9413306077 www.drdeepakacharya.com 21 जून 2016 दूसरा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस सामान्य योग अभ्यासक्रम प्रथम चरण A) प्रार...
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21 जून 2016 दूसरा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस सामान्य योग अभ्यासक्रम
प्रथम चरण
A) प्रार्थना --- ॐसंगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसीजानताम् !
देवा भागं यथा पूर्वे सञ्जानाना उपासते !! 2 मिनट
दूसरा चरण
B) शिथिलीकरण अभ्यास/चालन क्रियाएं
1] ग्रीवा चालन खडे होकर सिर को धीरे धीरे आगे और पिछें करना प्राणायाम युक्त 1मिनट.
2]ग्रीवा चालन दाई एवं बाई ओर गर्दन झुकाना है .1मिनट.
3] ग्रीवा चालन दाएं एवं बाएं ओर गर्दन घुमाना है. 1मिनट.
4] ग्रीवा चालन गर्दन को पुरा गोलाकार घुमाना है. 1मिनट.
5] स्कंध संचालन दोनों बगल से हातों को ऊपर उठाएं और निचें लें जाएं .1मिनट.
6]स्कंध चक्र एवंम स्कंध चालन दोनों कोहनियों को पुरी तरह चक्राकार घुमाएं .1मिनट.
7] कटि चालन / कटिशक्ति विकासक कटिचक्रासन का तिसरा अभ्यास है.1मिनट .
8]घुटना संचालन / खुर्चिसन के जैसा करना है. 1मिनट .
तीसरा चरण
C) खडे होकर किए जाने वाले आसन .
1] ताडासन ( उर्धव ताडासन स्थिति) 2मिनट.
2] वृक्षासन ( वृक्ष की स्थिति) 2मिनट .
3] पादहस्तासन 2 मिनट.
4] अर्धचक्रासन हाँत कमरपें. 2 मिनट.
5] त्रिकोणासन.कोनासन जैसां.2 मिनट.
चौथा चरण
D) बैठकर काए जानेवाले आसन.
1] भद्रासन तितली के जैसे बैठी हुई स्थिति में स्थिर होना है.2 मिनट.
2] वज्रासन / वीरासन 2 मिनट.
3] अर्ध उष्ट्रासन हाथों कमर पर रखें . 2 मिनट.
4] उष्ट्रासन ऊंट जैसी स्थिति.2 मिनट.
5] शशांकासन खरगोश जैसी स्थिति .2 मिनट.
6] उत्तानमंडुकासन उर्धव दिशा में मेढक जैसा स्थिर होना.कोहनियों के सहारे सिर को थामा जाता है. 2 मिनट.
7] वक्रासन/मरीच्यासन. वक्रासन का तिसरा अभ्यास है.2 मिनट.
पाँचवा चरण
E) उदर के बल लेटकर किए जाने वाले आसन.
1] मकरासन. सुप्तमकरासन के जैसा शिथिल हो जाना है.1 मिनट.
2] भुजंगासन.सरल याँ अर्धहस्त कि स्थिति है. 1मिनट.
3] सलभासन .द्वीपाद का अभ्यास है. 1 मिनट.
छँटवा चरण
F) पीठ के बल लेटकर किए जाने वाले आसन.
1] सेतुबंधासन/ स्कधंरासन का स्थिति है. 2 मिनट .
2] उत्तानपादासन 30%.2 मिनट.
3] अर्धहलासन30%60%90%.2 मिनट.
4] पवनमुक्तासन---2मिनट .
साँतवा चरण
G) शवासन --नैसर्गिक स्वास--प्रस्वास प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित करना है. 3 मिनट तक.
आँठवा चरण
H) प्राणायाम
1] कपालाभाति 2 मिनट .
2] अनुलोम विलोम नाडी शोधन प्राणायाम 2 मिनट.
3] शीतली प्राणायाम .जीभा से साँस भरना है. 2 मिनट.
4] भ्रामरी प्राणायाम . 2 मिनट.
5] ध्यान --ध्यान लगातार चिंतन--मनन की प्रणव क्रिया है. 2 मिनट.
नवां चरण
I) संकल्प--योग सत्र का समापन इस संकल्प के साथ करना है.
हमें अपने मन को हमेशा संतुलित रखना है.
इसमें ही हमारा आत्मविकास समाया है,
मैं खुद के प्रति कुटुंब के प्रति काम समाज और विस्व के प्रति शांति--आनंद और स्वास्थ्य के प्रचार के लिए बद्ध हूं !!
दसवाँ चरण
J) शांति पाठ ---ॐसर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयः !
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु , मा कश्चिददुःखभाग्भवेत् !!
ॐशान्तिः शान्तिः शांतिः।
[6:51 PM, 6/20/2016] Dr. Ashok Babu Sharma DD Ayurved: प्राचीन समय से भारतीय जन मानस में योग के प्रति रुझान रहा हे // यही कारण रहा कि आर्यावर्त ३३ करोड की आबादी देवतुल्य जीवन जीती थी , सो हमने आज तक मान लिया कि देवता ३३ करोड होते हें // हकीकत में ये देवता मनुज थे जो देवतुल्य जीवन जीते थे// इस देवत्व की आधार भूमि योग थी , योगिक जीवन भीतर- बाहर से निर्मल होता है // वही निर्मलता व्यक्ति के जीवन के हर क्रिया कलाप में प्रकट होती है //इसी योगत्व को प्राप्त करने के साघन रूप में महर्षियो ने उपनिषदो की संरचना की थी/ जिन्हें महर्षि वेदव्यास ने १०८ भागो मे प्रस्तुत किया // उपनिषद = गुप्त ग्यान // इन १०८ उपनिषदो में योगपरक भी हैं---- १. शाण्डिल्योपनिषद् २. योग तत्वोपनिषद् ३.नादबिन्दु उपनिषद् ४ थ्यानबिन्दु उपनिषदं ५. षटचक्रोपनिषद् ६. योगकुण्डल्यूपनिषद् ७. योग चूडामणि उपनिषद् ८. योग राजोपनिषद् ९. हंसोपनिषद // ये उपनिषदें योग की विभिन्न धाराओ का बहुत ही लालित्य पूर्ण विश्लेषण प्रस्तुत करती हें / जीवन को सर्वांग सुन्दर समुन्नत स्वस्थ बनाने के अनेको योग विथियो का क्रमबद्ध जानकारी प्रस्तुत करती है//
[6:54 PM, 6/20/2016] Dr. Ashok Babu Sharma DD Ayurved: कर ले तू प्राणायाम,,,,
कर ले तू प्राणायाम, सब रोग दूर हो जाएगा ।
रोना नही होगा, जीवन खुशियों से भर जाएगा ।।
जीवन तुम्हारा दुर्भर है आज, कल तू ही इतराएगा।
आज तुझे विश्वास नहीं, कल दुनिया को बतलाएगा ।।
करले तू प्राणायाम……………..
पांच मिनट भास्त्रिका करले, रक्त शुद्ध हो जायेगा ।
सर्दी जुकाम एलर्जी दूर, मन स्थिर हो जायेगा।।
पन्द्रह मिनट कपालभाती कर, मुखमंडल तेज हो जायेगा ।
गैस कब्ज, मधुमेह सहित, मोटापा दूर हो जाएगा ।
कर ले तू प्राणायाम ………………
पांच बार बाह्य प्राणायाम कर, चंचलता दूर हो जायेगा ।
उदर रोग सब दूर होकर , जठराग्नि प्रदीप्त हो जायेगा ।।
दस मिनट अनुलोम-विलोम कर, सिरदर्द ठीक हो जायेगा ।
नकारात्मक चिन्तन से दूर, आनंद, उत्साह बढ़ जायेगा ।।
कर ले तू प्राणायाम……………….
ग्यारह बार भ्रामरी कर , सब तनाव दूर हो जायेगा ।
रक्तचाप हृदय रोग सहित, उत्तेजना मिट जाएगा ।।
इक्कीस बार ओंकार जनकर, अनिद्रा रोग ठीक हो जायेगा ।
बुरे स्वप्नों से छुटकारा पाकर, ध्यान तेरा लग जायेगा ।।
कर ले तू प्राणायाम……………….
तीन बार नाड़ी शोधन कर, रक्त संचार ठीक हो जायेगा ।
बहरापन, लकवारोग मिटे, ऑक्सीजन बढ़ जायेगा ।।
पांच बार उज्जायी कर, गला मधुर हो जायेगा।
सर्दी जुकाम सहित, हकलाना, ठीक हो जायेगा ।।
कर ले तू प्राणायाम…………….
ग्यारह बार शीतकारी कर , पायरिया दूर हो जाएगा ।
दंत रेाग दूर होकर, शीतल शरीर हो जायेगा ।।
ग्यारह बार शीतली कर, भूख प्यास मिट जायेगा ।
मुंह गले के रोग सहित, पित्त रेाग मिट जायेगा ।।
कर ले तू प्राणायाम……………….
तीन बार सिंहासन कर ले, दर्द गले का ठीक हो जायेगा ।
अंत में हृस्यासन कर ले, हंसते जीवन बीत जायेगा।।
कर ले तू प्राणायाम, सब रोग दूर हो जाएगा ।
रोना नही होगा, जीवन खुशियों से भर जाएगा ।।
ओ३म् शान्ति ओ३म् शान्ति
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