भारत का अगला क्रांतिकारी चरण तकनीकी के वेश मे पदार्पण करेगा - ललित याज्ञिक

SHARE:

  भारत का अगला क्रांतिकारी चरण तकनीकी के वेश मे पदार्पण करेगा - ललित याज्ञिक   अंतर्राष्ट्रीय आईटी विशेषज्ञ ललित याज्ञिक से हरिहर झा की बात...

 

भारत का अगला क्रांतिकारी चरण तकनीकी के वेश मे पदार्पण करेगा - ललित याज्ञिक

image

 अंतर्राष्ट्रीय आईटी विशेषज्ञ ललित याज्ञिक से हरिहर झा की बातचीत

ठीक ही कहा है, भ्रष्टाचार-भ्रष्टाचार चिल्लाने से कुछ नहीं होगा। उसे दूर करने के उपाय ढूंढने में लग जाना चाहिये। लेकिन क्या इस क्षेत्र में तकनीकी कुछ मदद कर सकती है? इतिहास साक्षी है छोटे-मोटे तकनीकी-नवीनीकरण का श्रेय भले व्यापार-विश्लेषण को जाता है पर शत-प्रतिशत नवीनीकरण में सफलता तब मिली

ठीक है जब हालात से चिढ़ी हुई जनता को तकनीकी विशेषज्ञों की टीम का सहारा मिला हो। तो तकनीकी क्षेत्र के दुरूह प्रश्नों के जवाब के लिये हम श्री ललित याज्ञिक से रूबरू होते हैं जो उभरती तकनीकी को उपयोग में लाने के विशेषज्ञ हैं। ललित आईटी के क्षेत्र में व्यवसायिक समस्याओं के सलाहकार हैं। आईबीएम की ‘स्मार्टर प्लेनेट सोल्यूशन्स’ टीम जो भारत, आस्ट्रेलिया और पूर्वी यूरोप आदि देशों में विकास के व्यवसाय से संबंध रखती हैं, उसमें कार्यकारी शिल्पकार हैं तथा आईबीएम एकेडमी ऑफ़ टेक्नोलोजी में तकनीकी नेतृत्व की टीम के सदस्य हैं और दक्षिण पूर्वी एशिया के राष्ट्रीय संघ (ॠच्कॠग़्) में तकनीकी विशेषज्ञों की काउन्सिल के चेयरमेन हैं।

एक शिक्षक-पुत्र होने के नाते आपने ज्ञान अर्जित किया और बाँटा। सरकारी विभागों में याने बेहरीन, भारत और सिंगापुर के विभागों में, औद्योगिक प्रतिष्ठानों में और विश्वविद्यालयों में। सीखने के जुनून में आपने इन देशों में अनेक बार यात्रा की। क्योंकि जैसा कि ऊपर लिखा है इन क्षेत्रों में श्री याज्ञिक अत्याधुनिक तकनीकी में आईटी व्यापार की समस्या-विश्लेषण के लिये कार्यकारी शिल्पकार हैं, आईबीएम के विकास बाजार में। और अब 40 हजार सदस्यों से बनी आईबीएम एशिया पेसिफिक आईटी के विशेषज्ञों की टीम का नेतृत्व कर रहे हैं

1976 में कम्प्यूटर का क्षेत्र भारत में नया-नया था तब बिट्स पिलानी से कम्प्यूटर विज्ञान में परास्नातक डिग्री प्राप्त की और बेहरीन की सरकार ने अपने विभागों के कार्य को स्वतः याने कम्प्यूटर चालित करने व ई-शासन की स्थापना के लिये इन्हें सलाहकार नियुक्त किया। शैक्षणिक संस्थाओं से कोई नाता तो न था पर सीखने और बाँटने की रुचि ही थी जो आपको वहाँ के एकमेव विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम निर्धारण के लिये ले आई तथा आप ‘बेहरीन कम्प्य़ूटर सोसाइटी’ के संस्थापक सदस्य बने। यही धुन थी कि परास्नातक की दूसरी डिग्री उदयपुर से लेने के 30 साल बाद ङग्क्ष्च्र् से तीसरी परस्नातक डिग्री प्राप्त की।

1985 में आपको आईबीएम आस्ट्रेलिया द्वारा सिस्टम इंजीनियर नियुक्त किया गया, नई तकनीकी को मूर्तरूप देने के लिये। यहाँ भी मोनाश विश्वविद्यालय ने आपको अतिथि- व्याख्याता के रूप में आमन्त्रित किया। तत्पश्चात सिंगापुर की सरकार ने सिंगलैब द्वारा, जो कि एक संयुक्त उद्यम है, आपको तकनीकी परामर्श में सक्षम करने के लिये बुलाया। आपका कार्य सिंगापुर, भारत, चीन व आस्ट्रेलिया से योग्य व्यक्तियों का चयन कर तकनीकी में नवीनीकरण की सुविधा प्रदान करवाना था।

1985 में आपको आईबीएम आस्ट्रेलिया द्वारा सिस्टम इंजीनियर नियुक्त किया गया, नई तकनीकी को मूर्तरूप देने के लिये। यहाँ भी मोनाश विश्वविद्यालय ने आपको अतिथि- व्याख्याता के रूप में आमन्त्रित किया। तत्पश्चात सिंगापुर की सरकार ने सिंगलैब द्वारा, जो कि एक संयुक्त उद्यम है, आपको तकनीकी परामर्श में सक्षम करने के लिये बुलाया। आपका कार्य सिंगापुर, भारत, चीन व आस्ट्रेलिया से योग्य व्यक्तियों का चयन कर तकनीकी में नवीनीकरण की सुविधा प्रदान करवाना था।

दृष्टि में इन दोनों क्षेत्रों में अगले 5 से 10 साल में भारत का भविष्य बहुत उज्ज्वल है। क्योंकि भारत ने एक स्थायी वैश्विक आईटी समाधान प्रदाता के रूप में स्वयं को साबित किया है। कम लागत पर विशाल प्रतिभा-पूल उपलब्ध हो जाना दुनिया की सभी कंपनियों के लिये आकर्षण ही नहीं बल्कि एक आवश्यकता है, आज के लागत- प्रभावी बाजार के समाधान के लिए। स्पष्ट शब्दों में कहें तो लागत की बचत और क्ष्क्च्र् (सूचना और संचार प्रौद्योगिकी) की समस्या- समाधान पर केन्द्रित आज के विश्व में कोई भी कंपनी भारत को शामिल किये बिना अपना गुजारा नहीं चला सकती। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि विधिवत मॉडल द्वारा भारत को शामिल न करने की कोशिश भी की गई किन्तु भारत के पास जो अँगरेज़ी बोलने वाली आईटी प्रतिभा का क्रांतिक समूह है उसकी कोई देश लगभग रूप में भी बराबरी नहीं कर सकता। किन्तु इसका यह मतलब नहीं कि भारत को सफलता की गारंटी मिली हुई है। कंपनियों, शैक्षिक संस्थानों तथा केन्द्र और राज्य की सरकारों को अपने वैश्विक ग्राहकों (विशेषतया अन्यत्र चले जाने वाले जोख़िम-ग्राहकों) के लिये अपने मूल्य-सृजन की ड्राइव में सुधार करने के लिए निरंतर प्रयास करना आवश्यक है।

दूसरी श्रेणी में घरेलू याने भारत की कम्पनियां, सरकारें, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि क्षेत्र में आईटी अंगीकृत करने की तथा प्रगति की रफ्तार को पकड़ पाने में गति धीमी रही है। जो प्रतिभा भारत में सुलभ है उसकी तुलना में विकास बहुत ही कम हुआ है। यह हाल वैसा ही है कि गंगा आँगन में और घर के लोग प्यासे। इतना अवश्य कह सकते हैं कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां अब भारत के विकास बाजार में आ चुकी हैं जिससे आईटी कंपनियां भारत के बाजार को गंभीरता से ले रही हैं वर्ना तो वे ग्राहकों की खोज में केवल यूरोप और अमेरिका की तरफ टकटकी लगाये हुये थी।

इसका एक अच्छा परिणाम यह है कि जब इन कंपनियों ने एक बार भारत में बाजार के अवसर को पहचान लिया है तो आईटी के लिये प्रारूप के साथ मजबूत समाधान देना मुश्किल न होगा क्योंकि ललित याज्ञिक, 2015 में टेक्नो एन.जे.आर. प्रौद्योगिकी संस्थान, उदयपुर ऑस्ट्रेलियाई आईटी विशेषज्ञों के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुये।

वो दुनिया के समक्ष बहुत बार ऐसा कर चुकी है अतः भारत में निश्चय ही आईटी-प्रसारण की उम्मीद रखी जा सकती है। पर आलोचकों का तर्क है कि भारत में व्यापार, सरकार और सामाजिक क्षेत्र में हर जगह याने सिस्टम की शुद्ध आवश्यकता में भी समझौतावादी ‘चलेगा’ वाली आदत गुड़ गोबर कर देगी। यह तो समय ही बतायेगा कि गुड़ गोबर किस प्रकार का होगा? लेकिन लगता है वह होगा एक शराबी की राह की तरह याने 5 कदम आगे फिर 4 कदम पीछे और इस तरह भी मंजिल मिल ही जायगी।

हरिहर : एशिया प्रशांत क्षेत्र में अपने व्यापक अनुभव के आधार पर आप यह बतलायें कि चीन के तकनीकी नवीनीकरण या नवाचार की तुलना में भारत की क्या स्थिति है? भारत के पास प्रजातन्त्र और अँगरेज़ी भाषा, दो अस्त्र होते हुये भी क्या आपको लगता है कि लोकतंत्र भारत की प्रगति में बाधा उत्पन्न कर रहा है?

ललित याज्ञिक : भारत में प्रौद्योगिकी-नवीनीकरण परंपरागत रूप से आईटी सेवाओं के वितरण और मुख्यतया अनुप्रयोगों के प्रबंधन और नए विकास में किया गया है और जैसा कि हम जानते हैं कि बहुत सी शोध और विकास की लैब और बहुराष्ट्रीय कंपनियां किस तरह प्रतिभावान और योग्य भारतीय वैज्ञानिक और इंजीनियरों से लाभान्वित हुई हैं पर अब वे ही वैज्ञानिक और इंजीनियर लम्बे समय तक अमेरिका में रहने के बाद भारत वापस लौट रहे हैं। इसके मुकाबले में चीन ने विश्व के और स्थानीय बाजार के लिए हार्डवेयर उत्पादों का नवीनीकरण किया है। सॉफ्टवेयर उत्पादों की पहुँच उसके अपने स्थानीय बाजार तक सीमित है । इसका परिणाम यह हुआ है कि भारत और चीन प्रतिस्पर्धा नहीं कर रहे क्योंकि वे अलग-अलग बाजार में काम कर रहे हैं। वास्तव में भारत की बहुत सी आईटी सेवा की कंपनियां चीन में इसलिये खुल रही हैं कि चीन की प्रतिभा का लाभ उठाया जाये और चीन का बाजार भी खटखटाया जाय। इसी प्रकार चीन की कंपनियों ने त्वरित और लागत-प्रभावी विकास के लिये भारत में सॉफ्टवेयर लैब खोले हैं। यहाँ तक केवल वर्तमान स्थिति का बयान है लेकिन भविष्य का परिदृश्य अलग हो सकता है। भारत के लिये अँगरेज़ी एक बहुत बड़े लाभ के खाते में चल रही है और लोकतन्त्र ने भी आईटी उद्योग पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं डाला। हालाँकि भारत-सरकार ने आईटी उद्योग में अगर कोई व्यवधान नहीं डाले तो वह कोई मददगार के रूप में भी आगे नहीं आई।

चीन की सरकार के पास प्रजातन्त्र की वोट-प्रणाली का अभाव होने से दीर्घकालिक दृष्टि रखने की और निवेश करने की क्षमता है जो भारत की अब तक आईटी सेवाओं में लगभग एकाधिकार की स्थिति के लिये चुनौती बन सकती है। भारत के आगे निकल जाने के कारण चीन ने अब तक क्या- क्या खोया है यही सोचकर चीन त्वरित गति से निवेश कर रहा है लेकिन अब तक उसे केवल थोड़ी-बहुत सफलता मिली है। इसके लिये अँगरेज़ी को एक कारण बताया जा सकता है। मेरे विचार से आईटी सेक्टर में वैश्विक मान्यता मिलने के क्षेत्र में भारत इतना आगे है कि चीन के लिये उसे पकड़ पाना बहुत मुश्किल है। फिर भी चीन को कम आँकने की भूल नहीं करना चाहिये क्योंकि अगर चीन इस उद्देश्य के पीछे पड़ जाता है तो उसके लिये कुछ भी करना पड़े; एक लम्बी अवधि में वह वहाँ पहुँचकर ही दम लेता है।

हरिहर : भारत में आम रिवाज बन चुकी भ्रष्टाचार की संस्कृति तकनीकी-नवीनीकरण से किस तरह का नाता जोड़ेगी?

ललित याज्ञिक : आपने बिल्कुल ठीक कहा। भारत में भ्रष्टाचार की एक संस्कृति है। इसे बदलने के प्रयास के रूप में यदि तकनीकी-नवीनीकरण का सहारा लिया जाय तो भ्रष्टाचार को कम करने के लिए और यहां तक कि भ्रष्टाचार को खत्म करने की इसमें क्षमता है। और इसके उदाहरण भी मौजूद हैं जैसे रेलवे आरक्षण में कम्यूटर द्वारा स्वचालन, जिसने इस क्षेत्र में इतने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का लगभग सफाया कर दिया है।

हरिहर : बड़े और संस्थागत भ्रष्टाचार के मामलों में जैसे कि 2जी घोटाले में अथवा खनन के मामले में या अदालत के मामलों में तकनीकी-नवाचार किस तरह मदद कर सकते हैं?

ललित याज्ञिक : तकनीकी-नवाचार मदद कर सकते हैं, निश्चित रूप से ऐसा हो सकता है अगर सोच के सिस्टम याने संज्ञानात्मक कंप्यूटिंग (जिसमें कंप्यूटर मानव-मस्तिष्क की तरह व्यवहार करता है क्योंकि उसने पास सीखने की तथा ‘सूचना’ और ‘ज्ञान’ के भंडार के साथ तर्क-प्रक्रिया और कंप्यूटींग शक्ति उपलब्ध है।) की शक्ति से नए युग में प्रवेश किया जाय जहाँ पर उपरोक्त सभी मामलों में भ्रष्टाचार समाप्त करने की क्षमता है। उदाहरण के लिए, एक कंप्यूटर आधारित प्रणाली में ऐसा नियोजित किया जा सकता है कि ने भी आईटी उद्योग पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं डाला। हालाँकि भारत-सरकार ने आईटी उद्योग में अगर कोई व्यवधान नहीं डाले तो वह कोई मददगार के रूप में भी आगे नहीं आई।

चीन की सरकार के पास प्रजातन्त्र की वोट-प्रणाली का अभाव होने से दीर्घकालिक दृष्टि रखने की और निवेश करने की क्षमता है जो भारत की अब तक आईटी सेवाओं में लगभग एकाधिकार की स्थिति के लिये चुनौती बन सकती है। भारत के आगे निकल जाने के कारण चीन ने अब तक क्या- क्या खोया है यही सोचकर चीन त्वरित गति से निवेश कर रहा है लेकिन अब तक उसे केवल थोड़ी-बहुत सफलता मिली है। इसके लिये अँगरेज़ी को एक कारण बताया जा सकता है। मेरे विचार से आईटी सेक्टर में वैश्विक मान्यता मिलने के क्षेत्र में भारत इतना आगे है कि चीन के लिये उसे पकड़ पाना बहुत मुश्किल है। फिर भी चीन को कम आँकने की भूल नहीं करना चाहिये क्योंकि अगर चीन इस उद्देश्य के पीछे पड़ जाता है तो उसके लिये कुछ भी करना पड़े; एक लम्बी अवधि में वह वहाँ पहुँचकर ही दम लेता है।

हरिहर : भारत में आम रिवाज बन चुकी भ्रष्टाचार की संस्कृति तकनीकी-नवीनीकरण से किस तरह का नाता जोड़ेगी?

ललित याज्ञिक : आपने बिल्कुल ठीक कहा। भारत में भ्रष्टाचार की एक संस्कृति है। इसे बदलने के प्रयास के रूप में यदि तकनीकी-नवीनीकरण का सहारा लिया जाय तो भ्रष्टाचार को कम करने के लिए और यहां तक कि भ्रष्टाचार को खत्म करने की इसमें क्षमता है। और इसके उदाहरण भी मौजूद हैं जैसे रेलवे आरक्षण में कम्यूटर द्वारा स्वचालन, जिसने इस क्षेत्र में इतने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का लगभग सफाया कर दिया है।

हरिहर : बड़े और संस्थागत भ्रष्टाचार के मामलों में जैसे कि 2जी घोटाले में अथवा खनन के मामले में या अदालत के मामलों में तकनीकी-नवाचार किस तरह मदद कर सकते हैं?

ललित याज्ञिक : तकनीकी-नवाचार मदद कर सकते हैं, निश्चित रूप से ऐसा हो सकता है अगर सोच के सिस्टम याने संज्ञानात्मक कंप्यूटिंग (जिसमें कंप्यूटर मानव-मस्तिष्क की तरह व्यवहार करता है क्योंकि उसने पास सीखने की तथा ‘सूचना’ और ‘ज्ञान’ के भंडार के साथ तर्क-प्रक्रिया और कंप्यूटींग शक्ति उपलब्ध है।) की शक्ति से नए युग में प्रवेश किया जाय जहाँ पर उपरोक्त सभी मामलों में भ्रष्टाचार समाप्त करने की क्षमता है। उदाहरण के लिए, एक कंप्यूटर आधारित प्रणाली में ऐसा नियोजित किया जा सकता है कि स्थायी और लागत-प्रभावी होते हैं। मैं यह नहीं कहता कि अधिक पुलिस की मांग में खराबी है किन्तु इस बारे में कह नहीं सकता कि भ्रष्टाचार के दृष्टिकोण से यह हल आर्थिक रूप से व्यावहारिक और स्थायी समाधान है या नहीं? लोगों को प्रौद्योगिकी-समाधान की शक्ति को पहचानने की आवश्यकता है और यह सौभाग्य की बात है कि वैश्विक प्रदाता के रूप में भारत में यह समाधान मितव्ययी आर्थिक बजट में भी उपलब्ध है। हमारे पास जो बहुतायत में उपलब्ध है उसका उपयोग कब करेंगे? और वह है प्रौद्योगिकी की प्रतिभा। हमार पास लाखों ऐसे कुशल पेशेवर तथा छात्र मौजूद हैं जो आसानी से इस तरह के समाधान तैयार करने में सक्षम हैं।

हरिहर : युवा ऑस्ट्रेलिया और विशेषकर ऑस्ट्रेलियाई आईसीटी (सूचना और संचार प्रौद्योगिकी) कॅरिअर में रुचि रखने वाले भारतीयों का भविष्य आप किस रूप में देखते हैं? मुख्यतया आईटी का काम जो भारत में आउटसोर्स किया जा रहा है उसके संदर्भ में आप क्या कहना चाहते हैं?

ललित याज्ञिक : पहले तो मैं कहना चाहूँगा कि अभी आईसीटी प्रारंभिक अवस्था में है, इस क्षेत्र में अभी काफी विकास बाकी है। यह ऑस्ट्रेलिया सहित सभी देशों के लिए एक वैश्विक अवसर है। इसमें युवा ऑस्ट्रेलियाई हो या कोई भी हो आईसीटी में सफलता के लिये नवाचार या नवीनीकरण बहुत महत्वपूर्ण है; चाहे वह तकनीकी का केन्द्र भाग हो या फिर सामाजिक और व्यवसाय के क्षेत्र में अनुप्रयोग हो या आईसीटी सेवा वितरण के अर्थशास्त्र का क्षेत्र हो। इसमें टीम के विभिन्न सदस्य दुनिया के किस भाग में रहते हैं यह एक गौण बात है। किसी भी प्रयोजन के लिये टीम के विभिन्न सदस्य तीव्रता से बदले जा सकते हैं याने किसी भी देश से लिये जा सकते हैं। यह बात भारतीय पृष्ठभूमि के ऑस्ट्रेलियाई लोगों के लिए विशेष रूप से लागू होती है ।

ऑस्ट्रेलिया के भारतवंशियों के लिये यह एक विशेष अवसर है कि वे भारत के विशाल प्रतिभा-पूल के साथ जुड़कर ऑस्ट्रेलियाई संस्थानों में उच्च मूल्य प्रदान करने वाली टीम के रूप में आगे आ सकते हैं। यह कार्य सामान्यतया सांस्कृतिक बारीकियों के कारण मुश्किल होता है। उद्यमों के लिए भी बड़े अच्छे अवसर हैं कि भारतीय ऑस्ट्रेलियाई संयुक्त टीमों के रूप में आगे आकर वैश्विक ग्राहकों के लिए वे अद्वितीय रूप से, मूल्य सृजन कर सकते हैं।

image

हरिहर झा

7 अक्तूबर 1946 को बांसवाड़ा (राजस्थान) में जन्म। सरिता व विभिन्न वेब-पत्रिकाओं में हिन्दी व अँगरेजी कवितायें प्रकाशित। ऑस्ट्रेलिया के बारे में आलेख व यहाँ के भारतवंशियों से साक्षात्कार के लिये कम्यूनिटी सर्विस एवार्ड (2013)। इसके अलावा परिकल्पना हिन्दी भूषण सम्मान (2013)। सम्प्रति - ऑस्ट्रेलिया में निवास।

सम्पर्क : hariharjha2007@gmail.com

(साभार - गर्भनाल पत्रिका जनवरी 2016)

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: भारत का अगला क्रांतिकारी चरण तकनीकी के वेश मे पदार्पण करेगा - ललित याज्ञिक
भारत का अगला क्रांतिकारी चरण तकनीकी के वेश मे पदार्पण करेगा - ललित याज्ञिक
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhdmxhXy9GppEvCyIIKOBArQkG45xVvx7LEBcTO7M46fRT6FMXHR8-MtPxEmp-Q-cGfQm7sy7vyDpz5e4VdMHxGkNl_5-F6VaAuY61K_8u0DVy19OwhQctOFG1hlst4BAGDq_-Z/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhdmxhXy9GppEvCyIIKOBArQkG45xVvx7LEBcTO7M46fRT6FMXHR8-MtPxEmp-Q-cGfQm7sy7vyDpz5e4VdMHxGkNl_5-F6VaAuY61K_8u0DVy19OwhQctOFG1hlst4BAGDq_-Z/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/01/blog-post_248.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/01/blog-post_248.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content