हास्य-व्यंग्य : रचनात्मक भ्रष्टाचार

SHARE:

- कुबेर एक श्रद्धेय जी हैं। लोगों का मानना है कि श्रद्धेय जी अनेकमुखी प्रतिभा के धनी हैं। राजनीति, युद्धनीति, धर्मनीति, समाजनीति, अर्थनीत...

image

- कुबेर

एक श्रद्धेय जी हैं।

लोगों का मानना है कि श्रद्धेय जी अनेकमुखी प्रतिभा के धनी हैं। राजनीति, युद्धनीति, धर्मनीति, समाजनीति, अर्थनीति, खेलनीति, शिक्षानीति, दीक्षानीति, जुगाड़नीति, सुधारनीति सहित समस्त नीतियों, चिकित्सा, विज्ञान, अंतरिक्ष, ज्योतिष सहित समस्त शास्त्रों, हिन्दू, बौद्ध, जैन, सिक्ख सहित समस्त धर्म; चारों वेदों सहित सभी धर्मशास्त्रों, साहित्य, संगीत, मूर्तिकला, चित्रकला सहित समस्त कलाओं और उन समस्त विद्याओं के, जिनका उल्लेख मेरी अज्ञानता की वजह से यहाँ नहीं हो पाया है, के वे ज्ञाता हैं। मेधा के शिखर पर विराजित प्रखर ज्ञान प्रदाता हैं।

श्रद्धेय जी की विलक्षण मेधा ने विश्व को 'बैंकशास्त्र' नामक एक नया शास्त्र दिया है। उनके अनुसार इस शास्त्र में - ''बैंकों को मानवसमाज का सर्वोच्च नियंता सिद्ध करते हुए, बैंकिंग प्रणाली और मानव-जीवन के बीच के अंतरसंबंधों को सार्वभौमिक परिप्रेक्ष्य में नितांत मौलिक ढंग से परिभाषित और प्रस्तुत किया गया है। इसमें दी गई समस्त स्थापनाएँ नितांत मौलिक और क्रांतिकारी हैं।''

श्रद्धेय जी कहते हैं - ''आज बैंकों की वजह से समाज का हर एंगल करप्ट हो चुका है। बैंक्स आर द अल्टीमेट सोर्सेज ऑफ आल टाईप आफ द करपशन्स। पोलिटिकल करप्शन, शोसल करप्शन, रिलीजियस करप्शन, ऑफिसियल करप्शन, नॉन-ऑफिशियल करप्शन, फाइनेन्शियल करप्शन, फाइल करप्शन, प्रोफाइल करप्शन, हाई प्रोफाइल करप्शन, कॉमर्सियल करप्शन, कारपोरेट करप्शन, कोआपरेट करप्शन, इंडिविजुअल करप्शन, इण्डस्ट्रियल करपश्न, इनवायरेनमेंटल करप्शन, इन्फरमेशनल करप्शन, कम्युनिकेशनल करप्शन, इंटलेक्चुअल करप्शन, नान-इंटलेक्चुअल करप्शन, सेक्चुअल करप्शन, विजुअल एण्ड नान विजुअल करप्शन्ंस आदि सब बैंको की ही देन हैं।''

इतने सारे करप्शन के नामों की सूची सुनकर बेहोश न होने वाला अहोभागी होगा।

श्रद्धेय जी को पूर्ण विश्वास है कि - 'उनके इस ग्रेट क्रिएशन, महान आविष्कार 'बैंकशास्त्र' को दुनिया एक न एक दिन अवश्य रिकग्नाइज करेगी, एप्रिसियेट करेगी। इस महान रचना पर एक न एक दिन उन्हें नोबल प्राईज जरूर मिलेगा।'

फिलहाल अभी उनका यह ग्रेट क्रिएशन, पाण्डुलिपि स्तर से आगे नहीं सरक पाया है। मुझे पता चला है कि बैंकों के साथ श्रद्धेय जी की रिश्तेदारी बड़ी पुरानी और दुखदायी है। इस निर्मम ने कर्ज वसूल करने के लिए उनकी सारी संपत्तियाँ नीलाम करवा दी है। बेचारे को सड़कों की खाक छानने के लिए मजबूर कर दिया है। मुझे तो श्रद्धेय जी का यह ग्रेट क्रिएशन इसी की प्रतिक्रिया जान पड़ती है। श्रद्धेय जी जब भी मिलते हैं, जिस किसी से मिलते हैं, बैंकों द्वारा उत्पन्न भ्रष्टाचारों की पूर्व वर्णित सूची का वर्णन जरूर करने लगते हैं।

श्रद्धेय जी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। वे सदा अंग्रेजी में ही हमला करते हैं। श्रद्धेय जी के अनुसार इसकी दो वजहें हैं - पहला, अंग्रेजी के आयुध अपराजेय होते हैं। दूसरा, वर्तमान पीढ़ी उन्हें अपढ़-गँवार न समझ बैठे, इस संभावना का उन्मूलन करने में यही सबसे अधिक कारगर हथियार है। श्रद्धेय जी को देखकर मुझे एक कबीरपंथी साधु की याद आ जाती है। प्रवचन के दौरान श्रोता समूह में, उनकी समझ के अनुसार, जब भी कोई पढ़ा-लिखा व्यक्ति दिखाई देता है, अंग्रेजी के दो-चार सुनहरे वाक्य वे जबरन घसीट देते हैं। ये वाक्य जरूर उनके गुरू के अंतिम उपदेश होंगे। उनके इन दो-चार सुनहरे वाक्यों के किसी भी शब्द को आज तक मैं समझ नहीं सका हूँ। वैसे भी उपदेश मुझे समझ में आते ही कहाँ हैं?

श्रद्धेय जी बड़े अध्ययनशील व्यक्ति हैं। अब तक वे बाईस हजार से अधिक पुस्तकें पढ़ चुके हैं। (मेरे अल्प गणितीय ज्ञान के अनुसार यह संख्या श्रद्धेय जी के जन्मदिन से अब तक औसत रूप से प्रतिदिन एक किताब बैठता है।) प्रमाण के तौर पर, कौन सी पुस्तक किस तारीख को पढ़ी गई, किस समय पढ़ी गई, दिन में पढ़ी गई या रात में, घर के अंदर पढ़ी गई या घर के बाहर, आदि विवरणों सहित पुस्तक के लेखक-प्रकाशक-मूल्य आदि का उनके पास लिखित विवरण मौजूद है। उनके अनुसार, 'यह विवरण एक अमूल्य दस्तावेज है।'
समय-समय पर वे अपने इस अमूल्य दस्तावेज की प्रदर्शनी भी लगाते रहते हैं। एक दिन वे सुबह मेरे पास से दस किताबें ले गये थे। शाम को वे लौटाने पहुँच गये। मैंने पूछा - ''इतनी जल्दी पढ़ लिये?''

उन्होंने कहा - ''हाँ, हाँ।

''कैसे?''

''फ्लाईंग वीव से।''

अंग्रेजी मेरी जन्मजात कमजोरी है। उनके फ्लाईंग वीव को मैं समझ नहीं पाया। मेरी मनोदशा को भांपते हुए उन्होंने बेचारी हिन्दी में इसका अनुवाद करते हुए कहा - ''सरसरी निगाह से।''

जवाब देते वक्त उनकी हिकारत भरी निगाहें मुझे लगातार अधमरा बना रही थी, जैसे कह रही हों - ''साला मूर्ख! तुझे किताब पढ़ने की भी तमीज नहीं है। जरा सी अंग्रेजी भी नहीं जानता। चुल्लू भर पानी में डूबकर मर क्यों नहीं जाता।''

मेरे मन में जिज्ञासा हुई, सरसरी निगाहों से तो देखा जाता है, पढ़ा कैसे जायेगा? परन्तु अपनी इस जिज्ञासा को प्रगट करने का परिणाम मैं जानता था।   एक प्रश्न पूछकर उनकी निगाहों में मैं दुनिया का सबसे बड़ा बेवकूफ सिद्ध हो चुका था, अब निहायत अपढ़-अज्ञानी सिद्ध होने के लिए मैं तैयार नहीं था। श्रद्धेय जी वाक्कला के प्रकाण्ड विद्वान हैं। दूसरों को चूँ करने की मोहलत वे कभी नहीं देते हैं। चुप रहना ही बेहतर समझा। परन्तु एक बात है। किताब लौटाने में श्रद्धेय जी लिंकन महोदय से भी दो कदम आगे हैं। जमाने वाले आज के इस जमाने में उनकी यह ईमानदारी अनुकरणीय भी है और पूजनीय भी।

अगली बार जब उन्होंने अपने अमूल्य दस्तावेजों की प्रदर्शनी लगाई तो मैंने देखा कि उन दस किताबों का पूरा विवरण बाकायदा उसमें दर्ज है।

एक दिन शाम ढले श्रद्धेय जी मेरे पास आये। उनके चेहरे पर उलझनों के सदाबहार जंगल की वीरानियाँ छाई हुई थी। दुनियादारी की उलझन भरी गलियों में कुछ देर इधर-उधर घूमने-भटकने के बाद लाइन में आते हुए उन्होंने पूछा - ''मा'साब! नहीं चलना है क्या?''

मुझे श्रद्धेय जी के शब्दों से दहशत होने लगती है। दिल थामते हुए मैंने  कहा - ''कहाँ सर?''

''आपको पता नहीं? आज पेट्रिओटिक सौन्ग्स कंपीटीशन है।''

''पता तो है, पर ........।''

''आपको इनवीटेशन नही मिला क्या? ........ सोचा था आपके साथ मैं भी चला जाता।''

''सर! आपने सोचा तो ठीक था, पर .....  ।''

''अपने ही औरगेनाजेशन का प्रोग्राम है। कंपेयरिंग मुझे ही करना है। पर नहीं चलना है तो कोई बात नहीं, कैंसिल कर देते हैं।''

''यदि जाना जरूरी है तो जरूर चलेंगे सर, आदेश भर दीजिए।''

''नहीं, नहीं! आदेश नहीं। अगर आप इजी वे ऑफ गोइंग में चल सके तो ठीक है। वरना कोई बात नहीं, कैंसिल कर देते हैं।''

मेरे सामने उस मुजरिम की स्थिति पैदा हो गई, जिसे 'क्या तुमने चोरी करना छोड़ दिया है?' प्रश्न का उत्तर केवल हाँ या नहीं में देने कहा जाय। मैंने कहा - ''चलने पर ही पता चलेगा सर, कि वे ऑफ गोइंग इजी होगा कि अनइजी होगा।''

उन्होंने जोरदार ठहाका लगाया। कहा - ''भेरी नाइस जोक।''

श्रद्धेय जी रास्ते भर बैंकों द्वारा उत्पन्न भ्रष्टाचारों की पूर्व वर्णित सूची का वर्णन करते रहे और मैं तमाम समय इस सूची के वायुरोधी वातावरण में अकबकाता रहा। वहाँ पहुँचने पर ताजी हवा में सांस लेने का मौका मिल पाता इससे पहले ही उनके जान-पहचान वाला कोई मिल गया। उस सज्जन ने श्रद्धेय जी से कहा - ''ओहो! श्रद्धेय जी आप भी पधारे हुए हैं?''

श्रद्धेय जी ने उस सज्जन से मेरा परिचय कराते हुए कहा - ''मैं तो नहीं आ रहा था, मा'साब ने काफी रिक्वेस्ट किया तो उनकी बात रखने के लिए उनके साथ चला आया।''

मेरे मन ने कहा कि गटर के पानी में डुबा-डुबाकर इस दुष्ट श्रद्धेय जी की जान ले लूँ। परन्तु 'हो, हो .....' करने के सिवा मैं और कुछ न कर सका।

मेरे लिए यह अनुभव नया नहीं है। श्रद्धेय जी की ही कोटि के मेरे दो परम श्रद्धेय और हैं - महान साहित्यकार शास्त्री जी और महान शिक्षाविद् श्री बलिहारी जी। मेरी इस तरह की गत बनाने में ये दोनों सिद्धहस्त हो चुके हैं।   मेरा मन हर बार कहता कि गटर के पानी में डुबा-डुबाकर इन दुष्टों की जान ले लूँ। परन्तु हर बार 'हो, हो .....' करने के सिवा मैं इन दुष्टों का और कुछ भी नहीं कर पाता हूँ। इन श्रद्धेयजनों का यह तो मुझे दुनिया का सबसे महान भ्रष्टाचार जान पड़ता है। श्रद्धेय जी ने बैंक भ्रष्टाचारों की जो सूची बनाई है वह इसके सामने एकदम तुच्छ जान पड़ता है। हमारे एक प्रतिभाशाली समीक्षक मित्र हैं, उन्होंने इसे और इस प्रकार के अन्य भ्रष्टाचारों को भावनात्मक भ्रष्टाचार नाम दिया हुआ है।

आज मेरे दिमाग में बस एक ही प्रश्न रह-रहकर कुलांचे मार रहा है कि श्रद्धेय जी .त बैंक भ्रष्टाचारों की सूची में शामिल भ्रष्टाचारों को (जिसे सुनकर मुझे बेहोशी आने लगती है,) किस कोटि में रखा जाय? मुझे समीक्षक मित्र का स्मरण हो आया। हनुमान जी की तरह छलांग लगाकर मैं उनकी शरण में जा पहुँचा। पहुँचते ही .तज्ञ-शिष्यभाव से यह प्रश्न मैंने समीक्षक महोदय के श्री चरणों में समर्पित कर दिया।

मित्र महोदय ने बड़े ही तार्किक ढंग से मुझे समझाते हुए कहा - ''मित्र! आज देश के निर्माण में, समाज के निर्माण में, परिवार के निर्माण और व्यक्ति के निर्माण में इन भ्रष्टाचारों का महती योगदान है। जाहिर है, ये सब रचनात्मक भ्रष्टाचार हैं।''
000


कुबेर

kubersinghsahu@gmail.com
ब्लॉग - storybykuber.blogspot.com

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: हास्य-व्यंग्य : रचनात्मक भ्रष्टाचार
हास्य-व्यंग्य : रचनात्मक भ्रष्टाचार
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhpqBiDZ6e6e0JUVnx0QvyH_UDZwBWVISnKwZ5mHBNMYXIzwM5Ib37Ct6NGJToSnGyqVHrAEl4qnKhafJcGw81fYFGmE_a_Fd6IP6bOb9EEZF21_FmUsSZSKhmuhEajtLS-onCi/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhpqBiDZ6e6e0JUVnx0QvyH_UDZwBWVISnKwZ5mHBNMYXIzwM5Ib37Ct6NGJToSnGyqVHrAEl4qnKhafJcGw81fYFGmE_a_Fd6IP6bOb9EEZF21_FmUsSZSKhmuhEajtLS-onCi/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/07/blog-post_493.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/07/blog-post_493.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content