दोहे रमेश के नववर्ष पर पन्नो मे इतिहास के, लिखा स्वयं का नाम ! दो हजार पंद्रह चला,.....यादें छोड तमाम !! दो हजार पंद्रह चला, छोड सभी का ...
दोहे रमेश के नववर्ष पर
पन्नो मे इतिहास के, लिखा स्वयं का नाम !
दो हजार पंद्रह चला,.....यादें छोड तमाम !!
दो हजार पंद्रह चला, छोड सभी का साथ !
हमें थमा कर हाथ में, नये साल का हाथ !!
ढेरों मिली बधाइयाँ,........बेहिसाब संदेश !
मिली धड़ी की सूइंयाँ,ज्यों ही रात "रमेश"!!
मदिरा में डूबे रहे, ......लोग समूची रात !
नये साल की दोस्तों, यह कैसी सुरुआत !!
नये साल की आ गई, नयी नवेली भोर !
मानव पथ पे नाचता,जैसे मन मे मोर !!
नये साल का कीजिये, जोरों से आगाज !
दीवारों पर टांगिये, .नया कलैंडर आज !!
घर में खुशियों का सदा,. भरा रहे भंडार !
यही दुआ नव वर्ष मे,समझो नव उपहार !!
आयेगा नववर्ष में, ...शायद कुछ बदलाव !
यही सोच कर आज फिर, कर लेता हूँ चाव !!
रमेश शर्मा, मुंबई.
9820525940.rameshsharma_123@yahoo.com
-----------------
नये वर्ष में
गीत खुशी के मिलकर गाएँ नये वर्ष में।
समरसता के दीये जलाएँ नये वर्ष में।
जीवन की सूनी राहों को रोशन कर,
जन-मन में उल्लास जगाएँ नये वर्ष में।
बीज प्यार के मन में बोएँ नये वर्ष में।
सपने नये-नये संजोएँ नये वर्ष में।
कुछ करने की क़समें खाएँ नये वर्ष में।
जन-मन में उल्लास जगाएँ नये वर्ष में।
जो भी त्याज्य है, उसको त्यागें नये वर्ष में।
आलस्य छोड़कर नींद से जागें नये वर्ष में।
सच्चाई का साथ निभाएँ नये वर्ष में।
जन-मन में उल्लास जगाएँ नये वर्ष में।
आज के काम न कल पर टालें नये वर्ष में।
काम समय पर ही कर डालें नये वर्ष में।
सोच-समझ कर कदम बढ़ाएँ नये वर्ष में।
जन-मन में उल्लास जगाएँ नये वर्ष में।
नभ में नई उड़ान के लिए नये वर्ष में।
मंगलमय आह्वान के लिए नये वर्ष में।
खुशियों से आँगन महकाएँ नये वर्ष में।
जन-मन में उल्लास जगाएँ नये वर्ष में।
आचार्य बलवन्त
विभागाध्यक्ष हिंदी
कमला कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज
450, ओ.टी.सी.रोड, कॉटनपेट, बेंगलूर-560053
मो. 91-9844558064
Email- balwant.acharya@gmail.com
----------------------------
***मुबारक़ नया साल***
आज मैने आसमा को चमकते देखा है ।
मैने आज तारों को लिपटते देखा है
आज मैने सूरज को मुस्कराते देखा है
मैने आज चाँद को उतरते देखा है
आज मैने बादलो को ठुमकते देखा है
मैने आज धरा को खिल-खिलाते देखा है
आज मैने पर्वतों को इतराते देखा है
मैने आज पेड़ो को इठलाते देखा है
आज मैने सागर को लहराते है
मैने आज लहरो को ठहरते देखा है
आज मैने नदियों को बतलाते देखा है
मैने आज सदियों को जगमगाते देखा है
आज मैने पक्षिओ को हा-हा हँसते देखा है
यही है कवि कल्याण का कमाल
**मुबारक हो नया साल-नया धमाल ***
आज मैने किसी शेर ओर बकरी को
**एक घाट पे पानी पीते देखा है**
मैने आज दुश्मनी को सिसकते देखा है
आज मैने दोस्ती महकते देखा है
आज मैने खुशियों को बटते देखा है ।।
कवि –कल्याणराज
-----------------------
नव वर्ष आया है,
हर्ष लाया है।
दुःख-चिंता का पतन कर,
सुख-समृद्धि का उत्कर्ष लाया है।
प्रेम-बंधुत्व की गठरी में ,
पर्व समेटे भांति-भांति,
ईद,दिवाली,क्रिसमस,वैशाखी,
ओणम,ईस्टर और सक्रांति।
सब धर्मो के पर्व मनाना,
ये संदेशा लाया है।
नव वर्ष आया है,
हर्ष लाया है।
वर्ष बढ़ा है, उम्र बढ़ी है,
अब सोच बढ़ानी होगी,
बड़ी सोच से बड़ा नतीजा,
ये बात बतानी होगी।
सब धर्मो से बड़ा धर्म,
दिनेश ने मानवता को पाया है,
नव वर्ष आया है,
हर्ष लाया है।
वर्ष पुरातन से अनुभव पाया,
नूतन वर्ष में इसे लगाना है,
नए वर्ष में नयी आशाएं
और नयी उपलब्धि पाना है।
शांति,सफलता और स्नेह को,
नया वर्ष ले आया है।
नव वर्ष आया है,
हर्ष लाया है,
दुःख-चिंता का पतन कर,
सुख-समृद्धि का उत्कर्ष लाया है।
Regards
दिनेश कुमार 'डीजे'
तिथि - 10.07.1987
शिक्षा- १. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा कनिष्ठ शोध छात्रवृत्ति एवं राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण
२. समाज कार्य में स्नातकोत्तर उपाधि
३. योग में स्नातकोत्तर उपाधिपत्र
प्रकाशित पुस्तकें - दास्तान ए ताऊ, कवि की कीर्ति एवं प्रेम की पोथी
स्थाई पता- मकान नंबर 1,बाडों पट्टी, हिसार (हरियाणा)- 125001
वर्तमान पता-इज़्ज़तनगर, बरेली
फेसबुक . www.facebook.com/kaviyogidjblog
मोबाइल नंबर- 9720226833
---------------
कविता.’’नया.साल’’
क्या बताऊँ मेरा क्या हाल है,
मेरा दिल अब तो बेहाल है।
अब तो सिर्फ इम्तहान का सवाल है,
क्योंकि आने वाला इक नया साल है।।
नये साल आयेंगे ,नये यार आयेंगे,
आकर दिल बहलायेंगे ,फिर भी पुराने याद आयेंगे।
हम सब मिलकर ,गमों को भुलायेंगे,
कुछ याद आयेंगे ,कुछ याद रह जायेंगे।।
कुछ पल आयेंगे ,कुछ पल जायेंगे,
कभी वो हंसायेंगे ,कभी वो रूलायेंगे।
साल आते रहेंगे ,साल जाते रहेंगे,
खुसियाँ लाते रहेंगे ,गम भुलाते रहेंगे।।
प्यार का अहसास ,दिलाते रहेंगे,
वादा ये अपना ,निभाते रहेंगे।
प्यार मे दिल अपना ,बिछाते रहेंगे,
जब तक दुनिया रही ,याद आते रहेंगे।।
रचनाकार.
बी.के.गुप्ता’’हिन्द’’
मो.9755933943
---
‘‘आईनो का सच’’
बनकर राम घूम रहे हैं,
दिल मे छिपा जिनके रावण।
नैतिकता का पाठ पढ़ाते,
बातें करते हैं मनभावन।।
सम्हाल कर रहना यारो इनसे,
अब राम नहीं बस हैं रावण।
सबको दिखता अपना स्वार्थ,
कैसे होगा अब मन पावन।।
आईने बदल रहे दिन प्रतिदिन,
कैसे देखें अब हम दर्पण।
प्रेम,दया, जब दिल में न हो,
कैसे होंगे प्रभू के दर्शन।।
रचनाकार.
बी.के.गुप्ता’’हिन्द’’
मोब.975593394
कवि नाम.बी.के.गुप्ता’’हिन्द’’
पूरा नाम.बृज किशोर गुप्ता
पिता का नाम.श्री लक्ष्मी प्रसाद गुप्ता
माता का नाम.श्रीमती ऊषा गुप्ता
वर्तमान पता. बी.के.गुप्ता
कैपीटल कम्प्यूटर आई.टी.एण्ड साइन्स बड़ामलहरा जिला.छतरपुर म.प्र.
पिन.471311
स्थाई पता.बी.के.गुप्ता
ग्राम़$पोस्ट.चन्दौरा तहसील.अजयगढ
़जिला.पन्ना(म.प्र.) पिन.488220
मोब..9755933943
ई.मेल. bाgupta193@gmail.com
जन्मस्थान. ग्राम़$पोस्ट.चन्दौरा तहसील.अजयगढ
़जिला.पन्ना(म.प्र.)
जन्मतिथि.1जुलाई सन्1982
शिक्षा.बी.ए.(समाज शास्त्र) एवं कम्प्यूटर पी.जी.डी.सी.ए.
व्यवसाय.कम्प्यूटर शिक्षक
कैपीटल कम्प्यूटर आई.टी.एण्ड साइन्स बड़ामलहरा,जिला.छतरपुर म.प्र.
लेखन विधा.कविता,गजल,गीत,मुक्तक,निबंध।
-------------------------
कुछ ऐसा नया साल हो
शांति और समृद्धि के बीच
हो एकता की बात ।
साक्षरता का ज्ञान दीप
जलती रहे दिनरात ।
बेकारी गरीबी भूख से
या मुक्ति सब खुशहाल हों ।
प्यार और सहयोग पूर्ण
कुछ ऐसा नया साल हो ।
संकीर्णता से मुक्त रहकर
विश्वहित करते रहें ।
रिक्तता को पूर्णता से
हम सदा भरते रहें ।
द्वेष घृणा बैर पीड़ित
अब प्रेम से निहाल हों ।
श्रद्धा विश्वास जीवन मे आए
कुछ ऐसा नया साल हो ।
गजानंद प्रसाद देवांगन , छुरा
---------------------
COMMENTS