''न मिला'' इंसानियत के वास्ते, इंन्सान न मिला। मुझे खुद अपने कफन का, समान न मिला।। यूं तो जिंदगी के सफर में, बहुत यार मिल...
''न मिला''
इंसानियत के वास्ते, इंन्सान न मिला।
मुझे खुद अपने कफन का, समान न मिला।।
यूं तो जिंदगी के सफर में, बहुत यार मिले।
मगर जिसे अपना कहें, वो मेजमान न मिला।।
वैसे तो मरना चाहा था, इस जहाँ से अलग।
पर मरने के वास्ते ,वो शमशान न मिला।।
कैसे छिपता चेहरे से, अपने गमों को।
मुझे खुद के छिपाने का, गुमनाम न मिला।।
प्यार करना चाहा था,हमने भी कभी।
पर दिल में किसी के ,प्यार का जहान न मिला।।
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''तीन-चीज''
तीन चीज ,दुनिया की जान,
दुनिया है, इनमें बदनाम।
लड़की ,गाड़ी,पैसा महान,
ये सब है ,दुनिया की शान।।
लड़की है ,ऐसी महान,
हंसते को रूलाए।
रोते को हंसाए,
न पिटने वाले को पिटवाये।।
पैसा है, ऐसा जहान
जहाँ रहे,उसका हो नाम।
फकीर को ,अमीर बनाये,
अमीर को, हर पल नचाये।।
ऐसी ही है, गाड़ी मेहमान,
कभी आये, कभी जाए।
जिसको मिले ,वो बिंदास,
जिसको न मिले,वो उदास।।
इनका तो है ,आना-जाना।
कभी हंसाना, कभी रूलाना।।
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''निगाह''
कातिल निगाहें देखकर, दिल घायल हो गया।
सपनों में किसी का देखकर, आशिक दीवाना हो गया।।
होना था प्यार किसी से ,पर यार बहाना हो गया।
सपनों की एक परछायीं में, मैं तो दीवाना हो गया।
जब आँख खुली तो देखा, कोई हसीना न थी।
सिर्फ मैं था ,और मेरी तन्हाई ,न गई थी।।
कैसे बताऊँ,कौन सी फुलझड़ी फूलो से भरी थी।
मैंने देखा ,अपनी जिंदगी, काँटों से ही भरी थी।।
मुझको सताने वाले, दुनिया जलाने वाले।
मैं खुद ही जल रहा हूँ ,जालिमों की न कमी है।।
मेरे दिल में कोई सपना ,शायद आ गया था।
इसलिए मेरा गम ही मेरा साया बन गया था।।--
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''कम्प्यूटर''
मैंने कम्प्यूटर खोला तो, रंगीन स्क्रीन आई।
देखते ही स्क्रीन में,एक लड़की हसीन आई।।
मैंने देख प्रोग्राम उसका, माउस की बायीं आँख दबायी।
वो लड़की आ के फिर ,मेरे दिल में समायी।।
प्रोग्राम खुलते ही शुरू हुई, लेटर लिखाई।
पढ़ते ही दी, उसने अपने दिल की सफाई ।।
मैंने लेटर किया ,ई-मेल से सेन्ड।
तब से बन गयी ,वो मेरी फ्रेन्ड।
मैं लगाने लगा उसके ,माउस की तरह चक्कर।
उसने बना दिया, मुझे लाल बुझक्कड़।।
मीडिया प्लेयर में आ के, दिखाने लगी ड़ांस।
और मुझसे बोली चल हट, तू है एड़वांस।।
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''कलयुग का प्रेम''
आज कल के प्रेमी क्या नाम करते हैं।
एक से नजर मिलाते है, एक से दिल लगाते है।।
ये गलियों में मिलते हैं, फिर मुहल्लों में दिखते हैं।
पहले उन्हीं पर जान देते है,फिर उन्हीं की जान लेते हैं।
ये एम.एम.एस.बनाकर ,मुहब्बत बदनाम करते हैं।
आजकल की प्रेमिका भी क्या काम करती हैं।
किसी से इजहार करती है, किसी से प्यार करती हैं।
ये बस नजरें लड़ाती है, आशिकों की लाइन लगाती हैं।।
ये मिसकॉल करती हैं ,फिर टाइम पास करती हैं।
खुद मासूम बनकर के,आशिकों को बदनाम करती हैं।।
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''कसूर''
न वो मुझको समझती है,न मैं उसको समझता हूँ ।
मगर कसूर किसका है,ये न कोई समझता है ।।
जब तेरी साँसें निकलती है,मेरे धड़कन से गुजरती हैं।
जब दोनों एक साथ मिलती है,मुझे बेचैन करती हैं ।।
तेरे नैनों के झीलों में ,जब कोई फूल खिलता है।
मेरे इस दिल के भौंरे को ,एक सुकून मिलता है।।
तेरे और मेरे दिन का बस फर्क इतना है।
तेरा हंस-हंस के कटता है मेरा तन्हा गुजरता है।।
अब तू भी मान ले, अब मैं भी मान लूँ ।
मुझको मुहब्बत है ,और तुझको कबूल है।।
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''कोई भारत कहता है''
कोई भारत कहता है, कोई हिन्दुस्तान कहता है।
यहाँ सब का एक ही नारा है ,हिन्दुस्तान हमारा है।।
कहीं बाइबिल ,कहीं गीता ,कहीं कुरान मिलता है।
सबका एक ही मजहब ,एकता और ईमान मिलता है।।
कोई वंदेमातरम् कहते हैं, कोई सला लिखते है।
यहां सब भारत मां के लाल, अपनी जाँ वतन के नाम लिखते हैं।।
वतन के आन के खातिर, हम भी अपनी जान देते हैं।
बस कोई इतना तो कह दे, कफन तिरंगे का देते हैं।।
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''भगवान का घर''
जहाँ श्रद्धा ,जहाँ आस्था, जहाँ विश्वास मिलता है।
वहीं अल्ला,वहीं ईश्वर ,वहीं भगवान मिलता है।।
न मंदिर में ,न मस्जिद में ,न गुरूद्वारे में मिलता है।
बस एक मन के मंदिर में, प्रभु का नाम मिलता है।।
बाइबिल ,कुरान ,गीता में ,एक ही संदेश मिलता है।
जहाँ पर एकता, सद्भावना और प्रेम मिलता है।।
वहीं पर राम मिलता है, वहीं रहमान मिलता है।
वहीं अल्ला,वहीं ईश्वर ,वहीं भगवान मिलता है।।
जहाँ निर्धन और दुखियों को, उपकार मिलता है।
मैं सरेआम कहता हूँ ,वो सरेआम मिलता है।।
जहाँ धरती, जहाँ पानी ,जहाँ संसार मिलता है।
वहीं अल्ला,वहीं ईश्वर ,वहीं भगवान मिलता है।।
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मुक्तक एवं शायरी
(1)
जिसने पाप न किये हो उसे पुण्य क्या करना,
पाप की कमाई करके दान क्या करना ।
दो वक्त की रोटी है काफी मान-पान की ,
जो आया है वो जायेगा मरने से क्या डरना।।
(2)
कभी गरीब की थाली में रोटी डाल के देखो,
गिरते हुए जमीर को सम्हाल के देखो।
मिलेगा दिल को एक सुकून और चैन आयेगा ,
गैरों का दर्द दिल में कभी पाल के देखो ।।
(3)
जो बेचकर ईमान अपना इमानदारी के बात करते हैं,
अपना ही देश लूटकर वतन रखवाली की बात करते हैं।
अपना मत मत देना तुम ऐसे नेताओं को ,
जो मजहब के नाम पर राजनीति की बात करते हैं।
(4)
जिनके घरों से लाखों का मंदिर में दान जाता है,
आज उनके ही घरों से भिखारी खाली हाथ जाता है।
क्या रखा है तेरे इस पाप की दौलत जुटाने में,
भूखे को जो खिलता है उसे धनवान कहा जाता है।।
(5)
आया हूं कुछ सुनाने दुनिया के गम ले के
शिकवा नहीं किसी से शिकायत नहीं किसी से।।
लोगों को है शिकायत बातों को मेरी ले के,
गुनाह इतना सा है सच बोलता है बी.के।।
(6)
इस भारत की भूमि को मेरा नमन,
खुशियों का चमन है मेरा वतन।
शहीदों को मिले तिरंगे का कफन,
मेरा प्यारा वतन मेरा प्यारा वतन।।
(8)
किसी के इंतजार में सुबह से शाम हो गयी,
वो खिड़की न खुली फिर से रात हो गयी।
जागते रहे रात भर हम उसकी ही याद में,
सुबह पता चला वो किसी और के नाम हो गई।
(9)
प्यार आता तो है ,प्यार करते नहीं
याद आती तो है, याद करते नहीं
चुप रहते है बस अब, यही सोचकर,
प्रेम जाने वो क्या ,जिसके दिल ही नहीं
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नाम-बी.के.गुप्ता
पूरा नाम-बृज किशोर गुप्ता
पिता का नाम-श्री लक्ष्मी प्रसाद गुप्ता
स्थाई पता-बी.के.गुप्ता
ग्राम-चन्दौरा तहसील-अजयगढ
जिला-पन्ना(म.प्र.)
वर्तमान पता- बी.के.गुप्ता
कैपीटल कम्प्यूटर आई.टी.एण्ड साइन्स बड़ामलहरा
जिला-छतरपुर म.प्र.
मोब.-9755933943
ई-मेल-
शिक्षा-बी.ए.(समाज शास्त्र) एवं कम्प्यूटर पी.जी.डी.सी.ए.
जन्म तिथि-01-जुलाई सन्1982
व्यवसाय-कम्प्यूटर शिक्षक
कैपीटल कम्प्यूटर आई.टी.एण्ड साइन्स बड़ामलहरा
जिला-छतरपुर म.प्र.
लेखन विधा-कविता,गजल,गीत,मुक्तक,निबंध।
प्रकाशित कविता - www.kavyasagar.com,oa
www.rachanakar.org पर।
काव्यमंच-पहला काव्य पाठ गौ-रक्षा समिति के अनशन मंच पर दिनांक 21अगस्त .2015 बड़ामलहरा, जिला-छतरपुर म.प्र.
दूसरा-स्व. श्री कृष्ण दत्त द्विवेदी जी (स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी) की स्मृति में अयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन दिनांक 11सितम्बर 2015 बडा़मलहरा, जिला-छतरपुर म.प्र.
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