ईबुक - सरहदों की कहानियाँ -4 / मुलाक़ात - रशीदा हिजाब / अनुवाद व संकलन - देवी नागरानी

SHARE:

  मुलाक़ात रशीदा हिजाब आज फिर ज़ोया का फ़ोन आया। गुज़रे एक महीने से वह कई बार फ़ोन कर चुकी है। एक दो बार आकर भी कह गई है, उसकी इल्तिजा ह...

  image
मुलाक़ात
रशीदा हिजाब
आज फिर ज़ोया का फ़ोन आया। गुज़रे एक महीने से वह कई बार फ़ोन कर चुकी है। एक दो बार आकर भी कह गई है, उसकी इल्तिजा है कि मैं शीबा से मिलूँ। वैसे भी शीबा से मिले बरसों हो गए थे। उससे कैसे मिलूँ? किस मुँह से मिलूँ? हक़ीक़त तो यही है कि मेरी ही हिम्मत नहीं हो रही थी। एक लम्बे अरसे से न तो उसका हाल ही जाना था, न ही कभी उसे अपने पास बुलाया था। अभी तो उसके पदचिन्ह भी यादों के कैनवस पर धुँधले से होने लगे थे।
शीबा वह हस्ती थी जिसे मैं एक पल भी ख़ुद से जुदा करने की बात सोच ही नहीं सकती थी। वह मेरे ही वजूद का एक अहम अंग बन गई थी। सही सही तो याद नहीं पर इतना ज़रूर याद है कि उसके साथ मेरी पहली मुलाक़ात एक छोटे शहर में हुई थी। हम दोनों एक बड़े घर के आंगन में खेलते-खेलते, एक दूसरे की हमराज़ और साथी बन गई थीं। वह एक सेहतमंद और लुभावनी शक्ल की लड़की थी, पर उसके बावजूद वजूद की कभी न भूल पाने वाली बात थी उसकी प्रतिभा और भरपूर ज़िंदगी की चमक से रोशन आँखें और उसके गालों पर बनने वाले दो खूबसूरत कपोल भंग (कपउचसमे)ण् अजीब बात यह थी कि वह हँसमुख और ज़हीन लड़की एक घड़ी में बैठे-बैठे अचानक गौतम बुद्ध की तरह ख़़ामोश हो जाती थी। फ़लसफ़े और ज्ञान का संगम उसे एक और शख्सियत का स्वरूप प्रदान करते थे। उन दिनों में ही उसने लिखना शुरू किया और थोड़े ही समय में बाल-साहित्य के अदब में उसका नाम हो गया। कभी-कभी उसे बात करते सुनकर यह यक़ीन ही नहीं होता था कि जो लड़की पत्थरों के टुकड़ों को पाँव से ठोकरें लगाकर कूदा करती थी वह अदीबा बन जाएगी! काफ़ी अरसे तक वह मुझसे दूर चली गई।
एक लम्बे अंतराल के बाद उससे मुलाक़ात हुई तो वह पहले वाली उत्पाती, अस्त-व्यस्त रहने वाली शीबा न थी। उसकी चाल में हिरणी वाली मस्ती तो अब भी थी, आँखों की चमक भी हीरों को मात दे रही थी, गालों के सुंदर कपोल भंग छुपाए नहीं छिप रहे थे और सबसे बड़ी बात अब उसकी जवानी में ख़ूबसूरती भी शामिल हो गई थी। उसके बेहद घने बाल अस्त- व्यस्त न होकर दो मोटी चोटियों में बंधे काले नाग की तरह उसके गले में झूल रहे थे।
"अरे शीबा, तुम इतनी बड़ी कैसे हो गई?" (वह न सिर्फ़ क़द में, पर दर्जे और सम्मान में भी बहुत बड़ी हो गई थी।)
"तुमसे तो मिलने के लिये भी अब सोचना पड़ता है।" मैंने फीकी सी हँसी हंसते हुए बात की तो वह हमेशा की तरह बेझिझक होकर मेरी बाँहों में अपनी बाँह डालकर ठहाका भरते हुए कहने लगी -
"अरी, पागल हो गई हो क्या? दुनिया के लिये कुछ भी रहूँ, तुम्हारे लिये तो वही छुटपन वाली शीबा हूँ। मैं तुम्हें क्या बताऊँ कि मेरे लिये सबसे ज़्यादा खुशनुमा लम्हा वही होता है जब मैं तुम्हारे साथ होती हूँ।"
वह ग़लत नहीं कह रही थी पर मुझे ऐसा महसूस होने लगा कि वह एक उत्तेजनाहीन अंदाज़ में मुझसे दूर होती जा रही है। अब उससे मिलने के वक़्त वह जोश, जज़्बा और उमंग महसूस न होती थी। उसको औरों से घिरी हुई देख, मैंने ख़ुद अपने क़दम पीछे कर लिये। अखबारों में, रसालों, टी.वी. और रेडियो के माध्यम से उसके बारे में मालूम होता रहता था। कभी-कभी उसकी तस्वीरें भी अखबारों में आ जाती थीं। एक लम्बे अरसे के बाद उसकी तस्वीर एक रसाले में देखी तो चौंक उठी। रसाला फिर फिर उठाकर देखा। नाम उसका ही था पर सूरत इतनी बदली हुई थी कि ख़ुद को यक़ीन दिलाने की कोशिश में मैं नाक़ामयाब रही कि यह वही शीबा है। वह एक बड़ी संस्था की व्यस्थापक व निर्वाहक थी। टेलीफ़ोन नम्बर हासिल करके उसे फ़ोन किया तो पहला शब्द सुनकर ही वह चिल्ला उठी-
 
"अरे, आज कैसे तुम्हें मैं याद आ गई?"
"याद नहीं आई, अब तुम याद उन्हीं को आओगी जो तुम्हारे आस-पास मज़बूत क़िले बनाकर खड़े हैं।"
"पक्के नहीं, कच्चे क़िले.... अरे यह तो कच्ची मिट्टी की कच्ची दीवारें हैं, मेरा मज़बूत पक्का किला, मेरा पुख़्ता आश्रय तो तुम हो।" उसने कमज़ोर आवाज़ में कहा।
"शीबा, तुम ठीक तो हो? तस्वीर में इतनी कमज़ोर और आवाज़ इतनी टूटी और बिखरी-बिखरी, हमारी शीबा तो ऐसी न थी।"
उसने जवाब क्या दिया, मैं समझ नहीं पाई। शायद उसके आस-पास काफ़ी लोग थे, या वह कोई समस्या सुलझा रही थी।
"मैं तुमसे बाद में बात करूँगी।" फिर फ़ोन बंद कर दिया। पहले मैं कुछ खफ़ा हुई पर बाद में बेइन्तहा दुख हुआ। उसी दिन ज़ोया का फोन आया। मैंने उसे सुबह वाली बात सुनाई तो वह थोड़ी देर के लिये चुप हो गई, फिर कहा- "तुम कब से उससे नहीं मिली हो?"
जवाब देने के लिये होंठ हिले तो शर्मिंदगी से उन्हें फिर खोल न पाई।
"यक़ीनन, तुमने अरसे से उसे देखा नहीं है। वह बहुत कमज़ोर, क्षीण है और उसका दिल भी टूटा हुआ है। वह हम सबसे बहुत दूर चली गई है। तुम्हारे और मेरे जैसे दोस्त और प्यार के दावेदार उसे मुश्किल और दुश्वार राहों पर अकेला छोड़ आए हैं। तुम्हें तो याद है, वह गली में छोटे बच्चे को रोता हुआ देखती थी तो किताब के बीच में रखा अपनी खर्ची वाला एक रुपये वाला नोट बच्चे के हाथ में देकर आती थी। ईद पर पड़ोस में रहने वाली ग़रीब छोकरी रहीमाँ नए कपड़े न पा सकी तो अपना नया क़ीमती जोड़ा मोतियों के हार समेत ज़मीन पर फेंककर माँ के साथ लड़ने लगी।
"क्यों बनवाया आपने यह फीरोज़ी जोड़ा? आपको पता है कि यह रंग मुझे ज़रा नहीं भाता। नहीं चाहिये मुझे यह जोड़ा जाकर रहीमाँ को दे दो, तो वही पहन ले।" गुस्से का गुस्सा और रहीमाँ की ईद की ईद! उस की इस ख़ामोश हमदर्दी को सब समझते थे इसलिये उसकी माँ पहले से ही बंदोबस्त कर रखती थी, फ़ीरोज़ी के साथ नीला जोड़ा भी तैयार रहता था।
पढ़ाई में होशियार होने के कारण हमारे सारे ग्रुप को स्कालरशिप मिलती थी। सत्ताइस रुपये महीने के हिसाब से साल भर में अच्छा ख़ासा पैसा मिलता था। हम जान बूझकर छिपकर जाकर स्कालरशिप लेते थे कि कोई सोने की अंगूठी या कोई अच्छा जोड़ा ले सकें। वह बार-बार वादा करके ईद बाज़ार जाने के समय गुम हो जाया करती थी। एक बार उसकी चोरी पकड़ी गई। बर्फ़ की कुलफ़ियाँ बेचने वाला पड़ोसी रफ़ीक़ जल्दी-जल्दी जा रहा था, ज़ोया ने जाकर हाथ पकड़ा, "ये क्या छिपाकर भाग रहे हो?प्रेचारा बच्चा डर गया, एक ही डाँट में सच स्वीकार कर लिया- "बहन दो बार मैट्रिक में फेल हुआ हूँ.... कुलफियों के धंधे पर घर चल रहा है। फिज़िक्स और मैथ में ट्यूशन की ज़रूरत है। दीदी ने कहा तुम ज़रूर पढ़ो। ट्यूशन फ़ीस उसने दी है। लड़के ने मुट्ठी खोली- सौ सौ के चार कड़क नोट खड़-खड़ करने लगे। हम दोनों ने एक दूसरे की ओर देखा वह शर्मिंदा होकर यहाँ वहाँ देखने लगी, जैसे उसने नेकी नहीं बल्कि चोरी का काम किया हो।
ऐसी सचेतन संवेदनशील मन वाली, इतना प्यार करने और प्यार देने वाली शीबा अब अफ़सरी के पद पर, प्रभुत्व-प्रतिभा, नियमों, फ़ैसलों के जाल में, क़ायदे-क़ानूनों की ज़ंजीरों में जकड़ी हुई, अपनी तबीयत की अवहेलना कर रही है।
"तुम उससे ज़रूर मिलो। उसे हमारे प्यार की जितनी अब ज़रूरत है पहले कभी भी न थी। उसका ग़म, उसकी तन्हाई है। इतनी भीड़ में रहते भी वह अकेली है, दिल शिकस्ता है।"
जितनी देर ज़ोया बतियाती रही मेरे तस्व्वुर में तरो-ताज़ा गुलाब के फूल जैसी निखरी-निखरी आँखों वाली शीबा फिरती रही। उसके लम्बे बालों के बिखरे हुए स्याह-स्याह बादल मेरी आँखों में उतर आए। अगले पल मेरे क़दम उसके ऑफ़िस की ओर बढ़ गए। ऑफ़िस के बाहर गार्ड बंदूक लिये बैठा था। उसके कमरे के पहले, उसकी सेक्रेटरी का कमरा था। मुलाक़ात के पहले उनसे इजाज़त लेनी ज़रूरी थी। मैं मन ही मन में हँसी। शीबा जैसी निरुपद्रव, निष्पाप, सदाचारी और अमन पंसद, बल्कि किसी हद तक बुज़दिल शख़्सियत को इस दिमाग़ी फ़ौज की क्या ज़रूरत पड़ी!
मैं दोनों कमरे पार करके उसके ऑफ़िस में आई। वह अपने शानदार ऑफ़िस में हमेशा की तरह गहन विचारों से घिरी हुई थी। एक पल के लिये मेरा दिल गर्व से भर गया। इतनी इज़्ज़त, इतनी शान, ऐसा मुक़ाम उस छोटी सी कमज़ोर लड़की को सिर्फ़ व सिर्फ़ उसकी नेकदिली और मेहनत के बदले मिला था। वह कोई और नहीं हमारी शीबा थी। पर दूसरे पल जब उसके चेहरे पर नज़र पड़ी तो ज़ोया का रोना याद आ गया। वक़्त और कई सालों की मेहनत ने शायद अब उसकी हड्डियों को निचोड़ डाला था। आँखों में प्रतिभा की नमी तो आज भी झलक रही थी पर जवानी की लौ दम तोड़ती नज़र आ रही थी। चेहरे का गुलाब जाने कब कुम्हाला गया था। घने काले बालों में चांदी की तारें लिपटी हुई थीं। मुझे देखकर वह बे-इख़्तियार हो उठी। मुस्कान उसके चेहरे पर छा गई। उसके गालों में पड़ते सुंदर कपोल भंग जाने कहाँ ग़ायब हो गए थे? वही तो थे जो हर किसी को उसके आकर्षण में डूबने को मजबूर करते। वह अपने दोनों हाथ और बाँहों फैलाकर बे-अख़्तियार मुझसे मिलने के लिये आगे बढ़ी पर उसी समय टेलीफोन की घंटी ज़ोर-ज़ोर से बजने लगी। पास में रखा हुआ लाल बल्ब भी जल्दी-जल्दी जलने लगा वह रुक गई। रिसीवर उठाकर कुछ देर फ़ोन पर बात करती रही। उसके चेहरे पर फ़िक्रमंदी की लकीरें उभरने लगीं। रिसीवर रखकर वह तुरन्त बाहर निकलने लगी। मेरे स्वागत के लिये उठे हुए उसके हाथ और बाँहें नीचे की ओर लुढ़कीं।
"माफ़ करना, मैं तुमसे आज मिल न सकूँगी। एक एमर्जेंसी है। मुझे इसी वक़्त ही एक अहम मीटिंग में भाग लेना है।"
वह तेज़ी के साथ चली गई और मैं दरवाज़े पर खड़ी सोचती रही- ‘तुम कब मिलोगी? कब अपने वजूद के इस बिछड़े हुए हिस्से को मुलाक़ात का मौक़ा दोगी? क्या तुम और मैं हमेशा के लिये अलग हो गए हैं? तुम्हारे संवेदनशील दिल का यह नर्म कोना, तुम्हारे कागज़ और क़लम, तपती दोपहरी की मिट्टी उड़ाती गर्म मगर ज़िंदगी से भरपूर हवाएँ और सर्दी की लंबी सर्द व जटिल रातें, बहार में नरगिसी ख़ुशबू से भरी हवाओं के काफ़िले, सभी मेरी तरह तक अरसे से तुमसे मिलने के लिये बेक़रार खड़े हैं यह मुलाक़ात ख़ुद से तुम्हारी कब होगी? 
 
--
ईबुक - सरहदों की कहानियाँ / / अनुवाद व संकलन - देवी नागरानी


Devi Nangrani
dnangrani@gmail.com
http://charagedil.wordpress.com/
http://sindhacademy.wordpress.com/
------
(क्रमशः अगले अंकों में जारी…)































COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: ईबुक - सरहदों की कहानियाँ -4 / मुलाक़ात - रशीदा हिजाब / अनुवाद व संकलन - देवी नागरानी
ईबुक - सरहदों की कहानियाँ -4 / मुलाक़ात - रशीदा हिजाब / अनुवाद व संकलन - देवी नागरानी
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgxAkavFE5iA6gHwNnP5UA-e_FqPnWn9zTutFZ8pFulZ4QrGF0crmmIFdLmtTDqDE3AuAgX6U6iGETrP-NmTHpuOYJTiEgrdfvTIsl87zCUHH3BSYDeLCgetwUsrxORWReC9oMr/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgxAkavFE5iA6gHwNnP5UA-e_FqPnWn9zTutFZ8pFulZ4QrGF0crmmIFdLmtTDqDE3AuAgX6U6iGETrP-NmTHpuOYJTiEgrdfvTIsl87zCUHH3BSYDeLCgetwUsrxORWReC9oMr/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/02/4.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/02/4.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content