प्राची - जून 2016 / भारतीय अंग्रेज़ी कहानी / डॉक्टर के शब्द / आर. के. नारायण

SHARE:

भारतीय अंग्रेजी कहानी घर जाते हुए रास्ते में वह अस्पताल में रुके, सहायक को बुलाया और बोले, ‘तुम लॉली एक्सटेंशन वाले मरीज के पास चले जाओ- ...

भारतीय अंग्रेजी कहानी

घर जाते हुए रास्ते में वह अस्पताल में रुके, सहायक को बुलाया और बोले, ‘तुम लॉली एक्सटेंशन वाले मरीज के पास चले जाओ- दवा की एक ट्यूब साथ ले जाना. अब किसी भी क्षण वह जा सकता है. कष्ट ज्यादा हो तो यह ट्यूब दे देना. जल्दी करो, जाओ.’

दूसरे दिन दस बजे वह फिर वहां पहुंच गये. कार से निकलते ही मरीज के कमरे की ओर तेजी से गये. मरीज जाग रहा था और ठीक दिख रहा था. सहायक ने बताया कि नब्ज सही चल रही है. उसने स्टेथेस्कोप मरीज के दिल पर रखा, कुछ देर सुना और पत्नी से बोला, ‘देवी, अब खुश हो जाओ. तुम्हारा पति नब्बे साल तक जिन्दा रहेगा.’

डॉक्टर के शब्द

आर. के. नारायण

डॉ. रमन के पास मरीज बीमारी के आखिरी दिनों में ही आते थे. वे अक्सर चिल्लाते, ‘तुम एक दिन पहले क्यों नहीं आ सकते थे?’ इसका कारण भी साफ थाः डॉक्टर की बड़ी फीस और इससे भी ज्यादा महत्त्वपूर्ण बात यह कि कोई यह नहीं मानना चाहता कि आखिरी समय आ गया है और डॉ. रमन के पास जाना चाहिए. आखिरी समय और डॉक्टर रमन जैसे एक-दूसरे से मिल-जुल गये थे, इस कारण वे उनसे डरने भी लगे थे. इस तरह जब यह महापुरुष मरीज के सामने प्रकट होते, तब इस पार या उस पार, निर्णय तुरंत करना होता था. अब कोई हीलाहवाली या चालबाजी काम नहीं आती थी. बहुत समय से डॉक्टरी करने के कारण उनमें एक तुर्श स्पष्टवादिता भी आ गई थी, इस कारण उनकी राय की कद्र भी की जाती थी. अब वे राय देने वाले डॉक्टर मात्र न रहकर फैसला सुनाने वाले जज बन गये थे. उनके शब्दों पर मरीज की जिन्दगी निर्भर रहने लगी थी. लेकिन डॉक्टर साहब इन सबसे परेशान नहीं होते थे. वे नहीं मानते थे कि मीठे शब्द बोलकर जिन्दगी बचाई जा सकती है. वे नहीं सोचते थे कि झूठ बोलकर दिलासा देना उनका कर्तव्य है जबकि प्रकृति कुछ ही घंटों में फैसला सुना देगी. लेकिन जब भी उन्हें उम्मीद की कोई जरा-सी भी किरण नजर आती, तो वे कमर कसकर मैदान में उतर पड़ते और चाहे जितने घंटे या दिन भी लग जायें, वे सब कुछ भूलकर मरीज को यमराज के पंजे से छुड़ा लाने के प्रयत्न में लग जाते.

आज, एक मरीज के सिरहाने खड़े उन्हें खुद को दिलासा देने वाले ऐसे लोगों की जरूरत महसूस हो रही थी, जो झूठ बोलकर भी उन्हें ढाढस बंधा सकें. रूमाल निकालकर उन्होंने माथे से पसीना पोंछा और मरीज के पास चुपचाप कुर्सी पर बैठ गये. बिस्तर पर उनका जिगरी दोस्त गोपाल निढाल पड़ा था. उनकी दोस्ती चालीस साल पुरानी थी, जो किंडरगार्टर स्कूल से शुरू हुई थी. अब, परिवार और काम-धंधे की बातों को लेकर उनका मिलना-जुलना काफी कम हो गया था, पर प्यार में कमी नहीं आई थी. इतवार के दिन शाम को अक्सर गोपाल उनके पास पहुंच जाता और अस्पताल के एक कोने में चुपचाप बैठा प्रतीक्षा करता रहता कि डॉक्टर साहब कब खाली होते हैं. फिर दोनों साथ खाना खाते, फिल्म भी देखते और देश-दुनिया की जमकर बातें करते. यह उनकी स्थायी मित्रता थी और इसमें वक्त और हालात का कोई असर नहीं पड़ा था.

अपनी व्यस्तता के कारण डॉ. रमन ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया था कि गोपाल पिछले तीन महीने से उनसे मिलने नहीं आया है. एक दिन सुबह जब उन्होंने मरीजों से भरे अस्पताल की एक बेंच पर उसके बेटे को इन्तजार करते देखा, तब उन्हें यह याद आया. फिर भी वे घंटे भर तक उससे बात करने का वक्त नहीं निकाल सके. इसके बाद जब वे आपरेशन-रूम जाने के लिए उठे तो उसके पास जाकर बोले, ‘क्यों आये हो, बेटे?’ लड़का झेंपता हुआ धीरे से बोला, ‘मां ने भेजा है.’

‘बात क्या है?’

‘पापा बीमार हैं.’

आज आपरेशन करने का दिन था और तीन बजे तक वे फुरसत नहीं पा सके. इसके बाद वे तुरंत लॉली एक्सटेंशन में स्थित मित्र के घर के लिए चल पड़े.

गोपाल बिस्तर पर पड़ा सो रहा था. डॉक्टर साहब उसके सिरहाने जा खड़े हुए और पत्नी ने पूछा, ‘यह कब से बीमार है?’

‘डेढ़ महीना हो गया, डॉक्टर साहब!’

‘किसका इलाज चल रहा है?’

‘एक पड़ोसी डॉक्टर का. हर तीसरे दिन आते हैं और दवा देते हैं.’

‘नाम क्या है उसका?’ यह नाम उन्होंने कभी नहीं सुना था. बोले, ‘इसे मैं नहीं जानता. लेकिन मुझे तो कुछ बताना था. तुमने खुद क्यों खबर नहीं की?’

‘हमने सोचा आप व्यस्त होंगे और व्यर्थ में आपको परेशान करना होगा.’ पत्नी ने बड़ी दयनीयता से कहा. वह काफी परेशान नजर आ रही थी. डॉक्टर समझ गया, अब गंवाने लायक वक्त नहीं बचा है. उन्होंने कोट उतारा और बक्सा खोला. इन्जेक्शन ट्यूब निकाली, सुई खौलते पानी मंे रख दी. पत्नी उन्हें यह सब करते देखकर और भी परेशान होने लगी और सवाल पूछने लगी.

‘अब सवाल मत करो,’ डॉक्टर ने जोर से कहा. उसने बच्चों पर नजर डाली, जो खौलते पानी में सुई को उछलते देख रहे थे. वे बोले, ‘बड़े लड़के को यहीं रहने दो, बाकी सबको किसी और कमरे में भेज दो.’

मरीज की बांह में इन्जेक्शन लगाकर वे कुर्सी पर बैठ गये और घंटे भर उसे देखते रहे. मरीज शान्त पड़ा था. डॉक्टर के चेहरे पर पसीना निकल आया और थकान से आंखें मुुंदने लगीं. मरीज की पत्नी कोने में खड़ी चुपचाप सब कुछ देख रही थी. फिर धीरे-से बोली, ‘आपके लिए कॉफी बनाऊं?’

‘नहीं,’ हालांकि भूख से वे बेहाल हो उठे थे. उन्होंने दोपहर का खाना भी नहीं खाना था. थोड़ी देर बाद वे उठे और बोले, ‘मैं बहुत जल्द लौट आऊंगा. इन्हें बिलकुल मत छेड़ना.’ थैला उठाया और बाहर खड़ी कार में जा बैठे.

पंद्रह मिनट में वे वापस आ गये, साथ में एक नर्स और सहायक भी थे. पत्नी से बोले, ‘मैं एक आपरेशन करूंगा.’

‘क्यों? क्या हुआ है?’ पत्नी से घबराकर पूछा.

‘बाद में बताऊंगा. अभी तुम लड़के को यहां छोड़ दो और पड़ोसी के घर चली जाओ, और जब तक मैं बुलाऊं नहीं, वापस मत आना.’

पत्नी बेहोश होकर जमीन पर गिरने को हुई, लेकिन नर्स ने उसे संभाल लिया और बाहर जाने में मदद की.

रात को करीब आठ बजे मरीज ने आंखें खोलीं और बिस्तर पर धीरे से हिला. सहायक बहुत खुश हुआ और कहने लगा, ‘अब ये जरूर ठीक हो जायेंगे.’ डॉक्टर ने भावहीन आंखों से उसे देखा और धीरे से कहा, ‘इसे ठीक करने के लिए मैं कुछ भी करने को तैयार हूं लेकिन इसके दिल का क्या होगा...’

‘नाड़ी में तो सुधार हुआ है.’

‘ठीक है, लेकिन इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता. ऐसे मामलों में शुरू मंे हलका सुधार दिखाई देता है लेकिन वह टिकता नहीं है...वह झूठा साबित होता है.’ फिर थोड़ी देर सोचते रहकर बोले, ‘अगर नाड़ी सबेरे आठ बजे तक चलती रहती है, तो यह अगले चालीस बरस तक चलती रहेगी. लेकिन मुझे शक है कि रात को दो बजे के बाद भी यह इसी तरह चलती रहेगी.’

इसके बाद उन्होंने सहायक को वापस भेजा दिया और मरीज के पास बैठ गये. 11 बजे के करीब मरीज ने फिर आंखें खोलीं और डॉक्टर की ओर देखकर मुस्कराया. उसमें हलका सुधार हुआ था और उसने कुछ खाना भी खाया. घर भर में चैन और खुशी की लहर दौड़ गई. सब डॉक्टर के पास आ खड़े हुए और कृतज्ञता प्रकट करने लगे. लेकिन वे चुप बैठे मरीज की ओर देखते रहे, लगता था कि वे किसी की बात सुन नहीं रहे हैं. पत्नी पूछने लगी, ‘अब ये खतरे से बाहर हैं?’

बिना सिर घुमाये, उन्होंने कहा, ‘इन्हें हर चालीस मिनट बाद ग्लूकोज और ब्रांडी देती रहो. दो चम्मच काफी होगी.’

पत्नी रसोईघर में चली गई. वह बेचैन हो रही थी. वह चाहती थी कि जो भी सच्चाई हो, अच्छी या बुरी, उसे पता चल जाये. डॉक्टर साहब कुछ स्पष्ट क्यों नहीं बता रहे? दुविधा उसके लिए असह्य होती जा रही थी. शायद वे मरीज के ही सामने कुछ न कहना चाहते हों. इसलिए रसोई के दरवाजे से उसने उन्हें इशारे से बुलाया. वे चले गये तो उसने पूछा, ‘अब ये कैसे हैं? बच तो जायेंगे?’

डॉक्टर ने होंठ काटे और जमीन की ओर देखते हुए धीरे से कहा, ‘अपने पर काबू रखो. इस वक्त कोई सवाल मत करो.’

भय से पत्नी की आंखें फैल गई. उसने उनके हाथ कसकर पकड़ लिये और कहने लगी, ‘मुझे सच बता दीजिए.’

‘इस वक्त मैं तुमसे बात नहीं करूंगा.’ यह कहकर वे कुर्सी पर जाकर फिर बैठ गये.

पत्नी ने चीखकर रोना शुरू कर दिया. आवाज सुनकर मरीज ने चौंककर आंखें खोलीं और देखने लगा कि क्या बात है. डॉक्टर साहब फिर उठे, रसोई की ओर गये, दरवाजा बाहर से बंद कर कुंडी चढ़ा दी, जिससे आवाज बाहर निकलने से रुक गई.

वे फिर कुर्सी पर आकर बैठे तो मरीज ने धीरे से पूछा, ‘क्या आवाज थी? कोई रो रहा था क्या?’

डॉक्टर ने कहा, ‘तुम अपने पर जोर मत डालो. बात करो. सोने की कोशिश करो.’

मरीज ने फिर पूछा, ‘क्या मैं जा रहा हूं? मुझसे मत छिपाओ.’

डॉक्टर ने अस्पष्ट-सी कुछ ध्वनि की और कुर्सी पर बैठे रहे. उनके जीवन में ऐसी स्थिति कभी नहीं आई थी. लीपापोती उनके स्वभाव में नहीं थी. इसी कारण लोग उनके शब्दों को बहुत महत्व देते थे. उन्होंने मरीज की तरफ एक नजर डाली. उसने इशारे से उन्हें पास बुलाया और धीरे से कहने लगा, ‘मैं जानना चाहता हूं कि और कितना जियूंगा, मुझे वसीयत पर दस्तखत करना है. वह तैयार रखी है. पत्नी से कहो, उसे उठा लाये. तुम गवाह के दस्तखत कर देना.’

डॉक्टर बोला, ‘इस वक्त अपने पर दबाव मत डालो, शान्त रहने की कोशिश करो.’ लेकिन यह कहते हुए वे स्वयं को मूर्ख महसूस कर रहे थे. सोचने लगे- ‘कितना अच्छा हो, मैं इस सबसे बचकर किसी ऐसी जगह चला जाऊं, जहां मुझसे कोई सवाल न पूछा जा सके!’

मरीज ने अपने कमजोर हाथों से डॉक्टर की कलाई फिर से पकड़ ली और जोर देकर कहने लगा, ‘राम, यह मेरा सौभाग्य है कि इस वक्त तुम यहां मेरे पास हो. मैं तुम्हारे शब्दों पर विश्वास कर सकता हूं. मैं जायदाद का मामला सुलझाकर जाना चाहता हूं. नहीं तो मेरे बाद पत्नी और बच्चों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. तुम्हें सुब्बिया और उसके लोगोें की जानकारी है. वक्त रहते मुझे दस्तख्त कर लेने दो. बताओ...’

‘ठीक है, लेकिन जरा ठहरो...’ डॉक्टर ने उत्तर दिया, फिर वे उठे और बाहर अपनी गाड़ी में जाकर बैठ गये. सोचने लगे. घड़ी देखी, आधी रात हो चुकी थी.

वसीयत पर दस्तखत होने हैं तो दो घंटे में हो जाना चाहिए, नहीं तो...वे संपत्ति के बारे में जिम्मेदार नहीं होना चाहते थे. घर की समस्याओं का उन्हंे अच्छी तरह ज्ञान था, और सुब्बिया तथा उसके लोगों की भी उन्हें सही जानकारी थी.

लेकिन इस वक्त वे क्या कर सकते थे? अगर वे वसीयत पर दस्तखत करने की सुविधा उसे दे देते हैं तो यह उसकी मौत का परवाना भी हो सकता है, क्योंकि इसके कारण जीवित रहने की उसकी कोशिश एकदम खत्म हो जायेगी.

वे गाड़ी से निकले और घर की ओर चल पड़े. फिर कुर्सी पर जाकर बैठ गये. मरीज बराबर उनको देखे जा रहा था. डॉक्टर ने खुद से कहा, ‘अगर मेरे शब्द इसे बचा सकते हैं तो इसे मरना नहीं चाहिए. वसीयत की फिर क्यों जरूरत है?’

वे बोले, ‘सुनो, गोपाल!’ यह पहली दफा वे अपने मरीज के सामने नाटक करने जा रहे थे, झूठ बोलकर जीवन जीने की उसकी इच्छा जगाने. मरीज के ऊपर झुककर वे जरा ज्यादा जोर देकर बोले, ‘तुम वसीयत की फिक्र मत करो. तुम जियोगे. तुम्हारा दिल बहुत मजबूत है.’

यह सुनते ही मरीज के चेहरे पर चमक आ गई. संतोष की सांस भर कर उसने कहा, ‘तुम कह रहे हो यह? तुम्हारे मुंह से निकली बात जरूर सच होगी...’

डॉक्टर ने कहा, ‘हां मैं कह रहा हूं. तुम हर क्षण ठीक हो रहे हो. अब सो जाओ. गहरी नींद में सो जाओ. मन से सब परेशानियां निकाल दो. मैं सबेरे तुमसे मिलूंगा.’

मरीज ने कृतज्ञ-भाव से डॉक्टर की ओर देखा और फिर आंखें बन्द कर लीं. डॉक्टर ने अपना बैग उठाया और धीरे से दरवाजा बन्द करके बाहर निकल गया.

घर जाते हुए रास्ते में वह अस्पताल में रुके, सहायक को बुलाया और बोले, ‘तुम लॉली एक्सटेंशन वाले मरीज के पास चले जाओ- दवा की एक ट्यूब साथ ले जाना. अब किसी भी क्षण वह जा सकता है. कष्ट ज्यादा हो तो यह ट्यूब दे देना. जल्दी करो, जाओ.’

दूसरे दिन दस बजे वह फिर वहां पहुंच गये. कार से निकलते ही मरीज के कमरे की ओर तेजी से गये. मरीज जाग रहा था और ठीक दिख रहा था. सहायक ने बताया कि नब्ज सही चल रही है. उसने स्टेथेस्कोप मरीज के दिल पर रखा, कुछ देर सुना और पत्नी से बोला, ‘देवी, अब खुश हो जाओ. तुम्हारा पति नब्बे साल तक जिन्दा रहेगा.’

अस्पताल लौटते हुए सहायक ने डॉक्टर से पूछा, ‘सर, क्या वे जीवित रहेंगे?’

‘अब मैं शर्त लगाकर कह सकता हूं कि गोपाल नब्बे साल तक जिन्दा रहेगा. लेकिन मेरे लिए हमेशा यह पहेली बनी रहेगी कि वह यह हमला कैसे झेल गया!’

---

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: प्राची - जून 2016 / भारतीय अंग्रेज़ी कहानी / डॉक्टर के शब्द / आर. के. नारायण
प्राची - जून 2016 / भारतीय अंग्रेज़ी कहानी / डॉक्टर के शब्द / आर. के. नारायण
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjG-6-ZiJekGMD56WDDCWX2jKJ03Xbl-K3vYHMA6z1-c0Ar_oSYaVWhD_XRHvdrt8ijZuEVM8PBImLYFNxQlDxLZtawaGBQryMPDCHOjFIkcFiaKtE5EgybfbVXPXuDPIRALc8l/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjG-6-ZiJekGMD56WDDCWX2jKJ03Xbl-K3vYHMA6z1-c0Ar_oSYaVWhD_XRHvdrt8ijZuEVM8PBImLYFNxQlDxLZtawaGBQryMPDCHOjFIkcFiaKtE5EgybfbVXPXuDPIRALc8l/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/06/2016_54.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/06/2016_54.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content