शनि और अमावास्या का संयोग हो या फिर शनि जयन्ती अथवा शनि से संबंधित कोई सी तिथि, पर्व या शनिवासरीय गतिविधि हो, हर बार शनि के नाम पर भय पैदा ...
शनि और अमावास्या का संयोग हो या फिर शनि जयन्ती अथवा शनि से संबंधित कोई सी तिथि, पर्व या शनिवासरीय गतिविधि हो, हर बार शनि के नाम पर भय पैदा करते हुए शनि का प्रकोप निवारण करने के लिए लाखों उपदेशकों, शनिभक्तों एवं साधकों के साथ ही ज्योतिषियों की ओर से तरह-तरह की राय दी जाती है।
शनि के अनिष्ट से बचने के लिए भांति-भांति के टोने टोटके, अनुष्ठान, पूजा, जप-तप और जाने कितने प्रकार के उपाय बताए जाते हैं, हनुमान और शनि की मामूली से लेकर खर्चीली उपासना और विभिन्न पद्धतियां बताई जाती हैं।
और भी बहुत कुछ है जो शनि के कोप से बचने या कि शनि की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता रहा है। यों भी धर्म का सबसे तगड़ा पहलू यही है कि जितना अधिक भय जहां होगा, वहां धर्म के नाम पर सब कुछ किया जा सकता है।
यह भय ही ऎसा है कि इंसान से वह सब कुछ करवा सकता है जो इंसान से करवाया जा सकता है। यों देखा जाए जो हम सभी लोग जो नहीं करना चाहिए, वह सब कुछ करते हैं। जिन बातों और कामों के लिए हमारे यहां वर्जनाएं हैं उनके प्रति हम उदासीन होकर सभी वर्जनाओं को तोड़ने पर आमादा रहते हैं और सीमाओं का व्यतिक्रम करने में हमें मजा आता है।
मर्यादाओं को छिन्न-भिन्न करने में हमें आनंद आता है। नैसर्गिक प्रवाह, संस्कृति और सभ्यता की धाराओं का अनुसरण तथा परंपराओं के अवलम्बन में जो आनंद, मस्ती और आत्मतोष है, वैसा और कहीं नहीं। फिर भी हम हमेशा अपनी पर आ जाते हैं और ऎसा कुछ करने लग जाते हैं कि जिससे मानवता भी कलंकित होती है और सभ्यता, संस्कृति, परंपरा और सब कुछ भी।
शनि की ढैया या साढ़े साती के कष्टों का शमन करना हो या शनि के खराब प्रभाव को ठीक करना अथवा शनि ग्रह की पीड़ाओं का शमन करना, इन सभी के लिए हजारों उपाय बताए जाते हैं, शनि के साथ हनुमानजी की पूजा-उपासना बताई जाती है और महामृत्युन्जय सहित विभिन्न देवी-देवताओं से संबंधित पूजा-पाठ बताए जाते हैं।
बहुत बड़ा बिजनैस नेटवर्क शनि के नाम पर गलियों, चौराहों से लेकर महानगरों और शनि मन्दिरों-धामों तक पसरा हुआ है। हजारों-लाखों लोगों के लिए शनि महाराज आजीविका दे रहे हैं। शनि के नाम पर देश में क्या कुछ नहीं हो रहा है कुछ बताने की जरूरत नहीं है।
शनि के प्रकोप से बचाने के लिए खूब सारे जतन करवाए जा रहे हैं, खूब सारे जतन हम कर रहे हैं, बावजूद इसके न शनि प्रसन्न हो रहा है, न हनुमानजी। शनि के कोप निवारण, शनि की कुदृष्टि को दूर करने या कि शनि की प्रसन्नता के जो भी उपाय हम अपना रहे हैं उन सभी में बिजनैसी गंध व्याप्त है, केवल गुमराह करने के सिवा कोई कुछ नहीं कर रहा।
टाईमपास के सहारे शनि प्रभावित समय को गुजारने का यह सर्वश्रेष्ठ मूल मंत्र है। शनि को तीव्रतम क्रूर ग्रह माना जाता है और इसकी छाया तक से लोग परहेज करते हैं। शनि के मामले में पौराणिक काल से लेकर अब तक का यही अनुभव रहा है कि इसकी वक्र दृष्टि और कोप से कोई नहीं बच सका है।
ऋषि-मुनि, सिद्ध, तपस्वी गण, देवता और असुर तक नहीं बचे हैं, मनुष्य की तो बिसात ही क्या है। शनि को लेकर जो भी पौराणिक मिथक प्रचलित हैं वे सारे के सारे शनि के प्रति जबर्दस्त भय पैदा करने वाले हैं। और यह सच भी है।
शनि ग्रह से न कोई बच सका है, न बच सकेगा। यही कारण है कि शनि ग्रह को बुरा माना जाता है। हमारे आस-पास भी खूब सारे ऎसे बुरे लोग होते हैं जिन्हें ‘शनि’ कहा जाता है। और इनके बारे में यह मान्यता है कि ये लोेग जो कुछ करना है वह करेेंगे ही करेंगे, इनसे मुक्ति नहीं पायी जा सकती।
शनि को लेकर जमीन से लेकर आसमान और सभी लोकों में प्रचलित इन पुरातन मान्यताओं के बावजूद यह स्वयंसिद्ध तथ्य है कि शनि ग्रह किसी भी प्रकार से बुरा नहीं है। शनि न्यायाधीश है और उसी के अनुरूप वह जीवात्मा को उसके कर्मों का फल प्रदान करता है।
एक सच्चा और अच्छा न्यायाधीश निरपेक्ष और पक्षपातरहित दण्डनायक होता है और वास्तविक दण्डनायक वही है जो कर्म के अनुरूप फल का निर्धारण कर भुगतवाता है। इस दृष्टि से शनि न किसी जीवात्मा पर प्रसन्न हो सकता है, रुष्ट।
वह आज की तरह किसी से प्रभावित होने वाला नहीं है। न्याय की तुला पर जो कुछ आता है उसी के अनुरूप शनि फैसला करता है। शनि न अपनी ओर से किसी को छूट देता है, न किसी को बेवजह परेशान करता है।
शनि के मामले में यह सारे तथ्य जानते-बूझते हुए भी शनि विशेषज्ञों की जमात अपने अनुचरों और शनि से भयभीतों को केवल टोने-टोटके, उपाय और गलियां बताने के सिवाय कुछ नहीं कर पा रही।
समाज और देश में अन्याय, अत्याचार, आतंकवाद, दुरचारों, बुराइयों, भ्रष्टाचार, बेईमानी, व्यभिचार और विभिन्न प्रकार की कुरीतियां, शोषण और भय देने की कुत्सिक वृत्तियों में लोग रमे हुए हैं, लूट-खसोट और छीना-झपटी, पुरुषार्थहीनता, बिना मेहनत के सब कुछ अपने नाम कर लेने, परायी जमीन जायदाद पर अतिक्रमण और पाप प्रवृत्तियों में लगातार अभिवृद्धि हो रही है और हम हैं कि इतना सब कुछ कर लेने के बाद भी इस भ्रम में जी रहे हैं कि शनि हमारा कुछ न करे, शनि प्रसन्न रहे, टोनों-टोटकों और तंत्र-मंत्र-यंत्र या तेल चढ़ाने से खुश हो जाए और हम सारे अपराधों और पापों से बरी हो जाएं, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करते रहें।
शनि यों गुमराह होने वाला नहीं है। उसे अच्छी तरह पता है कौन कितने पानी में है, कौन कितना दूध का धुला हुआ और पाक-साफ है। शनि को भ्रमित करने के मिथ्या आडम्बरों से बचें और समाज तथा देश को वैभवशाली बनाने, अपने तन-मन के सुखों एवं शांति को पाने के लिए दुराचरण और वर्जित कर्मों को छोड़ें।
शनि के कोप से बचने के लिए खुद भी बुराइयों से दूर रहें और दूसरों को भी इससे बचने की नसीहत दें। खुद अपराध और भ्रष्टाचार में रमते चले जाएं और दूसरी ओर शनि को खुश करने के टोने-टोटके करते रहें, तेल चढ़ाते रहें, शनि स्तोत्र के जप करते रहें, मन्दिरों के चक्कर काटते रहें, इससे कुछ भी होने वाला नहीं है।
शनि न्यायप्रिय है। उसके वहां न देर है, न अन्धेर है। हाथों हाथ सब कुछ निपटाने की क्षमता किसी में है तो वह शनि ही है। इसलिए शनि की कृपा पाना चाहें तो जीवन से अन्याय, अनाचार और भ्रष्टाचार को दूर करें, न्यायोचित और मर्यादित कर्म का आचरण करें और इस प्रकार जीवन जीएं कि बुराइयों का लेश मात्र भी स्थान न हो, दूसरों के परेशान न करें, चुगलखोरी, नुकसान पहुंचाने और औरों की जिन्दगी में बेवजह दखल न दें।
अन्यथा यह शनि तबाह कर देने वाला है। नालायक और अनचाहे इंसान बन गए लोग आज सुधर जाएं तो ठीक हैं वरना शनि तबाही का इतिहास रचने सामने ही खड़ा है। बच के रहना है तो नालायकियां छोड़ें, दिव्य जीवन अपनाएं।
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- डॉ0 दीपक आचार्य
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