इयान फ्लेमिंग अनुवाद - एच. पी . शर्मा फायरिंग रेंज का इंचार्ज और अन्य मिलिट्री आफिसर भी हैरत में थे कि रात के अँधेरे में निशानेबाजी का अ...
इयान फ्लेमिंग
अनुवाद - एच. पी. शर्मा
फायरिंग रेंज का इंचार्ज और अन्य मिलिट्री आफिसर भी हैरत में थे कि रात के अँधेरे में निशानेबाजी का अभ्यास करने का क्या मतलब हुआ? लेकिन ऊपर से जो हुक्म आया था, उसे टाला भी नहीं जा सकता था।
मिलिट्री के सर्वोच्च अधिकारी ने रेंज ऑफिसर को लिखा था कि आने वाले शख्स जेम्स बॉण्ड को दिन ढलने के साथ लीग रेंज मैं निशाना लगाने का अभ्यास सेना के मैदान में न सिर्फ बेरोक-टोक करने दिया जाए बल्कि उसे हर तरह की सुविधा भी उपलब्ध करवाई जाए। यह सारा प्रोग्राम जेम्स बॉण्ड की मर्जी के बगैर अचानक ही बन गया था। बॉण्ड ऑफिस में पहुँचा ही था कि एम का फोन आ गया था।
'डबल ओ सेवन, मेरे आफिस पहुंचो ' एम. की आवाज थी।
बॉण्ड के माथे पर बल पड़ गए थे, थण्डर बॉल केस के जानलेवा हंगामों के बाद तो कुछ आराम करना चाहता था, कुछ तफरीह के मूड में था। लेकिन एम. का लहजा बता रहा था कि कोई अहम काम पड़ गया था।
मरता क्या न करता? वो अपनी कुर्सी से उठा और अपने विभागाध्यक्ष एम. के कमरे में जा पहुँचा।
'बैठ जाओ।' उसे देखकर एम. ने कहा। बॉण्ड एम. के सामने कुर्सी पर
बैठ गया।
एम. की भावपूर्ण आखों में सोच की लकीरें और भी गहरी हो गई थीं। फिर वो गला साफ करके बोला- ' हालांकि मैं खुद इस बात से सहमत नहीं था, लेकिन क्या करें? ऊपर से ऑर्डर ही ऐसा आया है कि काम तो हमें करना ही पड़ेगा, चाहे मर्जी सें करें या बगैर मर्जी से करें।' ' एम. की आवाज धीमी और लहजा गम्भीर था। ' 'आप बताइए कि काम क्या है ' बॉण्ड ने भी गम्भीर होते हुए पूछा। ' आज ही बर्लिन जर्मनी में हमारे सीक्रेट विभाग ने रूसी खुफिया विभाग का एक मैसेज पकड़ा है, जिसके मुताबिक एक हमारा आदमी, जिसे हम एक सौ तेईस नम्बर से पुकार सकते हैं पिछले दो साल से उनकी जेल में है। रूसी चाहते हैं कि उसे भागने का मौका दिया जाए और जब वो फरार होकर बॉर्डर क्रॉस करके हमारे इलाके में आने की कोशिश कर रहा हो तो उसे गौली से उड़ा दिया जाए। वो
उसे सीधे तौर पर जेल में भी गोली मार सकते हैं। लेकिन इस तरह रूसियों के लिए कई तरह की पॉलिटिकल पेचीदगियाँ पैदा हो जाएँगी। उन्हें विश्व के नेताओं को जवाब देना होगा और मीडिया भी हाय-तौबा मचाकर आसमान सिर पर उठा लेगा। इसलिए उसे बॉर्डर से डेढ़ सौ गज दूर किसी इमारत की खिड़की से गोली मारने का प्लान बनाया गया है। उस खिड़की से के.जी.बी (रूसी खुफिया विभाग) का कोई माहिर निशानेबाज एक-दो-तीन को गोली का निशाना बनाएगा।' '
कहकर एम. ने बॉण्ड के चेहरे पर देखा, बॉण्ड गम्भीरता से सुन रहा था। एम. ने फिर कहना शुरू किया- ' 'बात यहाँ तक की रहती तो गनीमत थी, लेकिन हमारे मिलिट्री विभाग के सर्वोच्च ऑफिसरों का फैसला है कि हमें एक-दो-तीन को बचाना चाहिए, चाहे उसके लिए कुछ भी करना पड़े। उनका सुझाव है कि हमारे आदमी जवाबी कार्रवाई करें और जो भी शख्त एक-दो-तीन को मारने आए उसे गोली चलाने से पहले ही ठिकाने लगा दिया जाए। बहुत सोच-विचार के बाद मैंने तुम्हारा नाम पेश किया है। तुम्हें कोई एतराज तो नहीं है ?' '
' 'मुझे भला क्या एतराज हो सकता है सर !' ' बॉण्ड ने कहा- ' 'वो जानता था कि एम. इंकार सुनने का आदी नहीं है।
' 'मुझे तुमसे यही उम्मीद थी डबल ओ सेवन !' ' एम. बोला- ' 'मैं अभी सारे इन्तजाम करवाता हूँ। तुम मिलिट्री के फायरिंग रेंज में जाकर आज' शाम को अँधेरे में पाँच सौ गज के फासले पर निशाना लगाने का अभ्यास कर लो। रात के प्लेन से तुम्हें बर्लिन चले जाना है ताकि कल सुबह तक तुम वहाँ पहुँच सको। कल शाम को यह कार्रवाई होगी। ''
' अरेके. सर! आप जरूरी पेपर्स तैयार करवा दें। मैं रेडी हूँ।' '
बॉण्ड वापस लौट आया और अपने कमरे में आकर सारी योजना पर गौर करने लगा। एक आदमी को बिना उसकी सूरत देखे ही मार देना उसे बड़ा विचित्र लग रहा था।
थोड़ी देर बाद उसे मिलिट्री शूटिंग फील्ड में अभ्यास करने की इजाजत और विवरण मिल गए। आज रात को शूटिंग का अभ्यास करके उसे बर्लिन के लिए रवाना होना था। वहाँ उसे सीक्रेट सर्विस वाले जहाज से लेकर जाने और सारी स्कीम समझाने वाले थे।
शाम को छह बजे जब सूरज डूब रहा था और सुरमई अँधेरा फैल गया था, उस वक्त बॉण्ड शूटिंग फील्ड में पहुँचा। वहाँ के अधिकारी पहले से ही तैयार थे और उन्होंने सारी तैयारियाँ भी पूरी कर रखी थीं।
बॉण्ड अपने साथ छोटे हैण्डिल वाली सब मशीनगन ले गया था। उससे उसने कई गोलियाँ अलग-अलग फासले पर लगे निशानों पर दागकर शूटिंग का अभ्यास
किया। बॉण्ड ने गन में जरा-सा हेर-फेर करके यह प्रबन्ध कर लिया था कि उसमें पाँच गोलियों का क्लिप लग सके।
बॉण्ड ने गन तेजी से चलाकर भी प्रेक्टिस की और रुक-रुककर भी। इस दौरान शूटिग फील्ड के लोगों ने बातों-बातों में बॉण्ड से यह उगलवाने की कोशिश की कि वो रात के वक्त क्यों अभ्यास कर रहा है, लेकिन वो सब नाकाम ही रहे और बॉण्ड प्रैक्टिस करता रहा।
शूटिंग का रिजल्ट देखकर शूटिंग फील्ड का चीफ ऑफिसर बहुत खुश हुआ था। बॉण्ड ने सौ में से पिचानवे निशाने सही लगाए थे। रेंज ऑफिसर ने बॉण्ड को रात का खाना अपने घर खाने का निमन्त्रण दिया था, लेकिन बॉण्ड ने बेबसी से कहा कि वो पहले ही डिनर के लिए किसी से वादा कर चुका है। ऑफिसर ने मन ही मन मुस्कुराकर कहा था- ' 'आजकल के आदमी.. .जरूर इसने किसी हसीना से डेट फिक्स कर रखी होगी।' '
उसी वक्त डिफेंस मिनिस्ट्री की कार बॉण्ड को लेने पहुँच गई थी। बॉण्ड रेंज स्टाफ से विदा लेकर उस कार में सवार हो गया। कार वहाँ से चली गई। कार बॉण्ड को लेकर सीधे हवाई अड्डे रवाना हुई थी। वहाँ उसे आनन-फानन में सब औपचारिकताएँ निबटवाकर बर्लिन जाने वाले प्लेन पर सवार करवा दिया गया था। प्लेन जब बर्लिन एयरपोर्ट पर उतरा तो थोड़ा-थोड़ा उजाला फैलने लगा था। सीक्रेट सर्विस की कार उसे लेकर अज्ञात मंजिल की तरफ रवाना हो गई। उसका हमसफर एक कैप्टन था।
फिर कार एक ऐसे मकान के सामने रुकी थी जो देखने में टूटा-फूटा और पुराना दिखाई देता था। उसके आसपास कुछ गिरे हुए मकानों के खण्डहर भी थे। सभी कार से उतरे। बॉण्ड ने एक उचटती हुई-सी निगाह चारों तरफ डाली और फिर अपने साथी के इशारे पर वो इमारत की सीढ़ियों पर चढ़ने लगा। कैप्टन उसके आगे-आगे जा रहा था। सीढ़ियों द्वारा वो तीसरी मंजिल पर पहुँच गए और सड़क की तरफ वाले एक कमरे में आ गए।
' 'यह वो कमरा है, जहाँ आपको ठहरना है। क्योंकि इस मकान के सामने ही वो मकान है जिसके बारे में सूचना है कि वहाँ से एक-दो-तीन पर गोली चलाई जाने की सम्भावना है।' '
कहकर कैप्टन ने कमरे की खिड़की खोल दी और एक मकान की तरफ इशारा करके बोला- ' 'वो रहा मकान।' '
बॉण्ड ने अन्दाजा लगाया कि वो मकान यहाँ से तीन सौ गज किसी दूरी पर होगा। जबकि एम. ने कहा था कि वो डेढ़ दो सौ गज दूर है। वाह हमारे ऑफिसर! सोचकर बॉण्ड मन ही मन मुस्कुरा दिया। उसने फिर बॉर्डर लाइन की तरफ देखा।
वो वहाँ से करीब डेढ़ सौ गज दूर स्थित थी।
' 'आप चाहें तो आराम कर सकते है। '' कैप्टन नें एक पलंग की?ई तरफ इशारा करते हुए कहा- ' 'और अगर पिक्चर देखने या कहीं तफरीह के लिए जाने का विचार हो, तब भी बता दीजिए, हम प्रबन्ध कर देंगे। वैसे आपका काम शाम को सूरज ढलने के बाद ही शुरू होगा।' '
? 'नहीं! मैं कहीं नहीं जा रहा।' ' बॉण्ड ने दृढ़ता से कहा- 'आप थोड़ा नाश्ता भिजवा दें। फिर मैं थोड़ा आराम करूँगा।' '
बॉण्ड ने सोच लिया था कि अपना काम पूरा करने के बाद ही वो कहीं घूमने या तफरीह के लिए जाएगा। सबसे पहले वो थोड़ा दम लेकर पूरी स्थिति को समझ लेना चाहता था।
नम्बर एक-दो-तीन का प्लान था कि जेल से फरार होकर तंग गलियों और फूटे मकानों के बीच में से स्वयं को छुपाते हुए वो बॉर्डर तक आएगा जहाँ बॉर्डर टूटे-
के काफी करीब तक मकान बने हुए थे। फिर वो बिजली की सी गति से दौड़कर वो मैस लैंड का बीस गज का एरिया पार करके वो बॉर्डर के उस पार पहुँच जाएगा, ब्रिटिश कब्जे वाले इलाके में। वहीं बीस गज के फासले में उसके जीवन और मृत्यु की लड़ाई लड़ी जानी थी।
सवाल यह था कि पहल कौन करता है? अगर रूसी पहल कर जाते और ए-दो-तीन को गोली मार दी जाती तो वह वहीं ढेर हो जाता। उसके बचने की एक ही सूरत थी कि पहल बॉण्ड करे और उसके सम्भावित कातिल को गोली मार दे। हार-जीत चुस्ती-फुर्ती सच्चे निशाने पर निर्भर करती थी।
कैप्टन ने उसे रास्ते में ही बता दिया था कि चूंकि यह रिहायशी एरिया है, इसलिए फायर की आवाज से लोग कोई एतराज न करें और पुलिस न आ धमके, इसलिए इस मकान में एक म्यूजिकल ग्रुप को ठहरा दिया गया था जो दो दिन से बड़े धूम-धड़ाके के साथ रिहर्सल कर रहे थे। संगीतकारों की पार्टी मकान की दूसरी मंजिल पर ठहरी हुई थी और जिस वक्त बॉण्ड ने गोली चलानी थी, उस वक्त वो लोग खुब जोर-शोर से गा-बजा रहे होते! गोली की आवाज उस शोर में दबकर रह जाती।
नाश्ता करने के बाद बॉण्ड सो गया, वो उठा तो चार बज चुके थे। उसने स्नान किया और कॉफी का कप लेकर वो सामने वाले मकान का जायजा लेने लगा। मकान में कई खिड़कियाँ थीं, उन्हीं में से किसी एक में से एक-दो-तीन पर गोली चलाई जानी थी।
शाम के पाँच बजे से ही संगीत पार्टी ने अपनी शोर-शराबे वाली रिहर्सल शुरू कर दी थी! और उस धूम-धड़ाके से कानों के पर्दे तक झनझना रहे थे। खिड़की का
पट खोलकर नीचे वाली गली में झींका थोड़ी देर बाद ही एक और संगीत पार्टी जिसमें सिर्फ जवान और सुन्दर लड़कियां थीं, उसे गली में आती दिखाई दीं। लड़कियों की संख्या बीस के करीब थी और हर एक लड़की ने हाथ' में कोई-न-कोई संगीत का यन्त्र उठा रखा था। एक लड़की ने गले में एक बड़ा-सा ड्रम (ढोल) लटका रखा था। एक अधेड़ औरत भी थी जो रंग-ढंग से उस संगीत पार्टी की इंचार्ज लग रही थी।
बॉण्ड ने देखा और देखता रह गया। उनमें एक लड़की, जो लम्बे कद की थी और जिसके बाल सुनहरे थे, वो बॉण्ड को बहुत ही आकर्षक लगी थी। उसकी मस्तीभरी चाल, उसकी भरी-भरी सुडौल पिंडलियाँ, तने हुए भारी वक्ष और लचकती हुई पतली कमर ने बॉण्ड के दिमाग पर जैसे जादू ही कर दिया था। जब तक वो नजर आती रही, बॉण्ड मन्त्र-मुग्ध-सा उसे देखता रहा।
वो टोली बॉर्डर पार करके बर्लिन के दूसरे हिस्से में दाखिल हो गई। बॉण्ड ने सोचा, यदि आज रात उसका मिशन सफल हो गया तो कल वो इस लड़की से: मिलने के लिए कोई तरकीब आजमाएगा। लड़की उसके दिल में चुभकर रह गई थी।
- उसी वक्त वो कैप्टन आ गया और उसने बॉण्ड को तैयार हो जाने की सलाह दी। बॉण्ड ने डबल पैग स्कॉच का लिया। कुछ ही देर में उसनें खुद. को चुस्त-दुरुस्त और काम के लिए तैयार पाया।
एक ताकतवर दूरबीन लेकर कैप्टन ऊपर की मंजिल पर चला गया और बॉर्डर की तरफ का गहरी निगाहों से जायजा लेने लगा। बॉण्ड के पास भी एक दूरबीन थी। उसने खिड़की का पट खोलकर गन की नाल वहाँ टिकाई और दूरबीन आखों सें लगा ली। नीचे की मंजिल में ढोल-नगाड़े अपने पूरे शबाब पर बज रहे थे। अभी छ: बजने में पाँच मिनट थे कि सामने के मकान में एक खिड़की खुली। उसके बाद तीन खिड़कियाँ एक के बाद एक और खुली। नीचे गली में से नहीं देखा जा सकता था कि उन खिड़कियों में क्या है? लेकिन बॉण्ड ने दूरबीन से देख लिया कि हर खिड़की में से बन्दूक की नाल नजर आ रही थी।
बॉण्ड एक हाथ मैं गन और दूसरे हाथ में दूरबीन पकड़े सामने, बॉर्डर पर निगाह रखे हुए था। वो इन्तजार में था कि कब वो बन्दूक हिलें और वह दायें हाथ की उंगली पर दबाव डालकर ट्रेगर दबाए।
वक्त गुजरता गया, लेकिन कोई घटना नहीं घटी। साढ़े सात बजे के करीब सामने वाले मकान की खिड़कियाँ बन्द हो गईं। ऊपर की मंजिल से कैप्टन उतरकर नीचे आ गया। वो बॉण्ड से बोला- ' 'शायद आज किसी वजह से एक-दो-तीन जेल से फरार होने में कामयाब नहीं हो पाया, इसलिए अपनी चौबीस घंटे की छुट्टी है। आप चाहें तो सारा दिन शहर में घूम-फिरकर तफरीह कर सकते हैं, लेकिन शाम
को पाँच बजे यहाँ पहुँचना जरूरी है।' '
कहकर कैप्टन चला गया। लेकिन बॉण्ड कुर्सी की पीठ से लगकर नीचे गली में झाँकने लगा। वो उस संगीत मंडली के वापस आने का इन्तजार कर रहा था। थोड़ी देर बाद वो संगीत पार्टी वापस लौट आई। हालाँकि वो लम्बे कद और सुनहरे बालों वाली लड़की अभी भी उतनी ही हाहाकारी लग रही थी, लेकिन इस वक्त उसकी चाल में अजीब-सी सुस्ती और थकावट थी। गिटार केस अब भी उसने कन्धे पर लटका रखा था। उसका घुटनों से ऊँचा स्कर्ट बार-बार उड़कर चलतों के दिल पर बिजलियाँ गिरा रहा था। मदभरी चाल से चलती, वो मटकती हुई बॉण्ड की नजरों से ओझल हो गई।
दूसरा दिन बॉण्ड के लिए बहुंत बोरियतभरा था। मजबूरन वो पिक्चर देखने के इरादे से शहर में निकल गया था। जब वो लौटकर आया तो पाँच बज चुके थे और कैप्टन उसका इन्तजार कर रहा था।
बॉण्ड ने व्हिस्की का लार्ज पैग लिया और खिड़की खोलकर सामने गली में झाँकने लगा। कैप्टन दूरबीन लेकर अपनी ड्यूटी पूरी करने ऊपर मंजिल पर जा बैठा।
कुछ देर बाद ही वही संगीत मंडली नीचे गली में से गुजरी। वो लड़की आज सबसे आगे चल रही थी और खूब प्रसन्न दिखाई दे रही थी। उसके चेहरे पर अजीब-सा निखार और चाल में. कला की मस्ती थी।
बॉण्ड सोचने लगा कि शायद यह किस्की के डबल पैग का जादू है जो आज यह लड़की उसे इतनी हसीन लग रही है। उसका जी चाह रहा था कि लड़की जब लौटकर आए तो उसे अपने पास बुला ले और फिर वह जी भरकर प्यार करे। वो अभी सोच ही रहा था कि संगीत मंडली बॉर्डर पार करके बर्लिन के दूसरे हिस्से में पहुँच गई। नीचे की मंजिल पर ढोल-नगाड़े बज रहे थे, ऊपर की मंजिल पर कैप्टन दूरबीन लेकर डटा हुआ था और बॉण्ड कल्पना में ही किसी को बाँहों में दबोचे। हाथ में बंदूक लिए कुर्सी पर बैठा हुआ था।
सामने की खिड़कियाँ खुल गईं और एक-एक करके बंदूकों की नालें दिखाई देने लगीं। बॉण्ड सीधा होकर तन गया और उसने दूरबीन आंखों में लगा ली। इस वक्त भी कल्पना जगत में खोया हुआ था। वो कल्पना में उस लड़की को बर्लिन के किसी होटल में डाँस करते और उसके उभारों की मस्त हलचल देख रहा था। वो रात भी खाली गई। साढ़े सात बजे फिर सामने वाले मकान की खिड़कियाँ बन्द हो गई। बॉण्ड ने भी दूरबीन रख दी और थका-थका-सा कुर्सी में अधलेटा हो गया। क्योंकि जेहनी तौर पर पूरी तरह तैयार रहने के बावजूद उसे दो दिन तक गोली चलाने का मौका नहीं मिला था, इसलिए उस पर तनाव-सा छाता जा रहा था, चाहता था कि किसी तरह गोली चलाए.. .लेकिन किस पर? यह उसकी समझ में नहीं आ रहा था।
फिर वो संगीत मंडली भी वापस लौट आई! वो लड़की अब बॉण्ड को पहले से भी सुन्दर और प्यारी लग रही थी। उसकी: मस्तानी चाल जैसे बॉण्ड के दिल पर
छुरियाँ चला रही थी। उसके स्कर्ट के हवा में उड़ने के साथ ही भीतर का नजारा करके बॉण्ड के दिल की धड़कने तेज हो जाती थीं। बॉण्ड समझ नहीं पा रहा था कि ऐसा क्यों हो रहा है? उसने इससे पहले कभी उस लड़की को देखा तक नहीं था।
आज बॉण्ड को बोर होने का तीसरा दिन था। पाँच बजते ही बॉण्ड बंदूक लेकर और आँखों से दूरबीन लगाकर खिड़की में बैठ गया था। कैप्टन ऊपर की मंजिल पर दूरबीन लेकर जा चुका था। नीचे की मंजिल पर धूम-धड़ाके से बैंड बज रहा था।
थोड़ी देर बाद वही संगीत मंडली अपने इंस्ट्रूमेंट सँभाले, अठखेलियाँ करती बॉण्ड के दिल पर बिजलियाँ गिराते हुए गुजरी। बॉण्ड का जी चाहा कि नीचे जाकर उस लाल ड्रेस और सुनहरे बालों वाली लड़की को रोक ले और रात भर ऐश करै। लेकिन वो इस वक्त ट्यूटी पर था। इस तरह की बात सिर्फ सोच ही सकता था। छ: बजे तक काफी अँधेरा फैल चुका था। सामने वाले मकान की खिड़कियों खुल गईं तब बॉण्ड ने देखा कि अँधेरी गली में एक साया दुबकता हुआ आगे बढ़ रहा था। यह जरूर एक-दो-तीन ही था। बॉण्ड ने सोचा।
बॉण्ड की पकड़ अपनी गन पर मजबूत हो गई, उसने गौर से उस साये को देखा। गलियों में से होता हुआ साया धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था। सामने मकान में छुपे आदमी अभी उसे देख पाने में असमर्थ थे। बॉण्ड ने देखा कि उसने अपने जिस्म के नंगे हिस्से बिलकुल काले कर रखे थे ताकि अंधेरे में. घुल-मिल जाए। मोड़ पर घूमते हुए गलियों के चक्कर लगाते हुए और बमबारी से टूटे हुए मकानों में छपते-छपाते वो आखिरी मकान के सिरे पर आन पहुंचा। अब उसके सामने खुला
मैदान था; बीस गज का।
अगर वो मैदान को पार कर लेता तो उसकी जीत थी, वो आजाद था, और अगर हार जाता तो जान जानी यकीनी थी।
फिर सामने वाले मकान से भी उसे देख लिया गया, क्योंकि बीच वाली खिड़की की बंदूक हरकत करने लगी थी। बन्दूकधारी निशाना लेने में व्यस्त था। बॉण्ड ने एक हाथ से दूरबीन आँखों पर लगा रखी थी और सामने की खिड़कियों का निशाना लेते हुए उसकी उंगली ट्रेगर पर थी। बीच वाली खिड़की के निशानेबाज का निशाना लिए वो प्रतीक्षा कर रहा था।
सामने वाला निशाना लेने के लिए थोड़ा-सा आगे झुका। बॉण्ड सन्न रह गया। वो औरत थी। औरत भी क्या.. .यह वही लड़की थी, संगीत मंडली की सुनहरी जुल्मों वाली। जिसके ख्वाब पिछले तीन दिनों से बॉण्ड देख रहा था।
सोचने का वक्त नहीं था। एक-दो-तीन ने छलाँग लगा दीं थी और बार्डर के बहुत करीब पहुँच रहा था। इससे पहले कि सामने वाली खिड़की से गन फायर हो और एक-दो-तीन मौत के मुँह में समा जाए बॉण्ड की गन ने शोला उगल दिया। गोली उस बंदूक से टकराई और बन्दूक वाली लड़की का बाजू चीरते हुए निकल गई। बंदूक हवा में उछली और खिड़की से टकराते हुए नीचे गली में जा गिरी। नम्बर एक-दो-तीन इस अन्तराल में भागकर बॉर्डर पार करके सुरक्षित इलाके में पहुंच चुका था। बॉण्ड अपने मिशन मेँ कामयाब हो गया था। बॉण्ड उछलकर फौरन नीचे लेट गया।
उसी क्षण सामने वाले मकान में सर्चलाइट जली और पूरा मकान तेज रोशनी में नहा गया। फिर भयानक आवाजों के साथ गोलियों की बौछार आई जौ खिड़कियों को तोड़ती हुई कमरों में फैल गई।
बॉण्ड ने जानबूझकर लड़की की छाती को निशाना नहीं बनाया था या उसका निशाना चूक गया था। इस बारे में यकीन से कुछ नहीं कहा जा सकता। कुछ देर बाद ऊपर की मंजिल से कैप्टन भी नीचे उतर आया और बॉण्ड को शाबासी देते हुए बोला- ' 'लेकिन तुमने उस बंदूक वाली को मार ही. क्यों नहीं डाला ?' '
' 'मेरा काम एक-दो-तीन को बचाकर बार्डर पार करवाना था कैप्टन, वो मैंने कर दिया और बस।' ' जेम्स बॉण्ड डबल ओ सेवन ने गम्भीर लहजे में जवाब दिया। कैप्टन फिर न बोल सका।
उसी वक्त मिलिट्री की जीपेँ आ पहुंची और बॉण्ड तथा कैप्टन को लेकर सुरक्षित स्थान की तरफ रवाना हो गई.. .जहाँ से चुपचाप बॉण्ड को अगले दिन लन्दन रवाना हो जाना था।
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जेम्स बॉण्ड 007 की सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ, इयान फ्लेमिंग, अनुवाद - एच. पी. शर्मा, लक्ष्य पब्लिकेशंस, दिल्ली से साभार
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