प्राची - नवम्बर 2015 - सत्यपाल निश्चिन्त की कहानी : विजय लक्ष्मी

SHARE:

विजय लक्ष्मी सत्यपाल निश्चिन्त क भी-कभी भाग्य भी अजीब खेल खेलता है. ठाकुर विक्रम सिंह बैंक में सहायक मैनेजर के पद पर आसीन हैं. 4 साल पहले उ...

विजय लक्ष्मी

सत्यपाल निश्चिन्त

भी-कभी भाग्य भी अजीब खेल खेलता है. ठाकुर विक्रम सिंह बैंक में सहायक मैनेजर के पद पर आसीन हैं. 4 साल पहले उनका विवाह उर्मिला से हुआ है. लेकिन भाग्य की विडम्बना है कि अभी तक उन्हें सन्तान की प्राप्ति नहीं हुई है. उन्होंने सभी जांच/टेस्ट करा लिए लेकिन सब कुछ नार्मल है. दोनों में कोई नहीं है. फिर भी अभी तक संतान का मुख नहीं देखा है.

मन अत्यन्त दुखी है. सब कुछ होते हुए भी संतान के लिए दोनों ही लालायित हैं. दोनों ही सुबह-सुबह 1 घंटे के लिए मार्निंग वाक पर निकल जाते हैं. इससे स्वास्थ्य पर असर पड़ता ही है. साथ-साथ घूमने से विचारों का आदान-प्रदान भी हो जाता है, क्योंकि वर्तमान युग में मानव इतना व्यस्त हो गया है कि उसे किसी से बात करने का अथवा सुख-दुख बांटने का समय ही नहीं मिलता. सुबह घर से 9 बजे निकलते हैं, सायं को 9 बजे ही घर पहुंच पाते हैं. मैडम उर्मिला जी कन्या महाविद्यालय में सहायक अध्यापिका हैं. वह सुबह 7-7.30 बजे ही घर से निकल जाती हैं. खाना आदि बनाने व अन्य काम देखने के अलावा घर की देख भाल के लिए उन्होंने एक विधवा औरत को नौकरानी के तौर पर रख लिया है. उम्र 40-45 साल है. धन की अथवा किसी वस्तु की कमी नहीं है. हां कमी है तो संतान की.

आज इतवार का दिन है. सुबह-सुबह दोनों घूमने निकले तो सड़क किनारे झाड़ियों से किसी शिशु की आवाज सुनाई दी. दोनों ने जाकर देखा तो एक नवजात कन्या कपड़ों में लिपटी हुई विलाप कर रही थी. ‘‘उर्मिला जी, देखो भगवान देते हैं तो छप्पड़ फाड़ के देत ेहैं. संतान नहीं है यही सोच कर ईश्वर ने इस बालिका को लक्ष्मी के रूप में हमारे लिए भेज दिया है. मैं ठीक कह रहा हूं, न उर्मिला?’’

‘‘आप ठीक कह रहे हैं, लेकिन पता नहीं यह किस कुल्टा कुलक्षिणी का पाप है. न जात का पता, न बिरादरी का. हम इसे कैसे स्वीकार कर सकते हैं?’’ उर्मिला जी बुरा सा मुंह बनाकर कह रही थीं.

‘‘उर्मिला, तुम भी कमाल करती हो. पढ़ी-लिखी हो, समझदार हो, शिक्षित हो और सबसे बड़ी बात यह है कि तुम सभी को शिक्षा देती हो, समाज सेवा करती हो. फिर ऐसी बात तुम्हारे मन में कैसे आ गई. नवजात शिशु तो ईश्वर का ही रूप होता है. फिर यह तो कन्या है. लक्ष्मी का रूप है.’’

लक्ष्मी बोली-‘‘ठीक है, यदि आप की इच्छा है तो इसे घर ले चलते हैं, लेकिन पालन पोषण में बड़ी कठिनाई होगी.’’

‘‘नहीं, कोई कठिनाई नहीं होगी. इसके लिए अलग से एक आया का प्रबंध कर देते हैं. वह इसकी पूरी देख भाल करती रहेगी और हां एक बात और...11 वें दिन इसका

धूमधाम से नामकरण संस्कार भी करायेंगे. इसी से इसका शुद्धीकरण भी हो जायेगा.’’

‘‘ठीक है जैसा आप का विचार है. मुझे कोई आपत्ति नहीं है.’’

दोनों उस कन्या को लेकर घर पहुंचे तथा आस पड़ोस में सभी को इसकी सूचना भी दे दी. उसी दिन आया का भी

प्रबंध कर दिया तथा डॉ. को दिखाकर उसके स्वास्थ्य के बारे में पूर्ण जानकारी ले ली. 11 वें दिन उसका नामकरण कर के नाम रखा लक्ष्मी.

देखिये ईश्वर की लीला...लक्ष्मी के घर में आते ही एक साल के बाद उर्मिला ने एक स्वस्थ्य पुत्र को जन्म दिया. पति-पत्नी लक्ष्मी को सबसे ज्यादा सौभाग्यशाली मानने लगे और उसका विशेष ध्यान रखने लगे. साथ ही उसे विशेष स्नेह भी देते. धीरे-धीरे लक्ष्मी भी बड़ी होने लगी. वह कुशाग्रबुद्धि की भी थी. तीसरा वर्ष पूरा होते ही उसकी शिक्षा का प्रबन्ध कर दिया गया. इधर उर्मिला जी ने भी तीन साल में ही एक और पुत्र को जन्म दे दिया. अब तो घर में प्रसन्नता ही प्रसन्नता थी. विक्रम सिंह का भी प्रमोशन हो गया. वह मैनेजर के पद पर आसीन हो गये.

इधर उर्मिला ने भी बच्चों की परवरिश को ध्यान में रखते हुए विद्यालय से अपनी नौकरी से त्याग देकर घर को स्वयं संभालने का बीणा उठा लिया. किसी ने ठीक ही कहा कि लड़की जाति बड़ी तेजी से बढ़ती है. लक्ष्मी भी शुल्क पक्ष के चन्द्रमा की तरह बड़ी तेजी से बढ़ने लगी. उसका स्वास्थ्य व सौन्दर्य निखरने लगा. उर्मिला मेम साहब स्वयं घर पर रहकर संतान की परवरिश तो करती ही हैं, साथ ही उन्हें भारतीय संस्कृति अनुशासन व चरित्र की शिक्षा भी स्वयं देती है. जिसका असर लक्ष्मी पर अधिक पड़ता है. लड़के तो वैसे ही माता-पिता के अनुशासन पर कम ही ध्यान देते हैं और खेल-कूद में मस्त रहते हैं. दसवीं कक्षा लक्ष्मी ने बड़ी मेहनत और लगन से पूरी कर ली है. वह प्रथम श्रेणी में पास हुई है.

उसने पूरे विद्यालय में भी प्रथम आकर माता-पिता का सिर ऊंचा कर दिया. प्रसन्न होकर लक्ष्मी को विक्रम सिंह अपने पास बुलाकर स्नेह से पूछते हैं-‘‘लक्ष्मी तुमने जिस परिश्रम व लगन से हम सभी का नाम रोशन किया है, उससे मेरा सिर गर्व से ऊंचा हो गया है. अब आगे की शिक्षा कठिनतम ही होती जायेगी. तू अपनी इच्छा बता कि किस विषय की शिक्षा ग्रहण करना चाहती है जिससे तेरा भविष्य उज्जवल हो.’’

लक्ष्मी कहने लगी, ‘‘पिता जी आप बैंक में सेवा कर रहे हैं. मैं भी आप की तरह इसी क्षेत्र में जाकर समाज सेवा करना चाहती हूं, अतः कामर्स विषय लेकर आगे अध्ययन करने की इच्छा है.’’

‘‘ठीक है बेटी, जैसी तेरी इच्छा है, वही ठीक है.’’

समय गुजरता गया और लक्ष्मी लगन व कठिन परिश्रम के साथ अध्ययन करती रही और देखते ही देखते उसने एम.कॉम. की परीक्षा भी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की. इस बार भी उसने अपने महाविद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त किया.

अब उसकी उम्र भी 21 वर्ष पूरी हो गई है. शरीर तो उसका सुगठित है ही, सौन्दर्य भी ईश्वर ने उसे अच्छा ही दिया. देखने में वह अति सुन्दर लगती है. अब उर्मिला को उसके विवाह की भी चिन्ता होने लगी.

एक दिन वह पति से बोली-‘‘अपनी लक्ष्मी अब विवाह योग्य हो गयी है. उसके लिए कोई अच्छा सा वर ढूढ़ो और हां वर भी ऐसा ढूंढ़ना जो ज्यादा अमीर न हो, न ज्यादा लालची हो और दहेज लेने वाला न हो तो ज्यादा अच्छा है. दहेज लोभी के घर हमारी बिटिया सुखी नहीं रह पायेगी. यह तो आप जानते ही हो कि जो व्यक्ति ईमानदारी से अपनी कमाई से घर गृहस्थी चलाता है, उस के पास दहेज देने की क्षमता नहीं होती. आज-कल साधारण शादी में ही 5-6 लाख व्यय होना तो आम बात है. उसका ध्यान अवश्य रखना.’’

विक्रम का समाज में अच्छा मान-सम्मान भी. उन्होंने अपनी बिटिया के लिए वर खोजना आरम्भ कर दिया. शीघ्र ही उन्हें एक एम.ए. पास लड़का मिल गया. वह एक विद्यालय में शिक्षक था. लड़का बोलचाल में सभ्य, देखने में स्वस्थ व सुन्दर था. बात आगे चलाई गई और सभी मिलने-जुलने वालों से राय मशवरा करके शादी भी तय कर दी.

विक्रम सिंह ने पूरे प्रयास से घर-परिवार की सुविधा हेतु शादी का सभी सामान इकट्ठा कर लिया, जिसमें छः लाख का बजट तैयार हो गया. उन्होंने एक लाख रुपया अलग से रख लिया, ताकि आवश्यक पड़ने पर काम आ सके.

उर्मिला भी शादी का प्रबंध देखकर प्रसन्न थीं.

नियत तिथि पर शादी के लिये उनके द्वार पर बारात आ गई. आस-पड़ोस के सभी संबंधी तथा बाराती भी विक्रम सिंह जी के शादी के प्रबन्ध से प्रसन्न थे. लेकिन अचानक एक घटना ऐसी घट गई जिसका किसी को भी ज्ञान नहीं था. जैसे ही फेरों का समय आया वर के पिता ने एक अड़चन डाल दी. बोले-

‘‘विक्रम सिंह जी, सच को तुमने छुपाये रखा. हमें आज पता चला है कि लड़की तुम्हारी सगी बेटी नहीं है. तुम उसे सड़क से झाड़ियों से उठाकर लाये थे. इसके मां-बाप और जाति-बिरादरी का कुछ अता-पता नहीं है. पता नहीं वह किसका पाप है.’’

विक्रम सिंह सन्न् से खड़े रह गये. उन्हें ऐसी अनहोनी की आशंका भी नहीं थी. वर के पिता आगे कह रहे थे-

‘‘और अब बात काफी बढ़ गई है. हमारा खर्च भी काफी बढ़ गया है. अतः इस बात को छुपाने के लिए इसी समय आपको दो लाख रुपये देने होंगे. तभी मेरा बेटा फेरों पर बैठेगा, अन्यथा हम अभी बारात वापस ले जा रहे हैं.’’

विक्रम सिंह बोले-‘‘लक्ष्मी मेरी ही बेटी है. आपसे किसने कह दिया वह पराई है. और मैं इस अवस्था में नहीं हूं कि आपको दो लाख रुपये अभी लाकर दे सकूं. देखिए, यह इज्जत का सवाल है. अगर बारात वापस चली गयी तो बदनामी होगी ही, मेरी बिटिया के दिल पर इसका इतना बुरा असर पड़ेगा कि उसका जीना दूभर हो जायेगा. सो मुझे क्षमा करें और शादी की रस्म पूरी करें.’’

दूल्हे का बाप बोला-‘‘बिना दो लाख के शादी नहीं हो सकती है. हम बारात लेकर वापस जा रहे हैं.’’

तभी लक्ष्मी बोली-‘‘पिता जी रुकिये, चिन्ता मत करिए. मुझे अनुमान था कि ऐसा समय भी आ सकता है. सो मैंने अपनी सहेली को यह समस्या बताई थी. उसके पिता काफी

धनी हैं. उन्हें आवश्यक पड़ने पर तुरन्त दो लाख का प्रबन्ध करने के लिए कह रखा है. मैं अन्दर जाकर सहेली को फोन कर देती हूं. कुछ ही देर में वह पूरा प्रबन्ध करके यहां आ जायेगी.’’

लक्ष्मी की बात सभी ने सुनी. वर का पिता बोला, ‘‘विक्रम जी, आपसे ज्यादा तो आपकी बेटी समझदार है. बेटी जा पैसे का जल्द प्रबन्ध कर दे. हम प्रतीक्षा करते हैं.’’

लक्ष्मी घर के अन्दर चली जाती है. अन्दर जाकर उसने पुलिस अधीक्षक को फोन किया. सारी बात बता कर समस्या से अवगत कराया. पुलिस अधीक्षक भी एक महिला थीं. उन्होंने आश्वासन दिया कि इस समस्या का समाधान हो जायेगा.

लक्ष्मी बाहर आकर बोली कि पैसे का इंतजाम हो गया है. वर का पिता बोला, ‘‘शाबास! मेरी लक्ष्मी तू बहुत ही समझदार है.’’

थोड़ी देर में पुलिस अधीक्षक प्रोमीला देवी पुलिस बल के साथ आ गयीं. वर और उसके पिता को दहेज मांगने के

अपराध में कैद करके कहा, ‘‘आप लोगों को इस अपराध के लिए कड़ी से कड़ी सजा और आर्थिक दण्ड भरना पड़ेगा.’’

बाकी बारातियों को अपने-अपने घर जाने का आदेश दे दिया गया.

तभी विक्रम सिंह जी बोले, ‘‘दोषियों को तो सजा मिल ही जाएगी, लेकिन मुझे जो आर्थिक व सामाजिक हानि व पीड़ा हुई है, उसका भी तो कोई समाधान होना चाहिए.’’

सभी लोग एक दूसरे का मुंह देखने लगे. तभी बारातियों में एक ह्रष्ट-पुष्ट जवान सामने आकर कहने लगा-‘‘इस समस्या का समाधान है. यदि आप सभी की अनुमति हो तो मैं विनय करूं.’’

अधीक्षक प्रेमिला जी बोली-‘‘हां हां कहिए, समस्या का समाधान क्या है?’’

‘‘मेरा नाम अजय है. मैं भी ठाकुर विक्रम सिंह की जाति का ठाकुर हूं. भारतीय सेना में कैप्टन के पद पर सेवारत हूं. मैं इस बहादुर बाला से विवाह करने का इच्छुक हूं. यदि आप सभी व कन्या सहमत हो तो इसी मुहूर्त में शादी हो सकती है. मेरे पिता जी इसी बारात में उपस्थित हैं. मुझे विश्वास है मेरे निर्णय से वह भी खुश होंगे, और अपनी अनुमति दे देंगे.’’

ठाकुर विक्रम सिंह बोले-‘‘मैं तो इस प्रस्ताव की अनुमति के लिए बेटी लक्ष्मी के विचार जानना चाहता हूं.’’

लक्ष्मी ने सिर झुकाकर कहा, ‘‘पिताजी, जो व्यक्ति बिगड़ी हुई बात और हम लोगों की लाज को बचाने के लिए निर्भीक होकर सामने आया है., मैं उनका सम्मान करती हूं और यदि मुझे उनकी अर्धांगिनी बनने का सौभाग्य मिलता है तो स्वयं को धन्य समझूंगी.’’

पुलिस अधीक्षक प्रेमिला जी कहने लगीं, ‘‘फिर देर किस बात की है? लग्न का समय है ही. पंडित जी से कहिए, विवाह संस्कार आरम्भ करें जिससे हम भी वर कन्या को आर्शीवाद दे सकें. क्यों ठाकुर विक्रम सिंह जी ठीक है न?’’

‘‘हां बिलकुल ठीक है, पर पहले वर के पिता जी से तो अनुमति ले लीजिए.’’विक्रम सिंह जी बोले.

ठाकुर सुल्तान सिंह वहीं थे. बुलाकर उनसे बात की गयी. वह तुरन्त सहमत हो गये. बोले, ‘‘मेरी अनुमति की आवश्यकता ही नहीं है. मेरा बेटा तैयार है तो मुझे क्या एतराज हो सकता है. घरवालों को बाद में मना लिया जाएगा. विवाह संस्कार सम्पन्न कराया जाये.’’

तुरन्त तैयारियां आरंभ हो गयीं. फेरों के पहले ठाकुर सुल्तान सिंह ने कहा, ‘‘आज से लक्ष्मी का नाम विजय लक्ष्मी होगा. शादी के बाद मेरी बहू इसी नाम से जानी जाएगी, क्योंकि इसने बिगड़ी हुई परिस्थितियों पर बड़े सुलझे हुए विचार से विजय पाई है.’’

किसी को क्या एतराज हो सकता था. उसी समय अजय सिंह और विजय लक्ष्मी परिणय सूत्र में बंध गये. गृहस्थ जीवन में प्रवेश कर सभी का आर्शीवाद के प्राप्त किया.

 

संपर्कः म.सं स-613 जलवायु टावर, सेक्टर-47,

नोएडा, जिला गौतमबुद्ध नगर (उ.प्र.) 201303

मोः 09958092227

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: प्राची - नवम्बर 2015 - सत्यपाल निश्चिन्त की कहानी : विजय लक्ष्मी
प्राची - नवम्बर 2015 - सत्यपाल निश्चिन्त की कहानी : विजय लक्ष्मी
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiVSMoujq0Wz134KNEou78zrPMs29B8ocFf-GkyUA8kzjyngVDO_AvaV6u7dhgea3sUK-Be36VYfbsj6mlIm0sCyj5XRCQ3LKLUK14hk942sGTAGHrMkviBxwSyeD4deAyy886P/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiVSMoujq0Wz134KNEou78zrPMs29B8ocFf-GkyUA8kzjyngVDO_AvaV6u7dhgea3sUK-Be36VYfbsj6mlIm0sCyj5XRCQ3LKLUK14hk942sGTAGHrMkviBxwSyeD4deAyy886P/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/01/2015_99.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/01/2015_99.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content