ई-बुक : प्राची, जुलाई 2015 - काव्य संसार

SHARE:

  वो अच्छे दिन राजेश माहेश्वरी राष्ट्र है एक विचारधाराएं हैं अनेक अनेकता में एकता का अद्भुत उदाहरण हैं हम गंगा, यमुना, सरस्वती का मिलन ...

 

वो अच्छे दिन

राजेश माहेश्वरी

राष्ट्र है एक

विचारधाराएं हैं अनेक

अनेकता में एकता का

अद्भुत उदाहरण हैं हम

गंगा, यमुना, सरस्वती का मिलन

बनता है मोक्ष दायक संगम

अनेकों विचारधाराओें के मिलन से

क्यों नहीं है भारत अखंड

प्रभु ने बनाया मानव को

दिया उसे जीवन

इस आशा में कि

वो करेगा सकारात्मक सृजन

पर मानव भ्रमित हो गया

स्वयं को सर्वश्रेष्ठ बताने में

सत्ता की लोलुपता एवं

अपने प्रभुत्व को बढ़ाने में

उसने बांटा अपने को

देश, धर्म और जाति

के विवादों में.

आपसी सद्भाव, साहचर्य, प्रेम

जाने कहां खो गए

विश्वास का खंजर भोंककर

नैतिकता को भूलकर

कुरीतियों को साथ लेकर

अनजानी राहों में भटक गए

चिंतन, मनन की अपनी

अद्भुत क्षमता छोड़कर

हम आपस में ही लड़ गए.

अभी भी वक्त है, हम जागें

मेहनत और ईमानदारी की नींव पर

करें विकास की इमारत बुलंद

आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक

परिस्थितियों का हो सकारात्मक विवेचन

तब नहीं होगा दूर वह दिन

जब हम सब कहंगे

आ गये हमारे अच्छे दिन!

संपर्कः 106, नयागांव,

रामपुर, जबलपुर (म.प्र.)

--------------

दो गजलें : गुलाम जीलानी असगर


मौजे-ए-सरसर1 की तरह दिल से गुजर जाओगे
किसको मालूम था, तुम दिल में उतर जाओगे

आईनाखाने2 से दामन को बचाकर गुजरो
आईना टूटा तो रेजो3 में बिखर जाओगे

इक जरा और करीब-ए-रग-ए-जां4 जाओ तो
मेरे खूंनाब5 में तुम ढलके संवर जाओगे

देखो वो चांद सिसकता है उफक6 की हद पर
तुम भी उस चांद की मानिन्द गुजर जाओगे.

इस भरी बज्म से हंस-बोल के रुखसत हो लो
कल जो उट्ठोगे तो बा-दीदा-ए-तर7 जाओगे

1. तेज हवा के झोंके की तरंग 2. वह मकान, जिसमें चारों तरफ दर्पण लगे हों 3. कणों 4. प्राण धमनी के समीप 5. खून के आंसू 6. क्षितिज 7. भीगी हुई आंखों से

रास्तों पर कब तलक रंगों के पैकर देखते
रू-ब-रू होकर कभी अपना भी मंजर देखते

तुमने देखा है फकत बाहर से दीवारों का रंग
दिल पे क्या गुजरी पस-ए-दीवार1 आकर देखते

खींच लीं खुद ही लकीरें हमने अपने हाथ पर
किस को फुर्सत थी कि हाथों का मुकद्दर देखते

आंख की शबनम तो मेरे बादलों की ओस है
कितना गहरा है दिल-ओ-जां का समन्दर देखते

जर्द पत्तों की तरह कब से हवा की जद2 पे हैं
इक जरा आंधी जो थमती तुझ को मुड़कर देखते

1.    दीवार के पीछे 2. निशाना

---------

 

आचार्य भगवत दुबे
हुक्मरानों के आगे निडर है गजल.
ले के विद्रोही तेवर मुखर है गजल.

घुंघरू परतंत्रता के न पांवों में अब,
आशिकी का न केवल हुनर है गजल.

महफिलों का न केवल ये श्रृंगार है,
जिन्दगी का समूचा सफर है गजल.

ऐश-ओ-आराम का मखमली पथ नहीं,
कंटकों पत्थरों की डगर है गजल.

खेत, खलिहान, जंगल, नदी, ताल, जल,
मोट, हल, बैलगाड़ी, बखर है गजल.

गांव, तहसील, थाना, कचहरी, जिला,
राष्ट्र क्या विश्व से बाखबर है गजल.

प्रांत, भाषा, न मजहब की सीमा यहां,
आप जाएं जिधर ये उधर है गजल.

मुक्तिका, गीतिका, तेवरी कुछ कहो,
आज हिन्दी में भी शीर्ष पर है गजल.


सम्पर्कः पिसनहारी की मढ़िया के पास, जबलपुर-482003
----

 


गजल

किशन स्वरूप
जिनसे दिल मिलना मुश्किल है उनसे हाथ मिलाना क्या
जिसने ज़ख्म दिए शिद्दत से उसको जख्म दिखाना क्या

जाने क्या-क्या बातें करता रहता है तन्हाई में
जो खुद में ही सिमट गया हो उसका शोर मचाना क्या

जब तक अम्मा रही गांव में तब तक रस्ता याद रहा
उसके बाद शहर ने इतना बांधा, आना-जाना क्या

कितनी उठा-पटक जारी है राजनीति के दंगल में
सच कहने में पर्दे-दारी लेकिन झूठ छिपाना क्या

राही से रस्ता पूछेंगे, मंजिल भी, चौराहे भी
ऐसे रहबर आप बने हैं, समझें क्या, समझाना क्या

ऐ ‘‘स्वरूप’’ किरदार निभाए बिना खिलाड़ी चले गए
रंग-मंच पर बूढ़े बंदर से उम्मींद लगाना क्या

----------


कविताएं - केशरी प्रसाद पाण्डेय
ए-चैत हरे

बहुत दिनों के बाद पुनः मैं आज गया था गांव.
आया नीम, महुआ, इमली की छांव तले की ठांव
संध्या का था समय सुशोभित जल निधि में थी नाव
चैतहरों का बसा कबीला वहीं रुके थे मेरे पांव

सर पर भरकम बोझ लिए थे, जैसे दुनिया जीत लिए हो.
श्रम सीकर देकर के अपना प्रकृति नदी से सीख लिए हों.
नर-नारी का भेद मिटाकर आपस में थे चहक रहे.
वस्त्रहीन थे खुले बदन पर कचहारी से महक रहे.

भेद नहीं लघुता प्रभुत्त का, भेद न था मुस्कानों में.
न था कोई अतिथि वहां पर, ना कोई था महियानों में.
कल की चिन्ता नहीं उन्हें कुछ आज की खुशी मनाने में.
जी भर जीते देख उन्हें हम, क्षण भर रुके ठिकानों में.

हमने देखा लकर-धकर में, लग गए अग्नि जलाने में
आसमान के नीचे कुछ तो जुट गये भात पकाने में.
कुछ ने आटा गूंथा और गक्कड़ लगे बनाने में
दिखा न हमको भेदभाव कुछ खाने और खिलाने में

चुनिया से चक्कर चाचा तक बैठे एक ठिकाने में,
नही आचरज में कुछ भी था नील गगन सिरहाने में.
धरा-धाम में मस्ती करते तारा गज के आने में
श्री बच्चन जी की मधुशाला, आ जाती उनके पैमाने में.

श्रम-संयम को मिश्रण इनके जीवन का उच्चारण है,
कठिन परिश्रम खुला आसमां व्यावहारिक विस्तारण है.
वर्तमान को जीते हैं ये छोड़ सभी भविष्य की चिंता,
एचैतहरे मानव जीवन के एक उत्कृष्ट उदाहरण है.

हो गया रोशन हमारा गांव भी

अब धरा पर नहीं धरता पांव रमुआ
    रह नहीं पाया अछूता कांव भी,
उड़ रहा है तेज विकसित हवा में
    चल नहीं पाता कोई अब दांव भी.

कूप सूखे नदी सूखी नहर सूखी दाव में
    चल रहा जो चाल दमुआ ठांव में,
हवा का रुख देख सूखी रेत भी
    आ धंसी है रखी जर्जर नाव में.

सामुदायिक भवन की टिमटिमाती रोशनी में
    विकास कायरें की समीक्षा हो रही है,
आपत्ति को लेकर खड़ा एक गड़रिया कह रहा,
    क्या कहूं कैसे कहूं पहिचान मेरी खो रही है.

साक्ष के खातिर बिके है कान बकरी के हमारे
    अब फिसलते जा रहे हैं हमारे पांव भी,
दर्द अन्तरस को विकल हो निकल आना चाहता है
    अब हो गया रोशन हमारा गांव भी.


सम्पर्कः सृजन कुटी, आर्य नगर
    न्यू जगदंबा कॉलोनी
    जबलपुर
--------

 

दो गीत
डॉ. कृपाशंकर शर्मा ‘अचूक’

एक
टूटेगा कब मौन नदी का, तट बतियाते हैं
कुछ लेने को आए यहां पर, खाली जाते हैं
    राग-रागिनी सर्द हवाएं
    थर-थर कांप रहीं
    मिले धूप का टुकड़ा कोई
    मन में भांप रहीं
जाने वाले किसे बताएं, कब-कब आते हैं
कुछ लेने को आए यहां पर, खाली जाते हैं
    एक-एक कर पीछे अब तो
    सारे छूट गए
    उद्बोधन सम्बोधन से
    तन-मन सब टूट गए
भीगीं पलकें अक्स धुंधलके, आंख दिखाते हैं
कुछ लेने को आए यहां पर, खाली जाते हैं
    बड़के छुटके मझले अपनी
    करनी पर उतरे
    खामोशी से परिचय करके
    सभी काम बिगरे
ऐसा ही होता आया सुन, मन बहलाते हैं
कुछ लेने को आए यहां पर, खाली जाते हैं
    भरी दुपहरी घना अंधेरा
    बीच बजरिया में
    खड़ा कबीरा साखी बांचे
    ओढ़ चदरिया में
खोले कौन ‘अचूक’ बन्द, यादों के खाते हैं
कुछ लेने को आए यहां पर, खाली जाते हैं.

 


दो
मेरे कब तक साथ चलोगे,
मुझको चलना अन्त अकेला.
जाते-जाते इतना जानो,
जीवन चलता फिरता मेला.
    हाथों की रेखाएं अब तो
    अर्थहीन सारी की सारी
    सपनों में नित मोती मिलते
    आंख खुले रोती बेचारी
तारकोल सी दिखे अवस्था, सदियों से ही इसको झेला
मेरे कब तक साथ चलोगे, मुझको चलना अन्त अकेला
    भूल गये अतीत भी सारा
    वर्तमान की बात कहें क्यों
    आगत पाती बांचे कोरी
    किस किस का आघात सहें क्यों
छेनी से संपर्क जब मिला, बदल गया प्रस्तर का डेला,
मेरे कब तक साथ चलोगे, मुझको चलना अन्त अकेला.
    बुझे दिए कह रहे सभी से
    मावस के घर जोति लुटाई
    जंग लगी भी कहती छेनी
    मन्दिर प्रतिमा काम न आई
कैसी चाल ‘अचूक’ चलाई, खेल आज यह कैसा खेला,
जाते-जाते इतना जानो, जीवन चलता फिरता मेला.
                
सम्पर्कः 38-ए, विजय नगर,
करतारपुरा, जयपुर-302006
मोबाइलः 09983811506

 

        -----------------
                                                                                           
                                                            


दो कविताएं - देवेन्द्र कुमार मिश्रा

बरसिये जल
तन में उमस
कंठ में प्यास
कब की बीत गई ग्रीष्म
अब तो आषाढ़ भी चला
तुम न आये
बादल बनकर न छाये
पानी तुम कहां हो
नदी-नाले सूखे
पेड़-पौधे भी रूखे
धरती आकुल
मनुज व्याकुल
जल तुम कहां हो.
बरसो, तुम्हारी प्रतीक्षा है
न बरसने की इच्छा है
तो सुनो जीवन के अमृत
जो धन-दौलत के लिए
हैं उन्मत्त,
जिन्होंने पेड़ काटे, पहाड़ काटे
नदियों का रुख मोड़ा
उनकी करनी से हमारी मत करो दुर्गत
आपका गुस्सा है स्वाभाविक
किन्तु हम गरीब किसान
हम पानी के प्यासे इंसान
हम समझते हैं रुपया नहीं,
पानी है जीवन गति
किन्तु लोभियों की फिर गई मति
उनका क्या है
वे खरीद लेंगे बाहर से
या बस जायेंगे विदेश में,
किन्तु कृषि प्रधान देश में
इस प्रिय भारत में
हमें आपका ही सहारा है
आप नहीं तो मौत है
आप हैं तो बहार है.
रहम करो, तरस खाओ
साल भर का
पानी बरसाओ
मेघ बनकर छा जाओ
सावन की झड़ी लगाओ
मनुष्य है, लोभ का मारा
किन्तु आप न करे किनारा
करें अपने धर्म का पालन
बरसो कि हो जीवन-यापन
हमें बस आपका सहारा
करें तृप्त धरा को
ताकि उपजे अन्न
हो जायें हम धन्य
मनुष्य जाति की ओर से
करते हैं निवेदन
आइये बरसिये दन-दन.
   
बेशर्म
शक्ति प्रदर्शन
का अखाड़ा
बन गया है धर्म,
आस्था को
बना दिया गया है
सामूहिक दुष्कर्म
आज धर्म से
बड़ा नहीं कोई अधर्म.
कमाल ये है कि
हमें जरा भी नहीं
आती शर्म.
हृदय से निकलकर
श्रद्धा, चौराहों तिराहे
पर स्थापित कर
बना दिया गया
राजनैतिक कुकर्म.
उफ! हम कितने
हो गये हैं बेशर्म.

सम्पर्कः पाटनी कालोनी, भरत नगर,
चन्दनगांव, छिन्दवाड़ा
(म. प्र.)-480001
------

 

कविता

आह! यह जिन्दगी
प्रियंका शर्मा

   
आह! यह जिन्दगी
किस ओर बढ़ती जा रही है,
देश की जनसंख्या
अपना विकराल रूप दिखा रही है,
गरीबी, अशिक्षा, अभावों को
रही है दिन रात उगल
यहां धन के लिए देता है व्यक्ति
एक दूसरे के मान, गुमान और
अभिमान को भी कुचल.

हाय! यह कैसा संसार है,
घुन की भांति पिसता व्यक्ति
पैसा बना यहां भगवान है.
अपनी इच्छाओें, मन की आशाओं
को दिल में समेट
करने लगता है व्यापार
दर-दर भटकता व्यक्ति
हाथ लगती उसके लाचारी
डिग्रियों का बोझ सिर पर लादे,
फिर भी बढ़ रही बेरोजगारी,
...अब तो भास्कर की किरणों की भांति,
जीवन की उम्मींदे भी ढलती जा रही हैं
आह! यह जिन्दगी
किस ओर बढ़ती जा रही है.


सम्पर्कः आर.जेड.बी.(124 ए),गली नं.-07
    गुरुद्वारा रोड, महावीर एन्कलेव,
    पालम-डाबरी रोड, नई दिल्ली-45
   

---------


प्रकृति पर दोहेः रजनी मोरवाल

फल पराग, पत्ते तना, शाख, छांव औ’ फूल.
अंग सभी अनमोल हैं, जीव-जगत के मूल.

जल-से बना शरीर है, फिर भी जल की प्यास.
काया रेगिस्तान-सी, हरदम जल का ह्रास.

नदियां रेतीली हुईं, सूख गए जल कूप.
पनघट बिन पनिहारिनें, सेकें खाली धूप.

घाटी के भारी हुए, इस सावन में पैर.
बादल धोखा दे गया, निकला करने सैर.

हरियाली को चाहिए, पानी का सहवास.
पानी की संगत करे, पोर-पोर मधुमास.

बासंती साड़ी पहन, धरती खूब प्रसन्न.
वह प्रसन्न तो जगत में, कोई नहीं विपन्न.
      

सम्पर्कः सी-204, संगाथ प्लेटीना,
    मोटेरा, अहमदाबाद-380005

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: ई-बुक : प्राची, जुलाई 2015 - काव्य संसार
ई-बुक : प्राची, जुलाई 2015 - काव्य संसार
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEga0sCCIKlsxJroBeYhZCbF4VMI75L0qgQ1Da5JixNKeADCg1GBo12GE_qRY_0q5HoNxrmdbZl4GQovGL0wtT3xXDi2cApVlJxBxXF5wIY-5s9Ja2KvIDVI5S8P5Q3nCqhGEjH5/?imgmax=400
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEga0sCCIKlsxJroBeYhZCbF4VMI75L0qgQ1Da5JixNKeADCg1GBo12GE_qRY_0q5HoNxrmdbZl4GQovGL0wtT3xXDi2cApVlJxBxXF5wIY-5s9Ja2KvIDVI5S8P5Q3nCqhGEjH5/s72-c/?imgmax=400
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/08/2015.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/08/2015.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content