हास्य - व्यंग्य - गणेश जी की चिन्ता

SHARE:

वीरेन्द्र 'सरल' ज्यों-ज्यों गणेश पक्ष नजदीक आता जा रहा था त्यों-त्यों गणेश जी की बेचैनी बढ़ती जा रही थी। दिल की धड़कने तेज होने लगी ...

वीरेन्द्र 'सरल'

ज्यों-ज्यों गणेश पक्ष नजदीक आता जा रहा था त्यों-त्यों गणेश जी की बेचैनी बढ़ती जा रही थी। दिल की धड़कने तेज होने लगी थी। पेशानी पर बल पड़ने लगे थे। मूषक महराज के चेहरे पर भी हवाइयां उड़ने लगी थी। दोनों एक-दूसरे को असहाय नजरों से देख रहे थे। मूषक के चेहरे का भाव ऐसा था मानों कह रहा हो आपको जाना है तो जाइये प्रभू, मैं तो अब वहाँ जाने से रहा। गणेश जी मूषक के मनोभाव के कारण को भली भांति समझ रहे थे पर कुछ असली भक्तों की भावनाओं का सम्मान करना भी जरूरी था। अन्ततः चुप्पी तोड़ते हुए गणेश जी ने कहा-'' देखो मूषक जी, मैं आपके डर के कारणों को समझ रहा हूँ, पिछले कुछ वर्षों के जो कटु अनुभव आपको हुए हैं वह मैंने महसूस नहीं किया है, ऐसी बात नहीं हैं। जिन परेशानियों से आप गुजरते हैं उनसे कहीं ज्यादा परेशानियों का सामना मुझे करना पड़ता है। लोग कलाकृति के नाम पर हमारी आकृति को किस तरह से विकृत कर देते हैं यह बात किसी से छिपी नहीं है। आज मिलावट का युग है, फिर भी नकली भक्तों की भीड़ में अभी कुछ असली भक्त शेष है चाहे वे कंकड़ में दाल के समान ही क्यों न हो। हमें उनकी भावनाओं का सम्मान करना चाहिए, समझ गये। मूषक महाराज को एक बार में गणेश जी की बातें सुनाई नहीं दी क्योंकि पिछले कुछ वर्षों के कानफोड़ू संगीत के कारण उनकी श्रवण शक्ति काफी कमजोर हो गई थी। गणेश जी को अपनी बात दो-तीन बार दोहरानी पड़ी। तब मूषक को कुछ समझ में आया और वह सहमति में अपना सिर हिलाया। दोनों यहाँ आने से पहले वैसे ही तैयारी करने लगे जैसे सत्र शुरू होने से पहले सत्ता पक्ष वाले विपक्षियों के सवालों का सामना करने के लिए करते है।

अन्ततः वह दिन आ ही गया जब भगवान गणपति को यहां विराजना था। विशाल मंच बन गया था। भारी पंडाल लग गया था। रंगीन झालरों से मंच सुसज्जित होने लगा था। भक्त बड़े भक्ति भाव से मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करके श्रद्धापूर्वक उन्हें विराजित कर रहे थे। भगवान के नाम पर चन्दा मांगने वाले चाँदी काटना शुरू कर दिये थे। भक्ति भाव के नाम पर कानफोड़ू संगीत का सिलसिला शुरू हो गया था। डी. जे. साऊंड पर धमाचौकड़ी मचाने वालों की भीड़ बढ़ने लगी थी। देर रात तक शोर-शराबा होने लगा था। लोग अनुष्ठान के नाम पर वायु और ध्वनि प्रदूषण बढ़ाने में जितना सहयोग कर सकते थे उससे कहीं ज्यादा बढ़-चढ़कर सहयोग कर रहे थे। मूर्ति की चमक-दमक बढ़ाने और आकर्षक बनाने के लिए किये गये खतरनाक रसायनिक पेन्टों के प्रयोग के कारण प्रभू को बड़ी बेचैनी लग रही थी। एक-एक दिन को काटना कई युगों को काटने के समान लग रहा था। प्रभु याद कर रहे थे उस महामानव को जिसने एक पवित्र उद्देश्य के लिए इस धार्मिक अनुष्ठान को उत्सव का रूप दिया था। जिस उत्सव ने जन-गण-मन में राष्ट्रीयता के भाव का संचार किया था और देश के लिए मर मिटने का जज्बा जगाया था। वह हुड़दंग बाजों के हाथ में आकर कितना विकृत हो गया है। ऊपर से असंतुष्ट लोगों की मनोकामनाओं की इतनी लम्बी लिस्ट जिसे पूरा करना कठिन ही नहीं असंभव ही है। उद्देश्य पवित्र हो तो एक बार कोशिश भी की जा सकती है पर अपराधी, जुंआरी, सटोरिये और दागी, भ्रष्ट्राचारी तक अपनी मनोकामनाओं का मांग पत्र थमाकर चले जाते है और मांग पूरी होने की अपेक्षा करते है। अब इनको कैसे समझाया जाये? उत्सव के नाम पर बीच सड़क में भीड़ बढ़ाकर रास्ता जाम कर मरीजों को भी अस्पताल तक न पहुँचने देने वाले लोग, देर रात तक तेज संगीत बजाकर लोगों की नींद हराम कर देने वाले लोग भी यदि धार्मिकता का तमगा धारण करके खुद को धार्मिक समझ कर इतरा रहे हैं तो फिर मनुष्यता की निष्काम सेवा करने वाले, दीन-दुखियों की सहायता करने वाले तथा वंचित, दलित, और शोषितों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले क्या है? मजेदार बात तो यह भी है कि जब धार्मिक लोगों का इतना विशाल समूह है तो फिर मिलावटी समान बेचने वाले कौन हैं, गरीबों का हक छीनकर उनका शोषण कौन कर रहा है। सरकारी खजाने पर डाका डालने वाले कौन है? गरीबों का खून चूसने वाले कौन है। भ्रष्ट्राचार में आकंठ डूबकर अपनी इक्कीस पीढ़ी के लिए धन इकट्ठा करने वाले लोग कौन है? इनकी हरकतों को देखकर बु़द्धि के देवता होने के बाद भी मैं नहीं समझ पाता कि ये धार्मिकों के उत्सव है या हुड़दंगियों का हूजूम?

आज गणेश पक्ष का चौथा दिन था। दोपहर का समय था। लगातार जागरण के कारण गणेश जी की आँखें बोझिल होने लगी थी। उत्सवधर्मी हुड़दंगियों की हरकतें उन्हें काफी परेशानी में डाल रखी थी। प्रभु की माथे पर चिन्ता की लकीरें स्पष्ट दिख रही थी। वे लगातार चिन्तन कर रहे थे और अन्त में चिन्ता की सागर में डूबने उतरने लगे थे। अभी माहौल थोड़ा शांत था। पूजा करने वाले भक्त गण सुबह पूजा-अर्चना के अपने कर्त्तव्यों की इतिश्री करके खर्राटे भर रहे थे, कुछ लोग पान-गुटखा के चक्कर में वहाँ से खिसक गये थे। गणेश जी का चिन्तन अभी भी जारी था। उस एकान्त के समय में भी एक आदमी आया और आरती के थाल पर एकदम से पाँच सौ रूपये का नोट चढ़ाकर, प्रसाद की थाल से स्वयं ही प्रसाद निकालने लगा। पहले तो प्रभु को लगा कि कोई बड़ा भक्त है पर नोट को ध्यान से देखने पर वे क्रोधित हो गये और उस आदमी के गाल पर एक झन्नाटेदार थप्पड़ पड़ा। वह आदमी धड़ाम से जमीन पर गिर गया। वह डर के मारे इधर-उधर देखने लगा पर आस-पास कोई था ही नहीं। वह कमर सहलाते हुए उठा और गणेश जी की ओर देखने लगा। मूर्ति से आवाज आने लगी, ''मूर्ख! तुम्हारा यह चढ़ावा, चढ़ावा नहीं मेरे लिए गाली है। तुम्हारा यह पाँच सौ रूपये का नोट तो जाली है। मुझे धोखा देता है। पाँच सौ रूपये का नकली नोट चढाकर असली प्रसाद लेना चाहता है। मैं देश का कोई नासमझ मतदाता नहीं हूँ जो तुम्हारे नकली वादे के झांसे में आकर अपना कीमती वोट का प्रसाद दे दूँ।'' वह आदमी सकपका गया फिर भी हाथ जोड़कर माफी माँगते हुए बोला-'' प्रभु मैं तो आपके चरणों का अनुरागी हूँ, आपके दरबार में मेरी बस एक ही अर्जी है।'' वह कुछ और बोल पाता उससे पहले ही मूर्ति से आवाज आई -''तू रागी नहीं दागी है। तेरी अर्जी भी फर्जी है। जब तू मुझे धोखा दे रहा है तो साधारण मनुष्य को कितना बेवकूफ बनाता होगा, इसे सहज ही अंदाज लगाया जा सकता है। मेरी नजरों से दूर हट जा वरना.....।''

वह आदमी हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाते हुए बोला-''प्रभू! एक जाली नोट के कारण आप मुझे इतनी बड़ी सजा दे रहे हैं। पता नहीं बाजार में कितने जाली नोट है। इसे पहचानना बैंक के लिए भी टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। इसमें लिप्त कारोबारी मौज उड़ा रहे हैं। नोटों की तो छोड़ो, पता नहीं यहाँ आपके कितने भक्त भी फर्जी है जो आपके नाम पर लोगों को लूट रहे हैं। कितने फर्जी प्रमाणपत्र धारी लोग सरकारी नौकरी पर कब्जा जमाये बैठ गये है और सरकारी खजाने को चूना लगा रहे हैं तथा योग्य उम्मीदवारों के हक पर कब्जा जमाकर व्यवस्था को अंगूठा दिखा रहे है। कहाँ तक बतायें प्रभू आपको, यहाँ तो मंत्री तक की डिग्रियां फर्जी साबित होने लगी है। भगवन! मैं तो आपसे यही अर्जी कर रहा था कि आप व्यवस्था को भी वह आँख दीजिये ताकि फर्जी लोगों की पहचान हो सके और योग्य आदमी को उसका वाजिब हक मिल सके।''

उस आदमी की बात सुनकर गणेश जी मूर्ति से आवाज आई-'' बेटा! जब आदमी की आँखों में स्वार्थ का चश्मा चढ़ जाता है तब उसका विवेक शून्य हो जाता है। आँखें सही-गलत, योग्य-अयोग्य, असली-नकली में भेद करने में अक्षम हो जाती है। एक महत्त्वपूर्ण बात और कि ढोंग जब धर्म का आवरण लपेटकर आदमी के सिर पर सवार होता है तो उसे धर्मान्ध बना देता है। आज धर्म के नाम पर यही सब हो रहा है। जबकि धर्म का मर्म तो परोपकार ही है। 'परहित सरिस धरम नहीं भाई' धर्म की इससे बढ़कर दूसरी कोई परिभाषा हो नहीं सकती। यदि तू अपने आपको मेरा सच्चा भक्त समझता है तो जा और मेरे इस संदेश को सबका बताकर धर्म के आदर्श को स्थापित कर, समझ गया।''

वह आदमी कुछ और सुनने की लालसा में बहुत समय तक गणेश जी की मूर्ति को अपलक निहारता रहा पर अब मूर्ति से आवाज आना बंद हो गई थी

--

वीरेन्द्र 'सरल'

बोड़रा(मगरलोड़)

पोष्ट-भोथीडीह

व्हाया-मगरलोड़

जिला-धमतरी(छत्तीसगढ़)

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: हास्य - व्यंग्य - गणेश जी की चिन्ता
हास्य - व्यंग्य - गणेश जी की चिन्ता
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgbbpKBLbv4kI73GsISmfv17-L-JQB0ZaLZDRvYZbFTE0cHuPnZSmC31gVamZQAq2rzDnId-y0zSpmgz2tsdYVMJOGvMGMxyy7XBZQAfm_JAvRU86So-5G7X0nV8H39rqdu36Rm/w350/MukutGaneshji%252520eco%252520friendly%252520ganesh_thumb.jpg?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgbbpKBLbv4kI73GsISmfv17-L-JQB0ZaLZDRvYZbFTE0cHuPnZSmC31gVamZQAq2rzDnId-y0zSpmgz2tsdYVMJOGvMGMxyy7XBZQAfm_JAvRU86So-5G7X0nV8H39rqdu36Rm/s72-w350-c/MukutGaneshji%252520eco%252520friendly%252520ganesh_thumb.jpg?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/09/blog-post_3.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/09/blog-post_3.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content