राजेश गोसाईं की कविताएँ

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एक सवाल एक ही धरती एक ही गगन एक ही हवा है भाई वतन में क्यों होती है लड़ाई वतन में क्यों होती है लड़ाई एक ही खून है एक ही पानी एक ही रोटी है...

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एक सवाल

एक ही धरती
एक ही गगन
एक ही हवा
है भाई
वतन में क्यों
होती है लड़ाई
वतन में क्यों
होती है लड़ाई

एक ही खून है
एक ही पानी
एक ही रोटी
है भाई
वतन में क्यों
होती है लड़ाई
वतन में क्यों
होती है लड़ाई

एक ही आशा
एक ही उम्मीद
एक ही नींद
एक ही सपने
है भाई
वतन में क्यों
होती है लड़ाई

राम की इस धरती पे
रहीम ने भी इज्जत पाई
गुरू गोबिन्द यीशु की
शक्ति ने सृष्टि एक ही बनाई
एक ही गले की एक आवाज
एक ही दिल से आई
वतन में क्यों होती है लड़ाई

हम इस वतन को नमन करें
हम उस वतन को क्यों भूलें
एक ही धरती के बेटे
हम एक ही मिट्टी में खेलें
माँ बहन बेटी के आँचल
कभी न हों यहाँ पे मैले
जब सब कुछ है एक समान
फिर क्यों हमने सियासत बनाई
एक ही सवाल पूछेगा
देश का बेटा राजेश गोसाई
वतन में क्यों होती है लड़ाई
वतन में क्यों होती है लड़ाई

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नन्ही आवाज

मम्मा........
मैं पप्पा बनूंगी......
तोतली सी नन्ही सी
कानों में आई
मासूम सी आवाज.....
मम्मा ...मुझे भी
बन्दूक ...दो .... ना....

मैं भी लड़ने जाऊंगी
जिसने मेरे पप्पा को मारा
उसको मैं मजा चखाऊंगी
मम्मा.... दो ...ना....
वो पप्पा वाली फौजी वर्दी
मम्मा....जिसने आपकी
बिंदी और ये माथे की लाली
मिटाई है ना
मेरी प्यारी मम्मा की आँख में
इतने सारे आँसु दिये हैं ना
मम्मा... सच्ची ...
मैं उसकी हंसी छीन कर ना
सारे लाहौर को
कब्र बनाऊंगी
मम्मा... बन्दूक ..दो..ना

मैं बेटी भारत देश की
आँच ना आने दूंगी जरा भी
क्या आसमां क्या धरती
सींच दूंगी अपने खूं से
शहीद पप्पा की पावन मिट्टी
रौशन कर देगी नाम देश का
यह नन्ही पप्पा की बेटी
अरे अब मान जाओ ना ...
मम्मा ....प्लीज...

चाकलेट , टाफी
आईसक्रीम ना देना मुझको
मैं मारूंगी ढिशुं ढिशुं
सब दुशमन को खत्म कर दूंगी
मम्मा.. मुझे .. बन्दूक ..दो..ना.. प्लीज

तुझे सूरज कहुँ या चन्दा
मैं दीप कहुँ या तारा
मेरा नाम करेगी रौशन
ले ले ये तिरंगा प्यारा

तू बन्दूक चलाना
दुश्मन मार भगाना
पप्पा का नहीं तू बेटी
पहले देश का फर्ज निभाना

--------------.

सुहानी मिट्टी

मिट्टी मेरे देश की
बड़ी सुहानी है
सोने की चिड़िया ये
वीरों की निशानी है
मिल गये जो इस माटी में
तू उनको याद कर
इस मिट्टी की खुशबु से
तू इतना प्यार कर

दूध दही के जहान में
यहाँ प्यार बहता है
गंगा जमना की धार पावन
संसार कहता है
इनकी रेत यहाँ
सोना चाँदी बिखराती
दुल्हन बर्फ की
चोटियों पे है शर्माती
झूमे हरियाली घाटी
यहाँ बलखाती

इस मिट्टी की सुन्दर
लम्बी कहानी है
वीरों की धरती ये
अपनी जुबानी है
काली घटा में
तू रिमझिम देखा कर
इस सौंघी सौंधी मिट्टी से
तू इतना प्यार कर

हजारों राखियाँ
इस माटी में सज जाती हैं
खन खन चूड़ियाँ भी
यहाँ खूब भाती हैं
चाँद की बिंदी पे
सितारों की मांग भर
सुबह ओस के मोती
शाम केसरिया रुझाती है

अमन चैन की नींद में
देश अपना सोया है
वतन के प्यार में
हर दीवाना यहाँ खोया है
तू भी इस माटी में
प्यार बांटा कर
इसकी खुशबु से
तू इतना प्यार कर

शहीदों की वसीयत में
यादों की वीरानी है
आजादी के मेले से
जो लौट के ना आये
यह उनकी वीर निशानी है
इस माटी में
तू उनको याद कर

तिलक चन्दन ये
लगा कर
तू वतन से प्यार कर

काम सारे बन जायेंगे तेरे
चुटकी जेब में
तू इसकी रखा कर
राज-ऐश में राजेश का ये
पैगाम दिल में सजा कर
इस मिट्टी से
तू इतना प्यार कर

------------.

नया देश

बिछुड़ गया है लय से जो आज
वो गीत नया फिर गाना है
आओ मिलकर अब हमको इक
नया देश बनाना है

बिखर गये हैं मनके जो आज
इस गौरवमयी देश के माला के
चुन इक इक मोती फिर से
सुख चैन का हार फिर बनाना है

एक एक सितारे तोड़ नभ से आज
हर आँगन में फिर अपने साथ
हर दीप नया फिर जलाना है

एकता प्रेम दया भाव से
इस तमस को हमें मिटाना है
नई उमंगों नव तरंगों से
इक नवयुग का निर्माण कराना है
आओ मिलकर अब हमको
इक नया देश बनाना है

खत्म करके आतंकवाद को आज
फिर नूतन राज्य बनाना है
मिटा कर दूरियां आपस में
हर भाई को गले लगाना है
जिन सुमनों से महकती थी
बगिया हमारे देश की
उनकी कलियों से पनपे
हर आतंक को मिटाना है
तिनका तिनका चुन कर
प्रेम का नीढ़ नया बनाना है
आओ मिल कर अब हमको
इक नया देश सजाना है

--------------.

मौत की वसीयत

जिन्दगी की किताब के
आखरी पन्ने पर लिखा होता है
***** मौत****
काम कुछ ऐसे कर जायें
किताब ये खत्म ही न होने पाये
और *** जिन्दगी** दे जाये
** मौत**

मुझे पढ़ लेना कोई आज
मुझे रख लेना कोई याद
मेरी मौत के बाद

कौन होगा जो मेरे
पार्थिव शरीर पर दो आँसू
कीमती बहायेगा
कौन होगा जो मेरी
अंतिम यात्रा में मेरे संग
मुझे कन्धे पे ले जायेगा
मुखाग्नि देगा कौन
मेरी मौत के बाद

प्रार्थना है मेरी
मात पिता - भाई बन्धु सबसे
मेरी अंतिम इच्छा ये लेना मान
किसी जरूरतमंद को
कर देना मेरे अंगदान
चिकित्साल्य में किसी परिक्षक के
परिक्षण में या परशिक्षण में
कर देना मेरा शवदान
ना जलाना किसी अग्नि में
ना बहाना कहीं जल में
ना दफनाना भूगर्भ में कहीं
मेरी आँखें रखेंगी जिन्दा मुझे
मेरी मौत के बाद

अस्थि राख चुटकी भर
उठा कर रख देना
लहराये तिरंगा जहाँ
जय हिन्द कह देना इक बार
मेरी मौत के बाद

--------------.

जय गीत

हवा

हवा इधर चली हवा उधर चली
तूफानों का शोर बहुत हुआ
कुछ पेड़ कटे कुछ डाल टूटे
पंछियों का लहु बहुत गिरा
जो फूल गिरा मैदान में
कोई तस्वीर बना कोई हार हुआ
कयामत का जब शोर थमा
आजाद फिर ये चमन हुआ
********

ए मेरे प्यारे प्यारे वतन
तुझपे कुर्बान ये तन ओ मन

मैं तो कुर्बान कुर्बान कुर्बान
तुझपे कुर्बान प्यारे वतन
कोटि कोटि है दिल से नमन
ए मेरे प्यारे प्यारे वतन

याद कर लूं मैं उनको जरा सा
जो थे आजादी के दीवाने
चूम लूं मैं उस धरा को
जिस पे गाये थे मस्त तराने
झेल कर सीने पे वो गोली
सो गये दे के हमको चमन
ए मेरे प्यारे प्यारे वतन

झूमे गाये हरियाली पवन ये
नाच लूं मैं भी खुशी में
हो पागल उठा के बन्दूक बम

ए मेरे प्यारे प्यारे वतन
कोटि कोटि है दिल से नमन

सेवा तेरी ही करते रहेंगे
तेरी खातिर ही मरते रहेंगे
मूरत तेरी ये मन में सजाये
क्या फर्क जीयें मर जायें
पूजा तेरी करेंगे सदा ही
संकट तेरा ही हरते रहेंगे

ए मेरे प्यारे प्यारे वतन
कोटि कोटि है दिल से नमन

जप जप के माला तेरी ए वतन
तोड़ देंगे हम यहाँ पे ही दम
अब वतन की लगी है जो अगन
ले आयेंगे यहाँ चैन ओ अमन

ए मेरे प्यारे प्यारे वतन
कोटि कोटि है दिल से नमन

तेरी पूजा की थाली सजा कर
तिलक अपने लहू का लगा कर
तेरी शान में हे मातृभूमि
सर अपना चढ़ा देंगे हम

हमको तेरी है ये कसम
धार खडग की बन जायेंगे हम

ए मेरे प्यारे प्यारे वतन
कोटि कोटि है दिल से नमन

हिन्द की जय में जय हिन्द बोल के
जयगीत तेरा ही लिख जायेंगे हम

गीत " राजेश " का ये गाकर
" राज-ऐश " वतन पे फिदा कर जायेंगे हम

ए मेरे प्यारे वतन
ए मेरे प्यारे मधुबन

रंग बसन्ती लहू में मिला कर
हिन्द की बगिया सजा जायेंगे हम

कुर्बान ये जीवन  , कदमों में तन मन
कर देंगे श्रृंगार युक्त ये चमन

ए मेरे प्यारे प्यारे वतन
कौटि कौटि है दिल से नमन

-------------.

जयकारा

स्वर्ग से सुन्दर घाटी
ये कश्मीर सबसे प्यारा है
भारत माँ की जय का
यहाँ अब भी लगता नारा है

अमृत के झरने में यहाँ
अमन चैन का नजारा है
केसर क्यारी में मिलता
फसल ए भाईचारा है

मन्दिर मस्जिद गिरजा सब
पावन यहाँ गुरूद्वारा है
जय हिन्द जय भारत का
गूंजे इनमें जयकारा है

कुछ सिरफिरे बाशिंदों ने
छलनी किया सीना सारा है
फिर भी ना कोई दर्द ना बंटवारा है
सुन लो दुनिया वालों फिर भी
ये कश्मीर तो हमारा है

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कलम की ताकत

अगर तुम अमन की भाषा ना जानो
हम में दफन की अभिलाषा बहुत है

तुम बारूदों की आशा पर जिन्दा हो
इस कलम में तुम्हारी निराशा बहुत हैं

तुम बन्दूकों की भाषा क्या लिखते हो
हमारी कलम की भाषा यहाँ बहुत है

कलमकारों की शक्ति कम ना समझो
कला , कलम की ताकत यहाँ बहुत है

शांति कपोत की भाषा का गया जमाना वो
सर कलम में कलम की परिभाषा बहुत है

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कलम का कहर

सुलगती श्रीनगर घाटी में
हिन्दुस्तां ये रोता है
घायल इस छाती का दर्द
सारे देश को होता है

सम्भल जाओ दहशत गर्दों
अब ना देंगे कोई मौका है
दो दो युद्धों को हरा कर
हमने तेरी हर चाल को रोका है

करगिल हमने जीत लिया
अब लाहौर की तैयारी है
बहुत सोच लिया आतंक वालों
अब फैसले की बारी है

ना पाक तेरी छाती पे मैं
अब ये कहर लिख दूंगा
अपनी कलम के जहर से मैं
डूबा तेरा शहर लिख दूंगा

हमने माँ का दूध पिया है
लहू से भी खेलेंगे
जिन सांपों को पाला तूने
जहर उनका भी पी लेंगे

सुन ले पाकिस्तान तेरा
हम काला इतिहास लिख देंगे
बारूदों की हाण्डी में बैठा कर
अंगारों पे रख देंगे
सर उठा के देखा तो
गोलियों से भी ढक देंगे

जितने शरीफ हुये बस्ती में
उबाल देंगे अपनी मस्ती में
आने वाली हर पीढी कहेगी
कोई पाकिस्तान भी होता था
शरीफ की बस्ती में हर शैतान
कश्मीर के लिये रोता था

बन्दूकों की नोक से
मैं हिन्दुस्तान जिन्दाबाद लिख दूंगा
काले तेरे इतिहास में
काला हिसाब लिख दूंगा
अपनी कलम के कहर से मैं
तेरा ये जहर लिख दूंगा

सुन ले पाकिस्तान
खोल के तू अपने कान
उठा के आँख देख जरा
तू हमारे घाटी बागान ये
जय हिन्द के तूफान में
तेरी मौत का पैगाम
बन जायेगा हिन्दुस्तान ये

हर तरफ आजादी का
मैं मंजर लिख दूंगा
गरजते केहरी भारत का बेटा हूँ
मैं कलम का कहर लिख दूंगा

बहुत सोच लिया हमने
अब फैसले की बारी है
गीदडों को सूली चड़ा कर
रावलपिण्डी की तैयारी है
करगिल हमने जीत लिया
अब लाहौर की बारी है

------------.

नमन

आओ मिल के करें हम नमन साथियों
अमर शहीदों को करें हम नमन साथियों
उनके परिजनों को भी है नमन साथियों

धन्य हैं वो मांयें जिन्होंने दिया उनको जन्म
दूध से अपने उनको बनाया है शेर ए वतन
उस दूध को मिल के करें हम नमन साथियों
उन माताओं को भी करे हम नमन साथियों

घन्य है वो राखी जिसने निभाया बन्धन
शक्ति अपनी से लगाया है उनको चन्दन
उस राखी को भी करें हम नमन साथियों
उन बहनों को भी करें हम नमन साथियों

धन्य है बहु जिसने किया सुहाग का दान
उसकी मांग ने बढ़ाया है भारत का मान
उस मांग को भी करें हम नमन साथियों
उस वीर बहु को करें हम नमन साथियों

कट गये जो सर उनके फख्र हमने किया
सर हिमालय का उन्होंने ना झुकने दिया
उस सर फिरोश तमन्ना को नमन साथियों
उस गाँव शहर को मिल के नमन साथियों
गर्व पे भी बिखर गये हैं जहाँ घर साथियों

सो गये जो लहु के पथ में थे वो सुमन
सर रखने की बन्दूकों के बट पे लगन
दे गये जो वतन में बहारें चमन साथियों
आओ मिल कर करें हम नमन साथियों

-------------.

भारत कहाँ है

गाँधी पूछे, भगत पूछे, पूछे सुभाष - पटेल
मेरा भारत कहाँ हैं
पूछे हिंसा की आँधी में बिखरा ये कश्मीर
मेरा भारत कहाँ है
पूछ रहा अब्दुल हमीद इस जलते देश में
मेरा भारत कहाँ है
भारत का आजाद पूछे आजाद भारत में
मेरा भारत रहा है

छलनी जिसकी छाती उस घाटी का दर्द पूछे
मेरा भारत कहाँ है
सिसकते भारत की हर आह भी यहाँ पूछे
मेरा भारत कहाँ है

कहाँ गई वो नारी शक्ति कहाँ गई वो देशभक्ति
पूछ रही रानी झांसी दुर्गा के अवतार कहाँ है
चूड़ी वाले हाथों में इस देश की तलवार कहाँ है
बन्दूकों बमों की गर्जन में शेरों की गर्जन कहा हैं
पूछे इंदिरा का धरती पे वीरांगना की शक्ति ये
मेरा भारत कहाँ है

खुले आम लुटती सोने की चिड़िया के घर में
मेरा भारत कहाँ है
देशभक्ति की शैया पे सोये हुये लाल कहाँ है
आजादी की क्रान्ति में सच्चा जन नाद कहाँ है
भारत की सीमा पे अब निर्णायक संवाद कहाँ है

हथियार तलवार चलाने वाला कलेजा कहाँ है
छाती पे लाठी खाने वाला वो कलेजा कहाँ है
पूछ रही है हर कलम " राजेश " कयामत में
देश पे मिट जाने वाला वो कलेजा कहाँ है

राजेश गोसाईं
फरीदाबाद
9910263300

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 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद 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आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया 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रचनाकार: राजेश गोसाईं की कविताएँ
राजेश गोसाईं की कविताएँ
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