाँ
जिसमें कोई लौ टिमटिमाती
भी नहीं
कोई आस जाती भी नहीं
हर लम्हा, बेबुनियाद उम्मीदें लिये
बाँहें पसारे खड़ा है कब से
जिसमें कोई राह जाती भी नहीं
जिसकी कोई मंजिल आती भी नहीं
फिर भी चुपचाप जिए जा रही मैं,
सुना है हर काली रात की
जगमगाती सुबह होती है,
उम्मीद की अटकी फाँस गले में,
अन्दर जाती भी नहीं
और बाहर आती भी नहीं।


    इन्तज़ार


घर से दूर,
बच्चों से दूर,
इन वादियों को छोड़
जाना पड़ा उसे, चंद सिक्के कमाने
अपने बीवी-बच्चों का पेट
पालने हेतू।
सुबह से शाम कब हो जाती
पता ही न चलता,
पर शाम ले आती
घर की तमाम यादें
चिपक जाती सब
बातें कमरे की छत पर,
झड़ने लगती किसी धूल सी,
बच्चों की याद,
बीवी की बातें
माँ-बाप का प्यार।
उधर बच्चे भी शाम होते ही
राह ताकते,
एक दूसरे से पूछते
‘‘पापा कब आएँगे?’’
हद तो तब हो जाती
जब नन्हा कह उठता
‘‘पापा बहुत दूर के आॅफिस
गये हैं, उन्हें गाड़ी में लेकर आओ,
मैं उन संग खेलूंगा,
कुश्ती लडूंगा’’, ऐसे-ऐसे
शब्द गले में निगल कर,
सब सुन लेते, बहला देते उसे
पर मन नहीं मानता,
याद तो याद है, वक्त का
परिन्दा फड़फड़ाते ही आती है।
पर क्या करें
सब अपने वश में कहाँ,
रोटी कमाना आसान नहीं
सात समुन्द्र पार भी
चंद सिक्कों के लिये
हमें ये भिजवा सकती
फिर भले ही इन्तज़ार
कितना ही फड़फड़ाये?

 

    नदी


काँच सी नाजुक,
पतली, लम्बी, छरहरी देह लिये,
सिमटती, लहराती, खिलखिलाती
चल दी अपने गंतव्य की ओर,
लाखों सपने सजाये थे उसने
मिलती-मिलाती चलेगी सबको,
पग-पग पर होगा उसका स्वागत,
पूजी जायेगी, आशीर्वाद देगी
व बढ़ती जायेगी अपने
गंतव्य की ओर,
पग बढ़ते गये, बढ़ते गये,
लोगों ने अपने मन की व्यथायें
सुनाई, मालायें पहनाई, तो कहीं
मिली स्वर्ग की ओर जाते
यात्रियों से,
माहौल जगमगा उठा, जब
जलते दीयों की कतारों ने
पनाह ली उसके आँचल में,
शाँत-चुपचाप आगे बढ़ी,
कोई न था उसे देखने वाला,
उसकी रक्षा करने वाला,
देखा अपने अरमानों का खून,
बदबू भरे नाले उसमें आ गिरे,
शहर भर की गन्दगी ने उसे
मनचाहा मैला किया,
उसके वो नन्हे-मुन्ने बच्चे
जो मीलों से संग आ रहे
चीख-चीख कर दम तोड़ रहे
उदास अति उदास अब,
धीमी रफ्तार में चली नदी,
उसके अश्रु उसमें ही विलीन हुए
दहाड़ता समुद्र बाँहें फैलाये
खड़ा था कि वो चुपचाप सरक
गई उसके आगोश में व
विलीन हो गई सदा के लिये
वैसे ही जैसे ‘‘कभी ऊपर
जाकर कोई वापस नहीं आता।’’

    भूख


रोटी गरीब की कितनी बड़ी,
कितनी भारी और कितनी महंगी
रात-दिन जान तोड़ता महुआ,
दो जून रोटी के लिये
फिर भी पानी उबालती सक्को,
बहलाती बच्चों का दिल
आखिर देख ही लेता झबुआ,
पानी उबल रहा है भात नहीं,
चुपचाप निहारता छोटे भाई-बहनों
क्योंकि सच्चाई वो सहन न करेंगे
हड़कंप मचा देंगे घर में,
खोल अंटी से लाया चार बिस्कुट
का चूरा, जो रखे थे कभी
सभी से छिपाकर।
रख दिया बहन-भाई की हथेली पर,
जो समझ सौगात टूट पड़े थे उस पर
सोच रही, देख रही सक्को झबुआ को,
उससे भी बड़ा होते, संभालते उस
भारी, बड़ी, महंगी रोटी को।


    औरत


औरत में औरत का होना
कितना जरूरी,
औरत-औरत नहीं,
ब्रह्माण्ड है।
रचती संसार,
सींचती आधार
बनाती नींव हर कुल की,
इस पतली सी देह से,
लड़ती सदैव खुद से,
हर जगह मना लेती
अपने मन को,
बस चलती सदैव नदी की तरह
खुद-ब-खुद बना लेती
अपने रास्ते संकरी
पगडंडियों से भी,
पर पहुँचाती शीतलता सदैव
आसपास के किनारों को,
आबाद करती ज़मीं व आसमान
सींच कर अपनी खुशियाँ,
क्योंकि सुनती बचपन से
‘‘औरत दो कुलों की शान है।’’

- शबनम शर्मा
अनमोल कुंज, पुलिस चैकी के पीछे, मेन बाजार, माजरा, तह. पांवटा साहिब, जिला सिरमौर,
हि.प्र. – 173021       

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: शबनम शर्मा की कविताएँ
शबनम शर्मा की कविताएँ
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhXnE8PymvYtunP-D84fxoT1e_bm2YJtnL_SqlsS18icd3E2oZx0QE5rI78wjukeP03dw0QBrr3NrHm8nnqOY8rs_yhJApFpZcD9E5PXZYcjKMvMVYmtuPL_yMdLa-R2_hIMRuR/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhXnE8PymvYtunP-D84fxoT1e_bm2YJtnL_SqlsS18icd3E2oZx0QE5rI78wjukeP03dw0QBrr3NrHm8nnqOY8rs_yhJApFpZcD9E5PXZYcjKMvMVYmtuPL_yMdLa-R2_hIMRuR/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/09/blog-post_65.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/09/blog-post_65.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content