रचना और रचनाकार (१८) साठोत्तरी कविता में मोह-भंग / डॉ.सुरेन्द्र वर्मा

SHARE:

हम आपके शहर से जा रहे हैं शायद फिर कभी यहां आना न होगा (राज कमल चौधरी) मोह-भंग का यह स्वर आज की कविता का मुख्य स्वर है. यथार्थ में कुल म...

image

हम आपके शहर से जा रहे हैं

शायद फिर कभी यहां आना न होगा

(राज कमल चौधरी)

मोह-भंग का यह स्वर आज की कविता का मुख्य स्वर है. यथार्थ में कुल मिलाकर आज की कविता मोह-भंग की कविता है.

कविता के सम्बंध में यह पूछना कि वह क्या है, एक बेमानी सवाल है. इसका जवाब हो ही नहीं सकता. सही सवाल यह है कि कविता क्या करती है. एक ज़माना था जब कविता के नाम पर अमूर्त को, असाधारण को, रूप देना था, मूर्तमान करना था. साधारण बनाकर इसे बोधगम्य करना था. अनुभव की परधि में ले आना था. किंतु जैसे-जैसे विज्ञान की प्रगति होती गई अमूर्त और असाधारण और अनुभवातीत का ग्लैमर कम होता गया और कविता ने भी अपना काम बदल दिया. अब कविता साधारण को असाधारण बनाने लगी. लेकिन यह भी बहुत दिनों नहीं चल सका. छाया और स्वप्न के संसार में भला वास्तविकता कैसे ढूढी जा सकती है! कविता को भी अपना काम बदलना पड़ा. साधारण को असाधारण अभिव्यक्ति देने का मोह समाप्त हुआ. यह मोह–भंग सबसे पहले आज के कवि को ही हुआ. आज का कवि न तो अमूर्त को रूप देता है और न ही सहज को असाधारण बनाता है. ये दोनों ही रोमांटिक वृत्तियां हैं. अब वह वस्तु-स्थिति को सरलता से स्वीकार करता है और उसे सहज अभिव्यक्ति देता है.

आज की कविता में मोह-भंग कई स्तरों पर देखा जा सकता है. विषय-वस्तु के स्तर पर, भाषा और शिल्प के स्तर पर, विकास-क्रम, परम्परा और भविष्य के स्तर पर, अर्थ-सम्प्रेषण और सम्बोधन के स्तर पर. आज के कवि को कुछ भी असाधारण नहीं लगता, इसलिए उसकी कविता का विषय कुछ भी हो सकता है. एक डॉ की पर्ची, कोई रसीद, कोई विज्ञापन आदि, कुछ भी.. दुर्घटना, सम्भोग, हत्या उसके लिए वर्जित विषय नहीं रह गए हैं. सैक्स सम्बंधी दुराव-छिपाव कोई मायने नहीं रखता. वह एक मज़ाक़ की चीज़ बन गया है –

एक कवियित्री चौंक गई/जब मैंने पूछा

एक स्त्री और पुरुष के बीच

और क्या हो सकता है /चाह के सिवा!

(अशोक वाजपेयी)

परम्परागत अर्थ में प्रेम अब कोई मायने नहीं रखता क्योंकि सम्पूर्ण वस्तु-स्थिति ही बदल गई है. –

वह चाहिती थी /कोई याद बनकर आए

वह कुछ गुनगुनाए /और तभी दूर पर

एक तेज़ मोटर की हार्न सुनाई दी

बिल्कुल बग़ल की रेलवे लाइन से एक गाड़ी

चीख़ती हुई चली गई....

(लक्ष्मीकांत वर्मा)

प्रेम ही नहीं समस्त मानवी व्यवहार झूठे पड़ गए हैं. उनकी तथागत गम्भीरता एक मुद्रा मात्र रह गई है –

हम खुश होते हैं /और दुःख मनाते हैं

हम उदास होते हैं /और कहकहे लगाते हैं

हम व्यंग्य करते हैं/ और सम्वेदना दिखाते हैं

हम क्षुब्ध होते हैं/ और रोमांस लगाते हैं

कितने गम्भीर हैं हम/ इस सारे नाटक में

कि अपने हर अभिनय को/ बेहद सच मानते हैं

अपनी हर मुद्रा से /हम आश्वस्त हैं, निरुत्तर हैं

(गिरिजा कुमार माथुर)

निरर्थकता और एब्सर्डिटी का यह बोध जब इतना व्यापक और व्याप्त है तो पाठक कविता में ही अर्थ क्यों ढूंढने लगे. आखिर कवि मानव स्थिति से अलग तो नहीं है. आज की कविता इसीलिए कभी-कभी ऊलजलूल और बेतुकी लगती है. लेकिन क्या फर्क पड़ता है! मुद्रा राक्षस की ‘एब्सर्डिटियां’ वास्तव में निरर्थक हैं या वे मानव स्थिति पर आच्छादित निरर्थकता को अभिव्यक्ति देतीं हैं, पता नहीं. कविता सार्थक, अर्थवान है या निरर्थक, अनर्थकारी है - कवि का शायद इससे कोई वास्ता नहीं रह गया है. उसके लिए अर्थ और अनर्थ दोनो ही सहज हैं.

और जहां अर्थ नहीं है वहां सम्बोधन भी नहीं है. अकविता पाठक के लिए नहीं लिखी जाती, यानी एक ऐसे पठक के लिए जो चाहता है कि कवि उसकी रुचि का परि- मार्जन करे. कवि को उसकी रुचि-अरुचि से भला क्या लेना-देना है! जब पाठक का भी कवि के साथ मोह-भंग होगा कविता आप ही सार्थक हो जाएगी. मनुष्य अपने को वस्तु- स्थिति से समायोजित करने में समय लेता है. आदतें बनती तो देर से हैं, छूटती और भी देर से हैं.

यथार्थ में आज की कविता की भाषा और शिल्प परम्परागत कविता की भाषा और शिल्प से इतनी अलग-थलग है कि साधारण पाठक ठगा सा रह जाता है. यह कविता कई स्तर पर सम्प्रेषण कर सकती है – शब्दार्थ के स्तर पर, ध्वनि के स्तर पर या चाक्षुष स्तर पर या तीनो ही स्तरों पर एक साथ. कविता केवल शब्द या व्याकरण पर ही निर्भर नहीं है. शब्द और व्याकरण का मोह कवि को बांध नहीं पाता. ऐसा मोह उसके लिए हास्यास्पद है –

शब्द की केंचुल उतार

अर्थ आगे बढ गया

मैं निरर्थक

शब्द पकड़े रह गया

ओह !

कैसा मोह ! (सुरेंद्र वर्मा)

जब शब्द काम नहीं करता कवि नई सम्भावनाएं खोजता है. ध्वनि और चित्र को कविता में समायोजित करता है. यह एकदम नई बात है. परम्परा भंजक, लीक से हटकर चलते हुए लोगों को देखना भी (खुद चलना तो दूर रहा) बहुत कठिन काम है. हिंदी का पाठक बहुत अच्छी तरह जानता है कि ठोस कविता की यहां कैसी तू-तू मैं-मैं हुई थी.

कविता की इन प्रवृत्तियों को अतीत में ढूंढना या उन्हें परम्परा से जोड़ना और विकास का एक चरण घोषित करना –दोनों ही बातें असम्भव हैं. समय कोई रील नहीं है जो आगे खुलती ही चली जाए. घटनाएं आतिश-बाज़ी की तरह छूटती हैं और समाप्त हो जाती हैं. उनका एक दूसरे से कोई सम्बंध नहीं होता. वे स्वतंत्र होती हैं. हर क्षण की जन्म के साथ मृत्यु हो जाती है. समय की प्रक्रिया में निरंतरता का मोह भ्रामक है. बीता हुआ कल एक टूटी हुई सांस है और

कुछ शब्द हैं जैसे भविष्य उनके

जादू से बचना चाहिए, (कैलाश वाजपेयी)

इसीलिए तो कहा है,

मुझे आने वाली पीढियो की दुहाई मत दो

(क्योंकि) मैं पल-पल जीता हूं

और हर क्षण भोगता हूं

और जीने और भोगने के बीच

मैं हर घड़ी/मृत्यु का मेहमान होता हूं

(सुरेंद्र वर्मा, लहर, अप्रेल,1966)

आज की कविता में मोह-भंग बहुत व्यापक है. उसे न शिल्प का मोह है न भाषा का, न विषय का मोह है न नियति का. वह इतनी तटस्थ है कि उसे सार्थकता और सम्बोधन का भी कोई मोह नहीं है,. घटनाएं उसे छूती नहीं, -

मेरा जन्म

एक नैसर्गिक विवशता थी

दुर्घटना

आत्म हत्यारी स्थितियों का समवाय

(दुष्यंत कुमार)

घटनाओं में कोई तुक नहीं है

और कल्पनाओं में भी कहीं है तुक

न दिशा, न आकाश/ न अवकाश, न काल

(भवानी प्रसाद मिश्र)

और ठीक भी है,

मछलियां,

सूखे पर ज़िंदा रहने की/ज़िद कर बैठी हैं

(अब तड़पने के लिए उपमान

दूसरा चुनेंगे)

(मणिका मोहिनी)

यह एक अनिवार्य स्थिति है. छायावद और नवछायावाद का खोखलापन स्पष्ट हो चुका है. वैज्ञानिक घटनाएं बहुत तेज़ी से घटी हैं. अब कुछ भी आश्चर्य करने के लिए नहीं रह गया – न राजनीति न दर्शन. ईश्वर की परिकल्पना, आत्मा की अमरता, संकल्प की स्वतंत्रता, समय की निरंतरता, प्राकृतिक व्यापारों के पीछे प्रयोजनात्मक शक्ति आदि, सभी मान्यताएं झूठी पड़ गईं हैं और उनका स्थान प्रकृति मनुष्य और मृत्यु ने ले लिया है. अतृप्ति, प्यास और लालसा चेतन स्तर पर आ चुके हैं. कुंठा और विक्षोभ, विवशता और निराशा, अनास्था और मृत्यु रेखांकित हो चुके हैं. यह स्वप्न-भंग और मोह-भंग की स्थिति है. साठोत्तरी कविता इसी स्थिति की अभिव्यक्ति है.

--------------------------------------------------------------------------------------------------------

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: रचना और रचनाकार (१८) साठोत्तरी कविता में मोह-भंग / डॉ.सुरेन्द्र वर्मा
रचना और रचनाकार (१८) साठोत्तरी कविता में मोह-भंग / डॉ.सुरेन्द्र वर्मा
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjUm9waaKoov_6w8GvPMhpyfwu75Pb5KnLerre9QqnxaQjbJ_uRtHWL3K6NzL1-OZi4JCuowwUxCnDk4RZm50-MaORDLqFD8e7AX-swq-HR2G7fKEYiK86DqbsqqcqUy5pT4LM6/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjUm9waaKoov_6w8GvPMhpyfwu75Pb5KnLerre9QqnxaQjbJ_uRtHWL3K6NzL1-OZi4JCuowwUxCnDk4RZm50-MaORDLqFD8e7AX-swq-HR2G7fKEYiK86DqbsqqcqUy5pT4LM6/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/04/blog-post_95.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/04/blog-post_95.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content