ईबुक - सरहदों की कहानियाँ -8 / चौराहे से उत्तर की ओर अब्दुल रहमान सियाल / अनुवाद व संकलन - देवी नागरानी

SHARE:

  चौराहे से उत्तर की ओर अब्दुल रहमान सियाल सुबह का वक़्त है, बस से उतरकर रोज़ की तरह चार कमरों तक महदूद उस कॉलेज की बिल्डिंग की ओर रुख़ कि...

  image

चौराहे से उत्तर की ओर

अब्दुल रहमान सियाल

सुबह का वक़्त है, बस से उतरकर रोज़ की तरह चार कमरों तक महदूद उस कॉलेज की बिल्डिंग की ओर रुख़ किया और हर रोज़ की तरह जल्दी- जल्दी सीढ़ियाँ फलांगते हुए क्लास रूम में पहुँचकर किताब कॉपियों को सीट पर फेंकते हुए बरांडे में आकर खड़ा हो गया। यहाँ वहाँ नज़र फिराई, देखा अभी तक कॉलेज का दरबान भी नहीं आया था। रोज़ की तरह सामने ‘कोर्ट व्यू’ बिल्डिंग पर लगे अंग्रेज़ी पोर्स्टस को चाह के साथ देखने लगा, कि उनमें कौन से नये पोस्टरों का इज़ाफ़ा हुआ है। जिस्म को उभारते पोस्टर शायद परीक्षा लेने के लिये लगाये गये हैं। पोस्टरों के पीछे कोर्ट के बाहर झोपड़ियों के नीचे मुनीमों की टेबल व कुर्सियाँ ऊपर से देखीं जो रोज़ की तरह उलट कर रखी गई थीं। यह सब देखने के बाद नीचे उतर आया। कॉलेज की बिल्डिंग का चक्कर लगाया पर कोई भी ऐसा आदमी नहीं पहुँचा था जिस के साथ बैठकर पल भर भी वक़्त गुज़ारा जा सके। कभी कभी कोई मुझसा सीधा-सादा कोई स्टूडैंट आ जाता तो फिर अच्छी कचहरी हो जाती थी और काफ़ी समय भी गुज़र जाता था।

पर आज कोई भी स्टूडैंट नहीं आया था। बस मैं अकेला ही था। पर अकेला बोर हो रहा हूँ क्या करूँ? कहाँ जाऊँ? अभी इन्हीं ख़यालों में गुम था कि अचानक घड़ियाल की घंटी बज उठी। नज़र उठाकर देखा तो साढ़े सात बजे थे। टाइम देखकर और भी ज़्यादा बोर होने लगा। कॉलेज शुरू होने में पूरा एक घंटा बाक़ी था। पहला पीरियड मिस जमाल का होता है। वैसे तो पहला पीरियड अटैंड करना किसी को भी याद नहीं होता था। अक्सर कई स्टूडैंट्स का मिस हो जाता था। पर जब से मिस रोज़ी जमाल हमारे कॉलेज में आई हैं, तब से स्टूडैंट्स क्लास शुरू होने के पहले आ जाते हैं। हर एक भली-भांति तैयार होकर आ जाता।

क्लास शुरू होने में पूरा एक घंटा बाक़ी था। मन में बहुत गुस्सा भर गया। जब कुछ और न कर सका तो मन ही मन में स्कूल बस के ड्राइवर को पहले तो कोसने लगा और फिर गालियाँ देने लगा, क्योंकि जो ठंडक गालियाँ देने से मिलती है, वह कोसने से नहीं मिलती। साला..... कहीं का। सुबह साढ़े पाँच बजे नींद से उठना पड़ता है, सिर्फ़ स्कूल बस तक पहुँचने के लिये। बेबस होकर स्कूल की सीढ़ी पर एक खंभे का सहारा लेकर बैठ गया। दस-पंद्रह मिनट गुज़र गए पर कोई भी दोस्त नहीं आया जिसके साथ बैठ कर वक्त गुज़ारने की ख़ातिर कोई इश्क की दास्तां की बात करूँ। दिल में ख़याल आया, किसको फ़ुर्सत है कि साढ़े सात बजे कॉलेज आए! शहर वालों के लिये तो जैसे सूरज अभी भी निकला ही नहीं है। आठ के पहले कौन आता है? जहाँ भी नज़र जाती हैं वहाँ वीराना दिखाई देता है, जैसे किसी राक्षस के डर से लोग घरों में छुपकर बैठे हों। स्कूल की सीढ़ी से उठकर बाहर की बड़ी गेट पर आकर खड़ा हो गया। हलका यातायात प्रवाहित हो रहा था।

रोज़ वक़्त गुज़ारने के लिये कहीं न कहीं राहों पर निकल पड़ता हूँ। आज भी फिरदोस सिनेमा से होता हुआ चौराहे पर आकर खड़ा हो गया। दिल में यही पीड़ा रही कि सुबह के समय शायद किसी अपने का दीदार हो जाए पर वहाँ भी यही लगा जैसे कोई राक्षस सुबह-सुबह वहाँ से होकर गया हो। एक मैं ही था जो इस वक़्त ऐसी बेकार बातें सोच रहा था। जाने क्यों आज बेचैनी हद से ज़्यादा बढ़ गई थी। आज भी क़दम अपने आप किसी ओर बढ़ने लगे। चौराहे से होकर सीधा ‘सीमाब ड्राई क्लीनर्स’ के सामने से फिरते हुए उत्तर में जाती गली की ओर बढ़ा।

ऐसे भी दिन थे जब मैं हर रोज़ उस गली में से गुज़रता था, पर आज बहुत दिनों के बाद उस गली में दाख़िल हुआ हूँ। गली में नज़र दौड़ाई, और कुछ तो नहीं, बस राह में कोई पत्थर पड़ा था। फुटबॉल का शौक़ीन हूँ, आदत से मजबूर होकर जूते से एक ज़ोरदार ठोकर लगाई। पत्थर उछलता हुआ दूर जा पहंचा। गर्दन उठा कर देखा तो वह सामने किसी दरवाज़े पर खड़ी लड़की के क़रीब जाकर गिरा था। बहुत शर्मसार हुआ। दिल में सोचा- ‘लड़की क्या सोचेगी... शायद यही सोचेगी कि पागल हूँ.... या यही कि मैं उसे छेड़ने के लिये कर रहा हूँ। सोचा.... कहीं अपने माता-पिता को बुलाकर मार न पिटवाए कि दिमाग़ से इश्क का धुआँ निकलता रहे। पीछे हटने की कोशिश की। दिल में आया कि दौड़कर वहाँ से भाग निकलूँ ताकि वह मुझे देख भी न पाए। पर जाने क्यों एक क़दम भी पीछे हटा न सका। सामने बैठी लड़की अपने ख़्यालों में गुम थी। सफ़ेद पोशाक और सर पर काले रंग की रजाई ओढ़ रखी थी। कालापन तो मायूसी की निशानी है या फिर प्यार में शिकस्त की, पर आजकल काला कपड़ा आमतौर पर फैशन की माँग रहा है, फिर चाहे क्यों न पहनने वाला ख़ुद भी कोयले सा काला हो। लड़की ने गर्दन उठाकर मेरी ओर देखा.... यह चेहरा तो सौंदर्य का प्रतीक लगा, जैसे जाना-पहचाना, जैसे देखा-भाला। उसने मुझे देखते ही शायद पहचान लिया और मैं घबराहट के मारे गर्दन ऊपर उठाकर बिल्डिंग पर लिखा ‘इंगलिश टीचिंग स्कूल’ का नाम पढ़ने लगा।

दूसरी बार निहारा। दिल का दर्द उमड़ने लगा। पुराने ज़ख़्म जैसे रिसने लगे। ख़ुद-ब-ख़ुद बिना किसी इरादे वहीं खड़े सोचता रहा कि आगे चला जाऊँ? बात करूँ या न करूँ? क्या करूँ क्या न करूँ? वह मेरी ओर देखकर मुस्करा दिया, शायद मेरा हालत पर। मैं अभी भी सोचों में गुम था। फिर यहाँ वहाँ देखा कि कोई देख तो नहीं रहा। पर कोई भी नहीं था। वह अपने स्कूल के दरवाज़े के पास सीढ़ी में बैठी है। अभी तक कोई भी बच्चा नहीं आया था। हिम्मत नहीं होती कि मैं उससे बात कर सकूँ। शांत खड़ा हूँ।

"आज कैसे सवेरे सवेरे राह भूल गए हो?" ख़ुद बात की पहल करके उसने मेरी मुश्किल आसान कर दी।

"बस! आज कोई दक्षिण की हवा खींच लाई है, नहीं तो आने का कोई इरादा नहीं था।" मैंने कहा।

"हवाएँ अगर किसी को अपने साथ ले आतीं तो फिर शायद मैं भी किसी तरफ खिंची चली जाती।" उसने कहा।

"हवाएँ हर इंसान को तो नहीं खींचतीं, वे सिर्फ़ कमज़ोरों को खींच कर ले जाती हैं।" मैंने कहा।

उसने घूरकर मेरी ओर देखा, कुछ मुस्करा दिया और फिर यहाँ वहाँ ऐसे देखा जैसे किसी को ढूँढ रही हो। आँखे जैसे किसी को देखने के लिये आतुर थीं।

"किसे ढूँढ रही हो?" मैंने पूछा।

"उस गुज़रे वक़्त को ढूँढ रही हूँ जब मैं और तुम...." उसने बात आधे में काटते हुए कहा और फिर मुझपर अपनी नज़रें गाढ़ दीं जैसे पूछ रही हो

- कहाँ थे? कैसे थे?

मेरे पास उसके किसी भी सवाल का जवाब नहीं था।

"क्या देख रही हो?" मैंने फिर पूछा।

"देख रही हूँ कि.... कितना बदलाव आया है उन आँखों में जो हमेशा ख़ुमार में डूबी रहती थीं और वह चेहरा जो हमेशा दुखों के बावजूद भी मुस्कराता रहता था, वह सब कुछ आज पता नहीं क्यों...." वह आगे कुछ भी न कह पाई। मैं शांत खड़ा रहा। कुछ कहना चाहता था, कुछ पूछना चाहता था, कुछ बीते हुए समय को दोहराना चाहता था। पर वे सभी बातें कहनी व्यर्थ थीं। किससे बात करता? उससे, जिसकी डगर मुझसे बिलकुल अलग थी। जिसकी मंज़िल मुझसे बहुत दूर थी।

"कितने दिनों के बाद मिले हो, फिर भी ख़ामोश!" उसने पूछा।

"बात करने के लिये कुछ बाक़ी बचा भी नहीं है।" मैंने कहा।

"जिन के पास बात करने के लिये कुछ नहीं बचता, उन्हें बीते हुए कल के कुछ पल और कुछ यादें ज़रूर तड़पाती हैं।" उसने कहा।

"जब तड़पने की कोई संभावना ही न हो तो माज़ी के वो पल, वो यादें कहाँ तड़पेंगी?" मैंने कहा।

"पता नहीं क्यों, वक़्त अपनी रफ़्तार के साथ-साथ इन्सान को भी बदल देता है।" उसने कहा।

"वक़्त अगर इन्सान को बदल देता तो फिर शायद आज कोई किसी को पहचान न पाता।" मैंने कहा।

वह ख़ामोश बैठी रही। पता नहीं क्यों उसने मुझसे वह सब कुछ फिर पूछना चाहा, जो गुज़र चुका था। पर मैं नहीं चाहता था कि माज़ी को फिर से याद किया जाय। हमारी राहें अलग थीं और उन राहों पर चलने वाले दूसरे थे। हमारे हाथों की कनिष्ठिकाएँ दूसरों के हाथों में थीं। शायद हम बूढ़े हो जाएंगे तब भी हमारी लगाम हमेशा औरों के हाथों में होगी। दूर तक नज़र फिराई, बच्चों ने स्कूल में आना शुरू कर दिया था। मैं उस के पास खड़ा रहा, उसकी तरह मैं भी ख़ामोश था। हमारे बीच में वहीं एक सी ख़ामोशी थी। दूर से शायद कोई और टीचर आ रही थी और मैं घबराकर बिना कुछ कहे आगे बढ़ा। पता नहीं क्यों वक़्त ने उसे समुद्र की

एक लहर की तरह किसी दूसरे किनारे पर फेंक दिया है। हमारे बीच में फ़ासला इतना बढ़ गया है कि मैं उस तक पहुँच नहीं पाया। उसे छोड़कर मैं आगे बढ़ा। सीमाब ड्राईक्लीनर की ओर से चौराहे के गिर्द घूमकर कॉलेज की ओर बढ़ा। कुछ पल पहले वही क़दम जल्दी जल्दी चौराहे की ओर बढ़े थे, पर अब वह चुस्ती बिल्कुल ख़त्म हो गई थी। ऐसे महसूस कर रहा हूँ जैसे सारी दुनिया का बोझा मेरे कंधों पर आकर लद गया हो। कॉलेज की बाहर वाली बड़ी गेट से अंदर दाखिल हुआ। इससे पहले सुबह जहाँ वीरानगी के सिवा कुछ भी नहीं था, अब वहीं चहल पहल लगी हुई थी। स्कूल और कॉलेज के स्टूडैंट अपनी अपनी कक्षाओं में जा चुके थे। मैं कॉलेज की सीढ़ी से चढ़ते हुए वरांडे में दाख़िल हुआ। पौने नौ बज चुके थे। मैं अपनी कक्षा के पिछले दरवाज़े से इजाज़त लिये बिना चुपचाप जाकर पिछली सीट पर बैठा। मिस जमाल उस वक़्त पढ़ा रही थी और मैं अपनी सोचों में गुम था। वे बातों में चालाक और चुस्त ज़रूर है पर पढ़ाने में इतनी होशियार नहीं। अंग्रेजी में मास्टर्ज़ की डिग्री है उसके पास। कॉलेज के सभी स्टूडैंट मिस रोज़ी जमाल का नाम लेकर आहें भरते हैं, पर मुझे वह बिल्कुल नहीं भाती.... शायद ग़ैर होने के नाते और अपने फैशन के तौर तरीक़े और नखरों के कारण। पूरे कॉलेज की तीन लेडी टीचर्स में से सिर्फ़ एक टीचर मेरी आदर्श हैं, क्योंकि वह हमेशा चुप रहती हैं, मेरी तरह, या शायद अपनी सी लगती है।

क्लास में मिस जमाल की आवाज़ संगीत की तरह फैल रही है और मेरी गर्दन ज़मीन की ओर झुकी हुई थी। किसी गहरी सोच में डूबा हुआ था। क्लास में लेक्चर की तरफ़ कोई ध्यान ही न रहा। सीट पर ख़ुद को मवाली की तरह आज़ाद छोड़ दिया है। सोचों का सिलसिला जारी है। आज की मुलाक़ात अनोखी और अचानक हुई, बिलकुल सपनों की तरह मिस जमाल की आवाज़ ने अचानक सपनों से जगा दिया।

आज भी कल की तरह बस ने जल्दी लाकर छोड़ दिया है। सब कुछ रोज़ की तरह सामान्य है। मैं कॉलेज की इमारत से निकलकर चौराहे की ओर बढ़ता हूँ, कहीं-कहीं सोचों में खो जाता हूँ- मैं आज उससे मिलूँ या न मिलूँ?

सारी रात जागते उसी सोच में गुज़ारी है। कोई फ़ैसला नहीं कर पाया हूँ। चौराहे पर खड़ा हो जाता हूँ। एक दो क़दम आगे बढ़ता हूँ। हाँ, वह मेरा इंतज़ार करती होगी, मैं मन में सोचता हूँ। हाँ, मेरा इंतजार करती रहे। जब संजोग ही नहीं होना तो फिर क्यों किसी से मिला जाय। वह अलग, मैं अलग। फिर मिलना कैसा? मेरे मिलने से कहीं उसकी ज़िन्दगी ज़हर न बन जाए। मैं उसके लिये सोचता रहता हूँ। आज अपने आप ही उत्तर की तरफ जाने की बजाय दक्षिण की तरफ़ निकल आया हूँ। यहाँ कोई भी स्कूल नहीं, कोई भी लड़की नहीं। सिवा गैरेज के जहाँ लड़के और मिस्तरी हैं जो सुबह से आते ही ठक ठक करने लग गए हैं।

एक कार मेरे पास से गुज़रते हुए थोड़ा आगे जाकर गैरेज के पस रुक जाती है। ड्राइवर दरवाज़ा खोलकर मिस्त्री से बात करने लगता है। कार की पिछली सीट पर कोई सुंदर लड़की बैठी है। अपने आप से आँखें उठ जाती हैं। मैं आंखे रगड़ने लगता हूँ और ग़ौर से देखने की कोशिश करता हूँ। आँखों पर विश्वास नहीं होता, नज़र वहीं अटक जाती है। पुष्टि करना चाहता हूँ

वह बैठी है। तिरछे कोण से चेहरा नज़र आ रहा है। पता नहीं उसने भी मुझे देखा है या नहीं? उलटे पैर लौटता हूँ जैसे किसी ने बदन को डस लिया हो। दीर्घ श्वास की क्रिया जारी रहती है। लगता है उसने मुझे देखा नहीं है, वर्ना मुड़कर मेरी ओर ज़रूर देखती। पर वह कार किसकी हो सकती थी?

कार और अध्यापिका- परिकल्पना नहीं कर पाया। अब दृढ़ निश्चय कर लिया है कि उत्तर की तरफ़ चला जाऊँगा। बस यही दो भाग रह गए हैं। पर अगर वह उस तरफ़.... सोच कर चौंक उठता हूँ, शायद मैं उससे डर गया हूँ- मेरे लिये हर दिशा सीमित हो चुकी है। आज मैं ड्राइवर की बजाय ख़ुद को कोसने लगता हूँ- काश! मैं उत्तर की तरफ़ न गया होता। अपने आप से बतियाता हूँ।

मैं उससे बच नहीं सकता। ऐसा लगता है, मैं सारी उम्र उससे दूर भागता रहूँगा, पर वह किसी न किसी मोड़ पर ज़रूर आ पहुँचेगी। 

--

ईबुक - सरहदों की कहानियाँ / / अनुवाद व संकलन - देवी नागरानी

 

Devi Nangrani

dnangrani@gmail.com

http://charagedil.wordpress.com/
http://sindhacademy.wordpress.com/

------

(क्रमशः अगले अंकों में जारी…)

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: ईबुक - सरहदों की कहानियाँ -8 / चौराहे से उत्तर की ओर अब्दुल रहमान सियाल / अनुवाद व संकलन - देवी नागरानी
ईबुक - सरहदों की कहानियाँ -8 / चौराहे से उत्तर की ओर अब्दुल रहमान सियाल / अनुवाद व संकलन - देवी नागरानी
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEho3ENTmzNcrn5xTdUkPvjQUIxse0guouDrR4YNgijc0HCEpZvjaLTnuOIFwzx8HB1yiwUWTNS1JTzb2OaZQlO5yOIj-swHWXjMjKiM3xULB6_ybVryliQE-Oq6BmDCUmeXcXWm/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEho3ENTmzNcrn5xTdUkPvjQUIxse0guouDrR4YNgijc0HCEpZvjaLTnuOIFwzx8HB1yiwUWTNS1JTzb2OaZQlO5yOIj-swHWXjMjKiM3xULB6_ybVryliQE-Oq6BmDCUmeXcXWm/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/02/8.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/02/8.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content