प्राची - जून 2016 / कविताएँ

SHARE:

मां तुझे प्रणाम डॉ . भावना शुक्ल मां जीवन है तुम्हारा नाम है ईश्वर से पहले तुमको प्रणाम है तेरी याद में अब जीना है धरती और आकाश बिछौन...

मां तुझे प्रणाम

डॉ. भावना शुक्ल

मां

जीवन है

तुम्हारा नाम है

ईश्वर से पहले

तुमको प्रणाम है

तेरी याद में अब जीना है

धरती और आकाश बिछौना है

मन है बहुत बैचेन

बिन तेरे नहीं हैं चैन

मन नहीं करता

कलम उठाने को

लगता है

शब्द

हो गये हैं निर्जीव

लेकिन

यादें हैं सजीव

क्योंकि

जिंदगी नहीं रुकती

जिंदगी चलने का नाम है

चाहता है मन

करना है बहुत से काम

लिखना है मां के नाम

मां तुझे प्रणाम.

सम्पर्कः सह संपादक प्राची

डब्ल्यू जेड 21 हरिसिंह पार्क, मुल्तान नगर पश्चिम विहार

नई दिल्ली-110056

 

ईमेलः bhavanasharma30@gmail-com

----------

 

मां

ज्योति जुल्का

clip_image002

मां थी तो सारे दिन त्योहार थे,

तुम थी मां तो लाड़ दुलार भी थे,

नाज भी थे और लोरी भी,

इकरार भी थे, इंकार भी थे.

जीते तो हम सब आज भी हैं,

खुशियां भी खूब मनाते हैं,

हां, हर पल, हर क्षण, घड़ी-घड़ी,

बस कमी तुम्हारी पाते हैं.

लो एक बरस भी बीत गया,

वैसा सब है जैसा था तब,

दिल अब तक मान नहीं पाया,

तुम साथ हमारे नहीं हो अब.

लगता है फिर किसी कोने से,

आवाज तुम्हारी आयेगी,

और मुस्कान भरी वो प्यारी छवि,

बरबस ही हमें दिख जायेगी.

कई बार हुआ यूं अनायास,

ये हाथ मेरे उठ जाते हैं,

तुमको आलिंगन में भरने को,

मन अंतस तड़पाते हैं.

फिर याद आ जाता है अवसान,

वो क्रूर विधाता का विधान,

संसार को एक सराय मान,

जो आया है वो जायेगा...

पर दिल आज भी

मान न पाता है.

-------------

मेरी मां

अल्पना हर्ष

clip_image004

मेरी मां

थकी थकी सी

हारी सी

अपने आप से

लड़ती

जुगत लगाती

रिश्ते संभालने की

मेरी मां

हैरान सी

परेशान सी

अपनापन ढूंढ़ती

गैरों में

मेरी मां

इन्तजार करती

राह तकती

सोचती कि

कोई तो आयेगा

और कहेगा

कि मां तू

अकेली नहीं

मैं तेरे साथ हूं

निराशा पर भी

आशा की उम्मीद

ले के बैठी

मेरी मां

बेटे की आहट पर

खुश होती

मेरी मां

सम्पर्कः पत्नी डॉ. मनोज हर्ष,

डी-599, हर्ष निवास, एमडीवी नगर,

बीकानेर-334001 (राजस्थान)

--------

 

दो गजलें

अहमद जफर

प्यार की रंगत मैंने देखी, दर्द की रंगत देखे कौन

प्यार का गीत सुना है सबने, धुन थी कैसी सोचे कौन

धूप ने तन-मन फूंक दिया तो साये में आ बैठा था

शाख-शाख में आग छिपी है, पेड़ के नीचे बैठे कौन

अपने दर्द को गर्द समझकर मंजिल-मंजिल छोड़ दिया

आईने पर धूल जमी है, आईने में देखे कौन

अंग-अंग से रंग-रंग के फूल बरसते देखे हैं

रंग-रंग से शोले बरसे, कैसे बरसे, सोचे कौन

मेरे कोट का मैला कॉलर और नुमायां1 होता है

पागल सजधज रखने वाले, तेरे सामने बैठे कौन

1. स्पष्ट

ताबिश देहलवी

3.

4. धूम मचायें, सब्बा रौंदें, फूलों को पामाल1 करें

5. जोशे-ए-जुनूं2 का ये आलम है, अब क्या अपना हाल करें

6. जान से बढ़कर दिल है प्यारा, दिल से जियादा जान अजीज

7. दर्द-ए-मोहब्बत का इक तोहफा किस-किस को इर्साल3 करें

8. रूह की एक-इक चोट उभारें दिल का एक-इक जख्म दिखाएं

9. हम से हो तो नुमायां4 क्या-क्या अपने खदूद-ओ-खाल5 करें

10. कर्ज भला क्या देगा कोई भीक भी मिलनी मुश्किल है

11. नादारों6 की इस बस्ती में किस से जाके सवाल करें

12. इर इक दर्द को अपना जाने, इर इक गम को अपनाएं

13. ख्वाह7 किसी की दौलत-ए-गम8 हो दिल का मालामाल करें

14.

15. 1.पद दलित 2. उन्माद का आवेग, 3. प्रेषण, 4. स्पष्ट, 5. कपोल और दिल, 6. निर्धनों, 7. चाहे, 8. कष्ट की सम्पत्ति

 

केशव शरण की दो कवितायें

तब तक

रात का कंबल

उतार फेंकता हूं

जरा रेल की सीटी सुनायी तो दे

जरा चिड़िया तो बोले

फिर पांव जमीन पर टेकता हूं

रोजमर्रा की जिंदगी को देखता हूं

तब तक...

कुछ आलस का आनंद भी हो ले

तब तक...

कुछ उजाला भी हो जायेगा

 

प्रश्न यहां है

वह मुझे अपना समझता है

और सब जानते भी हैं

इसलिए वह मेरा पक्ष नहीं लेगा

नहीं बनेगा पक्षपाती दुनिया की नजर में,

यहां वह नैतिक था

पूरी दृढ़ता से

आज उसे आदेश हुआ है

मुझ पर तीर छोड़ने का

और तीर उसने छोड़ दिया

नैतिकता न छोड़ी किंचित

ऐसी नैतिकता लिये वह खड़ा कहां है

प्रश्न यहां है?

सम्पर्कः एस 2/564 सिकरौल, वाराणासी-221001

 

 

गजल

हरदीप ‘बिरदी’

सीखे नहीं सबक भी किसी दास्तां से हम

आगे कभी न बढ़ सके अपने निशां से हम

तू एक बार हमको लगाता तो इक सदा

आ जाते लौट कर भी किसी आसमां से हम

दुनिया के साथ चलके वो आगे निकल गये

लिपटे हुए हैं आज भी अपने मकां से हम

मांगा जो उसने हमने वो वादा तो कर दिया

सोचा नहीं निभायेंगे इसको कहां से हम

ईमां भी बेच दूं मैं मगर यह तो सोचिये

जायेंगे खाली हाथ ही इक दिन जहां से हम

अपना पता है हमको न अपनी कोई खबर

गुजरे ये राहे-इश्क में कैसे मकां से हम

कहने को उनके साथ में ‘बिरदी’ जी चल रहे

गुजरे कदम-कदम पे किसी इम्तिहां से हम

सम्पर्कः म. सं. 6826, स्ट्रीट 10, न्यू जनता नगर, दाबा रोड, लुधियाना (पंजाब)

----

 

अकेली उदास मां

रमा शर्मा

clip_image006

एक टूटी दीवार

जिसके साये में

बीता बचपन

एक सूखा हुआ पेड़

जिसकी घनी छाया में

प्यारे खेल खेले

एक मुरझाया हुआ फूल

जिसकी खूशबू से

महका जीवन सारा

एक लंगड़ा घोड़ा

जिसने सिखाया

जिंदगी की दौड़ जीतना

खांसी की बेसुरी आवाजें

जिसकी मीठी बोली ने

सुनाई कितनी लोरियां

कांपती लड़खड़ाती टांगें

जिनके सहारे ने

कदमों को चलना सिखाया

दवाइयों की दुकान

जो थी कभी

ताकत की दवाई

क्या कभी सोचा है

अगर वो दीवार न होती

अगर वो पेड़ न होता

अगर वो फूल न होता

अगर वो घोड़ा न होता

अगर वो ताकत की दवा न होती

कैसे बड़े होते

कैसे सपने देखते

कैसे खिलता जीवन सारा

कैसे जिंदगी की दौड़ जीतते

लेकिन ये सब करने वाली कौन है

वो है हमारी बूढ़ी मां...

लेकिन आज वो

इतनी अकेली क्यों

इतनी उदास क्यों

इतनी बीमार क्यों

इतनी उपेक्षित क्यों

सिर्फ एक दिन ही

मां के लिये क्यों?

सम्पर्कः प्रधान सम्पादक,

हिन्दी की गूंज अंतराष्ट्रीय ई पत्रिका,

जीएच 13/34, पश्चिम विहार,

नई दिल्ली

ईमेल - editor.hindikigoonj@gmail.com

--------

मां...

अनिता सिंह राज

कभी गुनगुनाती सुबह होती है,

कभी सुरों में ढलती शाम बन जाती है,

ममता की ठंडी छांव बनकर,

नग में बिखेरती कभी

शबनमी चांदनी बन जाती.

कभी दर्द छलकाती रागिनी,

कभी बेबसी की खामोश कहानी

मां वो पाकीजा इबादत है,

जो खुशियों का मंजर समेटे,

हसरत का जहां लिए,

जन्नत का सुकून

दे जाती है मां

सम्पर्कः जमशेदपुर, (झारखण्ड)

---------

 

तरुण कुमार सोनी ‘तन्वीर’

clip_image008

1. कर्जदार हैं हम...

कर्जदार हैं हम

उसके

जिसने हमारा सर्जन किया

जिसके गर्भ में

अज्ञातवास लिया था हमनें

नौ माह तक

जिसने हमें जन्म दिया

कर्जदार हैं हम उसके,

उसकी निश्चल ममता के

जिसने अपने आंचल तले

हमें नया संसार दिया

कर्जदार हैं हम उसके

दौड़ रहा है जिसका दूध

हमारे जिस्म में

लहू बन कर खौल रहा है

जो हमने

उसकी छाती से पिया था

कर्जदार हैं हम

उस मां के

जिसने अनगिनत पीड़ाएं

सह कर भी

हमें जीवन दिया

और असीमित स्नेह का

ममता मयी स्रोत

न्यौछावर किया

कर्जदार हैं हम उसके!

 

2. ममता

एक नन्हीं चिडिया

उडना चाहती है

उन्मुक्त आकाश में

अपने ही परों से

दुनिया नापना चाहती है.

पर बेबस

उसे उड़ने नहीं देती

वो बड़ी चिड़िया

ममता की खातिर,

शंका है

उसके मन में

कही कोई कुत्ता या बिल्ली

नन्हीं चिङिया पर

घात न लगा दे.

 

3. मां

आंचल तले जिसके

नव-सर्जन है,

प्रेम जिसमें

निश्छल है.

हंसी-खुशी-अपनत्व

और जीवन के हर

सुख-दुःख में

जो सम्बल है.

जग में जिसका अस्तित्व

सर्वस्व है

ईश्वर की वो

अनमोल कृति

ही मां है...

 

4. ममता की प्यासी आँखें

जब से छोड़ गयी है मां!

तब से

टुकुर-टुकुर निहारती हैं

हर आने जाने वाले को

ममता की प्यासी आंखें.

जब भी कोई मां!

गोद में लिए निकलती है

अपने लाल को

तब देख उन्हें

अश्रुओं से तर हो जाती हैं

ममता की प्यासी आंखें.

इन प्यासी आंखों में बसी है

एक ही सूरत

‘मां’ की.

किन्तु ये नहीं जानती है

कौन है?

कहां है इनकी मां?

क्योंकि!

खोली हैं जब से

उसने अपनी नन्हीं आंखें

तब से

खड़ा पाया है खुद

अनाथालय के उसी झरोखें में

जहां भटकती हैं,

अश्रुओं से तर रहती हैं

ऐसी अनगिनत

ममता की प्यासी आंखें!!!

सम्पर्कः द्वारा धर्मवीर जी सोनी,

जुगनू टेलर्स, सदर बाजार, जैतारण (जिला-पाली) राजस्थान, पिन-306302

 

-----------

 

मैं मां बन गई!

डॉ. सुचिन्ता कुमारी ‘आनन्द’

clip_image010

मां!

मैं मां बन गई

जब मिला प्रेम का अनंत सौभाग (सौभाग्य)

और खिला गोद में पुलकित भाग (भाग्य)

तब समझ आई ये बात..

तुमने दी मुझे जीवन की सौगात.

मां!

मैं मां बन गई.

जब आंचल से बही आज श्वेत धार,

नए कोंपल को मिल गया उसका आधार,

तब समझ आई ये बात,

दिया तुमने मुझे स्वछन्द

अमृतरूपी संसार..

मां!

मैं मां बन गई.

जब नन्हे हाथों का छुअन,

हृद्धय में भरता अद्भुत स्पन्दन,

नित किलकारी और क्रन्दन,

जीवन में हर्ष का गुंजन,

तब समझ आई ये बात...

सदैव तेरी पलकों के ओट

क्यों करते थे उल्लास का अभिनंदन.

मां!

मैं मां बन गई.

जब हर परिस्थिति में डटकर

रही बनकर उसकी ढाल,

प्यार, स्नेह, ममता को कर

न्यौछावर हुई निहाल,

तब समझ आई ये बात...

सदैव स्वयं को सूना रखकर

अगाध प्रेम को क्यों रखा था संभाल..

मां!

मैं मां बन गई.

जब गलतियों को क्षमा,

नादानी को माफी देना सीखा,

स्वयं रुदनकर, नित पौधे को

अनुभव से सींचा,

तब समझ आई ये बात...

तेरी चंचल आंखों में क्यों

अनायास आती लालिमा की रेखा...

मां!

मैं मां बन गई.

जब बढ़ा या मेरा मान-अभिमान,

गौरव दिया वंश को,

निढाल हुई मैं अंक में

लेकर अपने अंश को,

तब समझ आई ये बात...

क्यों रो पड़ी थी तुम मेरी

उपलब्धि पर भरकर अंक को..

मां!

मैं मां बन गई.

आज हृदय से नत मस्तक

करूं तुम्हें प्रणाम!

देह का कण कण समर्पित तेरे नाम

मां तुझे सलाम!

मां तुझे सलाम!

सम्पर्कः पटेल नगर, रोड नम्बर-8

निट के सामने, हटिया रांची (झारखण्ड) पिन-834003

ईमेल-suchinta1608@gmail-com

----------

 

मां प्रेरणा देती है

सीमा शाहजी

clip_image012

रसोई में चूल्हे पर

रोटियां सेंकती

मेरी मां का

लाल लाल चेहरा

मुझे साहस

मेहनत, और

विश्वास देता है.

अंधेरों में

टिमटिमाती ढिबरियों में

मेरी मां की

चमकती दो आंखें

टपरियों (झोंपड़ी) में

आने वाले

तूफानों के

आघात व्यवघात से

भयमुक्त होने का

मुझे आश्वासन देती हैं.

कुत्ते भौंकते हैं

बिल्लियां लड़ती हैं

ताले टूटते हैं

चीखें हवाओं में तैरती हैं

नदियां लाल होती हैं

आकाश फटता है

धरती रोती है

मेरी मां के चौकन्ने कान

हरदम मुझे चौकस

कर देते हैं.

हृदय के अन्तःस्थल पर

मेरे बचपन के डर को

जब वह

कस कर दबोच लेती है

स्नेह का बहता अमृत

एक पुष्ट होता संस्कार

मुझे चमकते भविष्य का

आभास देता है

परिवार के किनारों को

सुघड़ता से संवारते

मेरी मां के सधे हुये

ठोस हाथ

उसकी कसी हुई मुट्ठियां

उत्ताल तरंगों में

कुछ न कुछ

करने की तमन्ना

मुझे विराट सत्य से

स्थापित होने के

तादात्म्य को

सायास देते हैं

प्रेरणा

अद्भुत प्रेरणा!!

सम्पर्कः 325, महात्मा गांधी मार्ग, थांदला

जिला-झाबुआ (म.प्र.) 257777

ईमेलः seemashahji07@gmail-com

----

 

ममता बनर्जी

मदर्स डे

मां आज ‘मदर्स डे’ है,

चलो आज तुम्हें मन्दिर लेकर चलता हूं...

अरे! तुम्हें तो तेज बुखार है!

अभी डॉक्टर बुलाता हूं मैं.

तुम तब तक चुपचाप यूं ही लेटी रहो.

मां, आंखें खोलो...?

आंखें खोलो न मां...

अपनी आंखें क्यों नहीं खोल रही हो तुम?

मां, पानी पियो न दो घूंट.

मां...मां...मत जाओ मुझे छोड़ कर मां.

मां...मां...मां...मां...!!

--

 

ना जाने कब

अनिता सिंह राज

clip_image014

आहिस्ता आहिस्ता

ना जाने कब

एक ख्वाब

मेरी पलकों पर छाया

और चुपके से

दिल के आंगन में

उतर आया

धड़कन ने हौले से

जब दिल पर दस्तक दी

तो बन्द आंखों में

एक अक्स उभर आया

सुबह हुई, आंखें खुलीं

तो वो ख्वाब

हकीकत में नजर आया

जिसके अहसास से

हर सुबह

खुशबुओं से भर उठी

हर शाम

मदहोशी में खो गई

आहिस्ता आहिस्ता

ना जाने कब

वो ख्वाब

मेरा हमसाया हो गया

मेरी जिन्दगी में प्यार भरा

नजराना हो गया....

आहिस्ता आहिस्ता...

सम्पर्कः जमशेदपुर, (झारखण्ड)

-------

 

मां के हाथ

मोना पाल

clip_image016

जो रहते हरदम साथ हैं वो मेरी मां के हाथ हैं

जो करते दुआओं की बरसात दिन-रात हैं,

वो मेरी मां के हाथ हैं

जो सुख-दुःख की हर घड़ी में,

हिम्मत बन देते साथ हैं

वो मेरी मां के हाथ हैं

मेरी हर गल्ती को जो क्षमा कर,

करते प्यार की बरसात हैं,

वो मेरी मां के हाथ हैं

जिनको दिखते हैं, उन्हें कद्र नहीं,

जब किसी को दिख जायें,

उनके लिये ये जन्मों-जन्मों की सौगात हैं,

वो मेरी मां के हाथ हैं

भगवान ने तो केवल हमें जन्म दिया

पर जो जीवन में हमें निरन्तर चलना सिखाते,

वो मेरी मां के हाथ हैं.

वैसे तो हमारा भाग्य विधाता भगवान है,

पर अपनी सन्तान को

संघर्षों से जूझ कर

जो फर्श से अर्श पर बिठाते,

वो मेरी मां के हाथ हैं.

भगवान को मैंने देखा नहीं,

ना ही भगवान के हाथ को देखा है

मैं कितनी किस्मत वाली हूं,

मेरे हाथ में मां की रेखा है,

मां तो एक फरिश्ता है,

इसके जैसा ना कोई रिश्ता है,

भगवान भी जिसे पाने के लिये,

खुद धरती पर आते हैं,

वो मेरी मां के हाथ हैं.

सम्पर्कः एसिस्टैंट लाइब्रेरियन, ए.सी. जोशी लाइब्रेरी

पंजाब यूनीवर्सिटी, चण्डीगढ़

House No: 1733, Sector:&33&D, Chandigarh

---

 

व्यंग्यिकाएं

अविनाश ‘ब्यौहार’

1. किस्मत

वे,

अपने क्षेत्र में

छा गये!

चपलूसी की

बदौलत मंत्री

पद पा गये!

उनकी किस्मत

जग गई!

किसी ने

कटाक्ष किया-

अन्धे के हांथ

बटेर लग गई!!

 

2. कथनी-करनी

नेता जी

स्वदेशी चीजें

अपनाने को

जनता से

कहते हैं!

और खुद

साल में

छः महीने

विदेशी दौरे

पर रहते हैं!

मैंने कहा-

यह तो

अन्धेर है!

आधा तीतर

आधा बटेर है!!

 

3. चमचागिरी

वे पहाड़

क्या ठेलेंगे

उनमें राई

बराबर भी

नहीं है बूता!

लेकिन,

चमचागिरी की

बदौलत उन्हें

नेता जी से

वरदान में मिला

चांदी का जूता!!

 

4. संकट

एक आदमी

आधी रात को

जरूरी काम से

कहीं जा रहा था!

सामने से

पुलिस का अमला

आ रहा था!!

चौराहे पर

थानेदार ने

उसे रोका!

पुलसिया अंदाज

में उसे टोका!!

इतनी रात गये

कहां जा रहा है!

क्या चोरी,

डकैती,

राहजनी की योजना

बना रहा है!!

तो वर्दी के रौब

और पुलिस के

खौफ से वह

आदमी थर-थर

कांपने लगा!

और उस

संकट से

उबरने के लिये

वह मन ही मन

हनुमान चालीसा

बांधने लगा!!

संपर्कः 86, रॉयल एस्टेट कालोनी, माढ़ोताल, कटंगी रोड, जबलपुर-482002

----

 

याद

शगुन अग्रवाल

बारिश के पड़ते ही जैसे

फूट पड़ती है धरती में

छुपी सोंधी खुशबू

जैसे बस जाती है

भुनते हुए आटे की महक,

घर के हर कोने में

जैसे भर देती है आह्लाद से

सूने बंजर मन को

खुश होते, मचलते बच्चे की किलकारी

जैसे सज जाती है दुल्हन

सपनों के सजीलेपन से

मिलती है राहत कॉफी के पहले घूंट से

सर्दी और थकन से ठिठुराये शरीर को

गर्मी से झुलसे तन-मन को

जैसे हहरा देता है

सड़क किनारे लगा कोई दरख्त

वैसे ही तुम्हारी याद कभी खुशबू,

कभी सपना कभी बादल

कभी किलकारी तो कभी दरख्त

कभी इन्द्रधनुष बनकर

मेरे बदरंग होते, बुझते, झुलसते

मन पर बिखेर देती है तमाम रंग,

और आवेगों के नर्म, गुनगुने एहसास...

साथ

कभी कभी किसी के साथ

हम इतने सहज होते हैं

जितना सहज होता है

पानी का धरती में समा जाना

किरकिरी पड़ने पर

आंख का झपक जाना...

 

सम्पर्कः (असोसिएट प्रोफेसर)

5 अनुपम अपार्टमेंट, वसुंधरा एन्क्लेव, दिल्ली-110096

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: प्राची - जून 2016 / कविताएँ
प्राची - जून 2016 / कविताएँ
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjG-6-ZiJekGMD56WDDCWX2jKJ03Xbl-K3vYHMA6z1-c0Ar_oSYaVWhD_XRHvdrt8ijZuEVM8PBImLYFNxQlDxLZtawaGBQryMPDCHOjFIkcFiaKtE5EgybfbVXPXuDPIRALc8l/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjG-6-ZiJekGMD56WDDCWX2jKJ03Xbl-K3vYHMA6z1-c0Ar_oSYaVWhD_XRHvdrt8ijZuEVM8PBImLYFNxQlDxLZtawaGBQryMPDCHOjFIkcFiaKtE5EgybfbVXPXuDPIRALc8l/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/06/2016_11.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/06/2016_11.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content