नियंत्रण जिन रातों में हमने उत्सव मनाये फिर उसी रात को देखकर हम डर गए जीवन संचारित होता है जहां से अपार प्रफुल्लता लाते हुए जब असंचालित हो...
नियंत्रण
जिन रातों में हमने उत्सव मनाये
फिर उसी रात को देखकर हम डर गए
जीवन संचारित होता है जहां से
अपार प्रफुल्लता लाते हुए
जब असंचालित हो जाता है
कच्चे अनुभवों के छोर से
ये विपत्तियां हीं तो हैं।
कमरे के भीतर गमलों में
ढेरों फूल कभी नहीं आयेंगे
एक दिन मिट्टी ही खा जाएगी
उनकी सड़ी-गली डालियां।
बहादुर योद्धा तलवार से नहीं
अपने पराक्रम से जीतते हैं
और बिना तलवार के भी
वे उतने ही पराक्रमी हैं।
सारे नियंत्रण को ताकत चाहिए
और वो मैं ढूंढ़ता हूं अपने आप में
कहां है वो? कैसे उसे संचालित करूं?
कभी हार नहीं मानता किसी का भी जीवन
वह उसे बचाये रखने के लिए पूरे प्रयत्न करता है
और मैं अपनी ताकत के सारे स्रोत ढूंढक़र
फिर से बलिष्ठ हो जाता हूं।
कीड़े
जब कीड़े घुस जाएं फल में
क्षीण हो जाता है उसका मूल्य
और जो मूल्यहीन है
फेंक दिया जाता है बाजार में।
हमने देर लगा दी
नष्ट होते हुए को देखने में
नाव में कब सुराख हुआ
मालूम ही नहीं पड़ा।
अपनी चलनी को बचाकर रखना है
तभी घुलेगी आटे की मिठास जीभ पर
जख्म हुए तो पांव में वेदना की चुभन
और निहायत जरूरी है
लोहे के बक्से तक को मजबूत रखना
मधुमक्खी अपने डंक लेकर हमेशा सावधान है
सावधान है वह भीड़
जो बार-बार तालियां बजा रही
लेकिन उतने सावधान नहीं
इसे सुनने वाले लोग
कीड़े अपना स्वभाव कभी नहीं छोड़ेंगे।
नफरत
फंसने के बाद जाल में
कितना ही छटपटा ले पक्षी
उसकी परेशानी हमेशा बनी रहेगी
और उड़ान छीन लेने वाले हाथों से
प्राप्त हुआ भोजन भी स्वीकार करना होगा।
जिसने हमें जल पिलाया
भूल जाते हैं हम उसके दिए सारे क्लेश
और जो सबसे मूल्यवान क्षण हैं खुशियों के
वे हमेशा हमारे भीतर हैं
बस हमें लाना है उन्हें
कोयल की आवाज की तरह होंठों पर।
जल की शांति हमें अच्छी लगती है,
जब बहुत सारी चीजें प्रतिबिम्बित हो जाती हैं उसमें तब
लहरें नफरत करती हुई आगे बढ़ती हैं,
किनारे पर आकर टूट जाता है उनका दम्भ।
धीरे-धीरे सब कुछ शांत
चुपचाप जलती मोमबत्ती में
मेरे अक्षर हैं इस वक्त कितने सुरक्षित।
तुम्हारा संगीत
कितने सारे पहाड़ देख लिए मैंने
कितनी ही नदियां
और संगीत बड़े-बड़े वादकों का
फिर भी सुनता हूं जब
तुम्हारी ढोलक की थपथपाती मधुर आवाज
लगता है जैसे मैं जाग गया,
जाग गया हो चंद्रमा
इसके दोनों छोर के हिलने से।
सिर्फ मैं नहीं सुन रहा हूं इस आवाज को
सभी सुन रहे हैं इस आवाज को
जहां तक जाती होगी यह
सभी के कान तुम्हारी तरफ
जैसे तुम उनमें एक शक्ति का संचार कर रहे हो
भर रहे हो धडक़न धीमी-धीमी
पारे के आगे बढऩे जैसी।
तुम बार-बार बजाओ
मैं निकलता जा रहा हूं दूर तुमसे
पूरी तरह ओझल
फिर भी तुम्हारे स्वर मुझे थपथपा रहे
जाग्रत कर रहे हैं मुझे अब तक।
हाथ
सभी संसर्ग जुड़ नहीं पाते
अगर ऐसा हो तो फिर ये अंगुलियां
अपना काम कैसे करेंगी।
मैं कभी-कभी मोहित हो जाता हूं
आटा गूंधने की कला पर
जब सब कुछ एक साथ हो जाता है
जैसे सब कुछ एक में मिल गया हो
लेकिन आग उन्हें फिर से अलग करती है
हर रोटी का अपना स्वरूप
प्रत्येक के लिए अलग-अलग स्वाद।
मैं अजनबी नहीं हूं किसी से
जिससे थोड़ी सी बात की वे मित्र हो गए
और मित्रता अपने आप खींच लेती है सबों को
दो हाथ टकराते हैं जीत के बाद
दोनों का अपना बल
और सब कुछ खुशी में परिवर्तित हो जाता है
आवरण
अचानक कोई जाग जाएगा
और देखेगा जो उसने खोया था
पा लिया है
और हर पायी हुई चीज को
रखना पड़ता है सुरक्षित अपने पास ही
और संचय पुराने होते जाते हैं
समय उन्हें ढकते चला जाता है
आवरण पर आवरण
और जीवन के आवरणों से ढकी हुई चीजों से
किसी बहुमूल्य को निकाल लेता हूं एक दिन
सारी सफाई के बाद एक उत्तम खनिज
जीवन के किस रस में ढालना है इसे
अब यह हमारी बारी है।
जो मिला है मुझे
उपदेश कभी खत्म नहीं होंगे
वे दीवारों से जड़े हुए
मुझे हमेशा निहारते रहेंगे,
जब मुझमें अपने को बदलने की जरूरत थी
उस वक्त उन्हें मैं पढ़ता चला गया
बाकी समय बाकी चीजों के पीछे भागता रहा,
अत्यधिक प्रयत्न करने के बाद भी
थकता नहीं हूं
कुछ न कुछ हासिल करने की चाह।
जो मिला है मुझे
जिससे सम्मानित महसूस करता हूं
गिरा देता हूं सारी चीजों को एक दिन
अपने दर्पण में फिर से अपनी शक्ल देखता हूं
बस इतना काफी नहीं है
इन बिखरी चीजों को भी सजा कर रखना है
वे सुन्दर-सुन्दर किताबें
वे यश की प्राप्ति के प्रतीक
कल सभी के लिए होंगे
और मैं अकेला नहीं हूं कभी भी।
बच्चे
बच्चे लाइन में चलना नहीं चाहते
बच्चे नहीं जानते यह सुरक्षा का नियम है
बच्चे लाइनें तोड़ देते हैं
वे खेलना चाहते हैं मनपसंद बच्चों के साथ।
बच्चों के लिए कोई थकान नहीं,
न ही कोई दूरी है
दायरा है दूर-दूर तक देखने का
वे खेलते समय पाठ याद नहीं रखते
भूल जाते हैं पढ़ाई भी कुछ होती है
बच्चे मासूम उगते हुए अंकुर या छोटे से वृक्ष
अभी इतने कच्चे कि हवा से लथ-पथ
इनके चेहरे याद नहीं रहते
जैसे सभी अपने हों और एक जैसे
और उनकी खुशियां समां लेने के लिए
कितना छोटा पड़ जाता है यह भूखंड।
पगडंडी
जहां से सडक़ खत्म होती है
वहां से शुरू होता है
यह संकरा रास्ता
बना है जो कई वर्षों में
पॉंवों की ठोकरें खाने के बाद,
इस पर घास नहीं उगती
न ही होते हैं लैम्पपोस्ट
सिर्फ भरी होती है खुशियॉं
लोगों के घर लौटने की !
यह लालटेन
सभी सोये हुए हैं
केवल जाग रही है
एक छोटी-सी लालटेन
रत्ती भर है प्रकाश जिसका
घर में पड़े अनाज जितना
बचाने के लिए जिसे
पहरा दे रही है यह
रातभर ।
परीक्षाफल
वह बच्चा
पिछड़ा हुआ बच्चा
चील की तरह भागा
अपना परीक्षाफल लेकर
अपनी मॉं के पास
एक बार मॉं बहुत खुश हुई
उसके अच्छे अंक देखकर
फिर तुरंत उदास
किताबें खरीदकर देने के लिए
पैसे नहीं थे उसके पास।
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स्त्री
स्त्री के बिना यह दुनिया सूने घोंसले जैसी लगेगी।
हक
आप अचंभित हो जाते हैं, जब आपके हक को कोई छिनने की कोशिश करता है।
कुल्हाड़ी
दो पेड़ काट लेने के बाद कुल्हाड़ी पूरे जंगल की ओर देखने लगती है।
पक्षी
एक पिंजरे में बंद पक्षी उड़ने के अलावा माता-पिता बनने के सुख से भी वंचित हो जाता है।
परिवार
परिवार के सदस्यों की जरूरतों को गैरजरूरी समझना आपसी कलह की जड़ होती है।
हिम्मत
विवश लोगों के पास सींग तो होते हैं, लेकिन उनसे मारने की हिम्मत नहीं होती।
डर
एक चाबुक का डर नये घोड़े के लिए यह जल्द ही यह तय कर देता है कि उसे गाड़ी को लेकर कितना तेज दौड़ना है।
बल
बड़ा काम करने के लिए हमेशा आपके पास लम्बी दूरी तय करने वाली लहरों जैसा बल होना चाहिए।
घर
अपने घर में आप कहीं पर भी बैठ सकते हैं, जबकि दूसरों के यहाँ सिर्फ कुर्सी पर।
सहनशीलता
औरतों में असीम सहनशीलता होती है, इसलिए वे काँटों पर भी विश्वास कर लेती हैं।
कुव्यवस्था
कुव्यवस्था में जरूरतमंदों को मिलनेवाला लाभ बेईमानों के हक में चला जाता है।
एकता
जब लोगों के बीच साम्प्रदायिक एकता अधिक होती है, बेईमानों के लिए बेईमानी के अवसर कम हो जाते हैं।
जमीन
किसी की जायदाद के रूप में खाली पड़ी जमीन, न किसी को छत दे पाती और न ही फसल।
अकेला
सच हमेशा अकेला होता है क्योंकि धीरे-धीरे सारे लोग झूठ के पक्ष में जा खड़े होते हैं।
दोस्त
दो विरोधियों के घोडे़ भी खाने-पीने और टहलने के समय अच्छे दोस्त बन जाते हैं।
दुःख
बच्चें के रोने पर उसका दुःख सामने आता है और शेर के चिंघाड़ने पर दूसरों का।
दाना
चक्की के पाट में पड़ा हुआ दाना खेत-खलिहान को विस्मृत करता हुआ देहहीन हो जाता है।
जीवन
किसी का भी जीवन कभी स्वतंत्र नहीं होता, कोई न कोई उसे बाँधे होता है।
साँप
इच्छाएँ साँप के सिर की तरह आगे-आगे चलती हैं और शरीर उसके पीछे-पीछे।
रक्षा
रक्षा न हो तो कानून भी टूटी हुई दीवार ही है।
श्रम
गरीब झोपड़ी में रहता है किन्तु उसका श्रम महलों में।
ऊर्जा
जीवन लगातार प्रवाहित हो रही ऊर्जा का ढेर है, कोई इससे लाभ निकालता है तो कोई हानि।
उलझन
पारिवारिक उलझन, काम और आराम दोनों को उलझाती है।
ठोकर
ठोकर खाकर लोग महान् बनते हैं न कि ठोकर देकर।
शिक्षा
उस शिक्षा को हासिल करना जरूरी है जो दूसरों के पास मशाल बन कर जल रही है।
शिक्षा
साधारण मूल्य पर प्राप्त हुई शिक्षा भी समय आने पर अपना असाधारण मूल्य वसूलती है।
नासमझ
नासमझ को समझाना लहरों को शांत कराने जैसा ही दुश्कर है।
मेहनत
सच्ची मेहनत का पसीना जरूर दिखता हे, लेकिन आँसू कभी नहीं।
सैनिक
लड़ रहे सैनिकों की मित्रता वैसी ही होती है जैसी बारिश में असंख्य बूँदों की।
इरादा
एक नन्हा सा इरादा, धीरे-धीरे बड़ा होकर पहाड़ को घेरने लगता है।
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