सुबह के 9.30 ए.एम. की बात हैं, मैं अपने चाचा के साथ अपने काम पर जा रहा था। अपने गांव से पांच किलोमीटर ही चला था कि हमारे पीछे से एक रोडवेज ...
सुबह के 9.30 ए.एम. की बात हैं, मैं अपने चाचा के साथ अपने काम पर जा रहा था। अपने गांव से पांच किलोमीटर ही चला था कि हमारे पीछे से एक रोडवेज बस बहुत तेजी से आयी और सामने से अपनी सही दिशा में आ रहे मोटरसाईकल सवार को जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर इतनी जोरदार थी कि बाईक सवार करीब 30 फीट की दूरी पर जा कर गिर गया और बाईक चकनाचूर हो गयी मैंने जल्दी से अपनी बाईक रोकी और तुरन्त बाईक सवार के पास गया और एक लड़का जल्दी से रोडवेज बस से दौड़कर तुरन्त आ गया उस लड़के ने उस व्यक्ति को देखा तो उसकी सांसे चल रही थी लेकिन वो होश में नहीं था जब मैं उसके पास गया तो पता चला की वो मेरे जान पहचान के ही थे और एक हास्य कवि थे।
उस लडके ने तुरन्त 108 पर कॉल की और मैंने सड़क पर आ रही गाडियों को रोकने का प्रयास किया ताकि जितना जल्दी हो सके उन्हें हॉस्पिटल लेकर जा सके पास से एक खाली गाड़ी निकली जिसमें केवल एक ही व्यक्ति था और वो उस कस्बे की ओर ही जा रहा था लेकिन उसने गाड़ी नहीं रोकी तब बहुत दुःख हुआ एक इन्सान जिन्दगी से लड़ रहा था और उस गाड़ी वाले में इतनी भी इन्सानियत नहीं थी। जल्द ही दूसरी तरफ से एक गाड़ीऔर आ जाती हैं जिसमें तीन चार महिलाएं थी और गाड़ी में जगह नहीं थी फिर भी मैंने हाथ दिया ड्राइवर ने तुरन्त गाड़ी रोक ली और मेरे कहते ही वो तुरन्त तैयार हो गया तो थोड़ी खुशी भी हुयी की आज भी इन्सानियत जिन्दा है, तुरन्त घायल को लेकर हॉस्पिटल रवाना हो जाते है।
मैंने उनके बड़े भाई को तुरन्त फोन करके कहा कि हम हॉस्पिटल आ रहे हैं आप जल्द ही हॉस्पिटल आ जाओ। हम 10 मिनिट के अन्दर अन्दर हॉस्पिटल पंहुच गये डॉक्टर ने देखते ही तुरन्त प्राथमिक उपचार के बाद गंभीर घायल होने के कारण वहां से रेफर कर दिया जाता है। मैं अपने चाचा के साथ काम पर चला गया। थोड़ी देर बाद सूचना आयी कि उनकी रास्ते में ही मृत्यु हो गयी है। यह सुनते ही बहुत दुःख हुआ। उन्हें बचाने के लिये हमने जो प्रयास किये वो नाकाफी थे।
इस दुर्घटना के लिये बहुत से लोग जिम्मेदार थे, यदि वो रोडवेज ड्राइवर लापरवाही से गाड़ी ना चलाता तो अपनी सही दिशा में जा रहे एक कलाकार की इस तरह अनिश्चित मृत्यु ना होती, दूसरी लापरवाही प्रशासन की है। जिस जगह दुर्घटना हुयी उस जगह पर पिछले काफी समय से गड्ढा पडा हुआ है। यदि वो सड़क तुरन्त सही कर ली जाती तो इस तरह की दुर्घटना कभी नहीं घटती, जबकि उस सड़क को एक प्राइवेट कम्पनी ठेके पर चला रही है। हर रोज लाखों रुपयों का टोल वसूलती है। लेकिन सड़क क्षतिग्रस्त होने के बाद सड़क की मरम्मत पर उसका ध्यान ही नहीं जाता, आज भी चिकित्सा सुविधाओं में हम बहुत पिछड़े हुये हैं। यदि पास में उच्च स्तरीय चिकित्सालय होता तो उस इन्सान को बचाया जा सकता था।
हमारे नेता राजनीतिक दल और प्रशासन के आला अधिकारी हर रोज सड़क दुर्घटनाओं पर भाषण देते हैं। संगोष्ठियां आयोजित करते हैं। सड़क सुरक्षा सप्ताह चलाते हैं और हर तरह से अपनी रोटी ही सेकते हैं कोई यह प्रयास नहीं करता की सड़क दुर्घटनाओं की मुख्य वजह क्या हैं ? यदि सरकार और प्रशासन को इन दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाना हैं तो अपने स्वार्थे से उपर उठकर दुर्घटना की मुख्य वजह का पता लगा कर उस पर अतिशीघ्र कार्यवाही करनी चाहिये, दुर्घटनाओं की मुख्य वजह लापरवाही और क्षतिग्रस्त सड़कें हैं। जो सड़कें अचानक क्षतिग्रस्त हो जाती हैं उनका जल्दी से नये डाइवर को पता नहीं होता और बडी दुर्घटना घटित हो जाती हैं, जितना जल्दी हो सके पता चलते ही प्रशासन को तुरन्त क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत करवायी जानी चाहिये और लापरवाही से वाहन चलाने वालों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की जानी चाहिये ताकि किसी की अनिश्चित मृत्यु ना हो।
इसके लिये जब तक आम जनता जागरुक ना होगी तब तक हम इसी तरह सड़क दुर्घटनाओं के शिकार होते रहेंगे और अपने प्रियजनों परिवार व मित्रों को खोते रहेंगे। सभी से मेरा विनम्र आग्रह हैं कि वाहन चलाते समय सतर्क रहे और बिल्कुल भी लापरवाही ना बरते। और अपने मित्रों को भी समझाना चाहिये कि वाहन चलाते समय ध्यान रखे, लापरवाही से वाहन चलाने वालों की प्रशासन को शिकायत करनी चाहिये और उनके विरुद्ध उचित कार्यवाही की मांग की जानी चाहिये। क्येांकि जब तक सभी सतर्क ना होंगे तब तक इस तरह की सड़क दुर्घनाओं से छुटकारा नहीं मिलेगा।
हमारे लिये हमारी जिन्दगी कोई मायने ना रखती होगी लेकिन कभी किसी ने सोचा हैं कि हमारे माता पिता, पत्नि, बच्चों, परीवारवालों व मित्रों के लिये हमारी जिन्दगी कितनी महत्वपूर्ण होती हैं जब हम घर से निकलते हैं तो मां कहती हैं बेटा आराम से जाना, पत्नी बोलती हैं शाम को घर जल्दी से आ जाना, बच्चे बोलते हैं पापा शाम को हमारे लिये चोकलैट लाना, मित्र कहेंगे यार काम से आते ही आ जाना मौज मस्ती करेंगे। सोचो यदि इस तरह आपात मृत्यु से क्या बीतती होगी उन पर? कौन करेंगे उन बूढे मां बाप की सेवा, कौन संभालेगा आपके छोटे-छोटे बच्चों और पत्नी को, आपके मित्र किसके साथ मौज मस्ती करेग? बहुत अनमोल हैं आपकी जिन्दगी इन लोगों के लिये।
मैंने तो इस दुर्घटना से प्रेरणा ले ली है। मैं उस रोडवेज के पीछे पीछे ही चल रहा था व मेरी बाईक 80 किलोमिटर की रफ्तार से चल रही थी। मैं हर रोज बाईक रफ्तार से ही चलाता हूं और कई बार दुर्घटना होते होते बचा हूं, लेकिन इस सड़क दुर्घटना ने मुझे पूरी तरह बदल दिया है। अब मैं अपनी बाईक को 40 से ज्यादा की रफ्तार से नहीं चलाता हूं । मुझे एहसास हो गया है। आपको कब होगा पता नहीं, "तब तक ना आप सुरक्षित ना मैं सुरक्षित", पता नहीं किस दिन आपकी लापरवाही से दुर्घटना हो जाये इस दुर्घटना की तरह ।
लेखक :- डूंगर सिंह पुत्र श्री खींव सिंह
पद कनिष्ठ लिपिक पंचायत समिति लाडनूं
ग्राम श्यामपुरा तहसील लाडनूं जिला नागौर मो. 9672340357
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