न भूले भारत अपने आत्म सम्मान को

SHARE:

- दयाधर जोशी   कुछ ही वर्षों पूर्व फिल्म जगत के एक कवि ने बहुत सुन्दर गीत लिखा था , जिसका मुखड़ा है - जहाँ दिल में सफाई रहती है , होठों ...

image

- दयाधर जोशी

 

कुछ ही वर्षों पूर्व फिल्म जगत के एक कवि ने बहुत सुन्दर गीत लिखा था, जिसका मुखड़ा है

-

जहाँ दिल में सफाई रहती है, होठों पर सच्चाई रहती है, हम उस देश के वासी हैं,

जिस देश में गंगा बहती है।

कितना उदात्त आत्म-सम्मान! इसीलिये हमारे प्राचीन पुराणरत्न श्रीमद्भागवत् का वचन है कि

पूर्णतः पुण्यात्मा जीव का ही जन्म भारत देश में होता है। सच है -

बिस्व भरन पोषन कर जोई-ताकर नाम भरत अस होई ।

रा.च.मा. १/१९७/७

भारत विश्व का आध्यात्मिक भरण-पोषण सदा से करता आया है। हजारों वर्षों से हमारे पूर्वज प्रार्थना करते आये हैं-

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे संतु निरामयाः। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवते ्।। सर्वजन रहें सुखी, निडर हों सभी, देखें सब अच्छा शुभ, प्राप्त न हो दुःख को कोई भी। विश्व का यही भरण-पोषण करता हुआ भारत अपने नाम को सार्थक करता है। हमारे नीति शास्त्र का कहना है -

मातृवत् परदारेषु परद्रव्येषु लोष्टवत्।

आत्मवत् सर्वभूतेषु यः पश्यति स पश्यति।।

जो दूसरे की स्त्री को माता के समान, दूसरे के धन को मिट्टी के ढेले के समान और सब प्राणियों को अपने समान देखता है, वास्तव में वही देखता है, इससे विपरीत देखने वालों को आसुरी प्रकृति का बिना सींग और पूंछ वाला साक्षात् पशु ही समझना चाहिये। संस्कृत में एक मंत्र है, 'यथा नाम तथा गुणः' अर्थात् जैसा नाम वैसा गुण। पूज्या मुम्बा माता के नाम पर आधारित नाम है मुम्बई। अब एक नाम और सुनने में आता है 'बॉलीवुड', निरर्थक सा नाम, कदाचित बौरा (बावला) पर आधारित हो। यही नाम आज देशवासियों की शारीरिक और मानसिक शुचिता का नाश कर रहा है। अश्लील चलचित्र व दृश्य छापे जा रहे हैं, जिसे हमारे बच्चे व युवा वर्ग शौक से पढ़ते हैं। इस बॉलीवुड का अनुसरण छोटे पर्दे ने भी कर लिया है। अपने घर बैठे सभी बड़े शौक से देख रहे हैं इस अश्लीलता को। यह सब देख कर हमारा आध्यात्मिक, धार्मिक, नैतिक और समाजिक पतन हो रहा है। हमारा नीति-शास्त्र महत्त्वहीन हो गया है। हर व्यक्ति का पहनावा स्वयं उसे एवं देखने मिलने वालों को भी प्रभावित करता है।

शरीर को धूल-धुंए, गर्म ठंडी हवा, कीड़े-मकौडा़े से बचाने तथा शालीनता के उद्देश्य से कपड़े पहने जाते हैं। किन्तु आजकल जो वस्त्र पहने जा रहे हैं मात्र अंग प्रदर्शन के उद्देश्य से पहने जा रहे हैं। कपड़ों के रंग भी भड़कीले होते हैं, जो अधिक गर्मी एवं प्रकाश किरणों से रसायन सोख कर शरीर को नुकसान पहुँचाते हैं। ऐसे वस्त्रों से हमारा व्यक्तित्व शोभन लगता है या नहीं, इस पर बुद्धि विचार का समय किसी के पास नहीं है। इन कपड़ों को पहन कर युवक-युवतियाँ एक दूसरे पर पाप दृष्टि करते हैं। यहाँ तक कि प्रौढ़ भी जवान युवतियों पर पाप दृष्टि करते नजर आ रहे हैं। कामुक चल चित्र, गंदा साहित्य व कामुक पहनावे के कारण बच्चों व युवक-युवतियों के मन में विकार उत्पन्न हो रहे हैं, बल, बुद्धि व आयु का नाश हो रहा है। देश में एड्स जैसा भयंकर रोग तेजी से पाँव पसार रहा है। हमारे तरुण समाज का पतन हो रहा है। राष्ट्र का भविष्य अंधकारमय हो रहा है। सरकार कुछ नहीं करेगी। देश के सभी अभिभावकों, नर-नारियों को इस पर विशेष ध्यान देना चाहिये।

भविष्य के दुष्परिणामों के बारे में सोच कर अभी से संभल जाना चाहिये। गंगा, यमुना जैसी नदियों को मोक्षदायिनी कहा जाता है। इनका जल धर्ममय है, अमृतमय है। इन नदियों में स्नान करने से मनुष्य पाप मुक्त हो जाता है। आज इन पवित्र नदियों में लगभग सभी शहरों की गंदगी को डाल कर प्रदूषित कर दिया गया है। क्या आज भी इन नदियों का जल धर्ममय है, अमृतमय है? इन नदियों के प्रदूषित जल में आज भी करोड़ों लोग स्नान करते हैं। इनके लिये ये नदियाँ आज भी मोक्षदायिनी हैं और आगे भी मोक्ष प्राप्ति के लिये इन नदियों के प्रदूषित जल में लोग स्नान करते रहेंगे। इनकी श्रेष्ठता, पवित्रता और स्वच्छता को बनाये रखने के बारे में कोई नहीं सोच रहा है।

लगभग 50-60 वर्ष पूर्व चांदनी चौक दिल्ली के प्राचीन घराने के हमारे एक सहकर्मी ने बताया था कि उनकी बिरादरी के एक सज्जन दिल्ली नगर पालिका में ड्राफ्टमैन थे। उस समय दिल्ली छोटा शहर था। नई दिल्ली तब निर्माणाधीन थी। बंगाली मार्केट व दरियागंज का विकास हो रहा था। इन क्षेत्रो के गंदे नालों के निकास के सम्बन्ध में उनसे कहा गया कि नक्शे में इस गंदे पानी को यमुना नदी में गिराना दिखाया जाए। उन्हें यह बात अच्छी नहीं लगी। अधिकारी ने उन्हें समझाया, आपको तो इसे केवल नक्शे में दिखाना है। ड्राफ्टमैन महोदय को अधिकारी का सुझाव अनुचित लगा। उन्होंने अपनी श्रद्धा-आन पर अपने पद से त्याग पत्र दे दिया।

आज हर तरह की गंदगी को इन मोक्षदायनी नदियों में डाला जा रहा है। लोग दूषित जल में नहा रहे हैं, दूषित जल को पी भी रहे हैं। अब कुछ खान-पान की भी बात कर लें। कहावत है - 'सहज पके सो मीठा होय'। अभिप्राय है, धीरे-धीरे स्वाभाविकरुप से भोजन, फल, अनाज आदि पकें तो मीठे होते हैं। लेकिन सब लोग कांचन मृग (धनार्जन) के पीछे इतनी तेजी से भाग रहे हैं कि उन्हें खाना, फल आदि पकने-खाने का न समय है न समायोजन। इस संदर्भ में एक कथा याद आती है-एक सेठजी यथेष्ट सम्पन्न थे। उन्हें रात्रि भोज में अपने क्षेत्र के दस-बीस जनों को निमंत्रित कर गपशप करते हुए भोजन करने का शौक था। कुछ वर्ष बीत जाने के बाद सेठजी की पाचन क्रिया बिगड़ गई। चिकित्सा के बाद भी पाचन क्रिया ठीक नहीं हुई तो क्षेत्र के ख्यातिनाम वैद्यजी को बुलाया गया। वैद्यजी ने सबसे पहले उनके भोजन करने के तरीके की जानकारी ली। शाम को उनका भोज-जलसा देख कर उन्हें सुझाव दिया कि जनसमुदाय के बीच भोजन करना छोड़ दो। अपने घर परिवार के साथ या फिर अकेले भोजन करो, शीघ्र ही स्वस्थ हो जाओगे। सेठजी ने सलाह मानी और कुछ ही दिनों में स्वस्थ हो गये।

कच्चे फलों को हानिकारक रसायनों में पका कर बेचा जा रहा है। ये देखने में तो आकर्षक लगते हैं, लेकिन बेस्वाद व हानिकारक साबित हो रहे हैं। बाजार में पीजा, बर्गर जैसे जंक फूड्स की तरफ सबका आकर्षण बढ़ गया है। छोटे-बड़े सभी सड़कों, मैदानों, बस अड्डों पर धूल मिट्टी, गंदगी व मक्खी-मच्छर वाले स्थानों पर बन रहे खाने, चाट-पकौड़ी आदि को वहीं खड़े-खड़े बड़े चाव से खाते हैं। धर्म नियम में यह सब वर्जित है। क्योंकि 'जैसा खाये अन्न वैसा बने मन'। 

ऐसे ही प्रत्येक घर में बच्चों के नाम तो अच्छे-अच्छे ही रखे जाते हैं, लेकिन बचपन में प्यार से उन्हें बंटी, शंटी, टॉनी जैसे निरर्थक शब्द नामों से पुकारा जाता है। ऐसा हमने भी किया। कोई भी इस गलती पर बुद्धि विचार नहीं करता कि इससे भारत की दैवी संतानों के गुणों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उनके व्यक्तित्व-व्यवहार पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। ऐसा तो नहीं कि इसी कारण उनकी दिल की सफाई, होठों की सच्चाई फीकी पड़ती जा रही है। प्रतिदिन समाचार पत्रों में असत् अमानुषिक कर्मों के समाचार ही अधिक दिखायी देते हैं। कारण स्पष्ट हैं, लेकिन कारणों का निवारण करने की चिन्ता किसी को भी नहीं है।

आज हमारा देश पश्चिमी भौतिकवाद ‘Eat, drink and be merry’ को अपना रहा है। खाओ, पीओ, मौज करो, की संस्कृति भी बॉलीवुड की ही देन है, अश्लील साहित्य, अश्लील चलचित्र और पहनावे की देन है। पश्चिमी भौतिकवाद शराब पीने की बात कहता है। इस भौतिकवाद में नैतिकता नहीं है। इसमें निर्लज्जता, स्वच्छंदता और उद्दंडता है। फिर भी आज का समाज व आज की युवा पीढ़ी इसे सहर्ष स्वीकार कर रही है। पूरे समाज में नास्तिकता दिनों दिन बढ़ रही है। लोग अपनी संस्कृति, सदाचार और सद्गुणों का त्याग करते दिखायी दे रहे हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की आदर्श मर्यादा युवा वर्ग को आडम्बर लगने लगी है। परिणाम सभी के सामने है। चारों ओर अराजकता, उच्छृंखलता में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है। देर रात तक होटलों में शराब, नृत्य आदि होते रहते हैं। सड़कों पर झड़पें, बलात्कार, वाहन दुर्घटनाएं, व्यभिचार व भ्रष्टाचार की घटनाएँ लगभग नित्य ही पढ़ने, सुनने व देखने में आती हैं। बृहस्पति के शिष्य चार्वाक ने वर्षों पहले कहा था-

यावज्जीवेत् सुखं जीवेत् ऋणं कृत्वा घृतं पिवेत्

भस्मी भूतस्य देहस्य पुनरागमनं कुतः

जब तक जीवो सुख से जीओ। कर्जा करके घी पीओ। चिता में जलने के बाद कुछ नहीं बचता, इसलिये जन्म-जन्मान्तरों की यात्रा का प्रश्न ही नहीं उठता। यह था भारतीय भौतिकवाद एवं नास्तिकवाद, जिसके प्रचालक ऋषि चार्वाक इहलोक को मानते थे। इनके मतानुसार स्वर्ग, नरक (परलोक) व पुनर्जन्म जैसा कुछ भी नहीं है। यहाँ चार्वाक ने ऋण लेकर घी पीने की बात कही है, शराब पीने की नहीं। चार्वाक के भौतिकवाद में मर्यादा है। इसमें धृष्टता, लज्जाहीनता, स्वेच्छाचार एवं अदम्यता को कोई महत्त्व नहीं दिया गया है। यह था चार्वाक का नैतिकता से परिपूर्ण नास्तिकवाद। वहीं पश्चिमी भौतिकवाद नैतिकता से परे है। हमारे देश के लोगों ने इस नैतिकता से परिपूर्ण भौतिकवाद को भी नहीं अपनाया। सभ्य समाज ने एक ही बात कही, अच्छा आचरण ही मोक्ष का मार्ग है

'उदार चरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्'-उदार चिंतन करने वाले अच्छे चरित्र के लोगों के लिये ये पूरा संसार कुटुम्ब की तरह है। यत्र विश्वं भवत्येक नीडं-भारतवासियों का देश अपने उदार चरित्र से पूरे विश्व को एक नीड़ (घोंसले) की तरह मानते हैं। ऐसे में हम मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम की आदर्श मर्यादा को आडम्बर कहने का दुःस्साहस क्यों कर रहे हैं? आंखें खोलिये, पश्चिमी भौतिकवाद, नास्तिकवाद को छोड़िये, बुद्धि विवेक से काम कीजिये। जीवन में हनुमानजी की तरह इन्द्रिय-जयी बनने का प्रयास कीजिये। प्रभु श्रीराम की आदर्श मर्यादा का पालन कीजिये। इसी में हमारी व हमारे राष्ट्र की भलाई है। महात्मा गांधी हमें एक प्रार्थना सिखा गये हैं- 'सबको सन्मति दे भगवान्', इस पर मनन कीजिये। तथास्तु, आमीन, इत्यलम्-ऐसा ही हो। 'यतो धर्मस्तो जय':- जहां धर्म है वहीं विजय है। 'धर्मो रक्षति रक्षितः' यदि हम धर्म की रक्षा करेंगे तो धर्म भी हमारी रक्षा करेगा।

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: न भूले भारत अपने आत्म सम्मान को
न भूले भारत अपने आत्म सम्मान को
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjaQXz_z8cDiSHZfCFpjiTpwzz3dGgfGa9iqTrsQ3mp5RY1ciynWnZnRDsN50E02g6Gdqi01od7eOo0YHd1o_ugDMLKQe564kmFIro2Wu3o9lU5Dbt89IqWCTg6-73u9gqfl4wI/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjaQXz_z8cDiSHZfCFpjiTpwzz3dGgfGa9iqTrsQ3mp5RY1ciynWnZnRDsN50E02g6Gdqi01od7eOo0YHd1o_ugDMLKQe564kmFIro2Wu3o9lU5Dbt89IqWCTg6-73u9gqfl4wI/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/07/blog-post_71.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/07/blog-post_71.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content