मूल संपूर्ण गांधी वाङमय की अक्षुण्णता बनाए रखने की चुनौती

SHARE:

मूल संपूर्ण गांधी वांगमय की अक्षुण्ण बनाए रखने की चुनौती हमेशा बरकरार रहेगी सीडब्लूएमजे के नाम से दुनिया में प्रसिद्ध संपूर्ण गांधी वांगमय ...

image

मूल संपूर्ण गांधी वांगमय की अक्षुण्ण बनाए रखने की चुनौती हमेशा बरकरार रहेगी
सीडब्लूएमजे के नाम से दुनिया में प्रसिद्ध संपूर्ण गांधी वांगमय के बिगाड़ दिए गए स्वरूप को सुधारा गया


प्रसून लतांत
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन और संदेश पर आधारित सौ खंडों का ‘संपूर्ण गांधी वांगमय’ दुनिया में उपलब्ध महत्त्वपूर्ण ग्रंथों में है, जो दुनिया भर में ‘सीडब्लूएमजे’(कलैक्टेड वर्क्स आफ महात्मा गांधी) के नाम से प्रसिद्ध है। सौ खंडों और पचास हजार पन्नों में फैला संपूर्ण गांधी वांगमय की मांग आज भी नहीं घटी है, उलटेऔर बढ़ ही रही है। गांधीजी के जीवन और संदेशों को उनके मौलिक रूप में जानने-समझने के लिए इससे ज्यादा कोई प्रामाणिक दस्तावेज आज और कोई नहीं है। अब अंतरराष्ट्रीय स्तर का यह राष्ट्रीय घरोहर नए रूप में सभी के सामने आ रहा है। नई सीडी में संपूर्ण गांधी वांगमय को ढाल दिया गया है


गांधी जी की अक्षर देह के रूप में चर्चित इस वांगमय को करीब डेढ़ दशक पहले भी सीडी-रॉम में ढालने की कोशिश में क्षत-विक्षत कर दिया गया था। अनजाने या जानबूझ कर की गई इस कोशिश की काफी आलोचना हुई तो तत्कालीन सरकार ने करोड़ों की लागत से तैयार ऐसी सीडियों को रातों-रात नष्ट करवाया और अब उसकी जगह मूल वांगमय के अनुरूप नई सीडी तैयार कराया गया है। संपूर्ण गांधी वांगमय को सीडी-रॉम में ढालने के दौरान हुई हजारों गलतियों को यों ही छोड़ दिया जाता तो लोग गांधी जी के जीवन और संदेशों को उसके मूल स्वरूप के बारे में जान ही नहीं पाते। हालांकि सुधार के लिए सरकार ने गांधीवादियों सहित अन्य लोगों की एक समिति भी बना दी थी पर सुधार के काम को कड़ी मेहनत कर अंजाम तक पहुंचाया डीना पटेल ने। डीना पटेल के पिता सीएम पटेल मूल वांगमय के अंग्रेजी संस्करण के संपादक मंडल में थे। डीना जीवन बीमा में नौकरी करती थीं और उनका गांधी जी से कोई खास लेना-देना नहीं था पर उन्हें जब सीडी-रॉम संस्करण में गलतियां दिखाई पड़ीं तो वे उसमें सुधार के लिए बेचैन हो उठीं। प्रकाशन विभाग ने डीना पटेल की मदद से वांगमय के नए संस्करण में उन गलतियों को दूर कर दिया है, जो इसके पहले के संशोधित संस्करण में थीं।


वांगमय के संशोधित संस्करण की गलतियों को लेकर प्रकाशन विभाग की आलोचना तेज होने लगी तो तत्कालीन यूपीए सरकार के सूचना प्रसारण मंत्री जयपाल रेड्डी ने सुधार के लिए समिति गठित की, जिसके अध्यक्ष महात्मा गांधी के सचिव और सहायक महादेव देसाई के पुत्र नारायण देसाई बनाए गए और पर्यावरणविद् और ‘गांधी मार्ग’ के संपादक अनुपम मिश्र सचिव बनाए गए। इसके अलावा समिति में प्रसिद्ध लेखक और गांधीजी के जीवनी लेखक बीआर नंदा, ईएस रेड्डी और मूल गांधी वांगमय में काम कर चुके जेपी उनियाल आदि सदस्य बनाए गए। समिति के सदस्यों ने संशोधित संस्करण का आकलन के बाद कहा कि सीडी-रॉम और संशोधित संस्करण में इतनी गलतियां हैं कि इसे प्रामाणिक संपूर्ण गांधी वांगमय के नाम से चलने नहीं दिया जा सकता। समिति के गठित होते ही वांगमय के संशोधित संस्करण और सीडी-रॉम की बिक्री पर रोक लगा दी गई। संशोधित संस्करण की उपलब्ध प्रतियों को नष्ट कर दिया गया।


जब देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे। तब सूचना प्रसारण मंत्रालय के अधीन प्रकाशन विभाग की तत्कालीन निदेशक ने बगैर किसी से सलाह किए अपनी मनमर्जी से संपूर्ण गांधी वांगमय को लापरवाही से सीडी-रॉम में ढाला कि इसमें न केवल हजारों गलतियां रह गईं बल्कि तथ्य भी इधर से उधर हो गए। हांलांकि प्रकाशन विभाग द्वारा गांधी वांगमय के सौ खंडों का संशोधित संस्करण जब सीडी -रॉम के रूप में सामने आया तो उस समय इसका स्वागत करने वाले लोंगों की भी कमी नहीं थी, जो चाहते थे कि उन्हें गांधी की बातें कंप्यूटर पर माउस दबाते ही मिल जाए लेकिन उनकी निगाह हैंड कंपोजिग कर साफ-सुथरे तरीके से छपे पचास हजार पन्नों वाले इस वांगमय के मूल संस्करण को जब कंप्यूटर टाइपिंग में बदला गया तो रह गई हजारों गलतियों पर नहीं गई। लेकिन वांगमय के मूल संस्करण को तैयार करने के समय के लोगों सहित कुछ अध्येता इसे सहन नहीं कर सके। गांदी मार्ग के संपादक अनुपम मिश्र ने सुधार के लिए सरकार जागे, इसके लिए प्रयास करने में कोई कमी नहीं छोड़ी। उन्होंने इसके विरोध में न केवल आवाज उठाई बल्कि यह इंतजाम करने पर जोर दिया कि भविष्य में फिर कभी कोई वांगमय के साथ ऐसा अक्षम्य अपराध न कर सके। तब जनसत्ता ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और आवाज बुलंद की। इसके संस्थापक संपादक प्रभाष जोशी ने इस मुद्दे को न केवल अपने स्तंभ कागद कारे में उठाया बल्कि सरकार को पूरी तरह से जगाने के लिए पहले पेज के लिए खबरें भी लिखीं। इसी का नतीजा था कि सरकार जागी और वांगमय के संशोधित संस्करण की गलतियों को ठीक करने की दिशा में काम शुरू हो सका।


वांगमय के संशोधित संस्करण पर काम 1998 में शुरू हो गया था लेकिन कोई नहीं जानता था कि यह संशोधन क्यों और किन कारणों से किया गया। इन खंडों पर संशोधन करने वाले संपादकों और करवाने वाले सलाहकारों के नाम नहीं थे। कोई नहीं जानता था और न कोई बताता था कि यह संशोधन किसके आदेश या सलाह या सिफारिश पर किया गया। न इसमें बताया गया था कि इस संशोधन में किस पद्धति और किन तौर-तरीकों का इस्तेमाल किया गया। संशोधित संस्करण में डेढ़ पेज के प्रकाशकीय में तीन बातें थीं कि हर खंड पांच सौ पेज का है, तैथिक क्रम का सख्ती से पालन करने के लिए मूल संस्करण के 91 से 97 खंडों को 1 से 90 खंडों में मिला दिया गया और उन भाषणों, संवादों और मुलाकातों आदि को निकाल दिया गया है, जो प्रामाणिक रूप से गांधीजी के नहीं लगते थे। संशोधित संस्करण में कहीं नहीं बताया गया था कि ऐसी सामग्री की प्रामाणिकता तय करने वाले कौन थे और वह किसके आदेश से हटाई गई। वांगमय के संशोधित संस्करण में मूल संस्करण के गांधीजी के ही कोई पांच सौ पत्र बाहर हो गए या निकाल दिए गए। मूल संस्करण के हर खंड में वांगमय के प्रधान संपादक स्वामीनाथन की जो भूमिका थी, वे सब भी संशोधित संस्करण से निकाल दी गईं। स्वामीनाथन की ये भूमिकाएं हरेक खंड में क्या है, केवल यही नहीं बताती थीं, वे उस काल खंड में गांधीजी के कार्य, उसके महत्त्व और असर आदि का भी उद्धरणों के जरिए वर्णन करती थींं। मूल संस्करण के सौवें खंड में सभी खंडों की भूमिकाएं और प्रस्तावना आदि संग्रहित थे। यह पूरा का पूरा खंड ही हटा दिया गया था। मूल संस्करण में खंड 91 से 97 तक परिशिष्ट बनाए गए थे। विषयों की अमुक्रमिका खंड 98 और नामों की अनुक्रमिका खंड 99 में थी। चूंकि खंड 91 से 97 मूल ग्रंथ में प्रक्षेपित किए गए थे इसलिए संशोधित संस्करण में अनुक्रमिकाएं भी गड़बड़ हो गई थीं और कई प्रविष्टियां निकल गईं और अक्षरों, उच्चारणों और प्रूफ की गलतियों का कोई हिसाब-किताब ही नहीं था।


वरिष्ठ पत्रकार प्रभाष जोशी ने तब जनसत्ता में सवाल उठाया था कि वांगमय के संशोधित संस्करण दरअसल किसी आदेश, आवश्यकता और पद्धति के तैयार किया गया। गांधी जी के मूल्यों पर चलते हुए तब की सरकार, सूचना और प्रसारण मंत्रालय और प्रकाशन विभाग की नीयत में खोट न देखी जाए तो भी हुआ वह भारत की अंतरराष्ट्रीय धरोहर के साथ हुआ घनघोर अत्याचार और तिरस्कार है। संपूर्ण गांधी वांगमय को गुजराती में बापू की अक्षर देह कहा गया है। इस अक्षर देह को क्षत-विक्षत करने का प्रयास किया गया। नवजीवन ट्रस्ट के पास गांधीजी के लेखन का कॉपीराइट है। संपूर्ण गांधी वांगमय के लिए भारत सरकार और नवजीवन ट्रस्ट में सन 1956 में करार हुआ था। इस करार के मुताबिक गांधी वांगमय की सामग्री में उनसे पूछे बिना कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता। संशोधित संस्करण में प्रकाशन विभाग ने जो भी किया, उसकी अनुमति लेना तो दूर उसे सूचित तक नहीं किया गया। ट्रस्ट ने इस पर विरोध जताते हुए मांग की कि संशोधित संस्करण और सीडी-रॉम की बिक्री रोक कर उन्हें वापस लिया जाए। जिसने यह संशोधन करवाया और किया, उनके नाम मालूम किए जाएं और जो मूल संस्करण तैयार करने में स्वामीनाथन के सहयोगी थे। उनकी सलाह से अनिवार्य सुधारों के साथ वांगमय के मूल संस्करण को फिर से छापा जाए।


वांगमय के साथ हुए खिलवाड़ का नतीजा यह हुआ कि लोग यह मांग भी करने लगे कि संसोधित संस्करण रद्द करके नष्ट किया जाए और उसकी जगह मूल संस्करण को ही छापा जाए। मूल संस्करण को राष्ट्रीय अभिलेख का दर्जा दिया जाए ताकि संशोधन के नाम पर उसके साथ ऐसा खेल फिर दोबारा न हो। इसकी भी व्यवस्था की जाए कि संशोधन-परिवर्तन के लिए खुला न रखा जाए ताकि आने वाली कोई सरकार गांधी वांगमय को अपनी इच्छानुसार संशोधित कर सके। यह अंतरराष्ट्रीय महत्त्व की राष्ट्रीय धरोहर है और इसे नष्ट करने और बदलने का अधिकार किसी को नहीं होना चाहिए। गांधी की प्रामाणिकता के पावित्र्य को सुरक्षित रखा जाए।


संपूर्ण गांधी वांगमय की योजना प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने बनवाई थी। उसके सलाहकार मंडल में मोरारजी देसाई, काका साहेब कालेलकर, देवदास गांधी, प्यारेलाल नैयर, मगन भाई देसाई, जी रामचंद्रन, श्रीमन्नारायण, जीवनजी देसाई और पीएम लाड जैसे लोग थे, जो जीवन भर गांधीजी के साथ काम कर चुके थे। भारतन कुमारप्पा और प्रोफेसर स्वामीनाथन जैसे प्रधान संपादकों और शोधकर्ताओं का शोध मंडल था जो न सिर्फ गांधी के लिखे और तौर-तरीकों को जानता था बल्कि हरेक प्रामाणिकता के साथ समर्पित मेहनत और पूजा भाव से प्रेरित था। प्रकाशन विभाग और सूचना प्रसारण मंत्रालय का वांगमय पर कोई अधिकार नहीं था। अपने संपादकीय कार्य में वे सलाहकार मंडल के प्रति उत्तरदायी थे। करीब चार दशकों तक चले इस प्रतिष्ठित और प्रसिद्ध अनुष्ठान से राष्ट्रपिता की अक्षर देह सुरक्षित हुई थी। अब यह अक्षर देह नए रूप में सामने आया है लेकिन इसे पूरी तरह मूल में सुरक्षित बनाए रखने के लिए के लिए चुनौती आगे भी बरकरार रहेगी।

-

kumar krishnan (journalist)

mob.09304706646

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: मूल संपूर्ण गांधी वाङमय की अक्षुण्णता बनाए रखने की चुनौती
मूल संपूर्ण गांधी वाङमय की अक्षुण्णता बनाए रखने की चुनौती
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhk2_gJb1145Ta4UcNxEguyp3vGXZKxDeuLO5I4vb7bvIXxwXlaTSHCNTvlkmamUm4P2iymmGYVly8ZetoQ-hUPMy3ubpr1bBiE18OTiKREs6FaZfCJI16q5YQhE8M6ZFFPwgZ4/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhk2_gJb1145Ta4UcNxEguyp3vGXZKxDeuLO5I4vb7bvIXxwXlaTSHCNTvlkmamUm4P2iymmGYVly8ZetoQ-hUPMy3ubpr1bBiE18OTiKREs6FaZfCJI16q5YQhE8M6ZFFPwgZ4/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/09/blog-post_39.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/09/blog-post_39.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content