प्रमोद यादव टी.वी. समाचार देखते पति को चाय की प्याली देते पत्नी बोली- ‘ क्या जमाना आ गया जी..कहाँ तो भारत कभी एक कृषि-प्रधान देश कहलाता था...
प्रमोद यादव
टी.वी. समाचार देखते पति को चाय की प्याली देते पत्नी बोली- ‘ क्या जमाना आ गया जी..कहाँ तो भारत कभी एक कृषि-प्रधान देश कहलाता था..आज केवल फर्जी-प्रधान देश बनकर रह गया है..जिसे देखो वही फर्जीवाड़ा कर रहा..आम तो आम अब तो “ख़ास” भी खासे कर रहे...’
‘ किसकी बात कर रही हो यार ? खेती तो अभी भी अच्छी खासी होती है देश में..’ पति ने तपाक से कहा.
‘ क्या ख़ाक होती है ?...उससे ज्यादा तो फर्जीवाड़े होते हैं..खेती-किसानी अच्छी होती तो किसान भला क्यों ख़ुदकुशी करते ? देखा नहीं दिल्ली में कैसे एक किसान ने खचाखच भीड़ भरे रैली में, सी.एम.के सामने..सारी पुलिस और किसानों की मौजूदगी में सबको धता बताते पेड़ पर लटक आत्महत्या कर ली ? ‘
‘ वो तो एक हादसा है जी..किसी को विश्वास नहीं था कि ऐसा कर लेगा..सबने उसे गीदड़ भभकी की तरह लिया..कोई जानता कि वो गीदड़ की मौत ही मरना चाहता है तो उसे पेड़ पर कोई चढ़ने ही नहीं देता..बल्कि उसे शहर की ओर भगा देता..चलो..इससे एक शिक्षा तो समस्त सरकारों को मिली कि अब से किसी भी रैली या सम्मेलन किसी ऐसे मैदान में आयोजित होंगे जहां दूर-दूर तक पेड़ का नामोनिशा न हो..’
‘ अजी..ख़ुदकुशी का ये कोई एक किस्सा ही नहीं.. देश में हजारों किसान अब तक मर चुके..और आप कहते हैं-बढ़िया किसानी हो रही..खेती हो रही..अब तो बिचारे इनके साथ फर्जीवाडा का भी कार्यक्रम बन रहा है..भूमि अधिकरण का श्राप इन्हें लीलने ही वाला है..’
‘ बहुत खूब..मैंने कहा था न..समाचार पढो..न्यूज देखो तो नालेज बढ़ता है..लेकिन इसमें ( समाचारों में ) ज्यादा संलिप्तता दिखाने से सिर दर्द भी बढ़ता है..’
पत्नी ने बात बीच में काटते बोली- ‘ पर मुझे तो कोई सिर दर्द नहीं होता..’
‘ अरे भागवान..मैं तुम्हारी नहीं, अपनी बात कर रहा हूँ..आखिर में सब कुछ तुम्हे मेरे सिर ही तो उंडेलना है..’ पति ने छेड़ते हुए कहा.
‘ अच्छा जी..मैं तुम्हें सिरदर्द लगती हूँ..सुबह से शाम तक आपके और आपके लाडलों की सेवा करते झंडू बाम लगा-लगा लाम हो जाती हूँ और आप मुझे ही सिरदर्द ..’ पत्नी रुआंसा हो बोली.
‘ अरे भई..मजाक कर रहा था..चलो आगे बढ़ो..बताओ खेती को छोड़ तुम कुछ फर्जीवाड़ा पर वाद कर रही थी..क्या शिकायत है- दर्ज कराओ..मैं साल्यूशन ढूँढ़ता हूँ..’ पति ने मनाते हुए कहा.
‘ मैं आप के मंत्रीजी की बात कह रही थी जिसे कल दिल्ली पुलिस ने फर्जी सर्टिफिकेट्स के जुर्म में गिरफ्तार कर सचिवालय से उठा ले गई..’
‘ अच्छा..अच्छा..समझा..देखो यार..इंसान बहुत ही कुत्ती चीज है..उसकी सारी कामनाएं पूरी हो ही नहीं सकती..कोई हाथ जोड़ प्रभु से प्रार्थना करता है- “ हे भगवन..मुझे एम.एल.ए. का इलेक्शन जिता दे..एक किलो शुद्ध घी के लड्डू चढ़ाऊंगा..जीत गया तो प्रार्थना करेगा-मंत्री बनादे..एक किलो...मंत्री बन गया तो सी.एम. की कुर्सी दिला दे..एक किलो..ये एक किलो ही सही मायने में उसका अपना वजन होता है जिसे वह पचा सकता है...और कामना “टनों” की अनवरत करते रहता है..और ये हनुमान की पूंछ की तरह बढ़ते ही रहता है..’
‘ अजी कहाँ भटक गए ..क्या पूछती हूँ और आप क्या गोल-मोल जवाब दे रहे ? ‘ पत्नी विचलित होते बोली.
‘ अरे वहीँ आ रहा हूँ..दरअसल पहले जैसे टी.वी...फ्रीज..कार.. बंगला.. स्टेटस सिम्बल हुआ करता था वैसे ही आजकल बड़े लोगों में बड़ी-बड़ी डिग्री रखना भी स्टेटस सिम्बल है ..पर बड़ी-बड़ी डिग्रियां इन्हें मिले कैसे ? ये तो हर उस छोटे-बड़े को मयस्सर होगा जो बकायदा पढेंगे और परीक्सा में शामिल हो पास होंगे..पर येन-केन-प्रकारेण इन्हें तो बिना पढ़े ही डिग्री चाहिए..तो करें क्या ? फर्जीवाडा ही तो एक रास्ता है.. ‘
‘ पर समझ नहीं आता जी कि इस देश में जब अनपढ़-गंवार लोग भी मंत्री-मुख्यमंत्री बन सकते हैं..तो इन्हें क्या सूझी कि डिग्री तो डिग्री मंत्री - पद भी गँवा बैठे..’
‘ ऐसा है यार..राज्य का कानून मंत्री बिना कोई कानूनी डिग्री के हो तो जनता क्या सोचेगी..यही सोचकर शायद उसने फर्जी डिग्री बनवाई..अब उसे क्या मालूम कि इतनी जल्दी पकडे जायेंगे..’
‘ और किस-किस तरह का फर्जीवाडा होता है जी ? ‘ पत्नी ने कौतूहल से पूछा.
‘ अरे सुनोगी तो कान के साथ-साथ आँखें भी फट जायेंगी..कहीं राशन कार्ड में फर्जीवाडा तो कहीं मंनरेगा के जॉब कार्ड में फर्जीवाडा..कही शिख्छकों की नियुक्ति में फर्जीवाडा ..तो कहीं सब इंसपेक्टरों की भर्ती में फर्जीवाडा..फर्जी जन्म-प्रमाणपत्र..फर्जी जाति प्रमाणपत्र..और फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट तो इस देश में कौड़ी के मोल मिलते है.. फर्जी युनिवर्सटी..फर्जी डिग्री..फर्जी डाक्टर..फर्जी वोटर .. फर्जी अकाउंट..फर्जी हस्ताक्षर.. फर्जी एनकाउन्टर..फर्जी काल्स ..फर्जी कम्पनियाँ..बस अब यही है देश और दुनिया..’
‘ अच्छा..एक बात बताइये..आपने कभी कोई फर्जी काम किया ? ‘ पत्नी बोली.
‘ ऐसा कोई नहीं जिसने नहीं किया..तुमने भी किया ही होगा..’ पति ने कहा.
‘ सो तो है..लेकिन मैंने फर्जी के कम और मर्जी के काम ज्यादा किये..इसीलिए तो आपके साथ फंस गई..’ पत्नी ने चिढाते कहा.
‘ तो हमारी भी सुनो..हमने मर्जी के कम और फर्जी के ज्यादा किये..इसकी मिसाल हमारी शादी है..मैं तुम्हारे पापा को बता देता कि केवल मैट्रिकुलेट हूँ तो क्या वे तैयार होते ? इंजीनियर कहते ही वे लपक गए..जबसे आई हो कभी देखा तुमने मुझे कहीं नाप-जोख करते ? हम तो हमेशा कपडे की दूकान में होते हैं.. हाँ..ये अलग बात है कि इंजीनीयरिंग की डिग्री अब तक मेरे पास नहीं..पर तुम तो हो मेरे पास..विशुद्ध एम.एस.सी....’
‘ अरे सरकार..तुमने पापा को नहीं.. पापा ने तुम्हें बनाया..तुम डाल-डाल तो हम पात-पात..हमारी डिग्री भी कौन सी असली है..हमने तो कभी देखी ही नहीं कि कैसी होती है एम.एस. सी की डिग्री..चलो आज मंत्रीजी की बदौलत एक ..एक नहीं दो फर्जी डिग्रियों का खुलासा तो हुआ..शुक्र मनाओ कि इतने पर भी हम अपने घर में हैं..मंत्रीजी की तरह जेल में नहीं..अब घर में हैं तो कुछ काम भी कीजिये...आज रात का खाना आप बनाइये..या फिर बाहर कहीं खिलाईये..’
‘ अरे यार..मैं तो मजाक कर रहा था..बैठो..तुम्हें डिग्री दिखाता हूँ..’ पति ने उठते हुए कहा.
‘ अब बैठ भी जाइए..हमें मालुम है..हम भी मजाक ही कर रहे..हमारी डिग्री भी असली है फर्जी साबित करो तो अभी जेल चल देंगे..’ पत्नी कुछ सख्त आवाज में बोली.
‘ अरे नहीं यार... जेल जाएँ तुम्हारे दुश्मन..”न तुम हो यार आलू..न हम है यार गोभी..तुम भी हो यार धोबी..हम भी हैं यार धोबी “ की तर्ज पर न तुम हो यार फर्जी न हम हैं यार फर्जी..चलो..मारो गोली मंत्री को..निकलो भी अब डिनर को.. और ज्यादा बैठेंगे तो अनर्थ हो जाएगा..फर्जीवाडा के चक्कर में सब कबाड़ा हो जाएगा..ऐसे बेईमान मौसम में तू-तू..मैं-मैं ठीक नहीं.. ’ कहते पति कमीज पहनने लगा.
पत्नी भी “ मौसम है आशिकाना “ गुनगुनाते तैयार होने बेडरूम चली गई.
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प्रमोद यादव
गया नगर, दुर्ग, छत्तीसगढ़
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