1 पति ने पत्नी के राज में बस इतनी सी खता की माँ - बाप के ही घर में माँ - बाप को जगह दी । 2 रुपया भी बड़ा रौब जमाता है अमीरों की जेब में खन...
1
पति ने पत्नी के राज में
बस इतनी सी खता की
माँ - बाप के ही घर में
माँ - बाप को जगह दी ।
2
रुपया भी बड़ा
रौब जमाता है
अमीरों की जेब में
खनखनाता है
और गरीबों को देख
भिनभिनाता है ।
3
आज नहीं तो कल
वो वादों से टूटेंगे
हम भी तो नेता हैं
अच्छी तरह से लूटेंगे ।
4
वहशियों के सींखचे में
लड़की बनी कबाब
खींसे निपोर कहे कानून
दुष्कर्मी
नाबालिग है जनाब ।
5
सब्र का इनदिनों
निकल रहा है
कडबा फल
जो करना है
आज ही कर लो
न हुआ है
न होगा कुछ कल ।
6
पुरुष कहे
सुन अबला
तू प्रकृति
मैं ईश्वर
मैं अमर तू नश्वर
मैं निडर
तू डर –डर के मर ।
7
कलियुग में
आती नहीं
उन तक कोई आंच
दो और दो को जोड़कर
जो जन करते पांच ।
8
सुन मृत किसान को
मुआवजे की घोषणा
पत्नी किसान से गिडगिडायी
सुनो जी ,बच्चों को
अब भूख से मुक्ति दिला दो
जीते जी न खिला सके
मरके ही रोटी खिला दो ।
9
सभा में मंथन करें
मुर्गा छाप सब बम
आदमी ही आतिश हुआ
अब क्या करेंगे हम ? ।
10
चींटी से हो शुरू
हाथी बन जाती है
छोटी सी एक बात
बातों – बातों में
बे बात बढ़ जाती है ।
11
जिनकी मुठ्ठी में
फंसा दिख रहा गोश्त
लोग बनाते उन्हीं को
आजकल अपना दोस्त ।
12
सिंहासन भी काँप उठा
देख मामला अद्वीतीय
अन्याय रहे हैं कर
न्यायधीश विक्रमाद्वितीय ।
13
न तिल है न ताड़ है
मुद्दा टिकट का है
चमचे बिछे पैरों में
सुप्रीमो चने के झाड है ।
14
ऊँगली चाटते नेताजी बोले
खाने में आया स्वाद निराला
जरा बता तो बहुरानी
तूने क्या मसाला डाला ?
नैन मटकाते बहु बोली
घोटाला ही घोटाला ।
15
हिंदी के सिपाही ही
करवाते हिंदी तमाम
गुड मोर्निंग -गुड नाईट कहें
भूलके सादर प्रणाम ।
16
नेताओं को लग गए
बैठे बैठे रोट
जात-धर्म के नाम पर
हर दफा ही झटकें वोट ।
17
जो रिश्वत के कर रहे
आये दिन स्टिंग ऑपरेशन
ले रिश्वत उन्हें बंद करें
भाड़ में जाए नेशन ।
18
जिसकी मूंछ में ताव है
उसी की बस आब है
बाकी मुंह बिचका फरमाते
भैया ,जमाना खराब है ।
19
मशीन के संग
वक्त बिताते
जमीर इतना सो गया
अच्छा –भला था
कल का आदमी
आज खुद मशीन हो गया ।
20
अंगरक्षकों की फ़ौज
और चमचमाती कार
चमचे जूते चाटते
कहें उन्हें सरकार ।
21
नौकरी से लौटा पति
पत्नी पर झुंझलाया
बोला मैं गधे सा कमाता हूँ
तुम खूब मजे की उडाती हो
बीवी हँसके बोली
तभी तो तुम नौकरीपेशा
और मैं गृह मंत्री कहाती हूँ।
22
आज उसी की पूछ है
है जिसकी पौ- बारह
कड़के भटके फिर रहे
बिना पूँछ आवारा।
23
नयी पौध के देख रंग
आया याद अतीत
सोच बुढापे की लाचारी
जवानी हुई भयभीत ।
24
कलदारों पर नाच रहे
बनके बाबू नट
टूटी हड्डी पसलियाँ
फूटा जब मधु घट।
25
तन जोगी भेष धरें
उमड़े मन में काम
ऐसे बगुला भक्त ही
बनते आसाराम ।
26
जिन पूतों को खिला रहा
बाप मेवा और लीची
छल जाएगा बाप को
वो इंद्र समझ दधीची ।
27
मन - मस्तिक
निरंतर द्वंद
हो न हो ,जरूर
है इनमें भी कुछ
घनिष्ठ सम्बन्ध।
२८
भाप सी स्वच्छन्द उडती
बनती है जब बादल
स्वभानुसार बरसाती है
नेह संपदा टूटकर
समा जाती है सागर में
भुलाकर अपना अस्तित्व
क्रोध के ज्वार में सिन्धु
फैंकता है कभी बाहर
और शांत होने पर करता है
पुन:मिलन की प्रार्थना
छला जाता है सिन्धु द्वारा
नित्य ही उसका स्त्रीत्व
-0-
२९
हकीकत की धरा पर
कब तक यह टिक पायेंगे?
आकांक्षाओं की बेल नाजुक
लोग कुचलेंगे, रौदेंगे, दबायेंगे
ओस भीगे ,शोख ,चटकीले
दिव्य सुमन कल्पनाओं के
ये आकाश कुसुम से सपने
क्या सच कभी हो पायेंगे ?
30
निकल नहीं रहे आंसू
घुट रही हैं चीखें कंठ में
चीख चिल्ला रही है
पर फडफडा रही है
सैयाद की कैद बुलबुल
मगर कुछ कर
नहीं पा रही है
सोचती एक जुल्म है
मेरी विवश ये जिन्दगी
कौन हूँ मैं ?
क्या है अस्तित्व मेरा
संगिनी या बंदिनी ?
-0-
31
छल से या बल से
कीचड़ से या कमल से
ख़ुशी से या गम से
झूठ से या दंभ से
सिंह से या सियार से
दुश्मन से या यार से
सूरज से या चाँद से
वृक्ष से या छाँव से
शहर से या गाँव से
हाथ से या पाँव से
गीता से कुरान से
हर शय हर इंसान से
इस मतलबी जहान से
अच्छा या बुरा मिला
ले लिया सबक मैंने
जो भी जिससे मिला
-0-
नाम – सपना मांगलिक
जन्मतिथि -17/02/1981
जन्मस्थान –भरतपुर
वर्तमान निवास-आगरा(यू.पी)
शिक्षा-एम्.ए ,बी .एड (डिप्लोमा एक्सपोर्ट मेनेजमेंट )
सम्प्रति –उपसम्पदिका-आगमन साहित्य पत्रिका ,स्वतंत्र लेखन, मंचीय कविता,ब्लॉगर ,फेसबुक पर काव्य-सपना नाम से प्रसिद्द ग्रुप जिसके देश विदेश के लगभग साढ़े चार हज़ार सदस्य है .व्हाट्स अप्प पर जीवन सारांश नामक साहित्य समूह
संस्थापक –जीवन सारांश समाज सेवा समिति ,शब्द -सारांश ( साहित्य एवं पत्रकारिता को समर्पित संस्था )
सदस्य- ऑथर गिल्ड ऑफ़ इंडिया ,अखिल भारतीय गंगा समिति जलगांव,महानगर लेखिका समिति आगरा ,साहित्य साधिका समिति आगरा,सामानांतर साहित्य समिति आगरा ,आगमन साहित्य परिषद् हापुड़ ,इंटेलिजेंस मिडिया एसोशिसन दिल्ली ,गूगनराम सोसाइटी भिवानी ,ज्ञानोदय साहित्य परिषद् बेंगलोर,डेल्ही पोएट्री सर्किल ,irro ,संस्कार भारती आगरा ,सुर आनंद
प्रकाशित कृति-(तेरह)पापा कब आओगे,नौकी बहू (कहानी संग्रह)सफलता रास्तों से मंजिल तक ,ढाई आखर प्रेम का (प्रेरक गद्ध संग्रह)कमसिन बाला ,कल क्या होगा ,बगावत (काव्य संग्रह )जज्बा-ए-दिल भाग –प्रथम,द्वितीय ,तृतीय (ग़ज़ल संग्रह)टिमटिम तारे ,गुनगुनाते अक्षर,होटल जंगल ट्रीट (बाल साहित्य)
संपादन –तुम को ना भूल पायेंगे (संस्मरण संग्रह ) स्वर्ण जयंती स्मारिका (समानांतर साहित्य संस्थान),बातें अनकही (कहानी संग्रह )
सम्मिलित संकलन – दामिनी ,सावधान बेटियां ,चुनाव चकल्लस ,क्यूंकि हम जिन्दा हैं ,मन बसंती ,शब्द मोहनी इत्यादि बीस से अधिक सम्मिलित संकलनों में हिस्सेदारी
प्रकाशनाधीन –इस पल को जी ले (प्रेरक संग्रह)एक ख्वाब तो तबियत से देखो यारो (प्रेरक संग्रह )बोन्साई (हाइकु संग्रह )पन्नो पर जिन्दगी (कहानी संग्रह )
विशेष –आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर निरंतर रचनाओं का प्रकाशन
सम्मान-आगमन साहित्य परिषद् द्वारा दुष्यंत सम्मान ,प्राइड ऑफ़ नेशन द्वारा सीमापुरी टाइम्स ,भारतेंदु समिति कोटा ,एत्मादपुर नगर निगम द्वारा काव्य मंजूषा सम्मान ज्ञानोदय साहित्य संस्था कर्नाटक द्वारा ज्ञानोदय साहित्य भूषण २०१४ सम्मान , ,अखिल भारतीय गंगा समिति जलगांव द्वारा गंगा गौमुखी एवं गंगा ज्ञानेश्वरी साहित्य गौरव सम्मान , गुगनराम एजुकेशनल ट्रस्ट (भिवानी,हरियाना )द्वारा पुस्तक टिमटिम तारे एवं कल क्या होगा पुरुस्कृत एवं विर्मो देवी सम्मान से सम्मानित , रुमिनेशन एंड कल्चरल सोशायटी मेरठ द्वारा प्रेरक पुस्तक सफलता रास्तों से मंजिल तक सम्मानित ,राष्ट्र भाषा स्वाभिमान न्यास (गाज़ियवाद)द्वारा कृति सफलता रास्तों से मंजिल तक पुरुस्कृत ,हिंदी साहित्य सभा आगरा द्वारा शिल्पी शर्मा स्मृति सम्मान ,आगरा महानगर लेखिका मंच द्वारा महदेवी वर्मा सम्मान ,सामानांतर संस्था द्वारा सर्जना सम्मान ,हेल्थ केयर क्लब आगरा , विभिन्न राजकीय एवं प्रादेशिक मंचों से सम्मानित
पता-एफ- 659,बिजलीघर के निकट , कमला नगर आगरा 282005
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