मनोज कुमार का आलेख - अखबारों में पाठकों के हिस्से की सेंधमारी

SHARE:

    उपभोक्ताओं को जागरूक बनाने के अनेक उपक्रम संचालित हो रहे हैं। केन्द्र से लेकर राज्य सरकारों में यह अभियान चला हुआ है। करोड़ों रुपयों के ...

image

    उपभोक्ताओं को जागरूक बनाने के अनेक उपक्रम संचालित हो रहे हैं। केन्द्र से लेकर राज्य सरकारों में यह अभियान चला हुआ है। करोड़ों रुपयों के विज्ञापन प्रकाशित किये और कराये जा रहे हैं। उपभोक्ताओं की श्रेणी में उन्हें रखा जा रहा है जो टीवी, फ्रिज, कूलर से लेकर दवाएं खरीदते हैं। इस श्रेणी में संभवतः पत्र-पत्रिकाएं और केबल कनेक्शन लेने वालों को शामिल नहीं किया गया है। इसका कारण शायद इनकी श्रेणी अलग है क्योंकि इन्हें उपभोक्ता न कहकर पाठक और दर्शक कहा जाता है अर्थात इनका संबंध बाजार से न होकर बौद्धिक दुनिया से है। कानून की भा में भले ही ये उपभोक्ता नहीं कहलाते हों किन्तु प्राथमिक रूप से यह उपभोक्ता की ही श्रेणी में आते हैं। पढ़ने के पहले की प्रक्रिया पत्र-पत्रिका खरीदना अथवा केबल कनेक्शन के लिये तयशुदा रकम चुकाना है, ऐसे में वे पहले उपभोक्ता होते हैं और बाद में पाठक या दर्शक। पाठक और दर्शकों के हिस्से में सेंधमारी लम्बे समय से की जा रही है, वह अन्यायपूर्ण है बल्कि ये पाठक और दर्शक तानाशाही के शिकार हो चले हैं। सीधे तौर पर पाठक और दर्शकों के हिस्से में सेंधमारी का मामला साफ नहीं होता है किन्तु मैंने अपने अध्ययन में पाया है कि एक साल में पाठकों के हिस्से में लगभग पच्चीस फीसदी हक पर सेंधमारी की जाती है।

    सभी अखबारों की कीमत तय है, वैसे ही जैसे साबुन की टिकिया की। वह कम या ज्यादा हो सकती है किन्तु यह प्रबंधन का फैसला है कि वह अखबार की कीमत क्या तय करे किन्तु जो कीमत तय की जाती है, वह पाठकों से वसूली जाती है। कीमत में कमी अथवा बढोत्तरी भी की जाती है। यह सब ठीक है किन्तु जब तयशुदा कीमत आप वसूल रहे हैं तो आपकी जवाबदारी बन जाती है कि जितने पन्नों के अखबार का वायदा किया है, वह पाठकों को दिया जाए। पन्ने ही नहीं बल्कि खबरों वाले पन्ने दिये जाएं किन्तु व्यवहार में ऐसा नहीं हो रहा है। हमें पढ़ाया गया है, बताया गया है कि किसी समय अखबारों में छपने वाले विज्ञापनों के लिये एक हिस्सा तय होता था। पहले अस्सी प्रतिशत खबरें और बीस प्रतिशत विज्ञापन और बाद में यह प्रतिशत बदल गया और साठ प्रतिशत खबरें और चालीस प्रतिशत विज्ञापन की जगह हो गई। शायद अभी भी यही फार्मूला काम कर रहा है किन्तु कागज में, वास्तविकता में नहीं। अखबार जब तब पाठकों के हिस्से में सेंधमारी कर देते हैं।

    हर साल एबीसी अर्थात आडिट ब्यूरो सर्कुलेशन पड़ताल कर यह जानकारी देता है कि किन अखबारों की बिक्री में कितना इजाफा हुआ अथवा कितना ग्राफ उसका गिरा। एबीसी मशीन पर छपने वाले अखबार की प्रतियों गिनने के बाद अपना निर्णय सुनाता है। लिहाजा हर अखबारों की संख्या अलग अलग होती है तथा इसमें भी शहरवार अलग अलग होते हैं। एबीसी के ये आंकड़ें प्रबंधन तक होते हैं, आंकड़ों को सार्वजनिक करने का काम उनका नहीं है किन्तु अपनी श्रेष्ठता सिद्व करने के लिये अखबार वाले तत्काल एक पूरा पेज कौन किससे आगे, कौन किससे पीछे और वे किस मायने में श्रेष्ठ हैं बताने के लिये छाप देते हैं। साल में एक बार पूरा का पूरा पेज जो खबरों के लिये होता है, पाठकों के हिस्से में सेंधमारी कर स्वयं की वाहवाही में निकाल दिया जाता है।

    यह तो एक उदाहरण मात्र है। उत्सव के समय तो विज्ञापनों के बीच खबरों को तलाश करना पड़ता है। दीपावली के पांच दिनों के अखबारों का विश्लेशण करेंगे तो पाएंगे कि बीस प्रतिशत खबरें होती हैं और अस्सी प्रतिशत विज्ञापन किन्तु अखबार के मूल्य में कोई परिवर्तन नहीं होता है। कई बार का अनुभव यह रहा है कि विज्ञापनों के लिये वद्वि किये पन्ने की कीमत भी पाठकों से वसूल कर ली जाती है। इसे कहना चाहिए आम के आम और गुठलियों के दाम भी प्रबंधन ले लेता है। इसी तरह चुनाव के समय अखबारों में भी पाठकों के साथ अन्याय होता है तो राजनीतिक दलों में नियुक्तियां, आगमन, स्वागत आदि के पूरे पूरे पन्ने का विज्ञापन प्रकाशित कर खबरों को कम कर दिया जाता है। केन्द्र एवं राज्य सरकार की अधिसूचना प्रकाशन के समय भी अतिरिक्त पष्ठ नहीं जोड़े जाते हैं। एक तरफ तो विज्ञापन प्रकाशित कर पाठकों के हिस्से में सेंधमारी की जाती है तो दूसरी तरफ रविवार के परिशिष्ट की कीमत सामान्य दिनों से अतिरिक्त वसूली जाती है।

    पेड न्यूज का हल्ला मचाने वाले लोगों को इस बात का इल्म नहीं होगा, यह कहना गैरवाजिब है किन्तु पाठकों के हक में जो सेंधमारी हो रही है, उसके बारे में खामोश बने रहना ठीक नहीं है। पाठकों की हिस्सेदारी में सेंधमारी का एक और तरीका है पाठकों की राय के बिना नियमित स्तंभों को बदलना। इस बारे में कुछ लोगों से बात करने पर उनका यह कहना था कि यह प्रबंध का सर्वाधिकार है कि वह अखबार को किस तरह निकालता है अथवा में उसमें संशोधन करता है जब कुछ लेखक और पाठकों से बात की गई तो उनका कहना था कि अखबार प्रकाशन में लाभ का मामला प्रबंधन का हो सकता है किन्तु अखबार तो पाठक की पसंद और उसकी जरूरत के अनुरूप्‌ निकलना चाहिए। इस बारे में उनका कहना था कि हिन्दी अखबारों में अंग्रेजी की अनुदित सामग्री प्रकाशित की जा रही है जिससे हिन्दी के मूल विचारों से पाठकों का वास्ता खत्म हो रहा है।

एक बड़े वर्ग की चिंता पाठकों के पत्र कॉलम को लेकर भी जाहिर हुई। इस वर्ग का कहना यह था कि पाठकों के पत्र के माध्यम से न केवल विचारों का आदान प्रदान होता था बल्कि वह समस्याएं जिनका हल मुद्दत से नहीं होता था, उसके निदान में भी मदद मिलती थी। अब पाठकों के पत्र औपचारिक रूप से प्रकाशित किये जा रहे हैं। इस वर्ग की चिंता इस बात को लेकर भी थी कि इससे पाठकों की हिस्सेदारी खत्म हो रही है जो अखबारों की गंभीरता के लिये खतरनाक है।  पाठकों के हिस्से पर सेंधमारी के सवाल पर महिला पाठकों से चर्चा करने पर यह बात भी सामने आयी कि जो अखबार प्राथमिक शाला की भूमिका में थे, उनका लोप हो गया है बल्कि अपनी बिक्री बढ़ाने के लिये ईनाम बांटे जा रहे हैं। अखबारों से हम बाजार से सौदा कैसे करें सीखते थे किन्तु अखबारों की यह सामाजिक जवाबदारी भी कम होती जा रही है। बाजार में ठगने से कैसे बचें, लालच में खरीददारी नहीं करें जैसे नैतिक बातें सिखाने वाले अखबार स्वयं लालच देकर अखबार बेचने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

    लगभग सभी पाठकों को इस बात की निराशा थी कि हर अखबार अपने आपको सर्वाधिक लोकप्रिय बताने पर जुटा है किन्तु सबका दावा पाठक संख्या पर है न कि बिक्री पर। अखबारों का स्लोगन होता है कि उनकी पाठक संख्या कितनी है। इस बारे में मीडिया पर अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों से हुई बातचीत में उनका कहना था कि अपने को श्रेश्ठ बताने का यह शॉर्टकट रास्ता है।  मैंनेजमेंट की टर्मानोलॉजी के मुताबिक एक परिवार पांच सदस्यों का माना जाता है और एक अखबार के पांच पाठक होते हैं। इसी तरह सार्वजनिक स्थलों पर अखबारों का पठन पाठन करने वालों की संख्या को अखबार चौगुनी करके देखता है और इस हिसाब से वह तुलना कर अपनी प्रसार संख्या के स्थान पर पाठकों की संख्या बता देता था।

    पाठकों के हिस्सेदारी में सेंधमारी के संदर्भ में अध्ययन के दौरान मुझे याद आया कि अपनी पत्रकारिता के आरंभिक दिनों में हम लोगों को सिखाया जाता था कि अखबार के पाठक नहीं बल्कि पाठकों की आंखों की संख्या से अखबार की रीडरशिप गिनी जाए अर्थात एक व्यक्ति की दो आंखें और पाठक पाठक यानि दस आंखें। हालांकि यह बातें हमें अखबार की सामाजिक एवं नैतिक जिम्मेदारी के मद्देनजर बताया जाता था कि हमारी एक गलती से किसी भी व्यक्ति की मानहानि किस स्तर पर और कैसे हो सकती है जिसकी भरपाई करना अखबार के लिये नामुमकिन होगा। तथ्यों की पड़ताल और संबंधित व्यक्ति का पक्ष सुन लेने के बाद खबर लिखना चाहिए। हालांकि तीस वर्श पुरानी पत्रकारिता की नैतिक बातें आज भी उतनी मूल्यवान हैं किन्तु व्यवहार से परे हो चली हैं। फिलवक्त चिंता इस बात की है कि पाठकों की हिस्सेदारी पर जो सेंधमारी हो रही है, उसे कैसे रोका जाए। यह चिंता मामूली नहीं है क्योंकि साबुन की टिकिया एक समय के बाद अपना अस्तित्व खो देती है किन्तु एक अखबार इतिहास बन जाता है और इतिहास में पाठकों के हिस्से की सेंधमारी हिस्सा न बन पाये, इसकी चिंता पाठक को, पत्रकार को और प्रबंधन को करना होगी

photo[1]

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं भोपाल से प्रकाशित शोध पत्रिका "समागम" के संपादक है } मोबाइल. 9300469918 

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: मनोज कुमार का आलेख - अखबारों में पाठकों के हिस्से की सेंधमारी
मनोज कुमार का आलेख - अखबारों में पाठकों के हिस्से की सेंधमारी
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgqVOSXKBtFqcCCvi-KCDh_2a0rgCGA9h2W-J7pfbHFYrgXk1JvW8dSpVbOHgFBkWbB6aPlPLzuJkn0MaBPzocvuAQ1F6E5ukWd5uU3oKcwLtI_otLJjZRjjer7fK7whsIvFi0k/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgqVOSXKBtFqcCCvi-KCDh_2a0rgCGA9h2W-J7pfbHFYrgXk1JvW8dSpVbOHgFBkWbB6aPlPLzuJkn0MaBPzocvuAQ1F6E5ukWd5uU3oKcwLtI_otLJjZRjjer7fK7whsIvFi0k/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/10/blog-post_216.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/10/blog-post_216.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content