लघुकथाएँ / नन्दलाल भारती

SHARE:

डॉ. नन्दलाल भारती MA(Socialogy) LLB(Hons)PG Diploma in HRD विद्यासागर एवं वाचस्पति सम्मानोपाधि      चलितवार्ता-09753081066/9589611467/09512...

image_thumb

डॉ. नन्दलाल भारती
MA(Socialogy)
LLB(Hons)PG Diploma in HRD विद्यासागर एवं वाचस्पति सम्मानोपाधि     
चलितवार्ता-09753081066/9589611467/09512213565. Email- nlbharatiauthor@gmail.com


 

आम माफिया।लघुकथा

रक्त के आंसू क्यों,क्या खता हो गयी भाग्यवान ?

खता तो मुझसे हो गयी गुड़िा के पापा।

क्या..............?

हां,छत पर लटक रही आम की डाली से गिनकर चार आम तोड़,यहा मुझसे खता हो गयी।

सरकारी कालोनी,सरकारी निवासी,सरकारी पेड़ खता कैसी ?

मिस्टर एल.नावाकम की घरवाली तो सी.आई.डी.की तरह घर की छानबीन कर गयी और बोली कि मेरी बिना मेरी इजाजत के हाथ कैसे लगाई,आज तक किसीकी हिम्मत नही हुई,तुमने चार आम तोड़ लिये।ऐसे तहकीकात कर रही थी जैसे वो नहीं हम आम आममाफिया हो ।

विभाग सरकारी,सरकारी कोलोनी,सरकारी निवासी,सरकारी सम्पतियां,परिसम्पतियां तो आम के पेड़ किसी की बपौती कैसे हो सकते हैं।

मिसेज नावाकम ऐसे बोल की गयी है जैसे हाथ लगा दी तो खून कर देगी।

भाग्यवान मोती सम्भालोएदफतर जाकर मिस्टर नावाकम से बात कर लूंगा,धर्मानन्द बाबू धर्मपत्नी दिव्या से बोलकर दफतर के लिये निकल पड़े। दफतर जाकर धर्मानन्द बाू मिस्टर नावाकम को फोन पर मिसेज नावाकम की बदतमीजियों से अवगत कराना चाहे पर क्या मिस्टर नावाकम बदतमीजी में घरवाली के बाप निकले। धमकाते हुए बोले पन्द्रह सालों में किसी की एक आम तोड़ने की हिम्मत नहीं हुई तुम्हारी घरवाली ने चार आम तोड़ लिये जबकि तुम्हें ज्वाइन किये तीन महीने भी नही हुए हैं।

मिस्टर नावाकम जितना अधिकार आपका है,उतना ही अधिकार मेरा भी है धर्मानन्द बाबू बोले।

इतना सुनते ही मिस्टर नावाकम आग बबूला होते हुए बोले तुम्हारा अधिकार क्यों और कैसे ? जा जिससे मेरी शिकायत करनी हो करके देख ले। मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता ।

मिस्टर नावाकम आप तो माफिया का भाषा बोल रहे हो धर्मानन्द बाबू बोले ।

हां बोल तो रहा हूं क्या कर लेगा मिस्टर नावाकम बोले ।

जिस दिन प्रबन्धन की नजर पड़ गयी समझो सरकारी आम के अवैध व्यापार की वैध नीलामी शुरू धर्मानन्द बाबू बोले ।

बस क्या आग में घी पड़ गया आम माफिया मिस्टर एल.नावाकम बोले अब तू फोन रख कहते हुए फोन पटक दिये ।

---

मुटठी भर दाल/ लघुकथा

सोमवती आज बहुत खुशी थी। मौका ही ऐसा था बेटवा कुलभूषण कई साल के बाद परदेस से लौटा था बेरोजगारी का दंश झेलकर। परदेस में अपनों को पराया होता देखकर । कुलभूषण को पाकर मां की आंखे भर आयी थी। मां आंख पोंछती हुई अपने ही घर के दूसरे हिस्से में बसी दीपा के घर गयी। ये दीपा दुखहरन की घरवाली थी। दुखहरन सोमवती के जेठ का बेटा था जिसे पैदा होते ही उसकी मां छोड़कर चली गयी थी, जिसे सोमवती ने अपनी छाती चूसा-चूसाकर बड़ा की थी । सोमवती को सालों बाद खुश देखकर दीपा बोली अम्मा जमीन पर पांव नहीं पड़ रहे है परदेसी बेटवा को पाकर।

सच कह रही है बहू, बातें तो होती रहेगी। तेरे पास जरूरी काम से आयी हूं।

कौन सा ऐसा काम आ गया अम्मा दीपा बोली।

सोमवती बोली बेटवा को भूख लगी होगी, जल्दी से रोटी सेंक देती हूं।

दीपा अम्मा रोटी तुम सेकोगी, कह रही हो मुझसे जरूरी काम है, बेटवा को देखकर बूढ़घोघनी बावली हो गयी है क्या?

हां बहू सच कह रही हो। याद आया जरूरी काम ।

कौन सा काम दीपा बोली।

एक कटोरी तुअर की दाल उधार दे दे बहू।

क्या तुअर का दाल। तुअर की दाल खाये तो महीनों हो गया । कसम से अम्मा।

सोमवती-कल ही तो तू तुअर की दाल लायी थी, कह रही थी तुअर की दाल बहुत महंगी हो गयी है। एक किलो तुअर की दाल की कीमत देने में आंख निकल आयी थी। बहू मुटठी भर दाल के लिये कसम क्यों ?

सोमवती बैरंग लौट आयी। मां को मायूस देखकर कुलभूषण बोला मां तुम्हारे हाथ की चटनी रोटी खाये कई साल हो गये। लालमिर्च, लहसून, खटाई की चटनी और रोटी बना ले मां । शाम को बाजार से दाल, सब्जी ला दूंगा मां.........

कुलभूषण की बात सुनकर सोमवती माई की आंखों के बाढ़ का पानी बह निकला था।

............

शिकायत। लघुकथा

बेटी प्रज्ञा के डोली की चिन्ता करूण प्रसाद को सताये जा रही थी। सगे-सम्बन्धी भी मदद के लिये आगे नहीं आ रहे थे। करूणप्रसाद कुटुम्ब के लिये एक अनार सौ बीमार जैसे थे। कुटुम्ब की देखरेख में उनकी चादर तारतार हो रही थी । इसके बाद भी वे अपने नैतिक फर्ज से कदम खींचने को तैयार न थे। चिन्ताग्रस्त पिता को देखकर प्रज्ञा ने मां शीलवन्ती से दो टूक कह दी था कि वह गांव में ब्याह नहीं करेगी। गांव में ब्याह करने से अच्छा बिन ब्याही रह लेगी। बेटी की दो टूक बातें सुनकर करूण प्रसाद के पैर के नीचे से जमीन खिसक गयी थी। लम्बी जद्दोजहद के बेटी की इच्छानुसार घर-वर मिल गया था । गांव से ब्याह में शामिल होने के लिये लोग बारात से अधिक आये थे । करूण प्रसाद ने अपनी औकात से अधिक गांव वालों के रहने खाने एवं सेवासत्कार का बछोबस्त किया था । किसी को पानी उठकर पीना ना पड़े इतना तक का ध्यान रखा था परन्तु सभी को कुछ ना कुछ शिकायत थी । हद तो तब हो गयी जब करूण प्रसाद के पिता तेजप्रसादने चौराहे पर कहा कि क्या खाक खातिर हो रही है, दस दिन से एक ही खाना खा रहे हैं जीभ लोढ़ा हो गयी।

करूण प्रसाद के पिता तेजप्रसाद की शिकायत सुनकर दीनानाथ आग बबूला होते हुए बोले दादा कुछ तो शरम करते, श्रवण जैसे अपने बेटे की शिकायत चौराहे पर कर रहे हों सिर्फ इसलिये कि तुम्हें शराब और कबाब नहीं परोस पा रहा है। उसकी मजबूरी को तुम नहीं समझ सके तो कौने समझेगा। करूण प्रसाद की कमाई से परदेस से गांव तक आबाद है, उसी की वजह से तुम्हारी चारों ओर इज्जत है, मूंछ पर ताव दे रहे हो, पांच रूपया कन्यादान तक दिये नहीं क्या तुम्हारे पास पैसा नहीं है। चोरी छिपे गांजा दारू का इन्तजाम कर-करा रहे हो । रीन-कर्ज कर तुम्हारा बेटा अपनी बेटी का ब्याह कर रहा है, कभी पूछे बेटवा से बात किये नहीं ना। बकरा जान संग गया खाने वालों को स्वाद ही नहीं आया, वाह रे दादा की लोढ़ा जैसी जबान। दादा पोती का ब्याह करने आये हो कि श्रवण जैसे बेटे की इज्जत नीलाम करने। अब करूण प्रसाद के पिता तेजप्रसाद को जैसे सांप सूंघ गया था। वे कठपुतले की तरह खड़े के खड़े रह गये थे।

............

कोपभवन। लघुकथा

देवकी के चिता की राख अभी ठण्डी भी नहीं हुई थी। देवव्रत के घर से बेटी बहू की रोने की हृदय विदारक कराह रह-रह कर उठ रही थी। इसी बीच देवव्रत के भतीजे खुरचन्द के घर बेटे जयचन्द के मित्र आ गये। उसके घर का माहौल सैर सपाटे जैसे हो गया था जबकि घर के दूसरे भाग में मात पसरा हुआ था। बेटे के दोस्तों के रात के खाने में मुर्गे का मीट परोसा । घर के बड़े लोग उल्लास के साथ खाये पीये। एहसानफरोस्त खुरचन्द और उसके परिवार को देवकी की विरासत में ही छांव मिली हुई थी परन्तु देवकी मौत पर खुरचन्द और उसका परिवार जश्न मना रहा था। जैसाकि मान्यता है कि मृतक के परिवार में तीन पक्ष तक मांसाहार वर्जित होता है, इसके बाद भी सगे खून के रिश्तेदार खुरचन्द के घर मुर्गे का मीट ?

दूसरे दिन सुबह खण्डिका बेटे के दोस्तो की तारीफ चहक-चहक कर रही थी। गम के माहौल में खण्डिका के पांव जमीन पर नहीं पड़ता हुआ देखकर चन्द्रिकाबुआ बोली भौजाई की मौत क्या हुई खण्डिका की जैसे मन्नत पूरी हो गयी।

खण्डिका क्यों अपयश लगा रही हो चन्द्रिकाबुआ ।

चन्द्रिकाबोली-मुर्गा की बलि किस खुशी में दी गयी। बताओ खण्डिका कौन सी मन्नत पूरी हुई भौजाई की मौत ना....... भौजाई की मौत से उसकी विरासत पर कब्जा नहीं कर पाओगी खण्डिका। फुआ की बात सुनते ही खण्डिका कोप भवन में जा घुसी।

...........

एम.आर.पी./ लघुकथा

खण्डवा बस स्टाप से तनिक आगे बस निकली ही थी कि एक महिला जवान ने बस रोकने का संकेत दे दिया था, अब क्या ड्राइवर जैसे ब्रेक पर बैठ गया किसी का सिर ठुका किसी की नाक। महिला जवान के बस में प्रवेश करते ही कण्डकटर पूछ बैठा मैडम कहां जायगी।

अरे भाई बस जहां तक जायेगी वही तक चलूंगी महिला जवान बोली ।

मतलब इंदौर तक चलेगी कण्डकटर बोला ।

बस हिचकोले खाते सरपट दौड़ रही थी। कण्डकर पूरी बस कि सवारी से किराया वसूलने के बाद महिला जवान से बोला मैडम किराया ।

महिला जवान- कितना ?

कण्डकटर-एक सौ बीस रूपया ।

महिला जवान- ज्यादा है कुछ कम करो।

कण्डकटर- पांच रूप्या कम दे दीजिये ।

महिला जवान-पांच रूपया से क्या होगा। बाजार में उतार है।

कण्डकटर-मैडम जो उचित समझे दे दीजिये ।

महिला जवान- पच्चास कम तो नहीं।

कण्डकटर-बहुत कम है।

महिला जवान के मोलभाव को देखकर एक बुर्जुग बोले एम.आर.पी. पर मोलभाव उचित है। बुर्जुग की गम्भीर बात सुनकर कई बगले झांकने तो कई लोग खीसनिपोर दिये थे।

.................

साइलेण्ट मोड./ लघुकथा

आदमी जब लोमड़ी के चाल-ढाल को आत्मसात् कर लेता है तो वह स्वतःस्वयं का सर्वनाश कर लेता है। ऐसे ही थे एम.डी.सोखरन। पति-पत्नी अर्न्तराष्ट्रीय संस्थान में अधिकारी थे। अच्छी तनख्वाह थी परन्तु लोमडी जैसी आदत होने के कारण मि.सोखरन इधर-उधर मुंह मारने में तनिक भी नहीं शरमाते थे। मि.सोखरन पत्नी से कुछ माह पहले रिटायर हुए थे। पत्नी के किसी न किसी भुगतान को लेकर मि.सोखरन का अक्सर उनका फोन दफतर में आता रहता था। दो दिन के अन्तराल पर उनका फोन मेडिकल क्लेम सेक्शन में आया। वे छूटते ही बोले व्यवधान के लिये क्षमा करे श्रीमान् गुड मार्निंग ।

सम्बन्धित अधिकारी बोला-गुड मार्निंग, बताइए कैसे याद किये मि.सोखरन ?

मेरी पत्नी के दो बिलों का भुगतान अभी तक नहीं हुआ जबकि वह रिटायर हो गयी मि.सोखरन शिकायती अंदाज में बोले।

कब का बिल है मि.सोखरन?

31 मार्च के दो बिल है।

यानि रिटायमेण्ट का दिन।

जी सही समझे सोखरन बोले।

मैडम में तो 31 मार्च में विदेश में थी, वे इण्डिया में डाक्टर को दिखाकर दवाई और दूसरे उपकरण कैसे खरीद गयी ? यह तो तहकीकात का मुद्दा बना दिये।

सुविधाओं का उपभोग तो कर सकती है चाहे देश में हो या विदेश में सोखरन बोले।

सुविधओं के फर्जी तरीके से उपभोग के लिये किसी के परिवार की बलि चढ़ा देंगे क्या ? यह तो तहकीकात का मुद्दा बना दिया आपने मि.सोखरन ।

मि.सोखरन घिघियाते हुए बोले देख लीजिये।

देखना क्या है आपको समझ लिया सुना है जब आप नौकरी पर थे तो दवाई चुराते तभी कभी कैण्टीन से रोटी चुराते पकड़े गये अब फर्जी बिल के इल्जाम में जेल जायेगे क्या मि.सोखरन? बस क्या इतना सुनते ही मि.सोखरन साइलेण्ट मोड में चले गये थे।

...........

अच्छे दिन/ लघुकथा

अरे वाह वातानुकुलित कक्ष ?

जी पंखें भी चार लगे हैं ।

ये तो बड़ी तरक्की है।

नहीं तरक्की तो नहीं हुई है।

वहां तो पैतालीस डिग्री के टम्प्रेचर में कुलर सपना था, यहां एक कमरे में दो एसी चार पंखे।

मित्रवर मैं मेरा और ओहदा वही है, हां यहां तनख्वाह भी कम हो गयी । इसके बाद भी तरक्की लग रही है, धन्यवाद।

तू तो बड़ा साहेब बन गया यार।

मित्रवर ना तरक्की हुई ना बड़ा साहब ना हूं, स्थानान्तरण से माहौल बदला है।

इसके पहले तो दुर्दशा थी।

जी क्या क्या नहीं हुआ, अवन्नति, अपमान के साथ जातीयभेद का दहकता दर्द भी तो मिला ईमानदारी, मेहनत और योग्यता बेकार नहीं जाती इसी विश्वास पर टिका रहा। श्रम के रजत जयन्ती वर्ष बीते वहां पर यहां जैसा सम्मान नहीं मिला।

तू तो थोड़े मे अधिक खुश रहा कर यार।

थोड़े दिन बचे है ऐसे ही कट जाये। अच्छे दिनों की आस में मित्रवर बस और कुछ नहीं चाहिये।

जरूर आयेगें । अच्छे दिनों की अग्रिम बधाई हो भाई।

..........

अभागा/ लघुकथा

चक्रवाती उदासी क्यों ?

क्या करे अभागा ?

अभागा कैसे ?

मां दुनिया छोड़ ना मुलाकात ना सेवा-सुश्रुषा का मौका अभागा नहीं तो और क्या कहूं। पिता खटिया पर पड़े है मैं परदेस में क्या कहें ।

परदेस से घर-परिवार चल रहा है। परदेस ना आते तो कुटुम्ब की देखरेख, परिवार की जरूरतें कैसे देखते, भईया खनकते सिक्के खुदा नहीं है पर कम भी नहीं। उदास मत हो, तुम अभागे नहीं हो। मां-बाप का आर्शीवाद तो मिला है। तभी तो तुम यहां तक पहुंचे हो ।

जी सच कह रीे हो पर अंगुलिया तो उठती है।

अंगुलिया उठाने वाले गुबरैले जैसे होते है। क्या कभी अंगुलिया उठाने वाले कोई आर्थिक मदद किये नहीं बिल्कुल नहीं। ये तो वही बात हुई अपने को अलहिया दूसरे को गण्डा पूरे।

दुख तो है मां बाप की सेवा से वंचित होने का ।

परदेस रहकर जो कर रहे हो वह किसी सेवा से कम नहीं। खुद की जरूरतों को नजरअंदाज कर घर-परिवार देखना बहुत बड़े पुण्य का काम है, उसमें सफल हो। जरा सोचो छूछा को कौन पूछता है।

धरती के भगवान की सेवा का मौका ना मिलना दुर्भाग्य तो है भाई ।

अच्छे को बुरा कहना दुनिया की आदत है, तुम तो कतई अभागा नहीं सोचो अभागा कौन ?

............

सहूर/ लघुकथा

फ्रेंच दाढी शरीफों जैसी पहनावा में संवरे कर्मचारी नेता कागज के पुलिन्दें को हवा में लहराते हुए बोले अरे नया साहब किधर बैठता है। सहकर्मी बोले बुद्धनाथ साहब सामने बैठे है। नेताजी ललकारते हुए सामने आ धमके उनके व्यवहार से लग रहा था चे दफतर में नहीं युद्ध स्थल में हो। नेताजी कागज का पुलिन्दा बुद्धनाथ साहब की मेज पर फेंकते हुए बोले क्यों वापस किया ये बिल।

शालीनतापूर्वक बुद्धनाथ बोले त्रुटि है।

नेताजी -मुझे क्या करना है।

अनुरोध पत्र लिखना होगा बुद्धनाथ बोले ।

नेताजी विफर पडे और बोले मैं नहीं लिखता क्या कर लेगा ।

कुछ नहीं पर आप जैसे लोगो ने किया है और करेंगे हमारे जैसे लोग तो अंगूठा कटाने का काम करते है।

मतलब नेताजी उत्सुकतावश बोले।

मसलन धौंसबाजी, गैरकानूनी काम, तालाबन्दी, हड़ताल और बहुत कुछ बुद्धनाथ बोले।

नेताजी बोले- तुम इल्जाम लगा रहे हो। जानते हो क्या कर सकता हूं ।

जी नौकरी ले सकते है। मुंह पर कालिख पोत सकते है और भी कुछ कर सकते है परन्तु मैं अपने फर्ज से नहीं मुकर सकता।

क्या बोलो जो आपने सुना। नेताजी फ्रेंच दाढी रख लेने से आदमी महान नहीं होता, सहूर के साथ काम महान बनाता है। नेताजी मौन थे और परिचर को दफतर बन्द करने की जल्दी।

.............

डां.नन्दलाल भारती
दिनांकः20.05.2016   
Permanent Address- Azad Deep- 15-M-Veena Nagar,Indore(MP)452010
http;//www.nandlalbharati.blog.co.in/http://www. nandlalbharati.blogspot.com
http:// www.hindisahityasarovar.blogspot.com/  httpp://www.nlbharatilaghukatha.blogspot.com
http//www.betiyaanvardan.blogpot.comwww.facebook.com/drnandlal.bharati

 

 


परिचय
  
डा.नन्दलाल भारती
                          कवि, लघुकथाकार, कहानीकार, उपन्यासकार
शिक्षा                 - एम.ए. ।  समाजशास्त्र ।   एल.एल.बी. ।  आनर्स ।
                      पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन ह्यूमन रिर्सोस डेवलपमेण्ट ;च्ळक्भ्त्क्द्ध
जन्म स्थान-                 जिला-आजमगढ । उ.प्र।  
प्रकाशित पुस्तकें   अप्रकाशित पुस्तकें.........     सम्पादन    उपन्यास-अमानत,  चांदी की हंसुली  उखड़े पांव। लघुकथा संग्रह।   उपन्यास-दमन, वरदान,  अभिशाप एवं डंवरूआ कहानी संग्रह -मुट्ठी भर आग, हंसते जख्म,  सपनो की बारात, अण्डरटेकिंग लघुकथा संग्रह-उखड़े पांव / कतरा-कतरा आंसू  काव्यसंग्रह -कवितावलि / काव्यबोध,  मीनाक्षी,  उद्गार, भोर की दुआ, चेहरा दर चेहरा आलेख संग्रह- विमर्श एवं अन्य  इंसा न्यूज मासिक, इंदौर
सम्मान/पुरस्कार          विद्यावाचस्पति एवं विद्याासागर  विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ,  हिन्दी भाषा भूषण, साहित्य मण्डल, श्रीनाथद्वारा,  विद्यावाचस्पति;च्ीण्क्द्ध विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ,   वरि.लघुकथाकार सम्मान.2010, दिल्लीस्वर्ग विभा तारा राष्ट्रीय सम्मान-2009, मुम्बई,   साहित्य सम्राट, मथुरा। उ.प्र.। विश्व भारती प्रज्ञा सम्मान, भोपल, म.प्र.,  विश्व हिन्दी साहित्य अलंकरण, इलाहाबाद। उ.प्र.।  लेखक मित्र । मानद उपाधि। देहरादून। उत्तराखण्ड।  भारती पुष्प।  मानद उपाधि। इलाहाबाद,      भाषा रत्न,  पानीपत ।   डां.अम्बेडकर फेलोशिप सम्मान, दिल्ली,      काव्य साधना, भुसावल,  महाराष्ट्र,  ज्योतिबा फुले शिक्षाविद्, इंदौर । म.प्र.।    डां.बाबा साहेब अम्बेडकर विशेष समाज सेवा, इंदौर ,  विद्यावाचस्पति, परियावां। उ.प्र.।    कलम कलाधर मानद उपाधि , उदयपुर । राज.।    साहित्यकला रत्न । मानद उपाधि।  कुशीनगर । उ.प्र.।  साहित्य प्रतिभा, इंदौर। म.प्र.।   सूफी सन्त महाकवि जायसी, रायबरेली । उ.प्र.। एवं अन्य
    आकाशवाणी से काव्यपाठ का प्रसारण ।  रचनाओं का दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर, पत्रिका, पंजाब केसरी एवं  देश के अन्य समाचार पत्र-पत्रिकाओ प्रकाशन ,  अन्य ई-पत्र पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन। 
सदस्य    इण्डियन सोसायटी आफ आथर्स । इंसा।  नई दिल्ली
    साहित्यिक सांस्कृतिक कला संगम अकादमी, परियांवा। प्रतापगढ। उ.प्र.।
    हिन्दी परिवार, इंदौर । मध्य प्रदेश।    अखिल भारतीय साहित्य परिषद न्यास, ग्वालियर, मध्य प्रदेश । 
    आशा मेमोरियल मित्रलोक पब्लिक पुस्तकालय, देहरादून । उत्तराखण्ड।
    साहित्य जनमंच, गाजियाबाद। उ.प्र.।      म.प्र..लेखक संघ, म्रप्र.भोपाल,
आजाद दीप, 15-एम-वीणा नगर ,इंदौर ।म.प्र.! चलितवार्ता-09753081066/9589611467

Email- nlbharatiauthor@gmail.com

Visit us:
http://www.nandlalbharati.mywebdunia.comhttp;//www.nandlalbharati.blog.co.in/
http://www. nandlalbharati.blogspot.com http:// www.hindisahityasarovar.blogspot.com/  httpp://wwww.nlbharatilaghukatha.blogspot.com/   httpp://wwww.betiyaanvardan.blogspot.com
httpp://www.facebook.com/drnandlal.bharati
000000000
जनप्रवाह। साप्ताहिक। ग्वालियर द्वारा उपन्यास-चांदी की हंसुली का धारावाहिक प्रकाशन
उपन्यास-चांदी की हंसुली, सुलभ साहित्य इंटरनेशल द्वारा अनुदान प्राप्त
नेचुरल लंग्वेज रिसर्च सेन्टर, आई.आई.आई.टी.हैदराबाद द्वारा भाषा एवं शिक्षा हेतु रचनाओं पर शोध  ।

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: लघुकथाएँ / नन्दलाल भारती
लघुकथाएँ / नन्दलाल भारती
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgfYKtIRX94-CV-qux9e2VTJCnmVBE0qCpgzlHxduZRy0hpJpWivpjUHBWbVJgwTrtyiXtZ8y-sVtB07ael7pLtLsjpD0-0ERzLa4mYcU1fsF2q2j_hVSz13u9ZpKc6xiJBBi5N/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgfYKtIRX94-CV-qux9e2VTJCnmVBE0qCpgzlHxduZRy0hpJpWivpjUHBWbVJgwTrtyiXtZ8y-sVtB07ael7pLtLsjpD0-0ERzLa4mYcU1fsF2q2j_hVSz13u9ZpKc6xiJBBi5N/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/05/blog-post_334.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/05/blog-post_334.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content