प्रमोद भार्गव का आलेख - जनसंख्या नीति : चीन से सबक ले भारत

SHARE:

संदर्भः चीन में जनसंख्या नियंत्रण नीति में बदलाव चीन से सबक ले भारत प्रमोद  भार्गव     चीन ने तीन दशक से चली आ रही एक बच्चे की विवादास्पद क...

image

संदर्भः चीन में जनसंख्या नियंत्रण नीति में बदलाव
चीन से सबक ले भारत
प्रमोद  भार्गव
    चीन ने तीन दशक से चली आ रही एक बच्चे की विवादास्पद कठोर सरकारी नीति को बदलने का फैसला लिया है। चीन में अब सभी दंपतियों को दो बच्चे पैदा करने की छूट होगी। चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने जनसंख्या वृद्धि दर में आई तेज गिरावट और बिगड़ते लिंगानुपात के चलते यह फैसला लिया है। चीन में बच्चों की 15 साल के भीतर इतनी कमी हो गई थी कि आधे से ज्यादा प्राथमिक पाठशालाएं बच्चों की कमी के चलते बंद करनी पड़ी थी। साथ ही चीन में एक बड़ी आबादी तेजी से बूढ़ी हो रही थी। इन कारणों के चलते चीन में परिवार नियोजन के जिन उपायों का कड़ाई से पालन किया जा रहा था,उन्हें अब उदार बनाया जा रहा है। भारत भी जनसंख्या नियंत्रण के एकांगी उपायों के चलते जहां बूढ़े भारत की और बढ़ रहा है,वहीं धर्म के आधार पर जनसंख्या के घनत्व में भी असंतुलन बढ़ रहा है। अतः देश को एक ऐसी समग्र जनसंख्या नीति की जरूरत है,जिससे जनसंख्या नियंत्रण में देशव्यापी एकरूपता की झलक दिखाई दे।


कुछ समय पहले संयुक्त राष्ट्र की जनसंख्या संबंधी अनुमानित रिर्पाट आई थी। इसके अनुसार भारत की आबादी 2050 तक 1 अरब 71 करोड़ होने जा रही हैं। बढ़ती आबादी पर नियंत्रण हेतु परिवार नियोजन के कड़े उपाय अमल में लाने की सलाहें भी दी थीं। लेकिन इस परिप्रेक्ष्य में जो अहम् सवाल है उसे कमोबेश नजरअंदाज किया गया है। बढ़ती आबादी में बूढ़ों की आबादी को जिस तरह से तव्वजो दी जा रही है, उसके तईं ऊर्जावान व क्रियाशील युवा आबादी के रोजगार व जैविक हितों की अनदेखी की जा रही है। क्योंकि बूढ़ों और युवाओं के बीच उम्र व रोजगार का अनुपात जिस तरह से गड़बड़ा रहा है, उसके गंभीर परिणाम वैसे ही निकलने वाले हैं, जैसे स्त्री-पुरुष की जन्म दर बिगड़ने से सामने आए हैं। हालांकि फिलहाल हम ऐसे दौर में हैं, जहां क्रियाशील युवाओं की संख्या बूढ़ों की तुलना में कहीं ज्यादा है। इसे 65 प्रतिषत बताया जा रहा हैं। परंतु जनसंख्या रिपोर्ट में इस स्थिति के पलट जाने के संकेत भी हैं। बदली स्थिति में युवाओं से कहीं ज्यादा लाचार बुजुर्ग होंगे। आयु समूह का यह असंतुलन मानवीय विकास और राष्ट्र की प्रगति, संपन्नता व सुरक्षा में एक बड़ा रोड़ा बनकर तो उभरेगा ही, स्वास्थ्य लाभ के बुनियादी ढांचे को भी चरमरा देगा। चीन एक बच्चे की सख्त नीति के चलते असंतुलन की इसी स्थिति से गुजर रहा है। चीन के नेता माओ जेदोंग के शासन काल के दौरान 1979 में एक दंपति,एक बच्चा राश्ट्रीय नीति के रूप में लागू की गई थी। इसका लक्ष्य जनसंख्या को नियंत्रित करना था। नीति का उल्लंघन करने वाले दंपतियों को सजाएं दी जाती थीं,जिनमें अर्थदंड से लेकर नौकरी छीनने और जबरन गर्भपात कराने के नियम शामिल थे। अब इस कठोर नीति के दुष्परिणाम चीन झेल रहा है।


जनसांख्यिकी संरचना संबंधी अनुमान के आधार पर तैयार संयुक्त राश्ट्र की रिपोर्ट का मकसद है कि इन आंकड़ों के बूते दुनिया के भविष्य का बुनियादी विकास से जुड़ा खाका तैयार किया जाए। इस रिपोर्ट में यह एक अच्छी जानकारी आई है कि चीन अफ्रीका और अन्य विकसित देशों की तुलना में भारत कहीं अधिक युवा आबादी वाला देश है। 25 साल के औसत आयु समूह की यह एक ऐसी सक्रिय जनसंख्या है,जिसकी ऊर्जा का इस्तेमाल देश के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में किया जा सकता है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि देश की 15 से 60 वर्ष आयु समूह की आबादी में से जो 58 फीसदी आबादी काम करने लायक है,उसमें से 10 प्रतिशत आबादी के पास कोई संतोशजनक रोजगार या पर्याप्त काम नहीं है। जबकि 2060 के आसपास का यही वह समय होगा,जब जनसंख्या जन्म दर में गिरावट की वजह से भारत में लाचार और बीमार बुजुर्गों की संख्या भयावह आंकड़े को छू लेगी। 2050 में जन्म दर 2.1 पर अटक जाने का अनुमान है। यदि कार्यशील आबादी घटेगी तो इसका सीधा असर सकल घरेलू उत्पाद ;जीडीपी पर पड़ेगा। बूढ़ी आबादी के कारण एक ओर तो प्रति व्यक्ति जीडीपी की विकास गति कम होगी, वहीं इन पर पेंशन व स्वास्थ्य संबंधी प्रति व्यक्ति खर्च बढ़ जाएंगे। कालांतर में निर्मित होने जा रहे ये हालात देश के विकास की लय को लड़खड़ा सकते हैं।


        भारत को इस दुष्चक्र में फंसने से पहले उन देशों से सबक लेना चाहिए जो पहले ही बूढ़ी आबादी की गिरफ्त में आकर आर्थिक विकास का संकट झेलने को मजबूर हुए हैं। स्वीडन, कनाडा और आस्ट्रेलिया में जन्म दर बेतरह घट जाने के कारण सामाजिक,आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी हालात चिंताजनक हो गए हैं। एशियाई देशों में इसी संकट से चीन एवं जापान घिर गए हैं। इन देशों ने अपनी अवाम को बेहतर जीवन स्तर, स्वास्थ्य सुविधाएं और आर्थिक व सामाजिक सुरक्षाएं दीं। नतीजतन एक ओर तो मृत्युदर में आशातीत कमी आई, वहीं दूसरी ओर जनसंख्या नियंत्रण के उपायों के चलते जन्म दर भी अप्रत्याशित ढंग से गिर गई। जबकि नीति-नियंताओं को यहां ऐसे उपाय भी बरतने थे, जिससे आबादी का संतुलन बना रहता। क्योंकि किसी भी देश और समाज के संतुलित ढंग से आगे बढ़ने के लिए जरुरी है कि समाज में बच्चों, किशोरों, युवाओं, प्रौढ़ और बूढ़ों की संख्या का एक स्वस्थ व प्राकृतिक अनुपात गतिशील बना रहे। किसी भी एक आयु वर्ग का औसत की सीमा लांघना, मानव विकास का भविष्य अवरुद्ध करने वाला साबित होता है,जिसके दुश्परिणामों से आज चीन और जापान सामना कर रहे हैं।

        हमें बूढों के बीच खड़ी युवा आबादी के रोजगार, जैविक जरुरतों और सामाजिक सरोकारों की चिंता करने की इसलिए भी जरुरत है क्योंकि यदि हम इनकी मनोकामनाओं को तुष्ट करने में सफल नहीं होते हैं तो युवा आबादी का एक हिस्सा अराजक और आपराधिक कृत्यों की ओर बढ़ेगा। चोरी, लूट और डकैती के मामले तो बढ़ेंगे ही,जैविक जरुरतों का शमन नहीं होने के कारण व्यभिचार और यौनाचार भी बढेंगे। इसलिए केंद्र व राज्य सरकारों को सत्ता में दीर्घकालिक बने रहने की लालसा से निर्लिप्त रहकर ऐसे कड़े उपाय और नीतियां अमल में लाने की जरुरत है,जो युवाओं को रोजगार के साधन उपलब्ध कराएं। इस बात से यह आश्य कतई नहीं लगाना चाहिए कि हम अपने ही अभिभावक बुजुगरें को नकार रहे हैं। न ही बुजुर्गों को यह भ्रम अथवा कुशंका पालने की जरुरत है कि बुजुर्गों की उपेक्षा की जा रही है।


        ऐसा होता है तो युवाओं के सही उम्र में रोजगार, जैविक व सामाजिक सुरक्षा के हित संरक्षित होंगे और बुजुर्गों को बेवजह पेंशन व  स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं बढाकर अन्य आयु समूह के लोगों को उनके वास्तविक अधिकारों से वंचित नहीं होना पड़ेगा। हम देश के बुजुर्गों के संचित अनुभव और ज्ञान का उपयोग, यदि वाकई उनमें है तो युवाओं की दक्षता कौशल बढ़ाने में ले सकते हैं। क्योंकि ज्ञान जितना बंटेगा, उतना ही विभाजित होकर फैलेगा। फलस्वरुप देश की समग्र आबादी के लिए कल्याणकारी साबित होगा।


संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट को वक्त का तकाजा मानते हुए केंद्र व राज्य सरकारों को जरुरत है कि वे सरकारी कर्मचारी व अधिकारियों की नौकरी की उम्र बढाने और वेतन-भत्तों में बेतहाशा वृद्धि करना बंद करें। क्योंकि ये वृद्धियां आमजन को बुनियादी सुविधाओं से वंचित करने वाली साबित हो रही हैं। छठा वेतनमान लागू होने के बाद अनेक कर्मचारी-अधिकारियों ने चार-चार मकान और कृशि भूमियां खरीद लिए हैं। इस कारण अचल संपत्ति के मूल्य आसमान छू रहे हैं। जिन्हें वाकई खेती के लिए जमीन और रहने के लिए घर की जरुरत है,उस वर्ग का एक समुदाय जहां घर और भूमि से विस्थापित हो रहा है,वहीं दूसरा समुदाय इन बुनियादी जरूरतों को खरीदने के लिए सक्षम ही नहीं रह गया है। इसलिए जरुरी है कि न केवल सरकारी कर्मचारियों को सांतवां वेतन मान देने की जो तैयारी चल रही हैं,उसे तो प्रतिबंधित किया ही जाए,साथ ही इनकी नौकरी की उम्र और वेतन-भत्ते भी कम किए जाएं। इसी तर्ज पर सांसद और विधायकों के वेतनमान घटाने चाहिए। युवाओं को रोजगार से जोड़ने का तात्पर्य बढ़ते बुजुर्गों के बोझ को रचनात्मक योगदान में बदलना होगा और जो धन संपदा कुछ चंद लोगों के पास इकट्ठी होती जा रही है,उसे बांटने के उपाय करने होंगे। चीन की जनसंख्या नीति में परिवर्तन और संयुक्त राष्ट्र के परिप्रेक्ष्य में भारत को भी समग्र जनसंख्या नीति को अमल में लाते हुए जनसंख्या नियंत्रण के उपायों में एकरूपता लाने की जरूरत है

 


प्रमोद भार्गव
   

शब्दार्थ 49,श्रीराम कॉलोनी
शिवपुरी म.प्र.
मो. 09425488224
फोन 07492-232007, 233882

लेखक वरिष्ठ साहित्यकार और पत्रकार हैं।

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: प्रमोद भार्गव का आलेख - जनसंख्या नीति : चीन से सबक ले भारत
प्रमोद भार्गव का आलेख - जनसंख्या नीति : चीन से सबक ले भारत
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEguNgTYVmFjyS7H25mVceBhuyVY9yxv_DzeHoQHnelyOmCUu56hAS0pV7UQ1LwjufYx8pyctt9V8hxQDF7Q7rZVLNsAzjEKUDgFSanQTzo9TwtbGlES6ao3mgT3smoP_XQAlfDW/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEguNgTYVmFjyS7H25mVceBhuyVY9yxv_DzeHoQHnelyOmCUu56hAS0pV7UQ1LwjufYx8pyctt9V8hxQDF7Q7rZVLNsAzjEKUDgFSanQTzo9TwtbGlES6ao3mgT3smoP_XQAlfDW/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/11/blog-post_27.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/11/blog-post_27.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content