एक नया अध्याय / कहानी / विनीता शुक्ला

SHARE:

“मंदा, देखो तो- क्या लाया हूँ, तुम्हारे लिए” पति का उत्साह भरा स्वर, मन्दाकिनी की चेतना को झिंझोड गया. मंदा की रुग्ण देह में हलचल हुई और अल...

image

“मंदा, देखो तो- क्या लाया हूँ, तुम्हारे लिए” पति का उत्साह भरा स्वर, मन्दाकिनी की चेतना को झिंझोड गया. मंदा की रुग्ण देह में हलचल हुई और अलसाई आँखों को सायास ही खोलना पड़ा. दहकते अग्नि गुच्छ सा, कोई धुंधला आकार सामने था. उन्होंने अचरज में आँखें मलीं तो स्पष्ट दीखने लगा था. लाल गुलाबों का गुच्छा! कितना अविश्वसनीय!! मंदा के मनपसंद फूलों को, उनके पति अविरल, खुद लेकर आये थे. ये सच था कि उन्हें, लाल गुलाब बहुत पसंद थे पर अविरल को उनका यह मोह, कभी सुहाया नहीं. मन्दाकिनी अपनी शादी की हर सालगिरह पर पति को एक लाल गुलाब भेंट करती थी.

वे निस्पृह भाव से उसे ग्रहण करते रहे. शायद पत्नी की वह भेंट, उन्हें बचकानी लगती होगी. वह व्यावहारिकता के कायल और पत्नी किसी बच्चे सी भावुक! “कैसा है?” अविरल के प्रश्न से, मंदाकिनी की तन्द्रा भंग हुई थी. “बहुत अच्छा” कहते कहते उनका गला भर आया. अविरल स्नेह से उन्हें निहारने लगे थे. बोले, “हर बार तुम मुझे लाल गुलाब देतीं थीं....इस बार तुम ठीक नहीं हो- सो मैंने .....” मंदा ने संतोष से आँखें मूँद लीं. इधर अविरल के मनोमस्तिष्क में कोई संग्राम सा छिड़ गया. पत्नी सदैव उनकी सेवा करती थी पर वह तो उसके लिए एक बैर भाव पाले रहे हरदम. क्या कहें; इंसानी फितरत ही ऐसी है! अपने दुर्भाग्य का दोष किसी ना किसी पर मढ ही देता है वह.

और उन्होंने वो दोष मंदाकिनी पर मढ दिया था.... !!! कितना सहज था वह सब कुछ!! अतीत का पाश, उन्हें बीते हुए घटनाचक्र में खींच ले गया. जूनियर हाई स्कूल के बोर्ड एग्जाम में, अव्वल आये थे वे. स्थानीय दैनिक पत्र में यह खबर छपते ही, बधाई देने वालों का तांता लग गया. एक साधारण से किसान का बेटा और इतनी बड़ी उपलब्धि! फिर तो नातेदारों से लेकर, स्कूल -प्रिंसिपल तक; सब खिंचे चले आये, उनके द्वार. क्या पता था- कि यहीं से जीवन का रुख पलट जायेगा! एक दूर के रिश्तेदार भी आये थे, उसी क्रम में. नाम था भोलेनाथ शर्मा. आते ही बापू की मनुहार करने लगे, “कौशिक जी, हाथ फैलाकर भीख मांगता हूँ; अपना यह हीरा मुझे दे दें . जान से भी ज्यादा संभालकर रखूंगा...आपके पास तो चार और बेटे हैं पर मेरा तो एक भी नहीं...”

“आप यह कैसी बात कर रहे हैं शर्मा जी?! अपनी अम्मा के कलेजे का टुकड़ा है अवी.... और हमारे भविष्य का सपना. इससे अलग होने की कल्पना तक हमें कंपा देती है!! यह तो...ऐसा ही होगा- जैसे जिस्म से जान अलग कर दी जाये!!!”

“देखिये कौशिक जी, ...बुरा मत मानियेगा; आपके पास रहकर इसे क्या मिलेगा? इतने बड़े कुनबे का बोझ.....समय से पहले परिवार की जिम्मेदारी और पढाई के लिए पैसा भी नहीं. जरा बताइए तो सही- क्या आपके पास इसे ऊंची शिक्षा दिला पाने की कुब्बत है? क्या आप इसकी प्रतिभा को, पनपने का अवसर दे सकेंगे ??” इस बात पर, निरुत्तर हो गए थे पिताजी. सात संतानों, पत्नी और माता-पिता का दायित्व... छोटे भाई के साथ, साझा खेती करके और पार्ट टाईम टीचरी से किसी भांति गृहस्थी की गाड़ी खींच रहे थे. भाई की शादी होने के बाद तो आमदनी उसके परिवार के साथ भी बांटनी होगी. फिर अविरल की बड़ी बहन भी शादी की उम्र तक पहुँच रही थी ......यह सब कैसे?

मजबूरी में (या कहें कि लालच में) उन्होंने भोलेनाथ शर्मा के साथ, अपने किशोर बेटे का सौदा कर ही लिया. सौदे की पहली किश्त में, शर्मा जी ने उनकी बड़ी बेटी की शादी के लिए, एक मोटी रकम थमा दी थी. अविरल अपने ‘नए पिता’ के साथ उनके घर चला आया. बापू ने बताया- “शर्मा जी के पास कोई बेटा नहीं- इसी से तुम्हें ले जा रहे हैं ... अपने नए घर में तुम्हें वह सब सुख सुविधाएँ मिलेंगी –जो यहाँ नहीं...आगे पढ़ने का अवसर भी ” कहते कहते उनकी पलकें भीग गयीं थीं. भोलेनाथ ने अविरल से, उनका कुटुंब ही छीन लिया. माँ के आंचल की छाया, छोटे भाई- बहनों के साथ एक ही थाल में भोजन करने का सुख, अपने हरे- भरे खेतों में गैया चराने का आनंद - सब कुछ जाता रहा. शर्मा जी के यहाँ, कई तरह के सुस्वादु व्यंजन चखने को मिले पर अम्मा के हाथों की रूखी सूखी रोटी के आगे वह फीके जान पड़ते थे. अवि मन में तडपता रहता. उसे उसकी जड़ों से अलग जो होना पड़ा था!

पालक पिता ने उनका दाखिला, देहरादून के नामी बोर्डिंग में करवा दिया. यह एक छात्र के लिए बहुत बड़ा सुअवसर था! पर इस अवसर ने उन्हें अपने माँ- बाप और भाई-बहनों से बहुत दूर ला फेंका. पहले तो कभी –कभी, वे उससे मिलने आ जाते थे पर अब.....!! बोर्डिंग से बारहवीं की परीक्षा पास करके निकला तो अवि को भनक लगी कि अगले दो-तीन वर्षों के भीतर, भोलेनाथ अपनी सांवली बिटिया मंदाकिनी को उसके साथ बांधने की योजना बना रहे हैं. वह भीतर ही भीतर सुलग उठा. अवि को शिद्दत से महसूस हुआ- उसकी हैसियत किसी ख़रीदे हुए गुलाम सी थी!

कहाँ मंदा और कहाँ वे... यूनिवर्सिटी- टॉपर !! मंदा तो किसी प्रकार, ‘रॉयल डिवीज़न’ से, इंटर पास हुई थी. उनका मन विद्रोह कर उठा. किन्तु शीघ्र उस विद्रोह की हवा निकल गई थी. शर्मा जी ने, उनके पिता पर एक दूसरा एहसान कर दिया - उनकी छोटी बहन के ब्याह के वास्ते पैसा देकर...और फिर... बिरादिरी वालों का दबाव भी! कुल मिलाकर, उन्हें अपनी बगावत, रद्द ही करनी पड़ी. बी. ए. की परीक्षा में, स्वर्ण- पदक मिला तो कॉलेज की ‘ब्यूटी– क्वीन’ नीला, उन पर मर मिटी. नीला की नीली-नीली आँखों में, डूबने को जी चाहता! पर वक़्त को यह मंजूर कहाँ!! प्रशासनिक सेवा का फार्म भरते ही, मंदाकिनी संग अविरल का लगन हो गया.

मेधावी अविरल ने, पहले ही प्रयास में; प्रशासनिक सेवा की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली. यह जानकर, शर्मा जी गदगद हो उठे थे; फिर तो मंदा का ब्याह करने में, तनिक भी देर न की उन्होंने. न चाहते हुए भी अविरल; थाम न सका, जीवन के उस भूचाल को! बेटी के हाथ पीले करने के बाद, शर्मा जी तो निश्चिन्त हो गए थे. शायद इसी कारण, भगवान ने भी उन्हें बुला लिया- जल्दी ही! मंदा की माँ पहले ही दिवंगत हो चुकीं थीं. परिवार में बचे तो बस अविरल कौशिक और उनकी अवांछित पत्नी मंदाकिनी!! अवि की जनम- जिन्दगी की भड़ास पत्नी पर न निकलती तो और किस पर निकलती?!

खून के रिश्ते तो पहले ही फीके पड़ चुके थे. माता- पिता, भाइयों की आपसी कलह से तंग आकर, किसी आश्रम में जा बसे थे शायद! बरसों से उनका कोई अता- पता नहीं था... और भाई ऐसे– जिनका एक दूजे से ही सामंजस्य नहीं; फिर अवि से कैसे?! बहनें गंवार परिवारों में ब्याह दी गईं थीं; उन लोगों के साथ मेल बैठा पाना भी- सम्भव नहीं था... वे सारे दुर्भाग्य की जड़, मंदा को ही मानते!! “साब जी, नाश्ता करने आइये” कामवाली कामता की आवाज से, उनका विचारक्रम भंग हुआ. “यहीं ले आओ, मेमसाब की ज़रा आँख लग गई है; जगेंगी तो साथ ही खा लेंगे.” कामताबाई को थोड़ा आश्चर्य अवश्य हुआ कि आत्मकेंद्रित से साब जी, पत्नी का इतना ख़याल करने लगे पर वह बिना सवाल-जवाब किये नाश्ता ले आई. डोंगे की खटर- पटर सुनकर, मंदा ने उठने का जतन किया. उनकी शिथिलता को देखकर अविरल बोले, “रहने दो, उठो नहीं. तकिये की टेक लिए बैठी रहो. धीरे-धीरे मैं, तुम्हें खिलाता रहूँगा. उनकी बात सुनकर मंदाकिनी ही नहीं, कामता भी सकुचा गई और वहाँ से निकल गई.

मंदा सुखद आश्चर्य के साथ, पति के हाथों से आहार ग्रहण कर रही थीं, विवाह के बाद, यह पहला मौका था उनके लिए; जब अविरल ने इतना प्रेम जताया हो! उन्हें याद है – सालों पहले जब पनकी के हनुमान मंदिर में दर्शन करने गई थीं; तो एक बंदर ने प्रसाद छीनने के लिए उन पर झपट्टा मारा था. काफी खरोंचे आयीं थीं उन्हें. तब अविरल ने सहानुभूति के दो बोल तक नहीं बोले बल्कि डॉक्टर के आगे ही उनका मजाक उड़ाया था, “क्या बताएं डॉक्साब, जिधर जाओ, इनकी बिरादरी मिल जाती है! बिरादरी वालों से तो- खुद ही निपट-सुलझ लेना चाहिए था; सुनकर अवाक रह गई थी मंदाकिनी, डॉक्टर भी हैरान थे एक पति की ऐसी अवहेलना पर. ऐसे कई अवसरों पर मंदाकिनी लज्जा से गड़ जाती थी.

एक बार अविरल ने, अपने दोस्त के यहाँ मंदा का कुछ ऐसा ही हाल किया था. उन लोगों का कुत्ता जोली, वहाँ बिस्तर पर आराम फरमा रहा था. बस अविरल को मौक़ा मिल गया खिचाई का, “जोली, अगले जन्म में मुझे तुम्हारे जैसा ही भाग्य मिले. क्या ठाठ हैं तुम्हारे! एक हम हैं कि अपने ही घर में हमारी कोई पूछ नहीं!” यह सुनते ही उस घर के सभी बंदे, मंदाकिनी को घूरने लगे थे और वह.....! लग रहा था कि धरती फट जाये और वो उसमें समा जाये!! अवि लोगों के आगे, उसे नीचा दिखाने से बाज नहीं आते.

यह दुर्भावना तब भी दूर नहीं हुई, जब वे फूल से जुडवाँ बच्चों के पिता बने. पत्नी बच्चों और गृहस्थी में व्यस्त रहती; वे अपनी नौकरशाही और गोल्फ- प्रैक्टिस में. उसके बिस्तर पकड़ लेने के बाद, मानों ज़िन्दगी घिसटने सी लगी. तीन साल के चुन्नू- मुन्नू, आया से संभलते नहीं. उन्हें वार्डरोब से लेकर, डाइनिंग- टेबल तक- सब अव्यवस्थित जान पड़ते! नौकरों की फ़ौज भी, उनके घर को घर नहीं बना पायी...इन्हीं दिनों वे, मंदा की उपयोगिता जान पाए थे. पत्नी ने खुद को, उनके अनुसार ढालने के लिए, क्या कुछ नहीं किया

ट्यूटर से, कामचलाऊ अंग्रेजी- वार्तालाप तो सीख ही लिया... इंटीरियर- डेकोरेटर को बुलाकर, घर का कायाकल्प भी करवाया; किन्तु उनका पूर्वाग्रह, ज्यों का त्यों! वे कुछ और सोचते- विचारते- इसके पूर्व ही, मन्दाकिनी का थका हुआ स्वर उभरा, “ सुनिए जी...ज़रा वह डायरी तो उठाएंगे”. अविरल ने यंत्रवत, डायरी को मंदा की तरफ बढ़ाया. मंदा ने उसके भीतर से, एक कागज निकाला और उन्हें थमा दिया. अस्फुट स्वर में बोली, “विवाह की सालगिरह पर...मेरी तरफ से आपको” मंदाकिनी के कांपते स्वरों ने, उन्हें विस्मित किया. ‘यह कैसा कागज का पुर्जा...क्या कोई प्रेम- सन्देश?!’- सोचकर वे होंठों ही होंठों में मुस्कराए. किन्तु उसे देख, उनकी आँखें चौड़ी हो गयीं. यह तो अंकपत्र था- जो मंदा के स्नातक होने की, घोषणा कर रहा था. वह प्रथम श्रेणी से, ससम्मान उतीर्ण हुई थी; व्यक्तिगत परीक्षार्थी के तौर पर, ऊंचा मुकाम हासिल किया था उसने!! वे जब काम में और सामाजिक गतिविधियों में लगे रहते; उनकी पत्नी, कठिन परीक्षा से जूझती रही होगी.

अविरल की मुग्ध दृष्टि, मंदाकिनी को निहाल कर गयी...जीवन को नवीन अर्थ मिला... एक नया अध्याय खुल गया – उन चंद ही पलों में!!

 

--

clip_image002

नाम- विनीता शुक्ला

शिक्षा – बी. एस. सी., बी. एड. (कानपुर विश्वविद्यालय)

परास्नातक- फल संरक्षण एवं तकनीक (एफ. पी. सी. आई., लखनऊ)

अतिरिक्त योग्यता- कम्प्यूटर एप्लीकेशंस में ऑनर्स डिप्लोमा (एन. आई. आई. टी., लखनऊ)

कार्य अनुभव-

१- सेंट फ्रांसिस, अनपरा में कुछ वर्षों तक अध्यापन कार्य

२- आकाशवाणी कोच्चि के लिए अनुवाद कार्य

सम्प्रति- सदस्य, अभिव्यक्ति साहित्यिक संस्था, लखनऊ

सम्पर्क- फ़ोन नं. – (०४८४) २४२६०२४

मोबाइल- ०९४४७८७०९२०

प्रकाशित रचनाएँ-

१- प्रथम कथा संग्रह’ अपने अपने मरुस्थल’( सन २००६) के लिए उ. प्र. हिंदी संस्थान के ‘पं. बद्री प्रसाद शिंगलू पुरस्कार’ से सम्मानित

२- ‘अभिव्यक्ति’ के कथा संकलनों ‘पत्तियों से छनती धूप’(सन २००४), ‘परिक्रमा’(सन २००७), ‘आरोह’(सन २००९) तथा प्रवाह(सन २०१०) में कहानियां प्रकाशित

३- लखनऊ से निकलने वाली पत्रिकाओं ‘नामान्तर’(अप्रैल २००५) एवं राष्ट्रधर्म (फरवरी २००७)में कहानियां प्रकाशित

४- झांसी से निकलने वाले दैनिक पत्र ‘राष्ट्रबोध’ के ‘०७-०१-०५’ तथा ‘०४-०४-०५’ के अंकों में रचनाएँ प्रकाशित

५- द्वितीय कथा संकलन ‘नागफनी’ का, मार्च २०१० में, लोकार्पण सम्पन्न

६- ‘वनिता’ के अप्रैल २०१० के अंक में कहानी प्रकाशित

७- ‘मेरी सहेली’ के एक्स्ट्रा इशू, २०१० में कहानी ‘पराभव’ प्रकाशित

८- कहानी ‘पराभव’ के लिए सांत्वना पुरस्कार

९- २६-१-‘१२ को हिंदी साहित्य सम्मेलन ‘तेजपुर’ में लोकार्पित पत्रिका ‘उषा ज्योति’ में कविता प्रकाशित

१०- ‘ओपन बुक्स ऑनलाइन’ में सितम्बर माह(२०१२) की, सर्वश्रेष्ठ रचना का पुरस्कार

११- ‘मेरी सहेली’ पत्रिका के अक्टूबर(२०१२) एवं जनवरी (२०१३) अंकों में कहानियाँ प्रकाशित

१२- ‘दैनिक जागरण’ में, नियमित (जागरण जंक्शन वाले) ब्लॉगों का प्रकाशन

१३- ‘गृहशोभा’ के जून प्रथम(२०१३) अंक में कहानी प्रकाशित

१४- ‘वनिता’ के जून(२०१३) और दिसम्बर (२०१३) अंकों में कहानियाँ प्रकाशित

१५- बोधि- प्रकाशन की ‘उत्पल’ पत्रिका के नवम्बर(२०१३) अंक में कविता प्रकाशित

१६- -जागरण सखी’ के मार्च(२०१४) के अंक में कहानी प्रकाशित

१८-तेजपुर की वार्षिक पत्रिका ‘उषा ज्योति’(२०१४) में हास्य रचना प्रकाशित

१९- ‘गृहशोभा’ के दिसम्बर ‘प्रथम’ अंक (२०१४)में कहानी प्रकाशित

२०- ‘वनिता’, ‘वुमेन ऑन द टॉप’ तथा ‘सुजाता’ पत्रिकाओं के जनवरी (२०१५) अंकों में कहानियाँ प्रकाशित

२१- ‘जागरण सखी’ के फरवरी (२०१५) अंक में कहानी प्रकाशित

२२- ‘अटूट बंधन’ मासिक पत्रिका ( लखनऊ) के मई (२०१५), नवम्बर(२०१५) एवं दिसम्बर (२०१५) अंकों में रचनाएँ प्रकाशित

२३- ‘वनिता’ के अक्टूबर(२०१५) अंक में कहानी प्रकाशित

पत्राचार का पता- टाइप ५, फ्लैट नं. -९, एन. पी. ओ. एल. क्वार्टस, ‘सागर रेजिडेंशियल काम्प्लेक्स, पोस्ट- त्रिक्काकरा, कोच्चि, केरल- ६८२०२१

COMMENTS

BLOGGER: 3
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: एक नया अध्याय / कहानी / विनीता शुक्ला
एक नया अध्याय / कहानी / विनीता शुक्ला
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEja8wrOdYMXENv2vNhvrMBHcx6_rivccCK_xcibJDreikFewuwc2-wba9jqv1dtm_hPBd2-qHAs4BjbweKKTGzARFhZ8ch1fvSZrofn2CaMW4sCVmmucXf9rl9XwFjr-dPhj-9S/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEja8wrOdYMXENv2vNhvrMBHcx6_rivccCK_xcibJDreikFewuwc2-wba9jqv1dtm_hPBd2-qHAs4BjbweKKTGzARFhZ8ch1fvSZrofn2CaMW4sCVmmucXf9rl9XwFjr-dPhj-9S/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/02/blog-post_50.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/02/blog-post_50.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content