प्राची - जून 2016 / संपादकीय / अमीर कैसे बनें / राकेश भ्रमर

SHARE:

संपादकीय अमीर कैसे बनें? राकेश भ्रमर हर आदमी की इच्छा होती है कि वह अमीर बने, परन्तु दुर्भाग्य से सभी अमीर नहीं बन पाते. शायद उन्हें अम...

image

संपादकीय

अमीर कैसे बनें?

राकेश भ्रमर

हर आदमी की इच्छा होती है कि वह अमीर बने, परन्तु दुर्भाग्य से सभी अमीर नहीं बन पाते. शायद उन्हें अमीर बनने के सरल नुस्खे नहीं पता होते. बिना मेहनत किए कैसे अमीर बना जाता है, यह इस देश के कुछ बुद्धिमान लोगों को ही पता है. इसलिए अगर आप जीवन में बिना कुछ किए अमीर बनना चाहते हैं, तो मैं आपको कुछ ऐसे ही नुस्खे बताता हूं, जिनकी बदौलत आप रातों-रात नहीं, दिनों-दिन इतने अमीर हो जाएंगे कि जिन लोगों और संस्थाओं के पैसों से आप अमीर बनेंगे, वह न पनामा पेपर्स में आप का नाम ढूंढ पाएंगे, न ललित मोदी और विजय माल्या की तरह सी.बी.आई. और ई.डी. ही आपको पकड़ जाएगी.

अमीर होने के लिए आपको पहले से ही थोड़ा अमीर होना पड़ेगा, गरीब आदमी कभी अमीर नहीं बन सकता. इतिहास गवाह है कि मजदूर कभी किसान नहीं बना और किसान कभी व्यापारी नहीं बन पाया. मजदूर जीवन भर श्रम करता है और जीवन भर भरपेट भोजन के लिए तरसता रहता है. किसान रात-दिन अपने खेतों में मेहनत करता है. घर में रखी जमा-पूंजी बीज, खाद और पानी में लगा देता है, परंतु फसल पकने के समय या तो ओला और अतिवृष्टि उसकी फसल को बर्बाद कर देती है या सूखा उसे पकने के पहले ही सुखा देता है. अगर किसी तरह उसकी फसल अच्छी हुई भी, तो उसे औने-पौने दामों में कभी सरकार खरीदकर एफसीआई के खुले गोदामों में सड़ा देती है या व्यापारी खरीद लेते हैं और बाद में शहरों में उसी अन्न को महंगे दामों में बेचकर मालामाल हो जाते हैं.

बात मुद्दे से भटक रही है. मैं असली मुद्दे पर आता हूं. अमीर बनने का पहला नुस्खा यह है कि आपको पहले से ही थोड़ा-बहुत रसूखदार और नामी-गिरामी व्यापारी या उद्योगपति होना चाहिए. रसूखदार और नामी होने के लिए आपको किसी न किसी राजनीतिक पार्टी से सम्बंधित भी होना पड़ेगा. इतना कुछ हो जाए तो फिर कुछ फर्जी कंपनियों की स्थापना आपको करनी पड़ेगी. इस काम में बहुत सारे चार्टर्ड एकाउंटेंट आपकी सहायता करने के लिए नाम मात्र की फीस पर तत्पर मिलेंगे. वह आपकी फर्जी कंपनियों की आय इतनी ज्यादा दिखा देंगे कि उसके आधार पर आप कोई नया उद्योग या व्यापार स्थापित करने के लिए बैंक से करोड़ों रुपये का लोन बड़ी आसानी से प्राप्त कर सकते हैं. अगर कोई बैंक आपकी साख पर संदेह करता है, तो यहां पर आपके पॉलिटिकल सम्बंध काम आते हैं.इसके अलावा पूरे कर्जे का 5 प्रतिशत कमीशन बैंक अधिकारियों का फिक्स रहता है. इसलिए वह कमीशन लेकर और थोड़ी बहुत अतिरिक्त सेवा लेने के उपरांत बिना किसी जांच पड़ताल के आपको लोन सैक्सन ही नहीं, तुरंत डिसबर्स कर भी देते हैं.

यहां मैं अपने मजदूर, किसान और छोटे-मोटे दुकानदारों को आगाह करना चाहूंगा कि वह बैंक से लोन लेने का प्रयास न करें, अलबत्ता उन्हें बैंक से कर्ज नहीं मिलेगा, और अगर दो चार महीने की थकाऊ और उबाऊ भाग-दौड़ और बैंक अधिकारियों के सामने लाखों बार गिड़गिड़ाने के बाद लोन मिल भी जाता है, तो उसकी पाई-पाई नियत समय पर भरनी ही पड़ेगी. साथ ही इतना तगड़ा ब्याज देना पड़ेगा कि मूल और सूद भरते-भरते आपकी कमर टूट जाएगी, फिर भी बैंक का कर्ज पूरा नहीं हो पाएगा. जब आप मासिक किस्त भरने की स्थिति में नहीं रहेंगे तो एक दिन अचानक बैंक वाले आकर आपका घर, खेत, टैक्टर या दूकान नीलाम करवा लेंगे और आप न घर के रहेंगे न घाट के.

दूसरी तरफ करोड़ों रुपये का लोन लेने वाले रसूखदार व्यापारियों और उद्योगपतियों के साथ ऐसी स्थिति नहीं होती. उनको जितनी आसानी से लोन मिल जाता है, उतनी आसानी से न तो वह कर्ज वापस करते हैं, न बैंक वापस ले पाती है. ब्याज भरने का तो सवाल ही नहीं पैदा होता. उद्योगपति और व्यापारी अपने व्यापार को घाटे में दिखाकर कर्ज वापस करने से बचते रहते हैं और कई बार तो व्यापार को पुनर्जीवित करने के लिए बैंक वाले पहले से दुगना कर्ज और दे देते हैं.

अब आप सोच रहे होंगे कि जब कर्ज लेने वाले का व्यापार घाटे में चलता है, तो वह अमीर कैसे होता होगा. यहीं तो पंेच है, जो आम आदमी की समझ में नहीं आता. कर्जदार व्यापारी या उद्योगपति केवल कागजों पर व्यापार या उद्योग को घाटे में दिखाते हैं, और दूसरी तरफ चालाकी और होशियारी से वही उद्योगपति और व्यापारी बैंक के पैसे से विदेश में निवेश कर देता है या अचल सम्पति खरीद लेता है. इस तरह वह एक पैसा वापस किए बिना सालों-साल तक ऐश की जिंदगी बसर करता रहता है. बड़ा उद्योगपति होने के बाद उसे पद्मश्री और राज्यसभा की सदस्यता भी हासिल हो जाती है. इससे उसकी समाज में साख बढ़ती है और बैंकवाले उससे कर्ज वापस लेने के लिए मनुहार भी नहीं कर पाते.

ऐसे उद्योगपतियों और व्यापारियों के ऊपर कभी मुसीबत नहीं आती, परंतु कभी-कभी मूर्ख विपक्षी पार्टियों वाले नेता उनके ऊपर उंगली उठाकर सरकार को बदनाम करने का षड़्यंत्र रचते हैं, परंतु इस मुसीबात से बचने के रास्ते भी कर्जदार व्यक्ति तलाश कर लेता है. जब उसके ऊपर कानूनी शिकंजा कसने लगता है, और उसे लगता है कि वह किसी भी समय गिरफ्तार हो सकता है, तो वह भागकर किसी ऐसे देश में शरण ले लेता है, जहां से उसका प्रत्यार्पण मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन होता है. विपक्षी दल खिसियानी बिल्ली की तरह खिखियाते रहते हैं और सरकार चुपचाप ‘तफ्तीश चल रही है,’ ‘कानून अपना काम करेगा’ जैसे जुमलों से सबको खामोश करने का प्रयास करती है. सरकार भी जानती है और जनता भी जानती है कि भारत में कोई भी मुद्दा लंबे समय तक नहीं चलता. यहां रोज-ब-रोज सनसनीखेज मुद्दे जन्म लेते रहते हैं. मीडिया वाले कब एक ही मुद्दे का टी.वी. पर चलाते रहेंगे और विपक्षी दल के नेताओं को बासी रोटी खाने में मजा नहीं आता.

यहां पर मैं बैंक से लोन लेने वाले लोगों और जल्दी अमीर बनने का सपना देखनेवाले लोगों को फिर से आगाह करना चाहूंगा, अगर आप बैंक से लोन लेने और विदेश भागने के चक्कर में नहीं पड़ना चाहते, तो इससे भी अधिक आसान एक और रास्ता है. इसमें कानून का भय भी नहीं रहता और आप सीना चौड़ा करके अपनी अमीरी का ढिंढोरा सरेबाजार पीटते हुए नजर आएंगे.

बस आपको इतना करना है कि थोड़े से पैसे का जुगाड़ करके किसी राजनीतिक पार्टी के सदस्य बन जाइए. बहुजन हिताय, धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद का नारा लगानेवाली पार्टियां इस काम के लिए ज्यादा मुफीद हैं. आपने देखा ही होगा की बहुजन पार्टी के नेताओं को किस तरह से लोग गिफ्ट देते हैं और समाजवादी लोग किस तरह से समाज का सारा पैसा अपने घर और गांव में बटोर कर रख लेते हैं.

आप एक बोलेरो या स्कर्पियो गाड़ी लेकर, उसके आगे पार्टी का झण्डा लगाकर घूमिए और लोगों के काम करवाने के बहाने दलाली करिए. आप देखेंगे एक ही साल में आप लखपति से करोड़पति हो गए हैं. इस कमाई में टैक्स आदि भरने के झंझट से आप पूर्णतया मुक्त रहते हैं. जब आप करोड़पति हो जाएं, तो पार्टी प्रमुख को कुछ लाख रुपये का गुप्तदान देकर विधानसभा या सांसद का टिकट प्राप्त कर लीजिए. जीत गए तो विधायक या सांसद फण्ड का करोड़ों रुपया हड़प करके आप और आपके परिजन और रिश्तेदार भी मालामाल हो जाएंगे. आपकी किस्मत अगर ज्यादा जोरदार हुई तो आप मंत्री बन सकते हैं. मंत्री बनते ही जनता आपको इतना अधिक गुप्तदान देती है कि आपके लिए धन को संभालकर रखना मुश्किल हो जाएगा. फिर आपको उस धन को रखने के लिए विदेशी बैंकों में खाता खुलवाकर जमा करवाना पड़ेगा. भारत सरकार को अगर इन खातों के बारे में पता भी चल जाता है, तब भी आप मत घबराइए. सरकार केवल हो-हल्ला कर सकती है, आपके पैसे को न तो जब्त कर सकती है, न भारत वापस ला सकती है. भारत में ऐसा कोई विधान ही नहीं बना है कि विदेशों में जमा धन वापस लाया जा सके. आप देख ही रहे हैं. हमारे देश के कितने अपराधी विदेशों में छिपे हुए हैं और सरकार उनका बाल बांका नहीं कर पा रही है. विदेशों में जमा काला धन लाने के लिए अन्ना हजारे, अरविंद केजरीवाल से लेकर बाबा रामदेव ने नाक रगड़ ली, परन्तु क्या वह एक पैसा ला पाए. जब सरकार नहीं ला पाई, तो ये लोग किस खेत की मूली हैं. आंदोलन करना अलग बात है और आंदोलन करके नेता बन जाना अलग बात है. नेता बनकर सत्ता तो प्राप्त की जा सकती है, परन्तु कानून बनाकर उसका पालन नहीं किया जा सकता. न विश्वास हो तो किसी भी भारतवासी से पूछ लीजिए कि किस प्रकार कानून का उल्लंघन किया जाता है और फिर भी कानून के रखवाले उनकी उंगली टेढ़ी नहीं कर पाते.

आपको थोड़ा सा ज्ञान बांटने के लिए मैं बात को थोड़ा और विस्तार से बता देता हूं. मालामाल होने के बाद पैसे को सुरक्षित रखने का एक और तरीका है. यह आप अपनी पार्टी के प्रमुखों से सीख सकते हैं. अपने परिवार के सभी लोगों के नाम आप कुछ कंपनियां कागज पर बना लीजिए. इन कंपनियों के नाम कागज पर ही कोई अनाप-शनाप वस्तु का निर्माण का ढोंग रचिए. उस काल्पनिक वस्तु को आपकी कंपनियों से आपको उत्क्रोच देनेवाले लोग कागज पर ही खरीद भी लेंगे, परंतु पेमेंट असली करेंगे. आर.टी.एस. के माध्यम से वह आपको परिजनों के खातों में लाखों-करोड़ों रुपया ट्रांसफर करते रहेंगे. इस पैसे पर आपको इन्कम टैक्स भी नहीं भरना पड़ेगा, क्योंकि आपका सीए आपकी एकाउन्ट्स बुक्स को इस तरह तैयार करेगा कि करोड़ों रुपये की बिक्री होने के बाद भी आपकी कम्पनी सदा घाटे में रहेगी. अगर थोड़ा-बहुत टैक्स भरना भी पड़ जाए, तो आपको रत्ती भर भी असर नहीं होगा, क्योंकि आपकी काली कमाई के ऊपर लगा इन्कम टैक्स समुद्र से दो-चार बूंद जल निकालने के बराबर है.

इस प्रकार आप फर्जी घाटे और असली आमदनी से जीवन भर ऐश करते रहिए, कोई आपका बाल-बांका कर ले, तो मेरा नाम बदल देना. आंख मूंदकर पैसा खर्च करने के बाद भी आपके महाप्रयाण के समय आपके और आपके परिवार के खातों में इतना रुपया बचा रहेगा कि आपकी सात पुश्तें क्या उसके बाद की भी सात पुश्तें बिना काम किए आपके पैसे का उपयोग शानदार तरीके से करती रहेंगी.

भारतीय दर्शनशास्त्र के प्रेमी कहते हैं कि पश्चिम के देश पूंजीवादी देश हैं, और वहां के लोग केवल पैसे के पीछे भागते रहते हैं; परंतु मुझे लगता है, पूंजी का जितना महत्व भारत में दिया जाता है, उतना किसी और देश में नहीं. इस देश में ही सबसे ज्यादा सूदखोरी होती है, यहीं पर पैसे के लिए भाई-भाई की हत्या कर देते हैं, यहीं पर शादी-ब्याह में दहेज लेने की प्रथा प्राचीन काल से है. इसी देश के नेता बिना किसी काम के पलक झपकते करोड़पति और अरबपति बन जाते हैं. उनकी संपत्ति जादू की छड़ी के जोर से रातों-रात लाखों से करोड़ों और फिर करोड़ों से अरबों में पहुंच जाती है. उनके ऊपर आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले भी बनते हैं, परन्तु यह केवल भारत देश में ही संभव है कि सत्ताधारी व्यक्ति का भारत का कानून भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता. उनके मामले पता नहीं कब ठंडे बस्ते में चले जाते हैं.

भारत देश के लोग अपने बच्चों का डॉक्टर-इंजीनियर बनाने के लिए लाखों रुपया खर्च करते हैं और फिर डॉलर कमाने के लिए उन्हें विदेश भेज देते हैं. बाद में वह जीवन भर अकेले रहते हैं, और बेटे अमेरिका, आस्टेलिया में डॉलर से मौज करते रहते हैं.

खैर, पूंजी कमाने और अमीर बनने के लिए जो नायाब तरीके मैंने यहां बताए हैं, उनमें खतरा कम, लाभ ज्यादा है. मैंने पहले ही बता दिया है कि अगर आप गरीब हैं, और समाज में आपकी कोई साख नहीं है, तो कभी भी बैंक से कर्ज लेने का जोखिम मत उठाना, वरना फांसी का फंदा सदा अपने पास रखना और अगर आप किसी राजनीतिक पार्टी से सम्बद्ध नहीं हैं, तो भी ऐसा कोई जोखिम मत उठाइएगा.

बाकी आप खुद समझदार हैं. राजनीति का मंच आपके लिए खुला है. एक ऊंची छलांग लगाइए और आसमान से तारों की जगह अशर्फियां तोड़कर मालामाल बन जाइए.

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: प्राची - जून 2016 / संपादकीय / अमीर कैसे बनें / राकेश भ्रमर
प्राची - जून 2016 / संपादकीय / अमीर कैसे बनें / राकेश भ्रमर
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjG-6-ZiJekGMD56WDDCWX2jKJ03Xbl-K3vYHMA6z1-c0Ar_oSYaVWhD_XRHvdrt8ijZuEVM8PBImLYFNxQlDxLZtawaGBQryMPDCHOjFIkcFiaKtE5EgybfbVXPXuDPIRALc8l/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjG-6-ZiJekGMD56WDDCWX2jKJ03Xbl-K3vYHMA6z1-c0Ar_oSYaVWhD_XRHvdrt8ijZuEVM8PBImLYFNxQlDxLZtawaGBQryMPDCHOjFIkcFiaKtE5EgybfbVXPXuDPIRALc8l/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/06/2016_28.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/06/2016_28.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content