देशवासियों के नाम खुला खत / शालिनी तिवारी

SHARE:

  खुला खत देशवासियों के नाम एक ऐसा खुला खत, जो प्रत्येक भारतीय को अपनी भारतीयता से रूबरू कराकर गौरवान्वित कर देगा और साथ ही साथ गर्त की ओ...

 

खुला खत

देशवासियों के नाम एक ऐसा खुला खत, जो प्रत्येक भारतीय को अपनी भारतीयता से रूबरू कराकर गौरवान्वित कर देगा और साथ ही साथ गर्त की ओर बढ़ रहे कदम पर भी विराम लगाने को मजबूर कर देगा ।

मेरे प्रिय देशवासियों,

हम सबको पता है कि हममें से अधिकतर लोग या तो पाश्चात्य संस्कृति को पूर्णरूपेण अपना चुके हैं या फिर अपनाने की प्रक्रिया में गतिशील हैं । मुझे भली भाँति यह भी पता है कि आप हमारे इस खुले खत को पढ़कर या तो मेरा मजाक उड़ाएगे, गालियाँ देंगे या फिर पुराने विचारों वाली कहेंगे, परन्तु इसका ड़र हमें कतई नहीं है । शायद हम सब यह भूल चुके हैं कि सदियों पहले भारत अपनी भारतीय सभ्यता एवं श्री संस्कृति के बदौलत ही विश्व गुरू था और यही भारत समूचे विश्व में अपने ज्ञान, कौशल और अध्यात्म के लिए एक नज़ीर भी था । किसी ने बिल्कुल ठीक कहा था कि "नष्टे मूले नैव फलं न पुष्पम्" यानी जिस देश को मिटाना हो तो उस देश की सभ्यता, संस्कृति एवं साहित्य को मिटा दो। साहित्य तथा उसकी वास्तविक संपत्ति- चरित्र को मिटा दो। धीरे धीरे वह देश स्वतः मिट जाएगा ।

हम सब भारतीय संस्कृति से भली भाँति परिचित हैं । भारतीय संस्कृति विश्व में सबसे प्राचीन और सभ्य मानी जाती है और यह सभी संस्कृतियों की जननी भी कही जाती है । भारतीय संस्कृति में वेदों, उपनिषदों तथा पुराणों का विपुल भण्ड़ार है, जरूरत है तो सिर्फ इसे आत्मसात् करने की । यदि हमारे छात्र एवं युवा वर्ग इस ज्ञान का कुछ अंश भी ग्रहण कर लें तो उनके चरित्र का सर्वांगीण विकास स्वतः ही हो जाएगा फिर पाश्चात्य संस्कृति हम सबका चरित्र निर्माण क्या करेगी ?

मै पूछना चाहूँगी कि क्या पाश्चात्य संस्कृति आने से पहले हमारे यहाँ अच्छे विद्वान नहीं थे ? हमारे देश ने तो आर्यभट्ट, चरक जैसे महान वैज्ञानिक दिए हैं । भारतीय संस्कृति जिसमें कहा गया है - "अभिवादन शीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः, चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्यायशोबलम् " अर्थात जो नित्य प्रति माता पिता का आदर सम्मान एवं बड़े बुजुर्गों की सेवा करते हैं उनकी आयु, विद्या, यश और बल में वृद्धि होती है परन्तु पाश्चात्य संस्कृति में तो यह दूर दूर तक नहीं दिखता ।

पाश्चात्य सभ्यता साइबेरिया से आने वाली उन ठण्ड़ी हवाओं के समान हैं, जो चलती तो हैं परन्तु हिमालय जैसे व्यक्तित्व से टकराकर घुटने टेक देती हैं या फिर यूँ कहें कि पाश्चात्य संस्कृति उस चमकती हुई वस्तु के समान है जो दूर से तो सोना दिखती है परन्तु पास आने से भ्रम दूर हो जाता है । तो ऐसी संस्कृति हमारे छात्रों का चरित्र निर्माण क्या करेगी जिसका स्वयं का कोई आधार ही न हो ?

हमारी श्री संस्कृति में शादी-विवाह को एक पवित्र बन्धन माना जाता है । यहाँ जो स्त्री एक बार इस बन्धन में बँध जाती है, वह जीवन भर अपने पति का साथ निभाती है या फिर यूँ कहें कि भारतीय स्त्री मिट्टी के उस प्याले के समान है जो सिर्फ एक व्यक्ति के होंठो में समाती है और फिर टूटकर उसी मिट्टी में वापस मिल जाती है, जबकि पाश्चात्य संस्कृति में महिलाएँ होटल के उस काँच के गिलास के समान हैं, जो आज किसी के होंठों में तो कल किसी और के होंठो में । वे अपने जीवन साथी उसी प्रकार बदलती है जिस प्रकार लोग अपना कपड़ा बदलते हैं । मगर अफ़सोस है कि आज हमारे छात्र, छात्राएँ भी इस सभ्यता को अपनाकर पवित्र बन्धन को तोड़ ड़ालने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं । इस प्रकार की संस्कृति छात्रों का चरित्र निर्माण नहीं बल्कि उनके चरित्र का विनाश कर रही है ।

भारतीय संस्कृति में कहा गया है कि " यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता " अर्थात जहाँ नारियों की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं परन्तु आज उसी नारी के साथ बलात्कार, दहेज प्रताड़ना जैसी घिनौनी घटनाएँ आम हो चुकी हैं । यह उस पाश्चात्य संस्कृति की ही देन है जहाँ ये रंग-रलियाँ खुले आम होती हैं । आज गर्भ से ही पता लगा लिया जाता है कि पैदा होने वाली संतान लड़का है या लड़की । यदि लड़की है तो उसे इस दुनियॉ में कदम तक नहीं रखने दिया जाता है ।

यदि हम इतिहास के पन्ने को पलटकर देखें तो हम सीता, सावित्री, अहिल्याबाई, कुन्ती, अपाला, गार्गी, पन्नाधाय, झाँसी की रानी लझ्मी बाई एवं इंदिरा गाँधी जैसी वीरांगनाओं के चरित्र से रूबरू होंगे, जिनका लोग आज भी उदाहरण दिया करते हैं और आज उसी नारी को अपमानित होना पड़ रहा है । इसकी वजह सिर्फ पाश्चात्य संस्कृति ही है, जिसका अनुसरण करके भारतीय नारी भी अंग प्रदर्शन, वेश्यावृत्ति जैसे दलदल की ओर अपने कदम बढ़ा रहीं हैं ।

आज बात करें भारतीय रहन- सहन, खान-पान, व वेशभूषा की तो यहाँ लोग सादगी पूर्ण जीवन जीने में खुश थे, लेकिन आज हालत ये बन गई है कि अगर पहनने को जीन्स-टीशर्ट न मिले तो अपने आपको हीन महशूस करने लगते हैं ।

लोग बार बार यही कहते हैं कि पाश्चात्य संस्कृति ने हमें अंग्रेजी दी, जिसके सहारे हम अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने में कामयाब हुए हैं और उन्नति की ओर अग्रसर हुए हैं । हम उन्नति की ओर अग्रसर तो हो सकते है लेकिन जरूरी नहीं कि चरित्रवान ही हों, क्योंकि उन्नति एक चरित्रवान भी कर सकता है और चरित्रहीन भी । यह जरूरी नहीं कि अंग्रेजी बोलने वाला हर व्यक्ति चरित्रवान ही हो, क्योंकि हमारा चरित्र वही रहता है जो हमारे माता पिता और समाज से मिला है । अगर हम गौर करें तो पाएंगे कि पाश्चात्य संस्कृति हमारा चरित्र निर्माण कर ही नहीं सकती । जब हमारी संस्कृति खुद उन्नति साधक एवं चरित्र निर्णायक है तो पाश्चात्य संस्कृति अपनाने की कोई आवश्यकता ही नहीं हैं ।

बीते जमाने में पाश्चात्य देशों के मैगस्थनीज, ह्वेनसांग जैसे महान दार्शनिकों ने भी भारतीय संस्कृति को श्रेष्ठ बताया था । तो भी क्यों आज भारतीय ही पाश्चात्य संस्कृति को अपनाने में अड़े हुए हैं ? सच तो यह है कि हमें अतीत को कभी भूलना ही नहीं चाहिए ।

अन्त में समूचे देशवासियों से हमारी यही विनती है कि पाश्चात्य उद्दाम भोगवादी संस्कृति से ऊपर उठकर हम सब अपने भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता के गौरव को समझकर इसे अपने चरित्र, कर्म और अन्तःस्थल में उतारें । ताकि एक बार पुनः हमारा राष्ट्र सोने की चिड़िया बने और विश्व गुरू बनकर समूचे विश्व में भारतीयता का परचम लहराए ।
धन्यवाद्

जय भारत, जय संस्कृति

आपकी
शालिनी तिवारी
shalinitiwari1129@gmail.com

--

लेखिका परिचय -

"अन्तू, प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश की निवासिनी शालिनी तिवारी स्वतंत्र लेखिका हैं । पानी, प्रकृति एवं समसामयिक मसलों पर स्वतंत्र लेखन के साथ साथ वर्षो से मूल्यपरक शिक्षा हेतु विशेष अभियान का संचालन भी करती है । लेखिका द्वारा समाज के अन्तिम जन के बेहतरीकरण एवं जन जागरूकता के लिए हर सम्भव प्रयास सतत् जारी है ।

COMMENTS

BLOGGER: 4
  1. बेनामी11:10 am

    बहुत ही सुन्दर खत है , निश्चित रूप से देशवासियों को इस पर अमल करना चाहिए और भारतीय संस्कृति को अपनाना चाहिए

    रूची
    मुम्बई

    जवाब देंहटाएं
  2. बेनामी12:28 pm

    Too intellactual writting , disturvence make in our society only bcz of lack of values, culture & indian system..so we should to fallow our indian culture.

    Thx

    Dr sk ray
    Kanpur

    जवाब देंहटाएं
  3. बेनामी5:22 pm

    Rajeswar

    भारतीय संस्कृति की खूबसूरत झलक दिखाता लाजवाब खत

    जवाब देंहटाएं
  4. आपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति आचार्य परशुराम चतुर्वेदी और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। सादर ... अभिनन्दन।।

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: देशवासियों के नाम खुला खत / शालिनी तिवारी
देशवासियों के नाम खुला खत / शालिनी तिवारी
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgKGV95xfva-PfrOELnJHCd0zXwItdO1olRg7saVVt215Fd0EE1uABomOKb9KV4OzQLHFGiinS1DL02rA7Qqsr1q1qfTEO8WxiGRu1gQzrEi6RdtM6qQW9JMo8vni7Js-XcHR6F/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgKGV95xfva-PfrOELnJHCd0zXwItdO1olRg7saVVt215Fd0EE1uABomOKb9KV4OzQLHFGiinS1DL02rA7Qqsr1q1qfTEO8WxiGRu1gQzrEi6RdtM6qQW9JMo8vni7Js-XcHR6F/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/07/blog-post_25.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/07/blog-post_25.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content