''नारी की व्यथा'' नारी जग की जननी है संसार नया रच देती है, चुप रहती कुछ न कहती है दर्द को हरदम सहती है।। परिवार सम्हाले बच...
''नारी की व्यथा''
नारी जग की जननी है संसार नया रच देती है,
चुप रहती कुछ न कहती है दर्द को हरदम सहती है।।
परिवार सम्हाले बच्चों का खुद भूखी रह जाती है,
इंसाफ नहीं मिलता उसको हर युग में सतायी जाती है।।
सीता ने भी जुल्म सहे मार्यादा को आँच न आने दी,
अग्नि परीक्षा देकर खुद श्रीराम की लाज बचाती है।
फिर भी दुनिया की बातों से वन को भेजी जाती है,
क्या मर्यादा पुरूषोत्तम की यह मर्यादा कहलाती है।।
सती प्रथा का जुल्म सहा अब दहेज का सहती है,
कभी जहर खुद पीती है कभी जलायी जाती है।
वर्तमान की नारी भी सहमी सहमी सी दिखती है,
खुलकर जीना चाहे तो शिकार हवस का बनती है।।
मीरा ने भी जहर पिया था अपना धर्म बचाने को,
त्याग बड़ा है नारी का नारी की व्यथा निराली है।
माँ-बेटी की गाली भी नारी को ही दी जाती है,
दो-दो कुल की लाज रखे दुनिया की रीति निभाती है।।
दुनिया भी हिल जाती है ये धरती भी फट जाती है,
इंसाफ के खातिर नारी जब भी कोहराम मचाती है।।
दुर्गा काली बनकर तू ही दुनिया के जुल्म मिटाती है,
मिट जायेगी दुनिया ही दुनिया जो तुझे मिटाती है।।
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''प्यारा हिन्दुस्तान''
मेरा देश महान है ,
प्यारा हिन्दुस्तान है।
इतिहास के पन्नों में,
भारत का विज्ञान है।।
हिन्दी रखना है जिंदा,
हिन्दी से हिन्दुस्तान है।
गीता और कुरान है,
लिखा जहां इमान है।।
हिन्दू ,मुस्लिम ,सिक्ख,र्इ्रसाई,
सब भारत मां की संतान है।
जब तक चंदा सूरज चमके
चमके मेरा हिन्दुस्तान है।।
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''माँ''
ममता की मूर्ति है माँ सबसे महान है।
दुनिया मेम माँ के जैसा न कोई इंसान है।।
है सबकी पालनहार माँ देवी समान है।
जो दुखाए माँ का दिल वो हैवान है।।
सहकर हजार दुख माँ बच्चों को पालती।
माँ की ममता के नाम से ही ये जहान है।।
है सबसे बड़ा कर्ज माँ के अहसानों का।
जो करे दिल से माँ की सेवा वो इंसान है।।
अपने आंचल की छांव में रखती है बच्चों को।
माँ तो हर बच्चे के लिए ईश्वर समान है।।
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गजल
हर कसम तोड़ देंगे तुम्हारे लिए,
हम शहर छोड़ देंगे तुम्हारे लिए।
आ जाओ अगर तुम महल छोड़ के,
दुनिया को छोड़ देंगे तुम्हारे लिए।
प्यार करने का वादा करो तो सही,
जमाने को छोड़ देंगे तुम्हारे लिए।
कभी आंखो से अपनी पिलाओ अगर,
हर जाम तोड़ देंगे तुम्हारे लिए।
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''आज फिर से''
आज फिर से वही आहट ,फिर वही आवाज आई है,
आज आलम है तन्हाई का ,मिली फिर से बेवफाई है।
1.कहीं है गम तो कहीं बज रही शहनाई है ,
कुछ लम्हों का है साथ फिर वही जुदाई है।
दुनिया में तो बस एक ही हकीकत है ,
जो भी आया है उसकी एक दिन विदाई है।।
2.जो गुनाहों में जितना भी रहा है शामिल ,
उसके सजा की घड़ी उतनी करीब आई है।
सुख में भी कभी रब को याद कर लेना,
दुख में तो हर किसी को उसकी याद आई है।।
3.कभी इंसान को मिल जाये अगर कामयाबी ,
अपने ही आप की प्रशंसा सुनाई है ।
हो जाये अगर किसी के कुछ साथ बुरा ,
हर एक बात पर प्रभु की इच्छा बताई है।।
4.उन लोगों कुछ लोग करते आज भी बुराई है ,
जिनके होठों पर रहती आज भी सच्चाई है।
अपनी जो थोड़ी भी कड़वी हकीकत सुन ले ,
फिर न किसी से बैर न किसी से बुराई है।।
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''मातृभूमि''
मातृभूमि के चरणों में हम
तन मन धन लुटा देंगे।
भारत माँ के बेटे है हम,
वतन पर जान लुटा देंगे।
भारत की जिस भूमि को,
वीरों ने लहू से सींचा हो।
उस भूमि की रक्षा के खातिर,
हम अपना खून बहा देंगे।।
देश में गर मुश्किल आई
हम सोते वीर जगा देंगे।
पर वतन को झुकने न देंगे,
झण्डे को गिरने न देंगे।।
साथ चलो मिलकर सब तो,
खुशियों का चमन महका देंगे।
इतना ही नहीं फिर से भारत को,
सोने की चिड़िया बना देंगे।।
हम भारत के रहने वाले हैं,
सारे जहाँ को बता देंगे।
हिन्दुस्तानी दिल हैं हम,
चाँद पर भी तिरंगा लहरा देंगे।।
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''इंसान''
इंसान से जो प्यार करे इंसान वही है,
आए जो मुश्किलों में काम यार वही है।
मिल के जो मिटा देता दिल की दूरियाँ,
जो रूठे भी और मनाये भी प्यार वही है।।
सब धर्मों को जो मिलाता है हिन्दुस्तान वही है,
नफरतों की दे जो कुर्बानी कुर्बान वही है।
दुश्मनों से देश कभी डरता नहीं है,
वतन पर जो मिट जाए जवान वही है।।
राम वही है और रहमान वही है,
बिगड़े को जो बना दे भगवान वही है।
नाम किसी का है यहाँ काम किसी का,
सच बोलता है जो भी बदनाम वही है।।
देश-द्रोह करे जो भारत मां का लाल नहीं है,
मजबूरियों में जो वार करे शैतान वही है।
पैसों में जो बिक जाये वो ईमान नहीं है,
मिल जाये जहाँ प्रेम जहान वही है।।
तुम रहो कहीं या हम रहें कहीं,
जो याद करे दिल से दिलदार वही है।
गिरते हुए इंसान को उठाओ तो सही ,
खुशियाँ होंगी वतन में ये बात सही है।।
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गजल-''तेरे प्यार में''
बदल रही है जिंदगी अब तेरे प्यार में ,
जब से दिया है दिल ये मैंने तेरे प्यार में।
अब करवटें बदलते हैं हम सिर्फ रातभर
आये हैं जब से तेरे शहर तेरे प्यार में।
अब तेरे शिवा आता नहीं दिल ये किसी पर,
बनाई तेरी तस्वीर जब से तेरे प्यार में।
अब हो गई सुबह से शाम इंतजार में ,
अब बिन तेरे ने जी सकेंगे तेरे प्यार में।
न हो अगर यकीं तो अजमा के देख लो,
अब जीना मुझे मरना मुझे तेरे प्यार में।
बस गए हो तुम मेरी अब सांस सांस में,
कट जायेगी ये जिंदगी अब तेरे प्यार में।
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''मैं हिन्दुस्तान हूँ''
इस दुनिया की मैं एक मिसाल हूँ ,
कागजों पर लिखा एक इतिहास हूँ।
दिल की धड़कन हूँ मैं और मुस्कान हूँ ,
मैं हिन्दुस्तान हूँ , मैं हिन्दुस्तान हूँ ।।
मैं राम हूँ और रहमान हूँ,
गीता भी हूँ और कुरान हूँ।
अनेकता में एकता की पहचान हूँ ,
मैं हिन्दुस्तान हूँ , मैं हिन्दुस्तान हूँ ।।
मैं शहीदों के बलिदान का नाम हूँ ,
देश-भक्तों के होंठों की जुबान हूँ।
झण्डे में तिरंगे का एक निशान हूँ ,
मैं हिन्दुस्तान हूँ , मैं हिन्दुस्तान हूँ ।।
जहां सर न झुके सर चाहे कटे,
जहां होकर शहीद नाम जिंदा रहे।
ऐसे वीरों का मैं एक सरताज हूँ ,
मैं हिन्दुस्तान हूँ , मैं हिन्दुस्तान हूँ ।।
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''स्वार्थ के नाते''
आजकल दुनिया में बस स्वार्थ के नाते है,
न ही प्यार करते हैं न दिल से दिल लगाते है।
लोगों के दिल में अब तो बस नफरत की रेखा है,
अब मिलती नहीं चाहत बस सब चाय पिलाते है।
अब तो बदल गया इंसान अब न कोई नाते हैं,
इस दौलत के खातिर ही भाई-भाई से लड़ते हैं।
अगर न हो पास में माँ-बाप के धन दौलत
तो फिर उन्हें रहने को वृद्धाश्रम पहुँचाते है।।
झूठी शान के खातिर यहां इंसान लड़ते है,
जुटाकर पाप की दौलत फिर मरने से डरते हैं।
अब न कोई एक-दूजे पर ऐतबार करते है,
इसलिए इंसान को अब न भगवान मिलते हैं।।
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नाम-बी.के.गुप्ता
पूरा नाम-बृज किशोर गुप्ता
पिता का नाम-श्री लक्ष्मी प्रसाद गुप्ता
माता का नाम-ऊषा गुप्ता
जन्म तिथि-01-जुलाई सन्1982
जन्म स्थान-ग्राम-चन्दौरा तहसील-अजयगढ
़जिला-पन्ना(म.प्र.)
शिक्षा-बी.ए.(समाज शास्त्र) एवं कम्प्यूटर पी.जी.डी.सी.ए.
व्यवसाय-कम्प्यूटर शिक्षक
कैपीटल कम्प्यूटर आई.टी.एण्ड साइन्स बड़ामलहरा
जिला-छतरपुर म.प्र.
विधा-कविता ,ग़ज़ल ,निबंध।
प्रकाशित कविता -नारी की व्यथा kavyasagar.com पर।
संक्षिप्त परिचय-मेरी लेखनी सन् 2006 से कम्प्यूटर पर पहली हास्य कविता लिखने से शुरू हुई इसके बाद शेर और शायरी तथा निबंध लिखता रहा और सन् 2014 में मैंने फेसबुक और यू-ट्यूब में कवि-सम्मेलनों का प्रसारण देखा और लिखने के लिए मेरे दिल में विचार आये और मैं ग़ज़ल लिखना भी प्रारम्भ कर दिया जिसे फेसबुक में डाला और मुझे कवियों के लाइक कमेंट मिलने लगे तब से मैं आज तक लिखता ही जा रहा हॅू। 11 सितम्बर 2015 को बड़ामलहरा में हुए अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में काव्य पाठ का मौका मिला ।सबसे अधिक सहयोग यू-ट्यूब और फेसबुक से मुझे प्राप्त हुआ। आज भी लेखन जारी है।
स्थाई पता-बी.के.गुप्ता
ग्राम-चन्दौरा तहसील-अजयगढ
जिला-पन्ना(म.प्र.)
वर्तमान पता- बी.के.गुप्ता
कैपीटल कम्प्यूटर आई.टी.एण्ड साइन्स बड़ामलहरा
जिला-छतरपुर म.प्र.
मोब.-9755933943
ई-मेल- bkgupta193@gmail.com
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