कहानी संग्रह - अपने ही घर में / अब तो वह कुछ भी न थी : पोपटी हीरानंदाणी

SHARE:

कहानी संग्रह - अपने ही घर में / अब तो वह कुछ भी न थी पोपटी हीरानंदाणी उसकी चमड़ी गोरी थी, पर चेहरे पर अनेक झुर्रियां थीं। उसके गोरे गा...

कहानी संग्रह - अपने ही घर में /

अब तो वह कुछ भी न थी

पोपटी हीरानंदाणी

उसकी चमड़ी गोरी थी, पर चेहरे पर अनेक झुर्रियां थीं। उसके गोरे गालों पर लॉली लगी थी, बावजूद इसके उसमें जवानी की वह ताज़गी न थी। उसके होंठ तो बारीक व लाल थे मगर वो किसी को गुलाब की पंखुड़ियों का धोखा न दे पाए।

वह क़द की नाटी थी मगर गोल चेहरा, बड़ी-बड़ी आँखें और अपनी सही जगह पर स्थित नाक यही साबित कर रहा था कि यह खंडहर किसी आलीशान इमारत का ही था।

वह कोलाबा के मुख्य रास्ते से दाईं तरफ़ वाली दुकानों वाली फुटपाथ पर चल रही थी। फ्राक के साथ मैच एड़ी वाली सैंडिल पड़ी थी, जो काफ़ी पुरानी थी। घिसी हुई एड़ियों के कारण वह ऐसे चल रही थी जैसे वह पैरों को नहीं चला रही थी, बल्कि पैर उसे चला रहे थे। पैरों की एड़ियों के ऊपर टांगों के आगे वाले भाग में कुछ-कुछ नीली शिराएं साफ़ नज़र आ रही थीं।

जहां से भी वह गुज़रती थी, नौजवान राज़ भरे अन्दाज़ से मुस्करा देते। पर कोई भी उसमें दिलचस्पी नहीं लेता। उस औरत ने खुद भी महसूस किया कि जवानों के दिलों को आकर्षित करने वाला जादू उसके बदन में अब नहीं रहा। जो बाक़ी था वह भी इस आई हुई बीमारी ने उससे छीनकर उसे निढाल कर दिया। अब वह अपनी उम्र से ज़्यादा बड़ी लग रही थी।

रास्ते के दोनों ओर दुकानें थीं। मुम्बई में आजकल दुकानों के आगे दुकान खुले हुए हैं। फैक्टरी से माल सीधे लाकर अल्लाह की ज़मीन पर धर देते और इसी तरह नौजवान माल बैठकर बेचते। किसी के पास अपना माल है और कोई दूसरों का माल लेकर, रोज़ाना दस बीस लेकर बेच रहे हैं। फैक्टरी के मालिकों को भी फ़ायदा और लोगों को भी सस्ती चीज़ मिल जाती। तीनों को पर्याप्त फ़ायदा और तीनों खुश।

एक बोरी नौजवान बूट व चप्पलों का ढेर आगे रखकर बैठा था। उसने ज़ोर से आवाज़ देकर कहा.‘मासी! इतना पैदल करने के बाद भी कोई ग्राहक नहीं मिला है क्या?’

पास में ही सेब और संतरा बेचनेवाला मराठी जवानी होंठों में ‘फू...फू...’ करते हुए हंस पड़ा। कुछ ही दूरी पर एक और नौजवान रंग-बिरंगी चूड़ियों को वृताकार में सजा रहा था। उसने जॉनी वॉकर जैसी आवाज़ में कहा.‘अरे! इसे भाभी कहकर कैसे बुला सकते हो? देख नहीं रहे, यह गोरी चमड़ी वाली है? अंग्रेजों की औलाद, यह तो आंटी है आंटी।’

आसपास जो भी आए गए उनमें से जिन्होंने अपनी कमज़ोरी को शराफ़त के नक़ाब से ढांप रखा था, वे वहाँ से तेज़ी से चलते गए। पर जो चीज़ें बेचने के लिये बैठे थे वे सभी हंसने लगे...एक ने सर पर से टोपी आगे खिसका कर उसकी आड़ में कहा.‘अंग्रेज भाग गए, अपनी औलाद छोड़ गए।’

‘औलाद? अरे वह तो हरामज़ादी है हरामज़ादी।’ दूसरे ने मुंह में पान डालकर कहा और चने वाले की बग़ल में बैठ गया।

एक दस साल का लड़का था, जिसके हाथ में चने की पुड़िया थी। उसने हरामज़ादी लफ़्ज का अर्थ तो बिल्कुल नहीं समझा पर यह समझ गया कि उस औरत को चिढ़ाया जा सकता है। मस्ती करने के ख़याल से उसने उस औरत की स्कर्ट को पीछे से खींचा और फिर भाग गया।

एक पाशविक आदमी ने जानबूझकर उस औरत से अपना बदन लगाया। सामने से पुलिस वाला आ रहा था। उस शख़्स ने पुलिस वाले से डरने की बजाय उसे आँख मारी और फिर दोनों हंसने लगे।

औरत ने किसी से कुछ भी नहीं कहा और न ही किसी तरह का आक्रोश दिखाया। हक़ीक़त में उसके चेहरे पर, या उसकी आँखों में कोई भी भाव न था। वे बिलकुल ख़ाली-ख़ाली थीं।

एक शख़्स कंधे पर ट्राजिस्टर लटकाए वहाँ से गुज़रा। उसमें से अनूप जलोटा का गाया भजन सुनने में आया।

‘तन के तंबूरे में दो साज़ों के तार बोले

जय सियाराम, राम...जय राधे श्याम...’

सुनने वालों के सर थोड़े बहुत हिले पर वह सीधे ही सीधे चलती जा रही थी। जैसे इस तरह की दुनिया से उसका कोई संबंध नहीं था।

अचानक एक घर से अंग्रेज़ी गाने की धुन स्टीरियो सिस्टम से ज़ोर-ज़ोर से बजने लगी। वह धुन पहली मंज़िल के एक मकान से आ रही थी। वह जहां थी वहीं ठहर गई। उसके बदन में लर्ज़िश कुछ इस तरह आई जैसे घुटन के बाद हवा के हल्के झोंके से पीपल का पत्ता धीरे-धीरे हिलता है। उसकी ख़ाली आँखें पानी से भर भर गईं।

शायद उसे ‘जॉन’ की याद आ गई। जॉन.जिसे उसने इस दिल के पहले पाक जज़्बे से प्यार किया था। जॉन भी उसे प्यार करता था; पर एक लड़की का मन किसी लड़के के मन से जल्दी विकास करता है। जॉन ने अभी प्यार का मतलब पूरी तरह से समझा भी न था कि एलिज़बेथ ने अपना सब कुछ उस पर निछावर कर दिया।

जब जॉन ‘माइ लिज़’ कहकर उसके होंठों पर अपने होंठ रखता था तब एलिज़बेथ ऐसा महसूस करती थी जैसे वह दुनिया के सबसे ऊंचे स्थान पर पहुंच गई है। स्कूल में उसके सभी सहपाठियों को पता था कि दोनों एक दूसरे के प्यार में गिरफ़्त हैं।

पर कॉलेज में आते ही जॉन रीटा के साथ घूमने लगा। एलिज़बेथ को बहुत दुख हुआ पर जो चीज़ बहुत पास होती है वह पूरी तरह से देखने में नहीं आती है। इसीलिए जॉन भी एलिज़बेथ का दर्द देख नहीं पा रहा था।

वैसे भी अगर इन्सान को कोई चीज़ सहज ही मिल जाती है तो वह उसका मूल्य नहीं जान पाता। पुरुष के सामने भी जो स्त्री ख़ुद को समर्पित कर देती है, वह उसे आकर्षक और लुभाने वाली नहीं लगती। उसे वही औरत आकर्षित करती है जो उससे दूर होती है।

एलिज़बेथ जैक, ब्रायन, थामस, फेरोज़ सबके साथ घूमने लगी। वह जॉन को यह दिखाना चाहती थी कि उसे भी बहुत सारे लड़के चाहते हैं।

मगर एक के पास से दूसरे के और फिर निरंतर साथी बदलने वाली औरत ‘एक चीज़’ बन जाती है। यूं फिरते-फिरते वह जाकर शफ़ी के पास पहुंची। शफ़ी ने उसकी पहचान ग़नी से कराई और ग़नी उसे ‘अपना माल’ समझकर गफ़्फ़ूर को बेच आया।

जैसे कोई चीज़ भंवर के घेराव में आकर गहरी खाई में जा गिरती है, वैसे ही एलिज़बेथ भी ऐसी खाई में जा गिरी जहां से ऊपर उभरना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है।

ऊपर खिड़की से उस धुन की आवाज़ को सुनकर एलिज़बेथ को याद आया कि स्कूल के बिदाई के कार्यक्रम में वह और जॉन एकदूसरे से मिलकर इसी धुन पर गोल-गोल घूम रहे थे। एलिज़बेथ के बाल उड़ रहे थे और चारों ओर खड़े शागिर्द तालियां बजा रहे थे। घड़ी पल के लिये वह अपने अतीत में खो गई और उसके होंठों पर मुस्कराहट फैल गई।

उसे मुस्कराता देख, सामने से आते हुए शख़्स पुकार उठा : ‘साली, कुत्ती!’

एलिज़बेथ का बदन थर-थर कांपने लगा। जब उसने पहली बार गफ़्फूर को देखा था, उसे उल्टी आने लगी थी। मैला, गंदा, असभ्य, गफ़्फूर जिसके बदन से पसीने की बदबू आ रही थी। उसके कुर्ते पर दाग़ थे पर वे पान के नहीं लगे। शायद वह घर में मुर्गी का वध करके आया था।

एलिज़बेथ ने उल्टी को अंदर लौटाया, तो थूक बाहर निकल आई। गफ़्फूर को बहुत गुस्सा आया। उसने जमकर एक थप्पड़ एलिज़बेथ को मार दी, ‘साली! कुत्ती!’

फिर लात मारकर उसे खाट पर फेंका और उसके बदन को चीर फाड़ने लगा।

धीरे-धीरे वह सीख गई कि जवानी देकर क्या-क्या पाया जा सकता है। औरत के पास जवानी हो तो पुरुष उसकी ख़ुशामद करता है और अगर जवानी में सौंदर्य भी शामिल हो तो फिर पुरुष उसके सामने सजदा करता है।

जवानी और सौंदर्य देकर, उसके बदले में मुनाफ़ा लेकर एलिज़बेथ हंसती रही और जीती रही। पर अब तो उसके पास जवानी थी ही नहीं। और जवानी के बिना सुन्दरता किस काम की?

एलिज़बेथ ने चाहा कि वह रोए, इतना रोए कि उसके बदन का सारा खून पानी बनकर बाहर बह जाए।

पर इस किस्म की औरत को रोने का हक़ तो मिलता ही नहीं हैः

और एलिज़बेथ हंसने लगी। अपने व्यवसाय करने वाली और औरतों की हंसी की तरह...वही हंसी।

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: कहानी संग्रह - अपने ही घर में / अब तो वह कुछ भी न थी : पोपटी हीरानंदाणी
कहानी संग्रह - अपने ही घर में / अब तो वह कुछ भी न थी : पोपटी हीरानंदाणी
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjESb6NEUMXPc7PSA-bc8CIeg1jTFCVchdBx_L7eJRFrckwoEsIYzS55QpaI45-CugViW8l7RTvfdDW787eMYoFAM3XuuwairJlYhMZDE4xTtCukrLpmH1uvcMvdB-CADBWy6L1/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjESb6NEUMXPc7PSA-bc8CIeg1jTFCVchdBx_L7eJRFrckwoEsIYzS55QpaI45-CugViW8l7RTvfdDW787eMYoFAM3XuuwairJlYhMZDE4xTtCukrLpmH1uvcMvdB-CADBWy6L1/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/05/blog-post_337.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/05/blog-post_337.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content