हमे भगवान ने दो हाथ दिए हैं ताकि हम किसी का सहारा बन सके। अपने दोनों हाथों से किसी निःशक्त को ताकत दे सकें ! अपने इन दोनों हाथों को जोड़कर ...
हमे भगवान ने दो हाथ दिए हैं ताकि हम किसी का सहारा बन सके। अपने दोनों हाथों से किसी निःशक्त को ताकत दे सकें ! अपने इन दोनों हाथों को जोड़कर अमन और शांति के लिए ईश्वर से प्राथना कर सकें। साथ ही दोनों हाथों की ताकत से अन्याय और अत्याचार का मुकाबला कर सकें। भागवान के दिये उक्त दोनों हाथों की ताकत आज बढ़ चुकी है। अब हम कैसे दोनों हाथों से परोपकार का काम कर सकेंगे ? इसमें संदेह है। हमारे देश के बड़े उद्योगपति धीरूभाई अम्बानी ने कहा था मैं एक-एक मजदूर के हाथ में भी मोबाईल पकड़ाकर संचार साधान का विकास कर दिखाउंगा। उन्होंने ऐसा किया भी। अब हर एक हाथ में मोबाईल है। 21वीं सदी का सबसे बड़ा उपहार भी हम मोबाईल क्रांति को मान सकते हैं, किन्तु मैं प्रार्थना करना चाहता हूं ईश्वर से की अब कोई ऐसा क्रांतिकारी उद्योगपति पैदा न हो ताकि हमार एक हाथ तो काम के लिए बचा रहे। क्या मेरे पाठक इस बात से सहमत नहीं होंगे कि वास्तव में हमारी वर्तमान पीढ़ी से लेकर अंतिम दिनों की ओर कदम बढ़ा रहे हमारे बुजुर्ग भी अपना एक हाथ मोबाईल धारण करने में व्यस्त कर चुके हैं। दृश्य तो यहां तक दिखाई पड़ने लगे हैं कि राह में कोई युवक-युवती और मोबाईल एक साथ गिर पड़े तो हम पहले मोबाईल को उठाकर उसकी नब्ज टटोलते दिखाई पड़ते हैं। गिरे हुए युवक-युवती में से किसी की जान जाती है तो चली जाए किन्तु मोबाईल को कुछ नहीं होना चाहिए।
ईश्वरीय आराधना में भी उठ रहा एक ही हाथ
पूरे विश्व में भारत वर्ष एक मात्र ऐसा देश है जहां प्रतिमाह ईश्वर की आराधना से संबंधित पर्वों की झड़ी लगी होती है। कोई प्रति सोमवार भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने आराधना करता है तो कोई मंगलवार को बजरंगबली की पूजा में व्यस्त होता है। बुधवार को भगवान गणेश से विद्या की याचना की जाती है। तो गुरूवार को मां के भक्त अपनी श्रद्धा का इजहार करते दिखते हैं। शुक्रवार को मां संतोषी की पूजा आराधना तो शनिवार को शनिदेव के सामने हाथ जोड़े प्राथना की जाती है। रविवार भी अच्छुता नहीं रहा है इस दिन भी भगवान सुर्यदेव अपने भक्तों की भक्ति में पाय जाते हैं। दिनों के साथ ही तिथियों का महत्व भी हिन्दु धर्मावलंबी बखुबी समझते हैं। एकादशी, प्रदोष से लेकर चतुर्थी तिथि प्रतिमाह धार्मिक क्रिया कलापों के लिए भक्तों को मंदिरों की ओर खींच ले जाती है। सवाल यह उठता है कि एक हाथ में मोबाईल पकड़ने वाले भक्त भला दोनों हाथ से ईश्वर के आगे प्रणाम की मुद्रा कैसे बनाएं ? कहना न होगा कि धार्मिक विचारों को परिवारिक आचरण मानने वाले लोग अपनी पूजा, आराधना में विवश्ता वश एक ही हाथ उठा पा रहे हैं। ऐसे में यदि ईश्वर भी आधी अधुरी श्रद्धा के कारण श्ंकीघात फटा ही दें तो उसे कोसना कितना उचित होगा ?
एक हाथ से नहीं बनेगी बात
ईश्वर ने जब हमे गढ़ा तो बड़ी सावधानी से हमारे शरीर के अंगों को आवश्यकता अनुसार महत्व दिया। चलने के लिए दो पैर दिए ताकि संतुलित ढ़ग से चला जा सके। आज एक पैर में हल्की सी विकृति आने पर भी हम चलने में असमर्थ हो जाते हैं, या असहनीय पीड़ा के साथ ही आगे बढ़ पाते हैं। ठीक इसी तरह आंख, कान और नाक का संयोजन भी किया गया। हमारी आंखों में विकृति आने पर हम चश्में का उपयोग भी कानों के सहारे ही कर पा रहे हैं। क्या आंख और कान के बीच इस प्रकार का सटिक आंकलन मनुष्य कर पाता ? यदि आंख कहीं और कान कहीं और होता तो हमे चश्मा लटकाने अतिरिक्त व्यवस्था न करनी पड़ती ? ठीक ऐसे ही भगवान ने किसी चीज़ को थामने हमे दो हाथ दिए जिससे हमारा काम आसानी से चल सके। अब यदि हम खुद एक हाथ में मोबाईल पकड़कर दूसरे हाथ की अधूरी शक्ति के साथ काम करें और परिणाम उल्टा आए तो इसमें भगवान तुने क्या किया कहने का हक हमे कहां है? आज सड़कों पर हो रहे हादसों में भी हमारे एक हाथ की व्यस्तता कारण बन रही है। एक हाथ में मोबाईल और दूसरे हाथ में वाहन का हैंडल दूर्घटना नहीं कराये गा तो और क्या करायेगा। इसमें भी वही एक हाथ छीन लेने वाली बात ही सामने आ रही है। हमारे देश के युवा भी कम नहीं अपने हाथों को स्वंतत्र कराने अब मोबाईल में वायर की सहायता से कान में सुनने का यंत्र डालकर काम कर रहे हैं। यहां भी वहीं विकृति सामने आ रही है। सड़क पर वहनों की आवाजाही और हार्न सुनकर रास्ता लेने-देने का काम भी उसी मोबाईल की नई तकनीक के कारण नहीं हो पा रहा है। परिणाम असमायिक मौत के रूप में सामने आ रहा है।
अपराधों को दे रहा है जन्म
मोबाईल क्रांति अथवा मोबाईल युग ने हमे एक तरफ जहां अपने लिए एक हाथ की जरूरत के रूप में अपना दास बना लिया है। वहीं दूसरी तरफ अपराध जगत में भी अपना किरदार निभा रहा है। साईबर क्राईम को मोबाईल आने के बाद काफी गति मिली है। पुलिस के लिए साईबर अपराध एक बड़ी चुनौति के रूप में सामने आ रहा है। ठगी जैसे मामलों में भी वृद्धि हुई है। मोबाईल के सहारे फर्जी सिमकार्ड का उपयोग करते हुए खुद को बैंक अधिकारी बताते हुए एटीएम का गुप्त कोड पूछकर रूपये निकाल लेने की घटनाएं दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। मैसेज बाक्स और वाट्सएप तथा टेलीग्राम जैसी सुविधाओं का भी गलत उपयोग हो रहा है। नाबलिगों के साथ भी घिनौने कृत्य अश्लीलता परोस्ते हुए किए जा रहे है। रोज-रोज नये तरीके की परेशानियां भी मोबाईल के कारण प्रत्यक्ष रूप में सामने आ रही है। समाचार पत्रों के माध्यम से मोबाईल में बात करने या मैसेज आने के कारण नवविवाहिता पति-पत्नी के संबंध भी टूट रहे हैं। अब हम यह कहने के लिए विवश है कि मोबाईल ने हमारा एक हाथ ही नहीं छिना वरण हमारे व्यक्तिगत जीवन को भी पूरी तरह से अस्तव्यस्त करने में पीछे नहीं रहा है।
अब ये सावधानियां जरूरी...
मोबाईल के गुणों को ताकपर रखकर उसका उपयोग सहीं ढंग से न करने वालों को अब सावधान हो जाना चाहिए और कम से कम इन जरूरी बातों पर ध्यान रखना चाहिए।
1 . वाहन चलाते समय मोबाईल का उपयोग न करें।
2. अपने दोनों हाथ वाहन के हैंडल पर ही रखे।
3. यदि जरूरी हो तो वाहन को किनारे खड़े कर फिर मोबाईल उपयोग करें।
4. हाईवे आदि पर चलते समय मोबाईल से कनेक्ट कर कान में गाना सुनने या बात करने का शौक न करें।
5. हमेशा मोबाईल के संपर्क में न रहते हुए कम से कम उपयोग करें।
6. मैसेज और वाट्सएप तथा अन्य सिस्टम के जरिए बहुंत ज्यादा देर तक अपनी नज़रे उस पर ना टिकाएं।
7. मोबाईल के उपयोग से सर्वाईकल स्पाडीलाईसीस जैसी बिमारी के बनने का खतरा भी हम उठाते दिख रहे हैं।
यह तो कुछ ऐसी सावधानियां है जो मुझे समझ में आई आप स्वयं भी मोबाईल उपयोग करने में आ रही परेशानियों को पहचान कर उससे बचने का प्रयास करें तो अच्छा कदम हो सकता है।
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(डॉ. सूर्यकांत मिश्रा)
जूनी हटरी, राजनांदगांव (छत्तीसगढ़)
मो. नंबर 94255-59291
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