प्राची - जून 2016 / ‘पत्रकारिता तब ‘मिशन’ थी, अब एक संजीदा सवाल / डॉ. मधुर नज्मी

SHARE:

‘पत्रकारिता तब ‘मिशन’ थी, अब एक संजीदा सवाल डॉ. मधुर नज्मी स मयवेत्ता, युगचेता कबीर की साखी की यह पंक्ति ‘हम घर जास्या आपणां, लिया मुराड़ा...

‘पत्रकारिता तब ‘मिशन’ थी, अब एक संजीदा सवाल

डॉ. मधुर नज्मी

मयवेत्ता, युगचेता कबीर की साखी की यह पंक्ति ‘हम घर जास्या आपणां, लिया मुराड़ा हाथ’ उन पर भी लागू होती है जो पत्रकारिता को ‘मिशन’ पवित्र धर्म समझते हैं. प्रजातांत्रिक समय में पत्रकारिता के नैतिक मूल्य परिवर्तित और परिवर्धित हुए हैं. इसी का परिणाम है ‘पीत पत्रकारिता’ अथवा ‘ब्लैकमेलिंग’ वाया पत्रकारिता. तकरीबन चालीस साल पहले प्रेस लगाना लाभप्रद व्यवसाय था. छपायी से माकूल आमदनी न होने पर प्रेस का मालिक 4 या 8 पृष्ठीय स्थानीय समाचार-पत्र निकालना प्रारंभ कर देता था जो आय-वृद्धि का अचूक निशाना-नुस्खा साबित होता था. एक पुरानी घटना का उल्लेख करना एतद् संदर्भ में मुनासिब समझता हूं. रामजी लाल एक सज्जन ने इधर-उधर से कर्ज लेकर, जुगाड़ से एक प्रिटिंग प्रेस खोला, लेकिन नगर में पहले से नामी-गरामी प्रेस थे. छपाई से प्रेस का खर्च और रोटी-दाल खटाई में पढ़ते देखकर रामजी लाल ने 4 पृष्ठीय साप्ताहिक पत्र ‘विस्फोट’ का प्रकाशन प्रारंभ कर दिया जिसमें किसी न किसी सरकारी दफ्तर के रिश्वतखोर कर्मचारी और राशन-सीमेण्ट आदि को ब्लैक से बेचने वाले व्यापारी को ‘टारगेट’ बनाया जाता और पत्र में ‘सेंसेशनल हेडिंग’ होती थी ‘पेट्रोल में मिलावट’. मेरे मित्र ने जर जुगाड़ करके सीमेण्ट की एजेंसी ली थी. सीमेण्ट उन दिनों किल्लत के कारण आपूर्ति अधिकारी द्वारा निर्गत ‘परमिट’ से मिलती थी या फिर ब्लैक से. सीमेण्ट तीस प्रतिशत परमिट से और सत्तर प्रतिशत ब्लैक से बिकती थी. मैं उनकी दुकान में बैठा चाय-पान और गपशप कर रहा था. वो मेरे बचपन के मित्र थे. अचानक ‘विस्फोट’ का रोल किया, पिछला अंक हाथ में दबाए, ढीला खद्दर का पाजामा और घुटने तक का जामा कुर्त्ता, पांवों में ‘टायर सोल’ की चप्पलें पहने रामजी लाल दुकान में हाजिर हुए. मुझको और लाला को राम-राम करके खाली कुर्सी पर बैठ गये. थोड़ी देर बाद लाला से बोले, ‘‘बिन्देश्वरी जी! मेरे पास बड़ी शिकायतें आ रही हैं कि आप सीमेण्ट ब्लैक में बेच रहे हैं. कहो तो आगामी अंक में तुम्हारा नम्बर लगा दूं?’’ लाला, तैश में आकर गाली देने लगे. कहा ‘‘चल निकल दुकान से. तू कल्लू कुजड़े का लौंडा जो सब्जी बेचता था, मुझे धमका रहा है. अब हरामखोर सीमेण्ट ब्लैक कर रहा हूं तो चोरी-छिपे थोड़ा ही कर रहा हूं. सरे-आम डंके की चोट पर कर रहा हं. सबका हिस्सा समय से ऊपर पहुंच रहा है.’’ रामजी लाल खिसियानी हंसी-हंसते हुए मिन्नते हुए कहा, ‘‘अरे चाचा जी! आप बुरा मान गये, आप तो घर के आदमी हैं, लाओ दस रुपये तो दे दो.’’ लाला ने हंसकर उसे दो का लाल नोट थमाते हुए कहा जा, ‘‘अठन्नी का बीड़ी का बण्डल ले ले और अठन्नी की मलाईदार दाय पी ले और एक रुपये में बच्चों के लिए कोई चीज ले लो. शनीचर को आ जाया कर, दो रुपये तेरे भी सही. रामजी लाला ने दो रुपये की नोट जेब में रख ली और खुश-ब-खुश दुकान से निकल लिए.’’

‘पीत पत्रकारिता’ आज भी अपने तेवर में जिन्दा है. सिर्फ ‘मीडिया’ ‘मीडियम और स्टैर्ण्ड’ तब्दील हुआ है. खुफिया कैमरे से, रिश्वतखोर अधिकारी, अय्याश नेता, नम्बर दो के व्यापारी का ‘स्टिंग ऑपरेशन करो, फोटो दिखाओ, मोटी रकम मांगो, फिर औने-पौने में सौदा पटा लो, नहीं तो किसी टी.वी. चैनल पर दिखा दो.’ आजादी के बाद जब राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक नैतिक मूल्य बदल गये तो पत्रकारिता इसका असर कैसे नहीं पड़ता?

आजादी से पूर्व पत्रकारिता एक ‘पायस मिशन’ के रूप में थी. अत्याचारी ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों का खुल्लम खुल्ला कलम के तलवार से साहसपूर्ण विरोध और जनता में क्रान्ति और विद्रोह का जज्बा जगाना, जनता को अत्याचार और अन्याय के विरुद्ध संगठित करना, पत्रकारों और पत्र संपादकों का अभीष्ट था. संपादकों और पत्रकारों के लिये ही संदर्भित कबीर की ‘साखी’ का शीर्षक सार्थक सिद्ध होता है. जगदीश प्रसाद चतुर्वेदी कहते हैं, ‘‘पुराने जमाने में जब भारत स्वतंत्र नहीं हुआ था, हिन्दी के पत्रों में जन-भावना प्रखरता के साथ प्रकट होती थी...परन्तु वर्तमान समय में पत्रकारिता की व्यवस्था ऐसी है कि उसमें एक ही अहंकार लिए जाता है कि मेरी कोठी कितनी बड़ी है, मेरी कार कितनी लम्बी है, मेरा वेतन कितना है आदि-आदि और इसके लिये जो मालिकों के मालिक हैं, उन्हें खुश रखां, उनकी खुशामद करो क्योंकि उसी से धन प्राप्त होगा, पद प्राप्त होगा, प्राप्त होगा तो बना रहेगा. शेष सब अनित्य है, उसकी चिन्ता मत करो (उत्तर प्रदेश पत्रिका मार्च अप्रैल 1976 ..61) 1907 से 1910 तक इलाहाबाद से ‘स्वराज’ हिन्दी साप्ताहिक प्रकाशित हुआ. ढाई वर्षों में मात्र 75 अंक प्रकाशित हुए वह भी विभिन्न संपादकों के अधीन पत्र की स्थापना रायजादा शान्ति नारायण भटनागर ने की थी. एक शासन-विरोधी कविता लिखने के अपराध में पकड़े गये. साढ़े तीन वर्ष का सश्रम कारावास तथा एक हजार रु. जुर्माने का दण्ड दिया गया. नया प्रेस स्थापित होने पर इंग्लैण्ड से लौटे होती लाल वर्मा ‘स्वराज’ के संपादक बने. वर्मा ‘स्वराज’ के कुछ ही अंक सम्पादित कर पाये थे एक संपादकीय के कारण उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. उन्हें दस साल की सजा दी गयी. उनके बाद बाबू लाल हरि संपादक बने. किंतु 11 अंकों के प्रकाशन के बाद उन पर भी ब्रिटिश सरकार ने मुकदमा चलाया और उन्हें इक्कीस वर्ष की देश निकालने की सजा दी गयी. लाहौर से प्रकाशित होने वाले एक पत्र के निर्भीक संपादक रामसेवक, ‘स्वराज’ का संपादन करने तुरन्त इलाहाबाद पहुंचे. पत्र का ‘डिक्लेरेशन’ जमा करते समय उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. तत्कालीन कलेक्टर ने व्यंग्यात्मक स्वर में कहा, ‘‘अब कौन शहजादा है जो इस मुगल सिंहासन पर बैठेगा. उसके यह कहने पर नन्द गोपाल ‘डिक्लेरेशन’ लेकर आगे आये और-उन्होंने ‘डिक्लेरेशन’ दााखिल किया और ‘स्वराज’ पुनः प्रकाशित होने लगा. पत्र के मात्र 12 अंक ही निकले थे कि वह भी गिरफ्तार कर लिये गये और उन्हें 30 वर्षों का देश निकाला दे दिया गया. पत्र के संपादक के लिये ‘मुगल सिंहासन’ पर बैठने के लिए होड़ लगी थी. पत्रकारिता के मैदान में कुर्बान होने वाले इस जज्बे को सलाम. न्याय मूर्ति आनन्द नारायण मुल्ला का निस्वार्थ शेर ऐसे कलाकारों को सलाम करता है जो देश की आजादी के लिये शहीद होने का जज्बा रखते थे-

‘‘खून-शहीद से भी है कीमत में कुछ सेरा-

फनकार के कलम की सिपाही की एक बूंद’’

नन्द गोपाल के बाद सम्पादक का महा-दायित्व संभाला जड्डाराम कपूर ने. वह दक्षिण-पूर्वी एशिया से धन कमाकर इलाहाबाद लौटे थे. परिवार के लोगों ने समझा कि अब वह सुविधाओं से सम्पन्न-जीवन-सुख चैन से व्यतीत करेंगे. लड्डाराम के पूर्व जितने संपादक थे, कुंवारे थे और पारिवारिक जिम्मेदारियों से मुक्त थे. जड्डाराम विवाहित थे. संपादक बनने पर उन्होंने अपनी पत्नी से कहा था, ‘‘मैं तुम्हें तहे-दिल से प्यार करता हूं लेकिन देश से जितना प्यार करता हूं उस प्यार से तुम्हारे प्यार का कोई मुकाबला नहीं.’’ जड्डाराम कपूर को ‘स्वराज’ के संपादक के नाते 30 वर्ष की सजा हुई और उन्हें यह सजा काटनी थी अंडमान की काल कोठी में. कपूर साहिब ने शहादत का वही जज्बा था जो आगे चलकर भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद जैसे क्रांन्तिकारियों की रगों में था. उन्होंने जेलर के सामने सर झुकाने से मना कर दिया. इसके लिये छह महीने उनकी सजा बढ़ा दी गयी. उन्हें अमानुषिक यातनाएं दी गयीं.

आठवीं बार संपादक बने पण्डित अमीर चन्द बंबवाल. वह ‘स्वराज’ के आखिरी सम्पादक थे. उन्हें ‘डिक्लेरेशन’ के साथ दो हजार की धन-राशि जमा करने को कहा गया. 1910 में यह पुनः प्रकाशित हुआ, किन्तु 4 अंकों के बाद इसकी जमानत जब्त कर ली गयी. पण्डित अमीर चन्द जी को भी गिरफ्तार कर लिया गया. श्री पुरुषोत्तम दास टंडन उनके वकील थे. उनकी जोरदार पैरवी के चलते उन्हें मात्र एक साल की सजा दी गयी. उनकी गिरफ्तारी का वारंट निकला. किन्तु वे फरार हो गये. 1910 में एक प्रदर्शन देखते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें भी लम्बी सजा दी गयी. इसके बाद ‘स्वराज’ पुनः प्रकाशित न हो सका.

‘पत्रकारिता’ से जुड़ी ये स्थितियां आज के पत्रकारों और पत्रकारिता से मुखातिब हैं. आज के संपादक संवर्ग को उन स्थितियों का भी आकलन-मूल्यांकन विवेक के स्तर पर करके पत्रकारिता के मिशनरी भाव को विचार में रखकर लेखन और पत्रकारिता की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिये. ‘स्वराज’ में संपादक पद हेतु एक विज्ञापन उस समय निकला था. ‘‘स्वराज अखबार के लिये एक संपादक चाहिये, जिसे दो सूखी रोटियां एक गिलास पानी और हर सम्पादकीय लेख पर 10 साल की सजा मिलेगी.’’ इस शर्त पर भी ‘स्वराज’ के लिये जान-माल कुर्बान करने वाले शहीद किस्म के क्रान्तिकारी संपादक मिलते रहे. क्या बदली परिस्थिति में भी ‘स्वराज’ जैसा पत्र और पत्रकारिता का जज्बा कहीं है? उत्तर सिर्फ नहीं में ही है. ऐसे में एक अज्ञात शायर का शेर याद आता है जो कलमकारों की वैचारिक अस्मिता की भी स्वरित करता हैः

‘लिये फिरती है बुलबुल चोंच में गुल-

शहीदे-नाज की तुर्बत कहां है?’

 

सम्पर्कः ‘काव्यमुखी साहित्य-अकादमी’

गोहना मुहम्मदाबाद, जिला-मऊ (उ.प्र.)-276403

मोः 9369973494

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: प्राची - जून 2016 / ‘पत्रकारिता तब ‘मिशन’ थी, अब एक संजीदा सवाल / डॉ. मधुर नज्मी
प्राची - जून 2016 / ‘पत्रकारिता तब ‘मिशन’ थी, अब एक संजीदा सवाल / डॉ. मधुर नज्मी
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjG-6-ZiJekGMD56WDDCWX2jKJ03Xbl-K3vYHMA6z1-c0Ar_oSYaVWhD_XRHvdrt8ijZuEVM8PBImLYFNxQlDxLZtawaGBQryMPDCHOjFIkcFiaKtE5EgybfbVXPXuDPIRALc8l/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjG-6-ZiJekGMD56WDDCWX2jKJ03Xbl-K3vYHMA6z1-c0Ar_oSYaVWhD_XRHvdrt8ijZuEVM8PBImLYFNxQlDxLZtawaGBQryMPDCHOjFIkcFiaKtE5EgybfbVXPXuDPIRALc8l/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/06/2016_63.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/06/2016_63.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content