आम पुराण / डॉ. कामिनी कामायनी

SHARE:

आम पुराण। इस बार उत्तर प्रदेश और बिहार में आम के वृक्ष फल नहीं देने की वजह से लज्जित से खड़े दिखाई पड़ रहे थे, कहीं कोई एक दो पेड़ फला तो फला,...

आम पुराण।

इस बार उत्तर प्रदेश और बिहार में आम के वृक्ष फल नहीं देने की वजह से लज्जित से खड़े दिखाई पड़ रहे थे, कहीं कोई एक दो पेड़ फला तो फला, मगर वह भी गदराया सा नहीं । किसानों में, बागीचे के मालिकों में गहरी उदासी देखकर, मन ने कहा, कोई बात नहीं, इस साल नहीं तो अगले साल, हमें कैसे भूल जाएगा हमारा, प्यारा आम, जिस पर हमें बहुत नाज़ है । हमें वे वक्त याद आए,जब

एक जमाने में अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश ने अपनी भारत यात्रा में आम का नाम लेकर कोयल की सुरीली तान की भांति आम पर चर्चा कर भारतीय जनता को हर्षोल्लास से भर दिया था । हमारे पास रसीले आम हैं, महसूस कर सभी झूम उठे ।

इस पर गहन अध्ययन के लिए कोश, किताब छानने के  पश्चात हमने पाया, बहुत सी मीठी, बिना गुठली की जानकारी, जो प्रस्तुत है –

वृहत हिन्दी कोश के मुताबिक, इसका अर्थ है, एक प्रसिद्ध फल, जिसे आम्र या रसाल भी कहा जाता है ।यह पुल्लिंग है और इसका बोट्निकल नाम है मेंजीफेरा इंडिका ॥ बाली{ इन्डोनेशिया } में इसे मांगुस्तीन कहते हैं ।

आम का विशिष्ठ अर्थ भी है, जैसे, आम खास, दीवाने आम, जहां बादशाह जनता के बीच बैठते थे, आम दरबार –खुला दरबार, जिसमें सभी लोग जा सके । आम फहम –जो सबकी समझ में आ सके । आम रास्ता, आम राय, आम लोग, आदि आदि । मगर चर्चा यहाँ सिर्फ रसाल पर है ।

आम हमारी सभ्यता और संस्कृति का भी प्रतीक है । हमारे यहाँ शादी ब्याह में आम्र वृक्ष की पूजा की जाती है । पूजा के समय कलश में आम्र पल्लव रखना अत्यंत शुभ माना जाता है । हवन ।यज्ञ में सूखी लकड़ियों का प्रयोग होता है ।

ऐसा भी कहा जाता है कि तुलसीदास ने जिस भूत की सिद्धि कीथी, वह आम के पेड़ पर ही रहता था ।

भारतीय साहित्य में इस पेड़ को काफी लोक प्रियता प्राप्त है ।अमराईयों में झूले डालकर झूलती नायिकाओं के नयनाभिराम रूप और मनोहारी किस्से से संस्कृत साहित्य समृद्ध है ।लोकगीतों में भी इसकी महिमा कम नहीं है ।

“अमुआ के डाली पे बैठी कोयलिया” किसी भी व्यक्ति को, उसके ग्राम्य जीवन, उसके परिवेश की याद दिलाने के लिए जब मधुर स्वर से कूकती है, तब मन आत्मविभोर हो जाता है ।उसे प्रकृति की यह दूती अपनी सखी सहचरी मालूम पड़ती है ।‘ अमुआ तले डोला रख दे मुसाफिर’ विदा होकर ससुराल जाती बेटियों की विरह वेदना कितनों की आँखों को अश्रुपूरित कर देती है ।

आम प्रतीकात्मक स्वरूप है जिंदगी के बदलते स्वरूप का भी, कभी खट्टा, कभी मीठा ।

आम के अनेक किस्में हैं, लंगड़ा, चौसा, तोतापरी,मालदह, कृष्ण भोग, दस हरी, बंबईया, कल्कतिया,सुपारी, सिंदूरी, अल्फ़ान्सो दक्षिण भारतीय आदि । अल्फ़ान्सो अपनी उत्तम स्वाद के वजह से देश विदेश में प्रथम स्थान बनाए हुए है ।

आम खाने का एक विशेष अंदाज भी है, जिसे देवगौड़ा जी के शासन काल में तत्कालीन बिहार नरेश लालूजी ने उन्हें बिहारी तरीके से पत्रकारों की उपस्थिति में,पानी से भरे बाल्टी से निकाल, पूरा  आम खाकर सिखाया था ।

आम एक विशिष्ट तोहफा भी है । बेटी का ससुराल हो या बेटा का समधियाना, मुखिया जी का घर हो या मंत्री जी का, कलक्टर हो या कमिश्नर ;सजी हुई बड़ी सी आम की टोकरी बड़े बड़े लंका पार कर देती है । जटिल से जटिल ननद, क्रूर से क्रूर अफसर और घाघ से घाघ समाज सेवक भी आम का सौगात पचाते पचाते रसीले हो जाते हैं ।

अगर उलाहने भी आए, हुंह,कैसे आम भेजे ? खट्टे थे । “कोई बात नहीं अबकी बार और भी गुणवत्ता वाली दो टोकरी और भेज देंगे”।

बात खतम ।

राजनैतिक गलियारों में इसका अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है । बहुत साल पहले जब पाकिस्तानी राष्ट्रपति भारत आए थे तो इस मधुरिम फल को साथ लेकर आए थे, ताकि मीठे मुंह और मूड के साथ गंभीर वार्ता कामयाब हो सके ।

आम भले ग्रीष्म ऋतु का फल है, मगर आज के इस वैज्ञानिक युग में किसी न किसी विधि से इसे सालों भर खाया जा सकता है ।यही कारण है कि जार्ज बुश को फरवरी माह में ही इससे तैयार डिश खाने को मिला और वे इसके स्वाद के दीवाने हो कर अमेरिका एक्सपोर्ट करने का वादा करवा लिया । पहले का प्रतिबंध जो पेस्टिसाईड वगैरह से था, एक ही बार के स्वादिष्ट कौर से निरस्त कर दिया गया ।

वैसे आम का निर्यात आम आदमी के लिए भीषण कष्टप्रद रहा है । इस स्वार्गिक, मधुमय, रसमय स्वाद से उन्हें वंचित रख, वाणिज्यिक सभ्यता में, विश्व व्यापार को बढ़ावा देकर डालर के प्रेमी, आम का आम और गुठली का दाम सोचते सोचते, सहस्त्रो सिर वाले राक्षस हो जाते हैं । ऐसा ही एक किस्सा बहुत साल पहले बिहार प्रदेश का आया था, जब अमराईयों से प्रत्यक्ष रूप से आम अदृश्य होने लगा था ।ऐसी बात नहीं थी कि पेड़ हड़ताल पर थे या गंगा की उर्वर भूमि बांझ हो गई हो ।एक साल कम, दूसरे साल ज्यादा फसल हमेशा तैयार होती रही, मगर बहुत ही ऊंचे दामों पर उसे महानगरों में भेज दिए जाते थे । कुछ साल बाद फिर पता चला, इस बार आम बहुत सस्ता हो गया ।[अफवाह था या सच पता नहीं ], तत्कालीन बिहार सरकार ने आम बाहर भेजने पर प्रतिबंध लगा रखा था । आम गरीब अमीर सबको खाने का मौका मिलना चाहिए ।

आम के स्वाद के साथ साथ इसे पौष्टिकता का भरपूर खज़ाना भी माना जाता है ।इसमें बहुत सारे विटमीन्स, आदि पाए जाते हैं । आम पापड़ खाने वाले लोग कहते नहीं अघाते हैं कि इसे रात भर पानी में भिंगोकर, सुबह मथ कर खाने से पेट की अन्य तकलीफ़ों के साथ एमिओबाइसिस नामक बीमारी भी ठीक हो जाती है । कच्चे आम का पना भीषण गर्मी की ताप से बचाता है ।

वैसे देखा जाए तो इसमें सब कुछ है, रंग, रूप, गंध, रस, गुण ।इसकी भीनी भीनी खुशबू दूर से ही मस्तिष्क के तंतुओं को सचेत कर देती है कि सावधान यहीं कहीं छुपा है फलों का राजा आम । आम सिर्फ आम नहीं, यह लाखों लोगों को आजीविका प्रदान करता है ।इतनी बड़ी कंपनी माजा, मैंगो फ्रूटी, आम के बल पर ही सिर उठाए करोड़ों का व्यवसाय कर रहा है ।

वैसे इतिहास देखा जाए तो इस पर बुश ही नहीं, अतीत के अनेक राजे महाराजे, अमीर उमरा, न्योछावर होते आए हैं । प्राचीन और मध्य काल में ऐसे अनेक दृष्टांत हैं, जब आम के दीवाने ख़ास बादशाहों ने दूर दूर से इसकी उन्न्त प्रजाति मँगवा कर अपना निजी बगीचा लगवाया । कई जगह का नाम भी आम के वजह से पड़ा, आम बाग, अमरोहा, अमरावती, आदि ।लिच्छवि गणतन्त्र की प्रसिद्ध वैशाली की नगरवधू, आम्रपाली का नाम भी, उस नवजात बच्ची का आम के पेड़ के नीचे पड़े होने के कारण हुआ ।

· अतीत वर्तमान, भविष्य सब कुछ इसका स्वर्णमयी है । भारतीयों के दिल दिमाग पर आधिपत्य स्थापित करने के साथ साथ विदेशियों पर भी इसने अपना असर दिखाए  हैं । प्रवासी इसके पौधे, बीज अपने साथ विदेश लेते गए, अपने से जुदा नहीं कर पाए यही हमारी सांस्कृतिक विरासत है, धरोहर है ।

बौद्ध धर्मकी एक कथा है ।शाक्य मुनि गौतम बुद्ध अपने किसी पिछले जनम में राजा महाजनक थे । उन्होंने ज्यादा शिक्षा नहीं ग्रहण किया, मगर अपने महल के बगीचे में लगे एक आम के वृक्ष को हमेशा निहारा  करते थे। एक बार वे अपने हाथी पर सवार होकर, मंत्री दरबारियों सहित कहीं जा रहे थे ।रास्ते में उन्होंने आम का वृक्ष देखा, जो पके पके आमों के भार से लदा,खड़ा था । राजा के मन में इच्छा उत्पन्न हुई, आम खाने की, उनके हाथ में जो डंडा था, उससे मार कर आम तोड़कर खाया, । फिर क्या था, उनके साथ चल रहे लोगों ने डंडा मार कर, फल तोड़े ही, उसकी डालियाँ, पत्ते सब नोच डाले ।शाम को राजा फिर उधर से गुजरे ।उस नष्ट प्रायः वृक्ष को देखकर उन्हें बहुत क्रोध आया । फिर उनकी दृष्टि एक दूसरे आम के पेड़ पर पड़ी ।वह वैसा ही तना शांत, अपने आप में मस्त खड़ा था ।महल में आकार वे रात भर सोचते रहे ।अगर कोई वृक्ष फल नहीं रखता है, तो लोग उसे प्रताड़ित नहीं करते हैं । राजा बनना भी इतना ही कठिन है ।कभी कोई आक्रमण करता है, कभी राज्य का कोई हिस्सा हड़प लेता है । अगर हम फल विहीन पेड़ की तरह बने तो, हमारे पत्ते ।हमारी टहनियाँ सुरक्षित रहेंगी । एक दिन वे राज पाट त्याग कर सन्यासी बन गए । अब उनसे कोई भी पूछता कि आपका गुरु कौन है, तो वे कहते आम का वृक्ष ।

दूसरी ओर हिन्दू धर्म वालों का मानना है “वृक्ष कबहुँ नहीं फल चखे, नदी न पिवे नीर, परमार्थ के कारने साधू धरा शरीर” ।

बात आम से होते होते अध्यात्म पर चली गई जो इसका ध्येय नहीं था । अंत में, हम फिर अपने राष्ट्रीय फल आम का नमन करते हैं ।

डा0 कामिनी कामायनी ॥

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: आम पुराण / डॉ. कामिनी कामायनी
आम पुराण / डॉ. कामिनी कामायनी
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjkIWH8rt9y8TQtidQMpsAayGFSts-dXsP9M5e9sXm24F92pNADHFEiI2Dt7XH4_k2guA2e8R3YHwqx2oKmzHaZEpjDoZQ8i_rwYt7dnLpv6P_7kXL0w7FiJ5pfF6TLk3p5bzQc/?imgmax=200
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjkIWH8rt9y8TQtidQMpsAayGFSts-dXsP9M5e9sXm24F92pNADHFEiI2Dt7XH4_k2guA2e8R3YHwqx2oKmzHaZEpjDoZQ8i_rwYt7dnLpv6P_7kXL0w7FiJ5pfF6TLk3p5bzQc/s72-c/?imgmax=200
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/05/blog-post_454.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/05/blog-post_454.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content