सीमा स्मृति के तीन हाइगा --- रजनी मल्होत्रा नैय्यर की दो ग़ज़लें 1 ग़ज़ल तुम सितम करो, हम करम करें तुम ज़ुल्म...
सीमा स्मृति के तीन हाइगा
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रजनी मल्होत्रा नैय्यर की दो ग़ज़लें
1 ग़ज़ल
तुम सितम करो, हम करम करें
तुम ज़ुल्म करो, हम रहम करें|
ये बुज़दिली नहीं तो और क्या है ?
जाम में डूबकर ग़लत ग़म करें.
इंसानियत का उठ रहा है जनाज़ा
इंसानियत के नाते सही मातम करें.
वो शहर छोड़ कर जा रहा है,
उसके जाने का ग़म करें.
लाख अदावत सही उनसे, "रजनी"
उनकी बर्बादी पर चश्म नम करें.
2 ग़ज़ल
तारीकी में डूब गया दर- ओ- बाम,
ढल गया दिन और हो गयी शाम.
एक चिराग़ जला दें रास्ते में,
कुछ तो हो जाये नेक काम.
पसंद आये तो दाद दे देना,
यही है मेरे अशआर का इनाम.
किताबों से उठ नेट पर आ गया,
मीर हो या ग़ालिब का कलाम.
दौर -ए- तिश्नगी है ये "रजनी"
इल्म से ख़ाली है सबका जाम.
-- परिचय ...
नाम --------- रजनी मल्होत्रा (नैय्यर) .
जन्म स्थान ------- झारखण्ड के पलामू जिले (कुमंदी ग्राम )लालन -पालन रांची में |
जन्म की तिथि -- ----- ७-जून-
वर्तमान पता ------- बोकारो थर्मल (झारखण्ड)
शिक्षा ------ झारखण्ड एवं उ .प्र में. इतिहास (प्रतिष्ठा) से बी.ए.संगणक
विज्ञान में बी .सी. ए. एवं हिंदी से बी.एड . रांची इग्नोऊ से हिंदी में
स्नातकोत्तर | इतिहास में स्नातकोत्तर | हिंदी में पी.एच. डी. चल रही |
भाषा लेखन ---हिंदी, पंजाबी, उर्दू.
लेखन- गीत, ग़ज़ल, कहानियां, कविताएँ.
सम्प्रति ----- ( संगणक विज्ञान की शिक्षिका)
मेरी प्रथम काव्यकृति --------- "स्वप्न मरते नहीं “ संकलन
काव्य संग्रह " ह्रदय तारों का स्पन्दन " ," पगडंडियाँ " व् मृगतृष्णा
में मेरी ग़ज़ल |
प्रकाशन की प्रतीक्षा में --- ग़ज़ल संग्रह ,व् दूसरी कविता संग्रह |
विभिन्न पत्र - पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित . मंच पर सामयिक सामाजिक
राजनीतिक व् नारी सम्बन्धित रचनाओं का काव्य पाठ | हिंदी विकाष परिषद्
द्वारा सम्मान प्राप्त |19 वां अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन 2011
(आगरा )में सम्मानित २० वां अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन 2012
(गाज़ियाबाद )में सम्मानित | साहित्यांचल द्वारा रंजना चौहान सम्मान
२०१३ भीलवाड़ा राजस्थान से प्राप्त |सुरभि सलोनी पत्रिका में "वो बुरी औरत
" चर्चित धारावाहिक कहानी मेरे द्वारा लिखित | हिंदी पत्रिका वागर्थ,
कादम्बिनी, पाखी, अदबी दहलीज़ , आदि में रचनाएँ प्रकाशित| पंख पत्रिका
की सलाहकार ,
कनाडा की त्रैमासिक पत्रिका हिंदी चेतना में रचनाएँ प्रकाशित |अब्जद ,
इंसा , बिहार उर्दू एकेडमी, उर्दू टुडे, अदीब कर्नाटक उर्दू एकेडमी ,सदा
कश्मीर, ज़र्रीन शोआयें, बंगलौर, उफ़ुके अदब, महफिले फनकार, आजकल दिल्ली ,
आदि उर्दू पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित ." माँ दा नाम ध्या लौ भगतों "
पंजाबी सी. डी . के गीत मेरे द्वारा लिखित |
http://rajninayyarmalhotra.blogspot.in/
https://www.facebook.com/rajni.sweet11
rajni.sweet11@gmail.com
रजनी मल्होत्रा नैय्यर
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प्रभुदयाल श्रीवास्तव
एक बाल गीत
सोमा
अभी अभी सोमा आई है,चलकर चाल निराली।
बोली अंकल कथा सुनाओ,मुझको परियों वाली।
पारियां अच्छी अच्छी लाना,जिनके पंख लगे हों।
उन पंखों पर सुन्दर सुन्दर ,प्यारे रंग खिले हों।
हमने कही कहानी आई,उसके मुख पर लाली।
बोली अंकल कथा सुनाओ,मुझको परियों वाली।
उसको कथा सुनाने पर मन,मेरा भी खिल जाता।
बाहर से भीतर तक सारा घर पुलकित हो जाता।
खुशियों के मारे तो सोमा,लगी बजाने ताली
बोली अंकल कथा सुनाओ,मुझको परियों वाली।
सोमा जब तब आ जाती है,घर को महकाती है।
चिड़ियों को चुप न रहने दे,उनको चहकाती है।
दिन को जैसे होली मनती,होती रात दिवाली
बोली अंकल कथा सुनाओ,मुझको परियों वाली
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* श्रीकांत मिश्रा 'अंजान'
अज्ञानता के तम को जिसने,
ज्ञान से रौशन किया.
एक अंगूठे को जिसने,
अधिकारों का कलम दिया.
आज उन्हीं गुरुदेवों का,
हम शत् शत् नमन करते हैं.
ज्ञान प्रदाता राष्ट्र विधाता, का हम अभिनंदन करते हैं.
ईश्वर का अवतार है शिक्षक,
जो गूंगे को आवाज दिया,
सबसे बड़ा ज्ञान धन देकर,
निर्धन को भी ताज दिया.
इंसान बनाकर राह दिखाकर,
बुराइयों का शमन करते हैं,
ज्ञान प्रदाता राष्ट्र विधाता
का अभिनंदन करते हैं.
जिसने सिखाया पढ़ना लिखना
सत्य मार्ग पर चलना.
सिखलाया है जीवन पथ पर,
मुश्किलों में भी हंसना.
होते हैं जीवन में सफल,
जो उनका अनुसरण करते हैं.
ज्ञान प्रदाता राष्ट्र विधाता
का अभिनंदन करते हैं..
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"युवा"
अदम्य साहस का परिचय दे दे,
भारत माता की शान है युवा.
साहस शक्ति अद्भुत अतुलनीय,
मातृ भूमि की जान है युवा.
युवा तुम वो पहाड़ हो,
जो जंजीरे गुलामी तोड़ दे.
युवा तुम सिंह दहाड़ हो,
जो रुख़ हवा का मोड़ दे.
वीर पराक्रमी नाज है युवा,
सुसज्जित सुशोभित ताज है युवा.
युवा राष्ट्र की जीत है,
नेक अथक अखण्डित गीत है.
दुराचारी में आघात करें वो शूल हैं युवा,
पुलकित खिलती महकती फूल हैं युवा
युवा वो जो मातृभूमि पे बलिदान दे,
युवा वो सत्य निष्ठा आदर सम्मान दे.
तुम संघर्षी आदर्श साहसी सुविचार हो,
तुम प्रवाहित अविरल नदी की तेज धार हो.
दुश्मन की रुह काँप जाए,
ऐसी एक ललकार है युवा.
दुष्ट भ्रष्ट द्रोह शत्रु के लिए के लिए ,
एक तलवार है युवा .
* श्रीकांत मिश्रा 'अंजान'
ग्राम -सिंधौरी कला
पोस्ट -मंदरौद,493663
तहसील -कुरुद
जिला -धमतरी (छ.ग.)
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देवेंद्रराज सुथार
गरीब आज भी नंगा
चहुंओर साया दंगा
दुर्जनों से कौन ले पंगा
भीख मांगे भिखमंगा
कैसे लहराये तिरंगा
महंगाई में सब महंगा
हाथ बढा है तंगा
पापी के पाप के कारण
मैली हुई राम तेरी गंगा
मन नहीं किसी का चंगा
कैसे लहरायें तिरंगा
हवाओं में है जहर
प्रदूषण का बढा कहर
मिलावटी खानपान से
सिर के हुए साफ सारे बाल
बाहरा मासा यहां अकाल
अब जरुरत नहीं तेरी कंघा
कैसे लहरायें तिरंगा
कानून का चीरहरण
चोर पुलिस जैसे
अर्जुन और करण
संविधान भी रोये है
कांटे बबूल के बोये है
निर्दोषों के कत्ल में
हाथ लहू से है रंगा
कैसे लहराये तिरंगा
लथपथ है संविधान
शर्मिदा हुआ राष्ट्रगान
लोकतंत्र पर पहरा है
जन . जन कह रहा है
अश्लीलता के दौर में
मर्योदाओं को ठेंगा
कैसे लहरायें तिरंगा।
प्रेषक . देवेंद्रराज सुथार पुत्र स्व श्री इन्द्रमल सुथार
पता . गांधी चैक, आतमणावास, बागरा, जिला . जालौर, राजस्थान। पिन कोड . 343025
दूरभाष . 8107177196, 7725938679
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मुकेश कुमार "कुमार"
कि बातें करते हैं बदलने की... कविता
कि बातें करते हैं बदलने की...
कई युद्ध लड़े गये
राजा-महाराजाओं के बीच
कितने हारे कितने जीते
अब इतिहास के पन्ने बतलाते हैं
एक कसाई बेहरम होकर
अपना पेट पालता हैं
आदमी आदमी को मार कर
हाथ तक नहीं धोता...
बातें वो आदर्श की करते हैं
नीयत का पता नहीं
नील देकर सफेद कपडों को
टिप-टॉप रखते हैं...
दिनभर देखा उसे राम अल्लाह
करते करते फकीरों को...
शाम होते होते शराब की दुकान तक पहुँच जाते
हां दुनिया बदल रही हैं
जोर शोर से...
नेता के झूठे भाषण सुनते देखा है
ये मैं नहीं कहता...
रोज रोज महफ़िल सजती हैं
चौपालों थडियो पर...
कि बातें करते हैं बदलने की
मुकेश कुमार "कुमार"
Mob.No +918824717473
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